जन उदय: ऐसा प्रतीत होता है कि
राजाओं को छोड़ कभी भी किसी ने इस देश के साथ न्याय नहीं किया
१८० बी सी में व्रह्द्स्थ की हत्या कर पुष्यमित्र शुंग / परशुराम
ने ब्राह्मण सम्राज्य स्व्थापित किया
८४ हजार बौध और जैन मठो को तोड़ उनको
मंदिरों का रूप दिया गया इनकी
हत्याए की और १८० से लेकर २८० ईसा बाद तक इन्होने ऐसे
ग्रन्थ लिख लिए गए जिसमे इन्होने अपने
आपको भगवान् का पुत्र , दूत , भगवान से सीधे सम्पर्क करने वाले सब्बित कर
लिया और
इन ग्रंथो में वेद , पुराण , म्नुसिमृति
जैसे घ्रणित ग्रन्थ लिख लिए क्योकि इन ग्रंथो
में उत्पीडन को अपराध को मान्यता
दी गई है उर ब्राह्मण को हर अपराध से
मुक्त रखा गया हत्या बलात्कार ,
सम्पत्ति छिनना इनके लिए सब जायज और लोगो को
सभी सुविधाओं से महरूम रखा गया
पूरी दुनिया में कई शोध के
मुताबिक़ आर्य भारत में लगभग १५०० इस पूर्व
आये और इनमे तीन काबिले मुख्य रूप से थे पहले कबीले का सरदार शेड्लर जो बाद में चल कर इन्होने शिव बना दिया दुसरा काबिला ब्रहेट का था
जिसे बाद में इन्होने ब्रह्मा कहा और
तीसरा कबीला वैस्नोव का था जिसे इन्होने विष्णु का नाम दिया और ये नाम इन्होने उनको पूजने के लिए किया
जब ये लोग आये तो इन्होने सबसे पहले भारतीय राजाओं
को गिफ्ट में गोरी लडकिया और घोड़े
दिए जिसे पाकर यहाँ के राजा बहुत
खुश होते थे क्योकि
घोड़े ने उनकी यात्रा को सुगम और तेज बना दिया था इसलिए इतिहास एन्थ्रोपोलॉजी ने
भारतीय और आर्य से जन्मे लोगो को
इंडो-आर्यन कहा , ये लोग कबीलाई थे और
घुमन्तु जाति के थे
सो इनमे हथियार , भोजन , पानी की बहुत
महत्वता थी
आर्यों की एक धारा उसी वक्त पर्शिया की तरफ से आई जिसका नाम पेरशेरोन था
जिसको बाद में परशुराम भी कहा गया
, परशुराम/ पेरशेरोन निहायत क्रूर था और उसके हाथ में एक विशेष हथियार था जो लकड़ी और जानवर दोनों काट सकता
था और इसने शेड्लर /शिव , ब्रहेट/ ब्रह्मा
, और वैस्नोव/ विष्णु की मदद से
अफगानिस्तान के कुछ भागो पर कब्जा कर लिया चूँकि इसमें ब्रहेट/ ब्रह्मा
, का
बड़ा योगदान था तो उस जीते हुए स्थान को इन्होने ब्रह्मवर्त कहा वर्त इसलिए क्योकि यह जीता
हुआ इलाका गोल था वर्त की तरह
इस जीत से ब्राह्मण / आर्य बड़े ही उत्साहित थे इनके पास एक कोडवर्ड
की भाषा जिसे संस्कृत कहते है लम्बे हथियार
और सबसे बड़ी बात इन्हें अपनी चालबाज़ लडकियो पर पूरा भरोसा था और समझ गए
थे गोरी
चमड़ी यहा के राजाओं की कमजोरी है और यही कारण था उत्तर भारत आते आते इन्होने
यहा के बाहुबली राजा हिरणाकश्यप के पुत्र
को फसा लिया था इसकी कहानी ऐसे चलती है ‘’’’’’ होलिका अनार्य
थी , मात् प्रधान कबीले की सरदार , आर्यो की चाल ने
प्रहलाद को एक कन्या के चक्कर में फसाया , लेकिन कामयाब न हुए , (आग
में जलने का द्रश्य नहीं ये युद्ध हुआ था) प्रह्लाद की मदद से एक युद्ध में आर्यो
ने होलिका को मार दिया ,,, बाद में होलिका के कबीले ने आर्यो को
बहुत मारा और खून से धरती लाल कर दी , और उस खून से सनी मिटटी को आर्यो के
माथे पर लगा कर कहा की तुम वीर नहीं अबीर हो यानी कायर हो ,,, उस
दिन से आज तक हर डरपोक आर्य एक दूसरे को रंग लगता है ,, मथुरा में एक
दीं अबीर होली का होता है
इसके बाद इन्होने इस इलाके को आर्यवर्त कहा जो
लगभग उतरी भारत था
खैर १८० बी सी से लेकर इन लोगो ने जिस तरह
बर्बरता , दिखाई , इस देश के मूलनिवासियो अत्याचार किये उनकी हत्या की सम्पत्ति छिनी उर शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया
इसके बाद मुस्लिम शासक आये जिनकी मदद
इन्होने की अंग्रेजो के साहयक
रहे लकिन एक शर्त पर की ये लोग जाति
यानी समाजिक वाव्य्स्था पर कुछ नहीं कहंगे या करेंगे , लेकिन अंग्रेजो ने
जब यह सब देखा तो इनके वर्चस्व को खत्म कर
दिया सबसे बड़ी बात अंग्रेज बड़े ही उदार और न्यायप्रिय थे इसलिए उन्होंने कभी भी ब्राह्मणों के लोकतांत्रिक विरोध का विरोध नहीं किया
और इसलिए उन्होंने खुद ब्राह्मणों
के लिए कांग्रेस को बना कर दिया ..
ब्राह्मण अपने आपको चाहे जितना मजी शूरवीर
कहे लेकिन मुगल काल में एक आवाज तक नहीं
उठाई क्योकि ब्रह्मण जानते थे एक आवाज उठाने पर गर्दन कट
जाएगी
सबसे बड़े कमाल की बात यह है की आर्य
यानी ब्राह्मण आज भी इस देश से प्रेम नहीं करते यहाँ लोगो से प्रेम नहीं
करते बल्कि ये लोग इतनी नफरत करते और फैलाते है ये लोग आज भी नहीं चाहते की
मूलनिवासी के पास सम्पति आ जाए , ये लोग
पढ़ लिख ले या इन्हें समाज में सम्मान मिले
. पूरा इतिहास चाहे कैसा भी हो उसे भुलाया जा सकता है लकिन वर्तमान को कैसे
नजरअंदाज करे ??