जन उदय : किसी भी देश का इतिहास
एक जैसा नहीं रहता , न उसमे हुक्म करने वाली हुकूमते एक रहती है वक्त का पहिया हर किसी को कुचल आगे निकल जाता
है , और एक नए समाज को जन्म देता है नये लोगो को इतिहास में भागीदार और खिलाड़ी
बन्ने के लिए आमंत्रित करता है .
भारत का इतिहास भी कुछ ऐसा ही
रहा है , यहाँ लोग और हुकूमते आती रही जाति
रही , कई परोपकारी और कई
अत्याचारी शासक आये और चले गए . जब भी इस देश में जुल्म हुआ
है ये सिर्फ उस व्यक्ति की ताकत नहीं होती
जो अत्याचार करने के लिए आगे बढ़ता है
बल्कि उन लोगो की बहुत बढ़ी गलती होती है जो लोग इस बदलते मंजर को खामोशी से खड़े देखते रहते है
और अपने आप को वक्त के पहिये के निचे बिना कुछ कहे कुचल
जाते है
भारत के जिस दौर में हम आज गुजर रहे है ये सच
में एक बहुत बड़े संकट का समय है और यह
संकट है भारत में भगवा आतंकवादियो की
सरकार कहने को तो इस सरकार बन्ने में पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन हुआ लेकिन इस प्रक्रिया में इतनी
गडबडी हुई की सभी लोकतांत्रिक
शक्तिया आवाक रह गई और अंत में लोकतांत्रिक जंग में भारत के
मानवतावादी शक्तियों की हार हुई
इस भगवा सरकार बन्ने के बाद
शुरू से ही इन लोगो ने अपने आतंकी होने के प्रमाण देने शुरू कर दिए अपने देशद्रोही
इरादों को नजाम देना शुरू कर दिया इसकी शुरुआत
गंगा बचाओ आन्दोलन के नाम पर २००
करोड़ , बनारस के पंडो के लिए ५६ करोड़ , और अन्य ऐसे कार्य करना शुरू कर दिया
इन भगवा लोगो का काम सबसे पहले शिक्षा संस्थानों
पर अपना कब्जा ज़माना था सो इन्होने पुणे फिल्म स्कूल हैदराबाद यूनिवर्सिटी में रोहित वेमुला की संस्थानिक
हत्या मद्रास आई आई टी में संघी आतंक
डेल्टा मेघवाल की हत्या , जे एन
यु षड्यंत्र , मुजफ्फर नगर दंगे , गोमांस को लेकर आतंक , आदि
इन लोगो के द्वारा लोकहित के वादे सब फ्लॉप हुए देश कर्ज और पतन
के गर्त में जाना शुरू कर दिया हालांकि ये
बात सबको मालूम थी की ये सब देशभक्ति के वादे सब झूठे है लेकिन सभी
प्रगतिवादी शक्तिया कुछ न कर पाई . और न
ही कर पा रही है
इन लोगो ने पुरे देश में खुला
आतंक फैलाया हुआ है ,गरीबी महंगाई , बेरोजगारी बढती ही जा रही है और ऐसा लगता नहीं की आगे कुछ रुक
जाएगा इसके विपरीत मोदी के चहेते
सारे पूंजीपति खूब मुनाफ़ा
कमा रहे है रेलैएंस का तिमाही मुनाफ़ा
४ से ६.५ हजार करोड़ पहुच गया है इसी तरह अधानी का मुनाफ़ा ७५ ५ बढ़ गया है कमाल की बात यह है की सारी
सरकारी संस्थाए घाटे में और आई सी यु में पहुच गई है इस बात को खुद सरकारी
लोग मानते है जिस जी डी पी का
हवाला दिया जा रहा है उसमे रिटेल
और गरीबो का कितना हक है इसका
कोई जवाब सरकार के पास नहीं है क्योकि ये
सब भ्रम है . लगातार किसान आत्महत्या कर
रहे है , अपराधो की संख्या ४०० %
बढ़ गई है कमाल की बात यह है की इसमें
दलितों के प्रति अपराध ३०० % से जयादा बढे
है , इनकी हत्याए बलात्कार लगातार बढ़
रहे है
हमें इतनी उम्मीद नहीं थी की देश इस तरह पतन के गर्त में चला जाएगा इसी कारण
न जाने क्यों मन एक तनाव रहता है क्योकि
इस सरकार का असर आने वाली नस्लों तक होगा
और नसले हमसे पूछेंगी की जब ऐसे लोग देश
में आये तो आप लोग क्या कर रहे थे ?? जवाब ये तो बिलकुल नहीं हो सकता हमसे गलती हो गई या हम इन लोगो को पहचान नहीं पाए ?? नहीं हम लोगो
को अपनी गलती मान ली चाहिए और ये स्वीकार करना चाहिए की हम नाकामयाब हुए ,
चाहे कुछ भी रहे लेकिन हम आने वाले वक्त में ऐसा नहीं होने देंगे सभी लोगो
को एकजुट करना होगा और अपने देश को
बचाना होगा इस देश की आने वाली नस्लों को बचाना
होगा