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Saturday 12 March 2016

संस्कृति महोत्सव तो बहाना है असल मकसद यमुना किनारे की जमीन को हडपना है लैंड माफिया भी है श्री श्री रवि शंकर


संस्कृति  महोत्सव के नाम पर   श्री श्री रवि शंकर ने  एकड़ो जमीन पर लगभग एक साल से कब्जा किया हुआ है , बहाना ये की इस जमीन पर विश्व संस्कृति महोत्सव नाम का सेट बन रहा है ,  की इस महोत्सव में इस्तेमाल होने वाली सुविधायो को इंतजाम किया जा रहा है ,ये  जमीन हजारो  एकड़ में है ,

सम्बन्धित  विभागों ने श्री श्री रवि शंकर पे केस भी किया लेकिन जो भी फैसला कोर्ट आदि  दिया ये भी बेहद चोंकाने वाला है  सवाल यह है की क्या महोत्सव खत्म होने के बाद श्री श्री रवि शंकर इस जमीन को खाली कर देगा , ??

अगर हम  श्री श्री रवि शंकर का इतहास देखे तो यह  एक नम्बर का जमीन हड्पू  इंसान है यानी धर्म के नाम पर गैर कानूनी रूप से कब्जा करने वाला  बंगलोर में भी नदी किनारे इसने  ऐसी ही एक बहुत बड़ी जमीन पर गैर कानूनी कब्जा किया हुआ है
अब ये भी सवाल है की की दिल्ली में यमुना के दूसरी तरफ अक्षरधाम मंदिर भी इसी तरह हिंदूवादी संघठनो ने गैर कानूनी रूप से कब्जे में किया हुआ है  हलांकि कुछ लोगो ने इस बारे में आवाज उठाई लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ   अक्षर धाम मंदिर की जगह भी यमुना नदी की जमीन पर है


जब अक्षरधाम की जमीन कब्ज़ा करने  वालो को का कुछ नही हुआ  तो श्री श्री रवि शंकर का कुछ कैसे हो सकता है ??  वो भी जब , जब वह संघ सरकार का विशेष  कृपापात्र हो  यानी  अब यह जमीन खाली नहीं होने  वाली ,


इसके लिए यह हो सकता है की खाली करते करते कोई दुसरा कार्यक्रम आ जाए और जमीन पर रवि शंकर का कब्जा बरकरार    रहे 

जनता ने नकारा और राष्ट्रवादी मीडिया ने किया अघोषित बहिष्कार श्री श्री रवि शंकर के विश्व सांस्कृतिक महोत्सव का


श्री श्री रवि शंकर ने सत्ता के करीब होने का भरपूर फायदा उठाया इसलिए संघियो के साथ मिलकर सरकारी ताम झाम की मदद से ब्राह्मण संस्कृति को फैलाने का  काम कर रहे है .

लेकिन जैसे ही इस महोत्सव पर विवाद हुआ और यह साबित हो गया उसी समय राष्ट्रवादी लोगो ने इस महोत्सव का बहिष्कार करने का मन बना लिया क्योकि जो साधू संत कहने को अपने आपको  साधू संत कहता है लेकिन इसके कार्य  समाज विरोधी तत्वों जैसे है  , उधाहरण के लिए इसके उपर कोर्ट ने पांच करोड़ का जुर्माना लगाया लेकिन रवि शंकर ने कहा की वो जुर्माना  नहीं  भरेगा

अब रवि शंकर से कोई ये पूछे की जब आप अपने  देश के कानून की इज्जत नहीं करते तो आप कैसे महान हो गए , इस बात से तो पुरे देश में ये संदेश जा रहा है की ये धर्म और संस्कृति के नाम पर कुछ भी करेंगे और आपको कुछ  नहीं होगा .


मीडिया के लोगो ने सिवाय कुछ पिछलग्गू मीडिया  ने इस महोत्सव और रवि शंकर का बहिष्कार कर दिया है  और  वहा जिस मात्रा  में  कहा जा रहा था  वहा पर लोग हजारो की संख्या में भी नहीं है  कुल  मिला कर  यह  अरबो रूपये का खेल है  जो संघ और रवि शंकर मिल कर खेल  रहे है 

दलित गरीब ही नक्सली आतंकवादी बनते है श्री श्री रवि शंकर

दलित गरीब ही  नक्सली आतंकवादी बनते है श्री श्री रवि शंकर


 श्री श्री रवि शंकर  जो आज    दिल्ली में  यमुना नदी के किनारे विश्व संस्कृति महोत्सव मना रहे है दरअसल  एक नम्बर का  धूर्त ब्राह्मणवादी ,जातिवादी है
यही नहीं इसने सरकार 

यानी कोर्ट के आदेश की अवेहलना कर यह भी जता दिया है की इस देश में  धर्म के नाम पर कुछ भी अनैतिक , किया जा सकता है वह भी विशेषकर   हिन्दू धर्म के नाम पर , ऐसा इसलिए है की हिन्दू धर्म के नाम से  जाना जाने वाला धर्म  दरअसल धर्म है ही नहीं बल्कि ब्राह्मणों द्वारा   फैलाई जा रही विषैली  संस्क्रती है , जो इंसानियत को श्रम सार करती है .

दुनिया में  सिर्फ ब्राह्मणों द्वारा फैलाई जा रही संस्कृति ही ऐसी संस्क्रती है की इसका कोई भी सूत्र पुरे देश में  एक जैसा , हो  और यही एक ऐसा धर्म है को कुरूतियो को बढ़ावा और वैधता  प्रदान करता है


 श्री श्री रवि शंकर एक ऐसा विषैला नाग है जो  जातिवादी मानसिकता से भरा है ,
यही कारण है की एक बार इसने  २१ मार्च २०१२ को जयपुर के एक कार्यकर्म में कहा था की सरकारी स्कूलों में पढ़ कर बच्चे नक्सली बनते है , तो सरकारी स्कूलों में कौन से बच्चे  पढ़ते है  ?? 

जाहिर है गरीब लोग और गरीब लोग कौन  है यानी दलित  तो नक्सली कौन बनेगा ?? यानी दलित  क्योकि किसी और समाज के उपर तो जुल्म होते नहीं है  भारत में सिर्फ जातिवाद  के नाम पर जितने जुल्म होते है  उसकी कोई गिनती ही नहीं है

एक अध्यात्मिक गुरु  जो अपने आपको दुनिया में यह दिखाता है की वह सबके  लिए एक है , सभी मानव एक है लेकिन ये सिर्फ कहने भर के लिए है हकीकत में यह नहीं है