Apni Dukan

Monday 22 January 2018

संस्कृत पूर्ण रूप से विदेशी भाषा है जो आर्यों के साथ भारत आई

जन उदय : हाल ही में सीरिया में विश्व भाषा सम्मेलन हुआ जिसमे संस्कृत की उत्पति ,और विकास पर भी चर्चा हुई
सारी चर्चा और इतिहासिक शोध से अब तक ये सामने आया है संस्कृत भाषा का भारत से कोई सम्बन्ध नहीं है और न ही इसकी कोई उत्पति के वैज्ञानिक और भाषा उत्पति के सिद्धांत मिलते है

दरअसल भारत में ये भाषा आर्यों यानी ब्राह्मणों के साथ आई ये लोग आपस में ही इस भाषा को बोलते और  लिखते थे , यही कारण रहा की इसका सम्बन्ध किसी भी भारतीय क्षेत्र से नहीं रहा
अगर संस्कृत भारतीय भाषा होती तो संस्कृत में लिखे  ग्रंथो में .कोई आम आदमी इस भाषा को बोलता हुआ नहीं दिखा , केवल  ब्राह्मण ही इस भाषा को बोलते   थे ,
इसका एक मुख्य वजह की संस्कृत  विदेशी भाषा है इसका कोई भी  प्रमाण , हड़प्पा  , मोहन-जोदारो  की सभ्यता में नहीं  मिलता कभी किसी  भी राजाज्ञा  या  राजा के आदेश  नहीं आये . इनके कभी कोई शिलालेख  भी नहीं मिले


ऐसा लगता है की ये भाषा दरसल ब्राह्मणों की कोड वर्ड भाषा थी जिसे ये लोग ही पढ़ और लिख सकते है
संस्कृत में लिखे गये गए ग्रन्थ में कही भी किसी आम आदमी को संस्कृत नहीं बोलते दिखाया गया
ब्राह्मणों की सबसे बड़ी चालाकी जिसे ये हमेशा से आजमाते आये है वे है अंधविश्वास , लोगो में प्राक्रतिक डर की भावना , और अज्ञानता जिसके कारण इन्होने इस भाषा को देव भाषा का दर्जा दे दिया जिसको बाद में पीड़ित , शोषित और कमजोर लोगो ने मान लिया क्योकि उनके पास और कोई चारा भी न था

कई बार इसे ये लोग अमृत वाणी भी कहते है क्योकि इन्होने अपने संदेश इसी भाषा में लिखे , यानी वेद आदि इसमें कमाल की बात यह रही की इस भाषा को भगवान् ने सिर्फ इन्हें ही सिखाया यानी ये इनकी धूर्तता थी की ये इनकी भाषा है और इन्हें ही आती थी

खैर शोध के आधार पर यह बात साफ़ है की सिन्धु घाटी की सभ्यता में ब्रह्मण कही नहीं थे और न ही संस्कृत यानी ये दोनों विदेशी है

इसके अलावा विदेशी भाषाओं में इसके या इससे मिलते जुलते शब्द मिलते है जो ये बात साबित करते है की इसका भारत से कोई सम्बन्ध नहीं है जैसे इंग्लिश में brother तो संस्कृत में भ्राता इसी तरह मदर तो माता
,
patriarchy - पितृसत्तात्मक , matriarchy – मात्रसत्तात्मक आदि  बिरादर , ब्रोदर , मदर
चूँकि यह बात साफ़ है तो इस भाषा के विकास पर अरबो रुपये का खर्चा क्यों ??

Origin of Sanskrit , Sanskrit is not Indian language , Sanskrit. language of Brahmans , Language Conspiracy in India , Language and Culture in India ,Sanskrit is a fraud Language , Sanskrit code word Language of Brahman 

Saturday 13 January 2018

दलितों और मुसलमानों को मुर्ख बनाती मोदी की कल्याणकारी योजनाये

जन उदय : जिस तरह भाजपा ने एक इवेंट मैनेजमेंट के जरिये मोदी का समां बांधा और लोगो को एक नए तरीके के राष्ट्रवाद में फंसाया उस तरह की गोली भक्त लोग अभी तक चूस रहे है मोदी ने सबसे पहले मेक इन इंडिया का नारा दिया यह सच में एक बहुत अच्छा कदम हो सकता था अगर इसको लागू कर दिया जाता क्योकि चीन से आने वाले उत्पाद काफी कम हो जाते और युवाओं और बेरोजगारों को काफी रोजगार मिलता लेकिन मोदी के सारे वादे और इरादे केवल भाषण बन कर रह गए बल्कि अब तो यह होने लगा है है की मेट्रो कोच देश में बनाने के लिए मोदी साहेब ने नागपुर में चीन की फैक्ट्री ही लगवा ली और जिस तरह के राष्ट्रवाद के प्रतीक को लेकरं पटेल के नाम को इस्तेमाल क्या उसी पटेल की मूर्ति भी अब चीन में ही बन रही है .. थोथे वादे और थोथा मोदी .. 

इसके अलावा मोदी ने अपने पद की गरिमा को जिस तरह गिराया है वो भी बहुत शर्मनाक है मोदी की भाषा पर उठने वाले सवाल एक दम सही साबित हो रहे है , मोदी के बोल , चौराहे पर खड़ा कर कर मुझे जूते मार लेना , आदि आदि 

अभी ठीक यु पी चुनाव से पहले मोदी ने मुस्लिम सिख यानी अल्पसंख्यक लोगो के लिए योजनाये लागू की है अगर इन योजनाओं की परत दर परत जांच की जाए तो अन्य कल्याणकारी योजनाओं की तरह ये भी सिर्फ दिखावे की है 


छात्रवृति योजना जिसमे परिवार की आय एक लाख रूपये सालाना से कम होनी चाहिए ये योजना प्राथमिक शिक्षा के लिए है इसके अलावा शिक्षा के लिए मिलने वाली छात्रवृति में परिवार की आय छ लाख रूपये सालाना से कम होनी चाहिए 

स्टार्ट अप योजना जो गरीबो दलितों के लिए है जिसमे पचास लाख तक का धन दिया जाता है इसी तरह एक फण्ड सरकार ने बनाया है जिसमे दलितों को अपना व्यापार करने के लिए साहयता दी जाती है 
यह योजना सामाजिक न्याय मंत्रालय के अंतर्गत है 

अब इन योजनाओं की पोल खोल देते है आप जाएये और इस सोच के साथ जाइए की आपको यह फण्ड लेना है तो आपसे सबसे पहले यह सवाल की आपके पास गिरवी रखने के लिए क्या है ?? अंग्रेजी भाषा में इसे कोल्लेक्ट्रल सिक्यूरिटी कहते है और अगर आप कोई manufacturing यूनिट लगाना चाहते है को आपके पास किसी इंडस्ट्रियल एरिया में एक हजार गज का प्लाट है ??? 

आब आप इनसे पूछिए की अगर मेरे पास इंडस्ट्रियल एरिया में एक हजार गज का प्लाट होगा तो क्या तुमसे मदद के लिए आऊंगा ?? और कोलेटरल सिक्यूरिटी देने पर कोई भी बैंक हंस कर लोन दे देगा तो आप क्या कर रहे है उसमे ??? तो सरकारी लोग जवाब देते है तो जाओ वही से ले लो 

schemes launched by Modi for the welfare of SC /ST and Muslims 

Thursday 11 January 2018

अब सुरक्षित नहीं बैंक में आपका पैसा , हर बात के कटेंगे पैसे

हर अकाउंट  में तीन लाख आयंगे यह सोच कर गरीबो ने अकाउंट खुलावाया  और उसमे अपनी मेहनत की कमाई से  हजार दो हजार रूपये  जमा भी करवाए लेकिन मिनिमम  बलेंस न रखने के कारण उनकी मेहनत की कमाई बैंक ने लूट ली और इस तरह  मोदी सरकार को  १८ हजार करोड़ का मुनाफ़ा हुआ जिसे वो सरकार की  उपलब्धि की तरह पेश करती है . यानी गरीबो के गले काट काट कर अमीरों  की जेब भरने को ही विकास कह रहे है ,
इसके अलावा जान लीजिये अब अगर आप बैंक में पैसे रखंगे  तो  कैसे आपकी जमा पूंजी पर डाका  पड़ेगा वो भी जी एस के साथ

एसबीआई, एचडीएफसी ​, आईसीआईसीआई और एक्सिस बैंक ने फैसला लिया है कि वे अपने अकाउंट होल्डर्स से कैश ट्रांजैक्शन्स करने की तय सीमा से अधिक बार ट्रांजैक्शन करने पर अतरिक्त चार्ज वसूलेंगे। इसके अलावा बैंकों ने कुछ ऐसी सर्विसेज पर भी चार्ज लगाने की घोषणा की है जो अब तक फ्री हुआ करती थीं। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में दूसरे बैंक भी ऐसे ही नियम ला सकते हैं। इस तरह के चार्जेज लगाने का उद्देश्य लोगों को कैश ट्रांजैक्शन्स के लिए हतोत्साहित करना है।

अगर इनमें से किसी भी बैंक में आपका अकाउंट है तो आपके लिए नए नियमों को समझना बेहद जरूरी है। हम आपको बता रहे हैं कि किस बैंक के कस्टमर्स को किस बात के लिए कितना चार्ज देना होगा.....
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI)

1. अप्रैल से एसबीआई अपने सेविंग बैंक अकाउट कस्टमर्स को महीने में फ्री में सिर्फ 3 बार कैश जमा करने की अनुमति देगा। इसके बाद हर लेनदेन पर सर्विस टैक्स के साथ 50 रुपए का चार्ज लगेगा।
2. करंट अकाउंट के मामले में ये चार्जेज अधिकतम 20,000 रुपए तक भी हो सकते हैं।

3. अब एसबीआई अकाउंट होल्डर्स को अपने अकाउंट में एक मिनिमम बैलेंस भी मेनटेन करके रखना होगा। ऐसा न होने पर बैंक आपसे फाइन वसूलेगा। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में इस फाइन को काफी कम रखा गया है।

4. मेट्रो शहरों में यदि न्‍यूनतम बैलेंस यानी 5000 रुपए में 75 प्रतिशत से अधिक की कमी होगी तो सर्विस टैक्स के साथ 100 रुपए का फाइन देना होगा। यदि न्‍यूनतम बैलेंस में कमी 50-75 प्रतिशत के बीच है तो सर्विस टैक्स के साथ 75 रुपए का फाइन देना होगा। वहीं 50 प्रतिशत से कम बैलेंस होने पर सर्विस टैक्स के साथ 50 रुपए का फाइन अदा करना होगा। आपको बता दें कि 2012 में भी एसबीआई इस तरह के चार्जेज लगा चुका है।

5. एक महीने में दूसरे बैंक के एटीएम से तीन बार से ज्यादा कैश निकालने पर 20 रुपए का चार्ज देना होगा। वहीं अगर ग्राहक एसबीआई के एटीएम से पांच से ज्यादा ट्रांजैक्शन करता है तो हर बार 10 रुपए का शुल्क लिया जाएगा।
6. हालांकि अकाउंट में 25 हजार से अधिक बैलेंस रखने वालों को एसबीआई एटीएम से पैसे निकालने पर कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं देना होगा। जबकि 1 लाख रुपए से अधिक बैलेंस रखने पर आपको दूसरे बैंकों के एटीएम से पैसे निकालने पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा।

7. अकाउंट में 25 हजार से कम कैश रखने वालों से बैंक हर तीसरे महीने में 15 रुपए एसएमएस चार्ज के रूप में भी वसूलेगा। लेकिन बैंक 1,000 रुपये तक के UPI/USSD ट्रांजैक्शन्स पर कोई चार्ज नहीं लेगा।
एक्सिस बैंक (Axis Bank)

1. कस्टमर्स को हर महीने 5 ट्रांजैक्शन्स फ्री दिए गए हैं। इसके बाद छठे लेनदेन पर कम से कम 95 रुपए प्रति लेनदेन की दर से चार्ज लगाया जाएगा।

2. नॉन-होम ब्रांच के 5 ट्रांजैक्शन बैंक ने फ्री रखे हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि बैंक ने एक दिन में कैश जमा करने की सीमा 50,000 रुपए ही तय की है। इससे अधिक के जमा पर या छठवे ट्रांजैक्शन पर प्रति 1000 रुपए पर 2.50 रुपए की दर से या प्रति ट्रांजैक्शन 95 रुपए, में जो भी ज्यादा होगा, चार्ज लिया जाएगा।

एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank)
1. एचडीएफसी बैंक से 4 बार से अधिक कैश निकालने पर 150 रुपए फीस अदा करनी होगी।
2. बैंक ने होम ब्रांचेज में भी फ्री कैश ट्रांजैक्शन दो लाख रुपये पर सीमित कर दिया है। इसके ऊपर कस्टमर्स को न्यूनतम 150 रुपए या पांच रुपये प्रति 1000 रुपए का भुगतान करना होगा।
3. नॉन-होम ब्रांचेज में मुफ्त लेन-देन 25,000 रुपये है। इसके ऊपर कस्टमर्स को न्यूनतम 150 रुपए या पांच रुपये प्रति 1000 रुपए का भुगतान करना होगा।

आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank)

1. आईसीआईसीआई बैंक में एक एक महीने में पहले चार लेन-देन के लिए कोई शुल्क नहीं लगेगा। उसके बाद प्रति 1,000 रुपये पर 5 रुपये का शुल्क लगाया जाएगा। यह समान महीने के लिए न्यूनतम 150 रुपये होगा।
2. थर्ड पार्टी ट्रांजैक्शन के मामले में सीमा 50,000 रुपये प्रतिदिन होगी।

3. होम ब्रांच के अलावा अन्य शाखाओं के मामले में आईसीआईसीआई बैंक एक महीने में पहली नकद निकासी के लिए कोई शुल्क नहीं लेगा। लेकिन उसके बाद प्रति 1,000 रुपये पर 5 रुपये का शुल्क लेगा। इसके लिए न्यूनतम शुल्क 150 रुपये रखा गया है।

इसके अलावा  सभी बैंक  पर लगने वाले चार्ज  भी देख ले  और समझ ले कैसी लूट है
चेक से पचास अधिक की निकासी पर दस रूपये प्रति  निकासी
थर्ड पार्टी चेच्क्से नहीं निकलेंगे दस हजार से ज्यादा
बचत खाते पर पचास हजार से ज्यादा जमा प्रति हजार २.५०  रूपये चार्ज
पास बुक एंट्री १०  रूपये
बलेंस स्टेटमेंट २५ रूपये
हस्ताक्षर जांच  पचास रूपये
ए टी एम् इस्तेमाल के लिए चार्ज  ५६०  से हजार रूपये
प्रति डिमांड ड्राफ्ट २५ रूपये
फण्ड ट्रान्सफर  - २५ रूपये



न्यूज़ इनपुट : नवभारत और अन्य राष्ट्रीय दैनिक 

Wednesday 10 January 2018

सालो पहले मर चुके डॉक्टर का इंटरव्यू आधार पर नहीं दिया मेडिक्लेम एच डी ऍफ़ सी एर्गो ने

जन उदय : अगर आपने एच डी ऍफ़ सी एर्गो से अपना कोई मेडिक्लेम करवाया है तो सावधान हो जाइये क्योकि कम्पनी कलम न देने के लिए कोई भी पैंतरा अपना सकती है अगर आपको यकीन नहीं तो जान कर रह जाएंगे हैरान

क्या पाने कभी सूना है की कोई इन्सुरेंस कम्पनी या मेडिक्लेम कम्पनी यह कहे आप हमारी पालिसी ले लीजिये हमें पैसे दीजिये लेकिन जब आपको जरूरत पड़ेगी तो हम आपको आपके पैसे देने के बजाय दिखायंगे ठेंगा ?? जी हाँ यही काम कर रहा है एच डी ऍफ़ सी एर्गो

ऐसा ही किस्सा गाजिअबाद के वैशाली में स्थित पारस हस्पताल से सामने आया है जहा पर राज रानी नाम की महिला अपने इलाज के लिए अपनी मेडिक्लेम पालिसी ले कर पहुची . पालिसी देखने के बाद हस्पताल ने उसका इलाज शुरू कर दिया क्योकि वो जिस बिमारी का इलाज कर रहे थे वो बिमारी पालिसी के दायरे में आती थी और तीन साल पुरानी भी थी ,



लेकिन हद तो तब हो गई की इलाज करने के बाद पारस हस्पताल ने राज रानी के हाथ में ५२ हजार रूपये का बिल थमा दिया यह कह कर की एच डी ऍफ़ सी ने यह कह कर मना कर दिया है क्योकि आपको थाइराइद की बिमारी भी है जिसका जिक्र आपने तीन साल पहले पालिसी लेते वक्त जिक्र नहीं किया था

इस पर राजरानी ने कहा की यह तो वह बिमारी ही नहीं है जिक्सा इलाज चल रहा है इलाज सिस्ट का है इसका थाईराइड से क्या मतलब लेकिन एच डी ऍफ़ सी के एर्गो ने यह कह कर राज रानी को मेडिक्लेम पास नहीं किया क्योकि उसमे उसने झूट बोला था .,


इस पर राजरानी ने कहा की हमने कोई झूट नहीं बोला क्योकि हमसे यह तो पूछा ही नहीं गया था कि आपको कोई ऐसी बिमारी जो लम्बे समय से चल रही है या नहीं बल्कि यह पूछा गया की आपका कोई एक्सीडेंट या आपको ब्लड प्रेशर , या हाइपर टेंसन तो नहीं है , जिसकी रिकॉर्डिंग भी एच डी ऍफ़ सी के पास मौजूद है और रही बात स्वास्थ सम्बन्धी शिकायत की तो खांसी बुखार , फ्लू झुकाम तो सबको लगा रहता है तो क्या इसकी भी जानकारी देनी चाहिए थी और अगर जरूरी था यह तो साफ़ साफ़ खोल कर क्यों नहीं पूछा गया , क्योकि यह काम कम्पनी का था

जब राज रानी ने यह पूछा और कहा की अगर मुझसे गलती हुई तो आपने पालिसी देने से पहले इस बात की जांच क्यों नहीं की मैंने सच बोला है या झूट यानी एक टेस्ट जिसमे सारी बिमारी का पता चले इसको आवश्यक क्यों नहीं किया ??? इसका जवाब एच डी ऍफ़ सी के पास बिलकुल नहीं था , जिस बिमारी के इलाज के लिए क्लेम माँगा गया वो पालिसी में कवर है लेकिन फिर भी मेडिक्लेम नहीं दिया गया

राजरानी की घटना २० फरवरी २०१७ की है लेकिन इससे पहले हजारो ऎसी घटनाए होती रहती है कि जब लोग अपनी मेडिक्लेम पालिसी का क्लेम मांगते है उस वक्त एच डी ऍफ़ सी एर्गो और बैंक उनके क्लेम को मना रा देते है यानी यह एक तरह की अप्रत्यक्ष लूट और फ्रोड है जिसके जरिये ये लोगो को बेवकूफ बना कर पालिसी बेच देते है ...
इसके बाद राजरानी ने एच डी ऍफ़ सी एर्गो से पूछा की अब मेरी पालिसी का क्या होगा ?? तो एच डी ऍफ़ सी एर्गो का जवाब था की पालिसी आपकी चलती रहेगी ... एच डी ऍफ़ सी की यह बात एक बहुत बड़े घोटाले की तरफ इशारा करती है की अगर आप कोई क्लेम देंगे ही नहीं तो आप पालिसी चलायंगे ही क्यों ??? और आप लोगो से पैसे लेंगे ही क्यों ???

कहानी यही खत्म नहीं हुई इसके बाद राजरानी ने इस क्लेम को पाने के लिए ग्रेवेंस में डाला जिससे की क्लेम मिले लेकिन ५० दिन की जांच के बाद बड़ा ही हैरान करने वाला हादसा सामने आया वह यह की एच डी ऍफ़ सी ने कहा हमने ५० दिन तक जांच की और उस डॉक्टर से भी मिले जिसने आपका पहले इलाज किया था और उस डॉक्टर ने कहा की आपको यह बीमारी तीन साल पहले से है ... इसमें हैरान करने वाली बात यह है की जिस डॉक्टर का हवाला एच डी ऍफ़ सी दे रही है वह डॉक्टर एक साल पहले मर चुका है इसके आलावा उसके द्वारा लिखे गए पर्चे पर कही भी पुरानी बिमारी थायरायड का जिक्र ही नहीं है जिसका मतलब यह हुआ की कम्पनी क्लेम देना ही नहीं चाहती

इस तरह का केस सिर्फ राजरानी का ही नहीं बल्कि हजारो केस है लकिन मीडिया में करोडो के विज्ञापन कम्पनी देती है इसलिए मीडिया इनके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाता
बात साफ़ है मेडिक्लेम और जनरल इन्सुरेंस के नाम पर देश में बहुत बड़ा घोटाला चल रहा है जो हजारो करोड़ का है जिसे सरकारी तंत्र की शय हांसिल है . मीडिया या सरकार इसलिए कोई कार्यवाही नहीं करते क्योकि इन कम्पनियो के माध्यम से करोडो का विज्ञापन और चन्दा मिलता है



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HDFC ERGO BIGGEST FRAUD COMPANY OF INDIA







     

Monday 8 January 2018

भारत फिर चला बंटवारे की तरफ ,ब्राह्मण बाँट रहे है देश को

जन उदय : अगर हम भारत के इतिहास की बात करते है तो  ब्राह्मणों ने बड़ी ही चतुराई से इतिहास को तीन भागो में बाँट  दिया  एक प्राचीन काल , यानी यहाँ के मूलनिवासी  नहीं वह काल जिसमे ब्राह्मण सबसे उपर है ,भारत विश्व गुरु है ,  भारत सोने की चिड़िया है यानी भारत पूरी तरह से एक महान देश है ( यह बात सनद  रहे की इस काल में केवल अशोक जिसने देश को चारो तरफ फैलाया  के अलावा भारत नाम भी देश का नहीं था , )

इसके बाद आता है वह काल जिसमे मुस्लिम शासक आक्रमणकारी के रूप में भारत आये और यही रह गए यानी यहाँ पर बस  गए , यह काल अंग्रेजो के आने तक मध्यकाल कहलाता है इसमें ब्राह्मणों ने प्रमाणिक  इतिहासको दबा कर मुस्लिम शासको  को निर्दयी , क्रूर , और  ऐसे शासक के रूप में पेश किया आम जनता के सामने कि वो भारत के लोगो के विरोधी थे , इन्होने जबदस्ती  देश में इस्लाम फैलाया , आदि आदि  ये बात और है की ये ब्राह्मण  और अन्य सवर्ण हमेशा मुस्लिम राजाओं के साथ  थे उनको शासन करने में मदद  की उनको हमले के लिए भारत बुलाया  और इनके दरबारों में नौकरी करते रहे , और यही नहीं बाकायदा  मुस्लिम शासको से अपने रिश्ते  गहरे करने के लिए अपनी बहन बेटियो की शादी  मुस्लिम राजाओं से की . यही नहीं मुस्लिम  राजाओं द्वारा लगाए गए जाजिया कर भी  ब्राह्मणों  के लिए माफ़  था क्योकि  इन्होने यह प्रमाणित  किया की ये लोग भी  मुस्लिम राजाओं की तरह विदेशी है सो इस्ल्मामिक कानून के हिसाब से इन पर  कर  नहीं लगना चाहिए

इसके बाद आता है अंग्रेजो का काल जिन्होंने १८५७ तक आते आते पुरे भारत पर कब्जा कर लिया  और १ जनवरी  १८१८  में भीमा कोरेगांव की लड़ाई  ब्राह्मणों  के लिए  निर्णायक साबित हुई  जिसमे सिर्फ पांच सो  म्हारो ने पेशवा  ब्राह्मणों  की  २८००० की सेना  को ध्वस्त  क्र दिया  और ब्रह्मणों को दूम  दबा कर भागना पड़ा
इस लड़ाई की  तरफ हम बाद  में आयंगे  उससे पहले  हम भारत के तथाकथित   स्वन्त्रता  संग्राम  की तरफ देखते है जिसमे कई उतार चड़ाव आये जिसमे बाबा साहेब ने अपने लिए यानी मूलनिवासियो के लिए कम्युनल अवार्ड की प्राप्ति  की और गांधी  के पाखंड  के पूना पैक्ट हुआ जिसमे मूलनिवासियो  के लिए आरक्षण  का फैसला हुआ .  भारत के इतिहास के इस फेस में सबसे बड़ी बात की ब्राह्मण बनिया  हमेशा अंग्रेजो का समर्थक बना रहा क्योकि  १९४१ की जनगणना में भारत की आबादी  ४० करोड़ थी और अंग्रेजो  की संख्या   सिर्फ और  सिर्फ  ६५०००  तो ६५०००  लोग चालीस  करोड़ के देश को तो चला नहीं सकते  तो शासन करने के लिए ब्राह्मण बनिए ही  अंग्रेजो  की मदद कर रहे थे ,ब्राह्मण  जज  थे , कलेक्टर  थे , पोलिस में  थे फौज में थे  ये देश चला रहे थे  खैर  दुसरे विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजो  की हालत खराब हो रही थी  और पहले विश्व युद्ध और कम्युनल अवार्ड के बाद से ही ब्राह्मणों ने दो राष्ट्र  की थ्योरी  को जन्म दे दिया था जिसके द्वारा भारत और पाकिस्तान नाम के दो देश बने   यह बात भी सनद  रहे की भारत नाम १९४७ के बाद ही आया  इससे पहले इस देश का नाम  इंडिया  था

खैर १९४७ के बाद पुरे देश के युवाओं में विशेषकर  मूलनिवासियो में काफी उत्साह था कि अब सब कुछ ठीक होगा  और लेकिन  ब्राह्मण अपनी गन्दी  और कुत्सित मानसिकता से बाज नहीं आये और इन्होने इस देश को कभी देश बन्ने  ही नहीं  दिया , इनकी हमेशा यही कोश्सी  रही की कैसे गरीब से यानी मूलनिवासी से उसके मूह  का निवाला छिना   जाए कैसे उनको शिक्षा से दूर रखा जाए कैसे स्वास्थ स्वच्छता  रोजगार इनको कभी न मिले
एक  उधाहरण  हम लेते है “”  किसी  भी  संसदीय क्षेत्र में , स्कूल , कॉलेज , डिस्पेंसरी , बिजली , सड़क बनाने  में कितना समय लगता है जबकि  आपके पास  फण्ड  चारो तरफ से आता  है ... तो आप ज़रा सोचंगे और कहंगे हद से हद बीस साल “  देखिये  बीस साल  तो क्या यहाँ पर सत्तर साल हो चुके है और  आधे से ज्यादा  देश अँधेरे में है अशिक्षित  है , बीमार  है कुपोषित  है  ७९ % बच्चे  कुपोषित  है  ५२ % लोग निरक्षर  है , मानव विकास  में आज हम  नाइजीरिया  जैसे देश से भी पिच्छे है  , हमेशा पाकिस्तान को कोसने से से क्या होगा की  वो आज भी हम  पाकिस्तान से पीछे  है , दुनिया के सबसे बड़े और महान २०० विश्वविद्यालय में  भारत का स्थान कही नहीं है . मानवधिकार हनन में भारत सबसे आगे है


हमेशा  आरक्षण को कोसने वाले ब्राह्मण  हमेशा मेरिट  की बात करते है  लेकिन रेल , जहाज फोन , टीवी , कार स्कूटर ,   बिजली , पंखा राकेट  हर चीज विदेशी इस्तेमाल करते  है , इनके डॉक्टर , इंजिनियर  एक नम्बर के नक्कारे , जो किडनी चोरी , भ्रूण हत्या ,  गलत दवाई देने में सबसे आगे है  लेकिन शोर योग्यता का मचाते है , इसके अलावा , दंगे फसाद , गोआतंक .मंदिर मस्जिद  जातिवाद  इन सबसे  इन्होने देश को बाँट  ही दिया
खैर  अभी हाल ही में भीमा कोरेगांव में   आर एस एस जो की एक ब्राह्मणवादी  आतंकवादी संघठन  है इसके लोगो ने वहा आये औरतो और बच्चो के एक झुण्ड पर पत्थराव  करवाया  चलिए  साथ के साथ यह भी जान लेते है आखिर  ब्राह्मणों  को इस समारोह से क्यों समस्या थी क्या ऐसी कोई बात थी  जिससे ब्राह्मणों  का सर हमेशा के लिए झुके ??  जी  हाँ  ऐसी ही कुछ बात थी  चलिए जानते है  सच
छत्रपति शिवाजी के जेष्ठ पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज थे । शिवाजी महाराज के निधन के बाद 1680 में उन्होंने ही गद्दी संभाली थी। छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की तरह ही इस बार भी पूना के ब्राह्मण संभाजी महाराज के राज्याभिषेक से खुश नही थे ।

छत्रपति संभाजी महाराज और मुगलों में कई बार युद्ध हुए , किन्तु एक वक्त संभाजी के साले गणोजी शिर्के और मनुवादी ब्राह्मणों के धोखेबाजी/ दगाबाजी से छत्रपति संभाजी महाराज को मुकरब खां द्वारा बन्दी बनाकर औरंगजेब के समक्ष पेश किया गया ।

औरंगजेब के मन की मुराद पूरी हो गई . संभाजी महाराज को सजा देने के वक्त भी ब्राम्हण पंडित की मौजूदगी में मनुस्मृति के अनुसार सजा दी गई .

औरंगजेब ने 11 मार्च 1689 को संभाजी की 31वर्ष की आयु में वीभत्स रूप से हत्या कर उसके शरीर के टुकड़े टुकड़े कर भीमा_कोरेगांव से पास वाले वडू गाँव में फिकवा दिये और यह फरमान जारी कर दिया कि कोई भी शख्स संभाजी के शरीर के टुकड़ों को उठाकर अंतिम संस्कार करेगा तो उसके भी टुकड़े टुकड़े कर दिए जाएंगे।

संभाजी महाराज के विभत्स किये अंगों को उठाने की किसी की भी हिम्मत नही हुई। किन्तु उसी गाँव मे रहने वाले #गोविंद #गोपाल_गायकवाड़ महार वह शख्स है जिसने खुद के मौत की परवाह न कर छत्रपति संभाजी महाराज के यत्र तंत्र फैले शरीर के टुकड़ों को एकत्रित कर सिलाई किया , और ससम्मान छ्त्रपति संभाजी महाराज की अंत्येष्टि की रस्म पूर्ण की ।

इसी कारण गोविंद महार औऱ उनके परिवार के सभी 16 सदस्यों को मार दिया गया, ऐसे वीर गोविन्द महार की समाधि आज भी वडू गांव के महार बस्ती में संभाजी महाराज के समाधि के पास मौजूद है ।

अब भीमा कोरेगांव की सच्ची घटना यह है कि छ्त्रपति शिवाजी महाराज के साथ ही, उनके वंशजों के दुश्मन, ब्राह्मण पेशवा जिन्होंने शिवाजी को राजा मानने से इंकार कर दिया था , शिवाजी के वंशजो से धोखेबाज़ी से राजपाठ हथियाकर खुद 1713 में राजा बन बैठे।

1 जनवरी 18018 को ब्राह्मणी पेशवाओं के 28000 सैनिक और महार रेजिमेंट के 500 सैनिकों के मध्य भीषण युद्ध हुआ जिसमें ब्राह्मणी पेशवाओं की पराजय हुई । पेशवाओं की इसी पराजय का जश्न मनाने 1 जनवरी को प्रतिवर्ष भीमा कोरेगांव में लाखों की तादात में बहुजन समाज (Sc,St,Obc) के लोग शौर्य दिवस मनाने और श्रद्दांजलि देने आते है ।

इस वर्ष 2018 में पेशवाओं औऱ महारो के बीच हुये युद्ध को 200 वर्ष पूर्ण हुए है।
28 दिसंबर 2017 को वडू गांव में गोविन्द महार की समाधि के पास की सड़क पर उनके वंशजो ने एक दिशा निर्देशक बोर्ड लगाया था ताकि भिमा कोरेगांव में आने वाले बहुजन समाज के लोग वडू गांव में आते वक्त उन्हें गोविन्द गोपाल महार की समाधि के बारे में भी पता चले सके ।

किन्तु 29 दिसंबर 2017 को सुबह 10:30 बजे वडू गांव के सरपंच, ग्राम पंचायत के सदस्य, पुलिस पाटिल औऱ गांव में रहने वाले लगभग 500 से 700 लोगो ने मिलकर गोविन्द गोपाल महार की समाधि के पास लगाया हुआ दिशानिर्देशक बोर्ड तथा गोविन्द महार की समाधि का छत तोड़ दिया,


इसके बाद गोविन्द महार के वंशजो ने समाधि तोड़ने वालों पर FIR दर्ज किया , साथ ही एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज होने की खबर भी आई, इसके बाद 30 दिसंबर को भीमा कोरेगांव की ग्रामपंचायत में प्रस्ताव पारित किया गया कि 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव पूरी तरह से बंद रहेगा, ताकि भीमा कोरेगांव में आने वाले लाखों बहुजन लोगो को दिक्कते /असुविधा हो ।
इसके बाद योजनाबद्ध तरीके से 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव बंद रखा गया, 1 जनवरी को जब सुबह लगभग 12:00 बजे लोग शांतिप्रिय तरीके से अहमदनगर की औऱ से शौर्य स्तंभ की औऱ जा रहे थे तब भीमा नदी के पास कोरेगांव में कुछ लोगोंने स्तंभ की और जाने वाले लोगो पर बिल्डिंग के ऊपर से पत्थर फेकना शुरू कर दिया , साथ ही कुछ लोग वहा पर आने वाले लोगो की गाड़ियां तोड़ने लगे और गाड़ियों को जलाने लगे, इस तरह से ये आग धीरे धीरे बढ़ती चली गई, पत्थर बाजी बढ़ने लगी आगजनी बढ़ती गई और शौर्य स्तंभ की और जाने वाले लोगो के साथ मारपीट भी होती रही ।

खैर  ये  तो एक ही सच   है अगर ब्राह्मणों  का इतिहास  सही ढंग से देख लिया जाए  तो पता चल जाता है की ये लोग देश के सबसे बड़े गद्दार  और देशद्रोही है  जो अपने फायदे के लिए कही भी जा सकते है  और इन्होने इस तरह के आतंक देशभक्ति के नाम पर ही फैलाए हुए  है

अब दरसल  मुख्य मुद्दा  यहाँ आता  है  जो यह है की इस घटना के बाद भारत के  ब्राह्मणवादी  मीडिया ने भीमा कोरेगांव की घटना को  दलित यानी मूलनिवासी  और  हिन्दू  कह कर  संबोधित  किया हलांकि  इसमें ब्राह्मणों  की यह एक राजनैतिक  चाल है  जिससे वो दलितों  वुनकी नजर में एस सी और एस टी है जिनकी संख्या लगभग  ३० %  और इनके साथ  ओ बी सी  को मिला कर यह संख्या ६३ %  है और अगर इसमें मुस्लिम को भी मिलाया जाए तो ये संख्या कुल मिला कर ८९ % हो जाएगी  और इस विभाजन   से एक बार कम्युनल अवार्ड का मुद्दा उठ सकता है जो जो उठ गया है कम्युनल  अवार्ड मतलब  मूल्निआसिओ को प्रथक निर्वाचन और हो सकता है की इस प्रथक निर्वाचन में  ब्राह्मण ओ बी सी  और मुस्लिम को न काउंट करे  लेकिन ये सभी जातिया ब्राह्मण के चरित्र को  अच्छी  तरह जानते है  और ये भी जानते है की इस देश में सबसे शातिर कौम ब्राह्मणों की है जिसने उन्हें आरक्षण का विरोध करना सिखाया  और ये लोग ये नहीं समझ पाए की वो खुद अपना ही  गला कट रहे है  यानी सबको आरक्षण के खिलाफ ब्राह्मण भडकता  रहा और सबका हिस्सा  खुद डकार जाता  है . और अब  तैश में ब्राह्मण  यह कदम उठा चुका है  यानी इसके पास अब मुस्लिम से लड़ने के लिए शुद्र / दलित मूलनिवासी  नाम के मुर्ख  नहीं होंगे   इनके पास   ओ बी सी  नहीं होगा और जाहिर तौर   पर मुस्लिम  भी नहीं होगा



 तो  क्या ब्राह्मण जिसकी संख्या ३ %  और अगर बनिया राजपूत  इनके साथ मिल जाए तो लगभग  १४ %  इस देश के बाकी नागरिको  को जानवर की तरह इस्तेमाल कर सकते है ?? और अगर शन्ति से भी हम इस देश मूलनिवासी  अपना हक  मांगे तो क्या इस देश का विभाजन दुबारा होगा ??  ऐसा  नहीं होना चाहिए लेकिन  ऐसा लगता है जिस तरह नेहरु   यानी कांग्रेस ने  यानी ब्राह्मणों ने अपने निजी स्वार्थ के लिए देश को हिन्दू – मुस्लिम के नाम पर विभाजित किया था  तो अब क्या  मूलनिवासी  और ब्राह्मणों  के नाम पर देश का बँटवारा होगा ??? क्या ब्राह्मण  इतिहास से कुछ नहीं सीखेगा ?? या देश के टुकड़े कर के दम लेगा 

Sunday 7 January 2018

भीमा कोरेगाँव ब्राह्मण आतंकवाद बनाम भारतीय मूलनिवासी संभाजी महाराज और गोविंद गोपाल महार की समाधि और भीमा कोरेगांव का सच .प्रदीप नागदेव

छत्रपति शिवाजी के जेष्ठ पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज थे । शिवाजी महाराज के निधन के बाद 1680 में उन्होंने ही गद्दी संभाली थी। छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की तरह ही इस बार भी पूना के ब्राह्मण संभाजी महाराज के राज्याभिषेक से खुश नही थे । 

छत्रपति संभाजी महाराज और मुगलों में कई बार युद्ध हुए , किन्तु एक वक्त संभाजी के साले गणोजी शिर्के और मनुवादी ब्राह्मणों के धोखेबाजी/ दगाबाजी से छत्रपति संभाजी महाराज को मुकरब खां द्वारा बन्दी बनाकर औरंगजेब के समक्ष पेश किया गया । 

औरंगजेब के मन की मुराद पूरी हो गई . संभाजी महाराज को सजा देने के वक्त भी ब्राम्हण पंडित की मौजूदगी में मनुस्मृति के अनुसार सजा दी गई . 

औरंगजेब ने 11 मार्च 1689 को संभाजी की 31वर्ष की आयु में वीभत्स रूप से हत्या कर उसके शरीर के टुकड़े टुकड़े कर भीमा_कोरेगांव से पास वाले वडू गाँव में फिकवा दिये और यह फरमान जारी कर दिया कि कोई भी शख्स संभाजी के शरीर के टुकड़ों को उठाकर अंतिम संस्कार करेगा तो उसके भी टुकड़े टुकड़े कर दिए जाएंगे। 

संभाजी महाराज के विभत्स किये अंगों को उठाने की किसी की भी हिम्मत नही हुई। किन्तु उसी गाँव मे रहने वाले #गोविंद #गोपाल_गायकवाड़ महार वह शख्स है जिसने खुद के मौत की परवाह न कर छत्रपति संभाजी महाराज के यत्र तंत्र फैले शरीर के टुकड़ों को एकत्रित कर सिलाई किया , और ससम्मान छ्त्रपति संभाजी महाराज की अंत्येष्टि की रस्म पूर्ण की । 


इसी कारण गोविंद महार औऱ उनके परिवार के सभी 16 सदस्यों को मार दिया गया, ऐसे वीर गोविन्द महार की समाधि आज भी वडू गांव के महार बस्ती में संभाजी महाराज के समाधि के पास मौजूद है । 

अब भीमा कोरेगांव की सच्ची घटना यह है कि छ्त्रपति शिवाजी महाराज के साथ ही, उनके वंशजों के दुश्मन, ब्राह्मण पेशवा जिन्होंने शिवाजी को राजा मानने से इंकार कर दिया था , शिवाजी के वंशजो से धोखेबाज़ी से राजपाठ हथियाकर खुद 1713 में राजा बन बैठे। 

1 जनवरी 18018 को ब्राह्मणी पेशवाओं के 28000 सैनिक और महार रेजिमेंट के 500 सैनिकों के मध्य भीषण युद्ध हुआ जिसमें ब्राह्मणी पेशवाओं की पराजय हुई । पेशवाओं की इसी पराजय का जश्न मनाने 1 जनवरी को प्रतिवर्ष भीमा कोरेगांव में लाखों की तादात में बहुजन समाज (Sc,St,Obc) के लोग शौर्य दिवस मनाने और श्रद्दांजलि देने आते है । 


इस वर्ष 2018 में पेशवाओं औऱ महारो के बीच हुये युद्ध को 200 वर्ष पूर्ण हुए है। 
28 दिसंबर 2017 को वडू गांव में गोविन्द महार की समाधि के पास की सड़क पर उनके वंशजो ने एक दिशा निर्देशक बोर्ड लगाया था ताकि भिमा कोरेगांव में आने वाले बहुजन समाज के लोग वडू गांव में आते वक्त उन्हें गोविन्द गोपाल महार की समाधि के बारे में भी पता चले सके । 

किन्तु 29 दिसंबर 2017 को सुबह 10:30 बजे वडू गांव के सरपंच, ग्राम पंचायत के सदस्य, पुलिस पाटिल औऱ गांव में रहने वाले लगभग 500 से 700 लोगो ने मिलकर गोविन्द गोपाल महार की समाधि के पास लगाया हुआ दिशानिर्देशक बोर्ड तथा गोविन्द महार की समाधि का छत तोड़ दिया, 

इसके बाद गोविन्द महार के वंशजो ने समाधि तोड़ने वालों पर FIR दर्ज किया , साथ ही एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज होने की खबर भी आई, इसके बाद 30 दिसंबर को भीमा कोरेगांव की ग्रामपंचायत में प्रस्ताव पारित किया गया कि 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव पूरी तरह से बंद रहेगा, ताकि भीमा कोरेगांव में आने वाले लाखों बहुजन लोगो को दिक्कते /असुविधा हो । 

इसके बाद योजनाबद्ध तरीके से 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव बंद रखा गया, 1 जनवरी को जब सुबह लगभग 12:00 बजे लोग शांतिप्रिय तरीके से अहमदनगर की औऱ से शौर्य स्तंभ की औऱ जा रहे थे तब भीमा नदी के पास कोरेगांव में कुछ लोगोंने स्तंभ की और जाने वाले लोगो पर बिल्डिंग के ऊपर से पत्थर फेकना शुरू कर दिया , साथ ही कुछ लोग वहा पर आने वाले लोगो की गाड़ियां तोड़ने लगे और गाड़ियों को जलाने लगे, इस तरह से ये आग धीरे धीरे बढ़ती चली गई, पत्थर बाजी बढ़ने लगी आगजनी बढ़ती गई और शौर्य स्तंभ की और जाने वाले लोगो के साथ मारपीट भी होती रही । 

लेकिन आज वही मनुवादी लोग इस घटना का संबंध पूना में हुई यलगार परिषद से जोड़ रहे है जिसमे उमर खालिद और जिग्नेश मेवानी आये थे, लेकिन वास्तविकता यह है कि उस परिषद का और भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा का किसी तरह से कोई भी संबंध नही है। 

भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा की शुरुवात वडू गांव से ही हुई है, जहाँ पर गोविन्द गोपाल महार की समाधि को तोड़ने के बाद समाधि तोड़ने वालों पर FIR दर्ज हुआ और इसके बाद यह सारी प्लानिग हुई... 
साथियों...!! सच परेशान हो सकता है पराजित नही ...!! 


Reality of Bheema Koregoan , Treachery of Peshwa, Treachery of Brahman