Apni Dukan

Wednesday 23 November 2016

मीडिया संस्थानों ,कलाकारों और टीवी सीरियल निर्माताओ को धमका नोट-बंदी के पक्ष में प्रचार करवा रही है भाजपा

जन उदय : वैसे तो मीडिया रिपोर्टिंग से पता चल रहा है की मोदी और भाजपा के डर से सभी न्यूज़ चैनल अखबार नोट बंदी के बाद देश में हुए हालातो पर सच नहीं दिखा रहे है बल्कि जान बूझ कर ऐसी तस्वीर पेश कर रहे है मानो देश में सभी लोग मोदी के नोट बंदी के फैसले से खुश है और सब लोग उत्सव मना रहे है

कोई भी चैनल एक या दो चैनल को छोड़ यह नहीं दिखा रहा है की कितने लोग मर रहे है ,आम लोगो को कितनी परेशानी हो रही है , रोटी नहीं मिल रही है , दवाई नहीं मिल रही है इलाज नहीं हो पा रहा है बल्कि बिकायु मीडिया इन सब परेशानियो को देशभक्ति से जोड़ कर दिखा रहा है यानी कोरा झूट




भाजपा के लोग समाज के उस हर वर्ग पर प्रभाव डाल रहे है जो लोग समाज में कुछ मकाम रखते है जैसे व्यापारी संस्थाओं को धमकाया जा रहा है की वो लोग यापार मंडल की तरफ से मोदी के फैसले का स्वागत वाले पोस्टर और बैनर लगाए , सारे एन जी ओ , वकीलों , आदि

अब धीरे धीरे मोदी के गुंडों का दबदबा टीवी सीरियल और समाज में होने वाले एयर सामाजिक उत्सवो में मोदी गुणगान करने का दबाव डाला जा रहा है

स्टार प्लस , सोनी , कलर और अन्य टीवी चैनल पर आने वाले हर कार्यक्रम यानी सीरियल की स्क्रिप्ट में जबरदस्ती नोट बंदी को सही ठहराया जा रहा है , कपिल शर्मा शो आदि में और अन्य सीरियल में ये सब हो चुका है ऐसा इसलिए किया जा रहा है की इन टी सीरियल को करोड़ो लोग देखते है और इन टीवी सीरियल के जरिये लोगो को गुमराह करना आसान है , कमाल की बात यह है की १९ नवम्बर को होने वाले मुम्बई के एक रॉक कॉन्सर्ट को मोदी ने लाइव सम्बोधित किया


यह वही प्रधानमंत्री है जो संसद में सिर्फ इसलिए नहीं आ रहा ताकि देश को संसद को जवाब न देना पड़े

शील भंग करवा कर अपनी जगह बनाने वाली महिलाए तार्किक रिपोर्टिंग नहीं कर पाती, अखबार ,न्यूज़ चैनल सब एक अंडर वर्ल्ड गैंग की तरह

जन उदय : ५० के दशक में यह बहस जिन्दा थी की मीडिया झा चाहे समाज को मोड़ दे सकता है लोगो की मानसिकता को शेप कर सकता है , समाज की सोच को निर्धारित कर सकता है इसमें फिल्म ,कला न्यूज़ रिपोर्टिंग आदि सभी तरह की कला आती है . कार्ल मार्क्स ने तो यहाँ तक कहा की सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई में साहित्य / मीडिया एक हथियार का काम करता है .

लेकिन जैसे जैसे मीडिया में शोध बढ़ने लगे और संचार के फैलने यानी उसकी गति और प्रभाव पर और भी शोध हुए तो पीछे वाली भ्रान्तिया खत्म होने लगी और नयी नयी सोच सामने आने लगी और अंत में आज हम मीडिया शोध से यहाँ तक आ पहुचे है की मीडिया भ्रान्ति / प्रोपगेंडा फैलाने में एक नम्बर का हो गया है और कुल मिला कर ऐसा नहीं है की मीडिया लोगो को कुछ करने पर मजबूर कर दे बल्कि मीडिया इस तरह से भी काम करता है की समाज में ओपिनियन मेकर सूचना अपना काम करने लगते है यानी ये अफवाह भी हो सकती है .

महिलाए और दलित वर्ग के लोग बहुत चाहने पर भी इस ताकतवर माध्यम से नहीं जुड़ पा रहे है या ये कह सके है की इस माध्यम से उन्हें जानबूझ कर जुड़ने नहीं दिया जाता यानी जगह नहीं दी जाती , लेकिन बावजूद इसके बहुत सारे लोग इन मीडिया संस्थानों में अपनी जगह बनाने में कामयाब हुए है और बहुत अच्छा काम भी कर रहे है

लेकिन पिछले पन्द्रह सालो से मीडिया शेक्षिक संस्थानों में लगातार वृद्धि हुई है और साथ के साथ बहुत सारे चेंनेल और अखबार खुले है लेकिन इनकी ख़ास बात यह है की ये मीडिया संस्थान बिल्डर , और बनिया लोगो ने खोले है जिनका प्रथम उदेश्य इस माध्यम को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना और दुसरा कम से कम खर्च हो .. और

यही कारण रहा की मीडिया शेक्षिक संस्थानों से निकले ये नवयूवक पत्रकार अपनी जगह बनाने के लिए अपनी नौकरी पक्की करने के लिए वही काम करते है जो इनके बनिया आका कहते है और ये बनिया आका पोलटिकल खेमे में अपनी जगह बनाने के लिए अपनी दहशत फैलाने के लिए किसी न किसी पार्टी के लिए काम करने लगते है .और इस काम में लगे युवा युवती इनकी इस धूर्तता को अंजाम देते है



दरसल ये युवा पत्रकार जिसमे लडकिया भी शामिल है कुछ ऐसे पारिवारिक माहौल से आते है जो इलीट क्लास के होते है इसके अलावा इनका बौधिक स्तर बहुत ही कम होता है या कहिये की ये लडकिया इस तरह के काम के काबिल ही नहीं होती ,

अब इन लडकियो को चैनल इन लडकियो को लेता ही क्यों है ?? पहला ये की यह मानसिकता है की टीवी देखने वाले खबर के साथ साथ खबर देने वाली को भी देखते है यानी खूबसूरत लड़की को देखते है , लेकिन सिर्फ इतना ही काफी नहीं होता इनको लेने के लिए बड़े बड़े एडिटर भी चाहते है की खूबसूरत लड़की साथ रहे और जरूरत पड़े तो इस्तेमाल कर सके

इस्तेमाल की बात कोई खुल कर नहीं होती लेकिन अंदाज से समझा दिया जता है की नौकरी में रहने की शर्त यही है यानी सम्पादक का बिस्तर गर्म करना , इंडिया टीवी का तनु शर्मा केस शायद सबको याद होगा इसके अलवा चैनल मालिक सम्पादक इन लडकियो को अपने क्लाइंट या नेताओं को भी परोसते है और कुछ लडकिया तो इतनी शातिर होती है की चैनल छोड़ इन नेताओं के साथ ही हो लेती है एन डी टीवी का अमृता सिंह का केस जिसने राजनाथ से शादी की यह भी सबको याद होगा , . नीरा रादिया के साथ बरखा दत का भी केस सबको याद होगा की ये लोग कैसे पूंजीपति और अपने चैनल के लिए दलाली करती है

इन महिला एंकर और रिपोर्टर की भाषा , अंदाज , और खबरे पेश करने का तरीका और पक्षपाती तरिका इनके चरित्र को और भी दागदार बना देता है

यह हो सकता है की शायद इस तरह की लडकियो की संख्या या प्रतिशत कम हो लेकिन मीडिया के अंदर वर्ल्ड में जिस तरह की लडकिया काम कर रही है वो यकीनन जातिवादी , मुर्ख और अपना शील भंग कराने के बाद ही इसमें रहती है


नोट बंदी पर रायशुमारी : मोदी का एक एक और मूर्खतापूर्ण कदम

जन उदय : वैसे ये पुरानी कहावत है की किसी भी कार्य को करने से पहले हजार बार सोच लेना चाहिए उसके सारे पहलु पर अच्छे से विचार करना चाहिए की क्या सही है और क्या गलत , कार्य के बीच में सिर्फ उसी कदम में सुधार लाने की ही बाते की जा सकती है बाकी कुछ नहीं .

अब मोदी जी जनता से राय जान रहे है की क्या मोदी का ये कदम सही है क्या इस योजना से काला धन निकलेगा ?? आदि आदि तो क्या मोदी जी एप के जरिये यह योजना के बारे में क देश की राय जान पायंगे ?? क्या पूरा देश स्मार्ट फोन इस्तेमाल करता है ?? या सिर्फ भक्त लोगो की राय से खुश हो जाएंगे . और अगर राय जाननी थी तो इस कार्य को करने से पहले जाननी थी . अब तो सिर्फ एक ही रास्ता है योजना को वापिस लेना शायद इसी वजह से मोदी को थोड़ी राहत मिल पाय और इज्जत बच जाए

काले धन पर गुमराह करने वाले मोदी अपने नेताओं को जो ५०० करोड़ की शादी करते है उनको सिर्फ नोटिस भेज रहे है और जो अपने पुरे जीवन की कमाई ४ लाख रूपये बैंक में जमा करा रहा है उससे बैंक के ही कर्मचारी पूछताछ कर रहे है .. ये साफ़ साफ़ आतंक है

नोटबंदी के बाद पुरे देश को गुमराह कर मोदी ने जो काले धन का पत्ता फेंका है यह दरअसल उल्टा पढता नजर आ रहा है और अब मोदी बैकफूट पर पहुच गया है मोदी की हालत सिर्फ सलिए नहीं हुई की संसद में इन जनाब से सवाल पूछे जा रहे है बल्कि इसलिए हुई है की देश के अंदर आम लोगो का जीवन तबाह हो गया है


अब तक अस्सी से जयादा लोग बिना मौत के मर चुके है एक ऐसी मौत जिसके बारे में मरने वाले के परिवारों ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी इसके अलावा जो भी धन बैंक में जमा हो रहा है वह काला धन तो बिलकुल नहीं है बल्कि गरीबो का खून पसीने से कमाया हुआ धन है दस ग्यारह दिन के पश्चात शायद सरकार ने भी यह महसूस कर लिया है की यह जतन भी काम नहीं आया है जिसकी वजह से सरकार को कोई फायदा हो

इसके अलावा यह कदम साफ़ साफ़ दिखाता है की मोदी ने इस कार्य को करने से पहले कोई होम वर्क नहीं या है क्योकि यह अफरातफरी इसी बात का नतीजा है इस बात के लिए सभी माननीय हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट कह रहे है की सरकार ने अपना काम पूरा नहीं किया और आनन् फानन में यह फैसला कर लिया ,

मोदी के चरित्र और भाजपा की अब तक की विफलता को देखते हुए यही कहा जा सकता है , मोदी ने भी लोगो को चोंका देना वाला काम किया ताकि लोग गरीबी , बेरोजगारी महंगाई पर कभी कोई बात न कर सके

वैसे मोदी की डींग मारने की आदत इस काम पर भी नहीं गई और कहने लगे जनाब की मै पिछले दस महीने से इस योजना में लगा हुआ था , अगर हम मोदी की यह बात भी मान ले तो यह कहना बिलकुल गलत नहीं होगा की भाजपा और मोदी किसी भी योजना को नहीं बना सकते जो सफल हो सके इसके अलावा कुमारी मायावती ने यह बात संसद में भी पूछी थी अगर मोदी दस महीने से इस योजना पर काम कर रहे थे तो फिर अब पचास दिन क्यों मांग रहे है ??? फिर तो यह योजना आसानी से कामयाब हो जानी चाहिए थी लेकिन न हो सकी क्योकि यह मोदी की मूर्खतापूर्ण योजना था

इसके अलावा मोदी ने यह योजना यु पी पंजाब के चुनाव को देखते हुए लागू की मोदी का मानना था की सपा और बसपा चुनाव में पैसे खर्च करके यानी काला धन लगा कर चुनाव जीतते है तो मोदी महाशय जी ने यह अक्ल क्यों नहीं लगाईं की भाजपा के पास तो सबसे जयादा पैसा है वो फिर भी इतने सालो से पुरे देश पर कब्जा नहीं जमा पाई . और अगर पैसे से सब कुछ होता तो कांग्रेस को भी कोई नहीं हरा सकता था बी एस पी जैसी पार्टी कैडर बेस्ड पार्टी है अगर इन लोगो को पैसा नहीं भी मिलेगा तो भी इनका वोट बी एस पी को जाएगा और मुलायम का वोट मुलायम को ही मिलेगा .


खैर अब मोदी ने अपने दोनों तरफ खाई खोद ली है जिसमे इसका गिरना निश्चित है

Saturday 11 June 2016

सगे भाई बहन बन सकते है पति पत्नी , देख लो वेदों में लिखी गंदगी

वेदों को भुदेवताओ द्वारा ज्ञान और विज्ञान का भंडार कह कर सारी दुनियाँ में प्रचारित किया जा रहा है| इसकी सच्चाई को जानने विदेशी भी संस्कृत का अध्यायन कर रहे है | नतीजा उन्हें भी पता चल जाएगा की वेदों कितने पानी में है | कुछ उदहारण निचे देखिये .......???

**वेदों में याम और यमी आपस में भाई बहन है इन दोनों की अश्लीलता देखिये ........... " क्या एक भाई बहन का पति नही बन सकता ..... मै वासना से अधीन होकर यह प्रार्थना करती हू कि तुम मेरे साथ एक हो जाओ और रमण करो ..... वाह रे ज्ञान के भंडार .......!!!!! वेदों के हिमायतियों को भाई बहन का त्यौहार **रक्षा बंधन ** से दूर ही रहना ठीक होगा |
***इसके साथ ही वेदों की कुछ ऋचाओं , में देवता उपस्थित है , कुछ में नही | कुछ में पुजारी उपस्थित है कुछ में नही | किसी ऋचा में देवता की स्तुति की गई है , तों किसी ऋचाओं में केवल याचना | कुछ में प्रतिज्ञाए की गई है , तों कुछ ऋचाओं में श्राप दिए गए है | कुछ ऋचाओं में दोषारोपण किया गया है और कुछ में विलाप किया गया है | कुछ ऋचाओं में इन्द्र से शराब और मांसाहार के लिए प्रार्थना की गई है |


वेदों में यह विभिन्नताए यह प्रमाणित कराती है की ये ऋचाए भिन्न -भिन्न ऋषियों ( 99% ब्राहमणों ) की रचना है | और हर ऋषि का अपना एक देवता है जिससे वह ऋषि अपनी इच्छा पूर्ति की प्रर्थना करता है | वेदों में न कोई आध्यात्म है, न कोई ज्ञान विज्ञान ,और न कोई नैतिकता |बल्कि अश्लीलता और पाखण्ड ,शराब पीने और मांसाहार करने का भरपूर बोलबाला | कोई महामूर्ख ही वेदों को ज्ञान -विज्ञान का भंडार कह सकते है

अपनी बेटी से बलात्कार करने वाला, जगत रचयिता : ब्रह्मा

'ब्रह्मा'शब्द के विविध अर्थ देते हुए श्री आप्र्टे के संस्कृत-अंग्रेजी कोष में यह लिखा है- पुराणानुसार ब्रह्मा की उत्पति विष्णु की नाभि से निकले कमल से हुई बताई गई है उन्होंने अपनी ही पुत्री सरस्वती के साथ अनुचित सम्भोग कर इस जगत की रचना की पहले ब्रह्मा के पांच सर थे,किन्तु शिव ने उनमें से एक को अपनी अनामिका से काट डाला व अपनी तीसरी आँख से निकली हुई ज्वाला से जला दिया. श्रीमद भगवत, तृतीय स्कंध, अध्याय १२ में लिखा है---

मेरा लिंग है सबसे बड़ा , सबसे मजबूत , जानिये कौन कहता है ये

जन उदय : जातीय दंगे , मान सम्मान की लड़ाई , साम्प्रदयिक दंगे कभी आपने इनके पीछे एक बहुत बड़ी मानसिकता के बारे में सोचा है ?? इन सबका क्या मनोविज्ञान हो सकता है कभी ये सोचा है ??
शायद नहीं कोई सोच भी नहीं सकता क्योकि ये हमारी मानसिकता में हमारी सोच को शेप करने के लिए बहुत पीछे से काम करता है


अगर हम मानव उद्विकास से लेकर सोचना शुरू करे तो इंसान का विकास अलग अलग जगह पर अलग तरीके और गति से हो रहा था ये लोग धीरे धीरे विकास कर रहे थे सभ्य हो रहे थे ,


खान पान ,रहना ,जमीन और सत्ता की लड़ाई भी शुरू हुई , इसके साथ एक सोच सबसे बड़ी थी की मेरे बाद कौन और क्या मै कमजोर हूँ ?? बस इसी बात ने धीरे धीरे थोडा सभ्य रूप् लिया और पुरुष सत्ता इसी तरह आगे आगे बढती रही मर्द ने अपने वर्चस्व को कायम करना और उसके लिए लड़ना शुरू कर दिया


मर्द की सत्ता , उसकी आने वाली पीडी , उसका गौरव आन बान शान बस यही है की मेरा लिंग मजबूत है मेरा लिंग बड़ा है बाकी सबसे यही है पित्र्सत्ता की लड़ाई


इसके विपरीत , महिला कला , उन्मुक्त , दर्शन , में विलिप्त थी जो सबसे बड़ा खतरा थी क्योकि रक्त शुद्धता की लड़ाई इसी के माध्यम से होनी थी इसी लिए महिला पर मानसिक और उसके शरीर पर कब्जा बड़ा जरूरी था , जो हुआ भी और महिला कई रक्त धारा पैदा कर सकती थी उसी को गुलाम बना लिया



जिस दिन ब्राह्मण बनिया सत्ता से हट जाएगा ,उसी दिन ये देश फिर से सोने की चिड़िया बन जाएगा


जन उदय : भारत सोने की चिड़िया था और विश्व गुरु भी था लेकिन इसमें ब्राह्मणों का कोई योगदान नहीं था क्योकि नालंदा और तक्षशीला जैसे संस्थान बौध लोग चलाते थे और पुरे इतिहास मे ब्राह्मणों ने ऐसा कोई काम नहीं किया जिसको भारत बड़े गर्व से दुनिया के सामने कह सके

युग बदलते गए अंग्रेज भी आ गए उन्होंने जी भर के भारत को लूटा , लेकिन बावजूद इसके भारत में इतनी सम्पदा है इतना धन है जो कभी खत्म होने वाला नहीं सो अंग्रेजो के जाने के बाद काले अंग्रेज यानी ब्राह्मण बनिए सत्ता में आ गए और इन्होने देश को फिर से लूटना चालु कर दिया

लेकिन ये जो लूट इ ब्राह्मण बनियों ने शुरू की आज भी लोकतंत्र के नाम पर चालू है इसका एक उधाह्र्ण लेते है की किसी भी संसद क्षेत्र में स्कूल कोलेज , डिस्पेंसरी , अस्पताल , सडक , बिजली किस्त्ने दिन में दी जा सकती है ?? तो आप यही कहेंगे इन सबका निर्माण हद से हद दस साल में हो जाएगा लेकिन इस देश में नहीं हो पाया , कारण ?? ब्राह्मण बनिए और अन्य स्वर्ण जिन्होंने विकास का पैसा सारा खा लिया और इसे नाम दिया भ्रस्ताचार यानी कितने बड़े अपराध को मात्र भ्रष्टाचार कह कर बड़ा ही मामूली बना दिया गया

देश के विकास का पैसा , गरीबो का पैसा इन ब्राह्मण बनियों ने खा लिया , गरीबो के लिए आरक्षण की वाव्स्य्था भी की गई लेकिन बावजूद इसके ७९ % पर सिर्फ ब्राह्मण जैम कर बैठा है आज भी ये दुसरे सवर्णों को आरक्षण के नाम पर बेवकूफ बना रहा है लेकिन असलियत में ये ब्राह्मण बनिए सबका हिस्सा खा गये


ये देश के सबसे बड़े गद्दार साबित हुए है कमाल की बात यह है की ये लोग आज भी हर तरीके से कोशिस कर रहे है की सारा हिस्सा सत्ता ये ही खा जाए इन लोगो ने देश में आतंक , दनगा , तनाव का माहौल बनाया हुआ है , अगर ये लोग देश से हट जाए और देश के लोग सही ढंग से काम करे तो हम बड़ी ही जल्दी दुनिया के बाकी देशो से आगे निकल जाएंगे लेकिन हमें इन विदेशी ब्राह्मणों को देश से निकालना ही होगा

आरक्षण को कोसने वाले ,देखे ये आंकड़े और जाने कौन है देश का दुश्मन


SC, ST, OBC के दुश्मन मुसलमान नहीं हैं? आपका हक कोई और मार रहा है
केंद्र सरकार से RTI एक्ट, 2005 के तहत प्राप्त इस सूचना को गौर से देखें. नंबर है UGG/4-6. 2011 का आंकड़ा है. बीजेपी सरकार ने गारंटी कर दी है कि यह हालात न बदले.


प्रोफेसर पद पर 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सब मिलाकर SC, ST, OBC के 40 प्रोफेसर हैं. कांग्रेस के जमाने से यह चला आ रहा है. बीजेपी सरकार ने तो अब बाकायदा लिखकर दे दिया कि आरक्षण नहीं देंगे.
देश की 85% आबादी के हिस्से में 1.5% पद.

बाकी 98.5% पद किसने हड़प लिए?

अपने शहर की यूनिवर्सिटीज में जाकर चेक कर लीजिए.
नई RTI लगा लीजिए.


दिलीप मंडल की फेसबुक वाल से

जानिये ऐसा क्या है जिसे जानकार लोग हो जाएंगे नास्तिक


जन उदय : भगवान् क्या है ?? क्या ये सच में मौजूद है  है  या मात्र कल्पना ही है ??
सच में भगवान् सिर्फ एक कल्पना है और  इसका निर्माण कुछ ऐसे शातिर लोग करते है जो समाज को अपने इशारे पर नाचना  चाहते है  और चाहते है समाज में जो हो रहा है और होगा वो सब उनके हित के लिए ही हो और समाज पर इनका  वर्चस्व  बना रहे .
अब जानिये वो बाते जिनकी वजह से भगवान् के निर्माण में धूर्त लोगो को  सहयता  मिलती है  , भगवान् के निर्माण से पहले जो लोग अपने आपको भगवान् का संदेश वाहक बताते है या ये कहते है की भगवान् से उनकी सीढ़ी बातचीत  होती है , ये लोग समाज के मनोविज्ञान का पूरा और सही ढंग से अध्यन करते है

ये सब हम बाते भारतीय पोरानिक सन्दर्भ में समझने की कोशिस करेंगे ,आदिकाल् में बारिश , अग्नि , हवा ,  आदि उत्पात , विनाश का कारण होती थी , कभी भी खड़ी पकी फसल  बाढ़  से खराब हो है , या बारिश नहीं हुई सुखा आ गया इससे मानव बहुत डरता था , तो धूर्त लोगो ने  इन सब को भगवान् का रूप  दे दिया और बाकायदा इनकी पूजा का प्रवाधान  और तरीके भी बता दिए .

इसके बात मानव जीवन में एक बात और भयंकर थी की एक दिन अचानक उनमे से कोई दिर जाता और  फिर न तो बात करता और न ही चलता  जो मृत्यु  थी , अब ऐसा क्या है इस शरीर में , जो इसको चलता फिरता बनाता था और जिसके न रहने से शरीर निर्जीव हो गया , इसको आत्मा , रूह का नाम दिया गया जो की भगवान् के हाथ में है

आदिकाल के समाज के लिए यह भी एक अजीब बात थी की आदमी ने औरत की योनी में अपना लिंग  डाला  और उसे अलोकिक सुख मिला और फिर कुछ समय के बाद  एक बच्चा  पैदा हो गया सो ये एक बहुत बड़ी चमत्कारिक  घटना थी उस समय , सो शातिर  लोगो ने जन्म मृत्यु  इन  सबको  भगवान् का खेल बता दिया   और यह ज्ञान बाद में समय  समय पर यह  ज्ञान परिपूर्ण  होता गया

इसके अलावा  इंसान के अंदर प्राक्रतिक  डर  , लालच  , कामचोरी , हवस सबका  फायदा उठाया  ऐसे ऐसे भगवान् की रचना कर दी जिनके हाथ में तलवार है , हथियार है अगर कुछ  गलत किया तो वह सजा देगा  और सही चलोगे यानी हमारे द्वारा रचे गए  उपदेशो से चलोगे तो भगवान् वरदान देगा  भगवान् ऐसा है अगर उसकी पूजा सही ढंग से करोगे तो वह वरदान देगा  जो चाहे मांग  लो भगवान् से , शातीर  लोगो ने ऐसे भी विचार और उपदेश फैलाए

कमाल की बात देखो ४३ दिन एक मन्त्र जपने से आप भगवान् से मिल लोगे , आपकी मन  की मुराद  पूरी हो जाएगी इस तरह  के लालच , हजारो है
अब हम देखे एक बहुत ही  बड़ा  उधाह्र्ण , आप  शादी के लिए पटरी मिलवाते है , शुभ  समय देख कर सारे काम करते है दिवि देवताओं  की पूजा करते है , उन्हें आशीर्वाद के लिए बुलाते है , लेकिन फिर भी शादी के बाद जीवन नर्क  की तरह रहता है , तलाक  हो जाते  है  दिन रात  घर में झगड़ा  रहता है ,  तो ऐसा क्यों
आपने तो सभी कुछ किया तो इसका कारण यही है की आप जीवन में जितना मर्जी पूजा करे कर्म काण्ड करे ये सब आपके मन को कही एक मनोवैज्ञानिक  संतुष्टि  देगा या बल  देगा  और सारे काम भी आप करेंगे , लेकिन मुशीबत में भगवान् कभी नहीं  अता जब भी जो कुछ भी हुआ वो आपने खुद ने किया है , लेकिन भगवान् का डर हमारे दिलो में इतना है , यानी हम अपनी जिन्दगी से और किसी  भी अकस्मात घटना और अप्रिय घटना से इतना डरते है की  भगवान् की शरण में चले जाते है

कोई भी व्यक्ति यह कह सकती है की ये सब बकवास है   तो कृपया करके  वह व्यक्ति यह बताये की जब भगवान् ने आप सबको एक ही बनाया है  तो आप  दुनिया का कोई भी धर्म  या भगवान् बताइये जिसके रहते , उस धर्म को मानने  वाले सभी  लोग सुखी  रहते है , वो लोग कभी बीमार नहीं पड़ते  , उनके बच्चे  या पति  पत्नी कभी आकस्मिक  नहीं मरते उस  समाज  में लोग गरीब नहीं है  , अशिक्षित  नहीं  है उस अमाज में लोग आपस में  लड़ते  नहीं है , सब शान्ति और सुख से रहते है , अगर नहीं तो ऐसे भगवान् या धर्म को मानसे से क्या फायदा ?

इन सब बातो से यही समझ में आता है की दुनिया का कोई भी धर्म , या भगवान्  समाज में फैली विषमता  को संता में नहीं बदल सकता , वह गरीबी , भुखमरी खत्म नहीं  कर सकता ,भाई भाई  हमेशा एक रहे यह भी नहीं हो सकता समाज में लोग आपस में
  लड़ते नहीं मिलजुल कर रहते है यह भी नहीं हो सकता
लेकिन एक बात हमेशा इंसान की जिन्दगी  को उसके मनोविज्ञान को हमेशा प्रभावित  करती है वह यह की वह जिस धर्म को मानता है उस धर्म का भगवान् उसके बारे में क्या कहता है ?? क्या भगवान यह कहता है वह सामान है ??  बस  यही बात और कुछ अन्य  आदर्शवादी  बाते इंसान को दुसरे धर्म की तरफ खींचती  है

दुनिया के सभी धर्मो  और उनकी किताबो में इन्सान को सामान बताया गया है यह बात अलग है की प्रैक्टिस में ऐसा नहीं है  लेकिन धर्म  की किताब में है ऐसा  , लेकिन तथाकथित  ब्राह्मणों  द्वारा लिखी गई किताबे दुनियामे  ऐसी  किताबे  है  या उपदेश है  जिन्हें ब्राह्मणों  ने यह कहकर लिखा है की ये भगवान् के उपदेश है , सिर्फ इन्ही किताबो में इंसान को इंसान से अलग उंचा  नीचा  बताया   गया है , इन किताबो में लिखा है की कुछ लोग ऊँची जाती  के है कुछ निंची जाति के , ऊँची जाति  के लोगो को हक है की ये नीची जाति  को गुलाम बना कर रखे , उन्हें पढने  न दे  , उन्हें  शिक्षित  न होने  दे   उनके पास किसी प्रकार की सम्पति  न रहे ,इनको समाज के बाहर रखा जाए    सिर्फ ब्राह्मणों  की किताबे यानी  गीता  वेद , पुराण , मनुसिमृति  में ही ऐसा लिखा है नीची  जाति  के ही नहीं  महिलाओं को गुलाम बना कर रखा जाए ,, ये सिर्फ भोग की  वस्तु है

क्या कोई महिला या नीची जाति  का ऐसे भगवान् को मानेगा  नहीं कभी  नहीं
ऐसी विचारधारा को  मानने  वाली महिला अगर वह होगी तो कोई किराए पर  शरीर बेचने वाली , साथ ही शेक्षिक  और मानसिक रूप से बदचलन औरत  ही ऐसी  विचारधारा  का समर्थन करेगी  और  प्रचार करेगी और ऐसे ही तथाकथित  नीची  जाति  के लोग करेंगे  तो उन्हें  अपना  डी  एन ए  टेस्ट करवाना  ही चाहिए


Saturday 4 June 2016

संस्कृत पूर्ण रूप से विदेशी भाषा है जो आर्यों के साथ भारत आई

जन उदय : हाल ही में सीरिया में विश्व भाषा सम्मेलन हुआ जिसमे संस्कृत की उत्पति ,और विकास पर भी चर्चा हुई
सारी चर्चा और इतिहासिक शोध से अब तक ये सामने आया है संस्कृत भाषा का भारत से कोई सम्बन्ध नहीं है और न ही इसकी कोई उत्पति के वैज्ञानिक और भाषा उत्पति के सिद्धांत मिलते है

दरअसल भारत में ये भाषा आर्यों यानी ब्राह्मणों के साथ आई ये लोग आपस में ही इस भाषा को बोलते उअर लिखते थे , यही कारण रहा की इसका सम्बन्ध किसी भी भारतीय क्षेत्र से नहीं रहा

ऐसा लगता है की ये भाषा दरसल ब्राह्मणों की कोड वर्ड भाषा थी जिसे ये लोग ही पढ़ और लिख सकते है
संस्कृत में लिखे गये गए ग्रन्थ में कही भी किसी आम आदमी को संस्कृत नहीं बोलते दिखाया गया
ब्राह्मणों की सबसे बड़ी चालाकी जिसे ये हमेशा से आजमाते आये है वे है अंधविश्वास , लोगो में प्राक्रतिक डर की भावना , और अज्ञानता जिसके कारण इन्होने इस भाषा को देव भाषा का दर्जा दे दिया जिसको बाद में पीड़ित , शोषित और कमजोर लोगो ने मान लिया क्योकि उनके पास और कोई चारा भी न था


कई बार इसे ये लोग अमृत वाणी भी कहते है क्योकि इन्होने अपने संदेश इसी भाषा में लिखे , यानी वेद आदि इसमें कमाल की बात यह रही की इस भाषा को भगवान् ने सिर्फ इन्हें ही सिखाया यानी ये इनकी धूर्तता थी की ये इनकी भाषा है और इन्हें ही आती थी

खैर शोध के आधार पर यह बात साफ़ है की सिन्धु घाटी की सभ्यता में ब्रह्मण कही नहीं थे और न ही संस्कृत यानी ये दोनों विदेशी है

इसके अलावा विदेशी भाषाओं में इसके या इससे मिलते जुलते शब्द मिलते है जो ये बात साबित करते है की इसका भारत से कोई सम्बन्ध नहीं है जैसे इंग्लिश में brother तो संस्कृत में भ्राता इसी तरह मदर तो माता
,
patriarchy - पितृसत्तात्मक , matriarchy – मात्रसत्तात्मक आदि

चूँकि यह बात साफ़ है तो इस भाषा के विकास पर अरबो रुपये का खर्चा क्यों ??

Sunday 29 May 2016

नार नहीं नोरंगी है , ढक ले तो सारे कुल को ढक ले नहीं तो नंगी की नंगी है तोता मैना के किस्से अश्लील , और कामुकता फैलाने वाली कहानिया नहीं बल्कि स्त्री विमर्श और जेंडर सेन्सटाईजेशन की पहल है लोक साहित्य में


जन उदय : कुछ लोग ऐसे होंगे शायद  जिनको तोता मैना के किस्से के बारे में कुछ मालूम नहीं होगा  और साहित्य  में रूचि  रखने वाला  शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति  होगा जिसे इनके बारे में मालूम नहीं होगा .

कुछ लोगो ने तो ये किस्से अपने बड़े लोगो से निति कथाओं के रूप में जरूर सुने होंगे , चूँकि कहानिया कहने वाले अधिकतर  पुरुष है और रहे है तो शायद  ऐसी  कहानिया जयादा प्रचलित है  जिनमे औरत  बेवफा  रहती है , घटक होती है  और ऐसी होती है की उ पर कोई विशवास नहीं किया जा सकता

इस बात की जानकारी सभी साहित्यकारो को जरूर होगी की लोक साहित्य   में कव्वाली , नौटकी  के संवाद इन्ही तोता मैना के  किस्सों पर आधारित हो होते है , हालांकि कव्वाली  सिर्फ मजारो  पर और इबादत के लिए इस्तेमाल की जाति  थी लेकिन लोक साहित्य ने इसको अपने तरीके से अपनाया

अगर हम तोता मैना के किस्से  सही ढंग से पढ़े  तो शायद हमें अह्मारे समाज की सारी  समस्याओं  की जड  और उन पर फैली मानसिकता  भरी मिल जाएगी . मसलन एक राजा  जंगल में शिकार करते हुए जता है  रास्ता  भटक जाने के कारण एक गवा में जाता है वहा  पर वह एक महतर ( भंगी ) लड़की को देखता है जो चाँद से जयादा खूबसूरत  है उस पर मोहित हो जाता है जब  वह उसके साथ सम्बन्ध बनाना  चाहता हैलेकिन यह सम्भव न होने के कारण वह लड़की  को  शादी का प्रस्ताव रखता है , काफी सोच विचार के बाद  वह लड़की और उसके घरवाले इस रिश्ते को स्वीकार कर लेते है , कुछ  दिन  उस लड़की के साथ समय गुजारने के बाद राजा को होश आता है की वह इस लड़की को सबके सामने कैसे ले जाएगा  सो योजनाबद्ध  तरीके से वह उस लड़की को रास्ते में कत्ल कर देता है “
तो इस कहानी में कामुकता  , स्त्री के अपने निर्णय , जाति , और जाति  से जुड़े पूर्वाग्रह औरत को वस्तु की तरह इस्तेमाल करना यह सब आते है

 कहने को तो ये किस्से  कामुकता के लिए इस्तेमाल किये जाते है लेकिन कमाल की बात यह है की इसमें वफ़ा , और बेवफाई के नाम  पर स्त्री को जयादा दोषी ठहराया  गया है , इसमें एक छिपी  बात यह है की सदीओ पहले इन कहानियों के माध्यम से स्त्री विमर्श किया गया जो भद्र  लोक से दूर रहा  और ये ऐसा विमर्श है जो लोकप्रिय  है  और इसी के सहारे  समाज में सारी  मानसिकता  फैलती है


Saturday 28 May 2016

आने वाली नस्ले हमें माफ़ नहीं करेंगी , यह कह कर , उस वक्त तुम क्या कर रहे थे जिस वक्त संघ काल में में इंसानियत शर्मशार हो रही थी ,भगवा आतंक बढ़ रहा था


जन उदय : किसी भी देश का इतिहास   एक जैसा नहीं रहता , न उसमे हुक्म करने वाली हुकूमते एक रहती है  वक्त का पहिया हर किसी को कुचल आगे निकल जाता है , और एक  नए समाज को जन्म देता है  नये लोगो को इतिहास में भागीदार  और खिलाड़ी  बन्ने के लिए  आमंत्रित  करता है .

भारत  का इतिहास भी कुछ ऐसा ही रहा है , यहाँ लोग  और हुकूमते  आती रही जाति   रही , कई  परोपकारी   और कई  अत्याचारी  शासक  आये और चले गए . जब भी इस देश में जुल्म हुआ है  ये सिर्फ उस व्यक्ति की ताकत नहीं होती जो अत्याचार करने के लिए आगे बढ़ता  है बल्कि  उन लोगो की बहुत बढ़ी  गलती होती है जो लोग  इस बदलते मंजर को खामोशी से खड़े देखते रहते है और अपने आप को वक्त के पहिये के निचे बिना कुछ कहे  कुचल  जाते है
भारत के जिस दौर में हम आज गुजर रहे है   ये सच में एक बहुत बड़े  संकट का समय है और यह संकट है भारत में भगवा आतंकवादियो  की सरकार कहने को तो इस सरकार बन्ने में पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया  का पालन हुआ लेकिन इस प्रक्रिया में इतनी गडबडी  हुई की सभी लोकतांत्रिक शक्तिया  आवाक  रह गई और अंत में लोकतांत्रिक जंग में भारत के मानवतावादी शक्तियों  की हार हुई

इस भगवा सरकार बन्ने  के बाद शुरू से ही इन लोगो ने अपने आतंकी होने के प्रमाण देने शुरू कर दिए अपने देशद्रोही इरादों  को नजाम देना शुरू कर दिया  इसकी शुरुआत  गंगा  बचाओ आन्दोलन के नाम पर २०० करोड़  , बनारस के पंडो  के लिए ५६ करोड़ , और अन्य  ऐसे कार्य करना शुरू कर दिया


इन भगवा लोगो का काम सबसे पहले शिक्षा  संस्थानों  पर अपना कब्जा ज़माना था सो इन्होने पुणे फिल्म स्कूल हैदराबाद  यूनिवर्सिटी में रोहित वेमुला  की संस्थानिक  हत्या  मद्रास आई आई टी  में संघी आतंक  डेल्टा मेघवाल की हत्या , जे  एन यु    षड्यंत्र , मुजफ्फर नगर दंगे ,  गोमांस को लेकर आतंक , आदि
इन लोगो के द्वारा लोकहित के वादे सब फ्लॉप हुए देश कर्ज  और  पतन के गर्त में जाना  शुरू कर दिया हालांकि ये बात सबको मालूम थी की ये सब देशभक्ति के वादे सब झूठे है लेकिन सभी प्रगतिवादी  शक्तिया कुछ न कर पाई . और न ही कर पा रही है

इन लोगो ने पुरे देश में खुला  आतंक फैलाया हुआ है ,गरीबी महंगाई , बेरोजगारी बढती  ही जा रही है और ऐसा लगता नहीं की आगे कुछ रुक जाएगा   इसके विपरीत  मोदी के चहेते  सारे  पूंजीपति  खूब मुनाफ़ा  कमा रहे है  रेलैएंस का तिमाही  मुनाफ़ा  ४ से ६.५ हजार करोड़ पहुच गया है इसी तरह अधानी का मुनाफ़ा  ७५ ५ बढ़ गया है कमाल की बात यह है की सारी सरकारी संस्थाए घाटे में और आई सी यु में पहुच गई है इस बात को खुद  सरकारी  लोग मानते है  जिस जी डी पी का हवाला  दिया जा रहा है  उसमे रिटेल  और गरीबो का कितना हक है  इसका कोई  जवाब सरकार के पास नहीं है क्योकि ये सब भ्रम है . लगातार किसान आत्महत्या  कर रहे है , अपराधो  की संख्या  ४०० %  बढ़  गई है कमाल की बात यह है की इसमें दलितों के प्रति अपराध ३०० % से जयादा बढे  है , इनकी हत्याए बलात्कार लगातार बढ़  रहे है

 हमें इतनी उम्मीद नहीं थी की  देश इस तरह पतन के गर्त में चला जाएगा इसी कारण न जाने क्यों मन एक तनाव रहता है  क्योकि इस सरकार का असर आने वाली नस्लों  तक होगा और नसले हमसे पूछेंगी  की जब ऐसे लोग देश में आये तो आप लोग क्या कर रहे  थे ??  जवाब ये तो बिलकुल नहीं हो सकता हमसे गलती  हो गई या हम इन लोगो  को पहचान नहीं पाए ??  नहीं हम लोगो  को अपनी गलती मान ली चाहिए और ये स्वीकार करना चाहिए की  हम नाकामयाब हुए  ,


चाहे कुछ भी रहे लेकिन हम आने वाले वक्त में ऐसा नहीं होने देंगे  सभी लोगो  को  एकजुट करना होगा और अपने देश को बचाना होगा  इस देश की आने वाली नस्लों  को बचाना  होगा 

दलित खुद नीच और जलील है ,ब्राह्मण इसलिए इनको दबाता है , जानिये क्या है यह नीचता



जन उदय : भारत में दलित समुदाय जिस तरह जाति  के नाम पर और उससे जुड़े अत्याचार से परेशान है कह नहीं सकते हर जगह हर स्थान पर जातिवाद  का बोलबाला  और ये सब वो लोग जयादा फैलाते है जो अपनी  ऊँची जाति को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते है और दलितों का मोबल एक पल में जातिवाद के नाम पर तोड़  देते है ,

लेकिन ये सब देख कर ऐसा लगता नहीं की दलित  लोग भी जातिवाद  और उत्पीडन के खिलाफ कोई जोरदार और सच्ची  मुहीम चला रहे है है जातिवाद से उत्पीडन के बावजूद ये लोग खुद ब्राह्मणों द्वारा फैलाए गए जाल में  फंसते है खुद उनकी शरण में पहुच जाते है

इसके अलावा  खुद दलितों के नेता इनके नाम से आगे बढ़ते है , दलित नाम से जीवन में नौकरी पाते है लेकिन जब सही समय आता है तब दलितों के दलाल इनका सौदा कर बैठते है , राम विलास पासवान , उदित राज जितन राम मांझी जैसे लोग जो आरक्षण की बदौलत आगे आ गए है अब दलितों को आरक्षण छोड़ने का उपदेश देते है ,

इसके अलावा खुद समान्य जन उन सभी ब्राह्मण कुरितियो  को अपनाते है जो इनके लिए जाल के  रूप में तैयार की गई

इसके अलावा न तो इन लोगो में एकता है  और न ही द्रिड निश्चय , ये लोग बस  ये चाहते है जाति  बरकरार रहे लेकिन जाति के नाम पर उत्पीडन न हो और इन्हें आरक्षण मिलता  रहे
इसपर जयादा कुछ न कहते हुए पेश है एक छोटी से कहानी जिसको शशि अतुलकर के फेसबुक वाल से लिया गया है

एक ओबीसी अफसर हनुमान का भक्त था।

रोज वह हनुमान के मंदिर मे जा कर प्रसाद और पैसे चढाता फिर घर आ कर अपने कुत्ते को भी प्रसाद खिलाता। एक दिन उसका कुत्ता भी उसके पीछे-पीछे मंदिर तक चला गया, वहां सभी लोग कुत्तों को भी प्रसाद डालते थे। जैसे ही वह अफसर का कुत्ता प्रसाद खाने लगा तो वहाँ के लोकल कुत्ते उस पर टूट पडे। जैसे-तैसे उस अफसर ने अपने कुत्ते को बचाया लेकिन कुत्ते के कई घाव हो चुके थे, घर लाकर अफसर ने कुत्ते की मरहम पटटी की और कुत्ते को उपदेश देने लगा , क्या जरूरत थी मंदिर आने की, अकल ठिकाने आ गइ न, अब तो कभी मंदिर नहीं जायेगा।


कुत्ते ने जवाब दिया मैं तो कुत्ता हूँ फिर भी कसम खाता हूँ क़ि जहाँ मेरी बेइज्जती हुई है वहाँ कभी नहीं जाउंगा। पर तुम तो जानवरों से भी गिरे हुए हो, तुम्हारे बाप दादा और माँ बहिनो की हिंदू धर्म के नाम पर मंदिरो मे अनेको बार बेइज्जती हुई हैं फिर भी तुम कितने बेशर्म हो, तुम्हें लात मारने के बाद भी बार बार उन्ही हिन्दू मंदिरो में जाते हो।
सुधर जाओ।

Friday 27 May 2016

जानिये कौन बनाता है आईसीस के दिल दहलाने वाले विडियो , और क्या है इनकी सच्चाई


जन उदय :  दुनिया में ऐसे शायद ही कोई और आतंकी संघठन  हो जो अपने जुल्मो के विडियो जारी करता हो , हां  ये बात सही है की ऐसे आतंकवादी संघठन अपने संदेश दुनिया को देने के लिए विडियो मेसेज का इस्तेमाल करते है ताकि पूरी दुनिया  में इन विडियो मेसेज को इन्टरनेट के जरिये फैलाया  जा सके  और लोगो में दहशत पैदा की जा सके

आप सभी लोग ऐसे विडियो देखते होंगे जो आईसीस  जारी करता है जिसमे वो कत्ल करते है , लोगो को आग में जलाते है , पानी में डुबो कर मारते है , लेकिन आपने इन विडियो की प्रामणिकता जांचने की कौशिस  की है ??  क्या आपने ये  जानने की कौशिस  की है की इस विडियो बनाने वाले क्या सच में आतंकवादी है  या इसमें किसी स्पेशल इफ़ेक्ट का सहारा  लेकर बनाए गए है और सबको बेवकूफ बनाया  जा  रहा है

आइये जानते है इन विडियो के बारे में तकनिकी रूप से

सबसे पहले इन विडियो की ख़ास बात है की इनको कम से कम कम तीन कैमरा  एंगल  से शूट  किया जाता है  यानी एक कैमरा बीच में एक  सीधे  हाथ पर और एक उलटे हाथ पर  , इसके अलावा  एक कैमरा  क्रेन  में भी रखा जाता है जिसे आप इस तरह पहचान सकते है की यह कैमरा उपर से नीचे  की और आता है और फिर नीचे से उपर की और जाता है 

इसके अलावा  पुरे  शूट को  एक लॉन्ग   शॉट  में भी रखा जाता है  ताकि  पूरा ड्रामा  बनाया जा सके ,  इसका मतलब यह है की इस शूट  की पूरी प्लानिंग  की जाती है  और इसकी  एडिटिंग  भी उसी प्रोफेसनल  तरीके से की जाती है ,

अब सवाल यह आता है की क्या ये विडियो  सच में ऐसे ही होते है , तो जवाब सुन कर आप हैरान हो जाएंगे की ये विडियो एकदम  झूठे है इनको स्पेशल इफ़ेक्ट से बनाया  जाता है जिसे होलीवूड में  दो भारतीय  की कम्पनी बनाती है  जो  वायरल  विडियो बनाने में माहिर है  जानी ऐसे विडियो  जिन्हें देख कर लोग विचलित हो जाए और जयादा से जयादा शेयर हो सोशल नेटवर्किंग  साइट्स है


ऐसा भी कहा जाता है  यही संस्था  अमरीका में आर एस एस के विडियो  भी तैयार करती है जो संघ इसी तरह के झूट के लिए  बनाए जाते है. विडियो बनाने  वाले लोगो में दो नाम मुख्य है एक है लम्बोदर  पिल्लई , और अक्षत भारद्वाज  , ये दोनों संघ के  और ऐसी  ही संस्थाओं  के लिए काम करते है जिसमे  दुसरे देशो की वेबसाइट को हैक  करना  भी शामिल है . हलांकि इस बात की पुष्टि किसी आधिकारिक  रूप से नहीं है लेकिन आम लोगो  का यह मानाना  है की ये विडियो  अमरीका  में ही बनते है