Apni Dukan

Saturday 28 May 2016

आने वाली नस्ले हमें माफ़ नहीं करेंगी , यह कह कर , उस वक्त तुम क्या कर रहे थे जिस वक्त संघ काल में में इंसानियत शर्मशार हो रही थी ,भगवा आतंक बढ़ रहा था


जन उदय : किसी भी देश का इतिहास   एक जैसा नहीं रहता , न उसमे हुक्म करने वाली हुकूमते एक रहती है  वक्त का पहिया हर किसी को कुचल आगे निकल जाता है , और एक  नए समाज को जन्म देता है  नये लोगो को इतिहास में भागीदार  और खिलाड़ी  बन्ने के लिए  आमंत्रित  करता है .

भारत  का इतिहास भी कुछ ऐसा ही रहा है , यहाँ लोग  और हुकूमते  आती रही जाति   रही , कई  परोपकारी   और कई  अत्याचारी  शासक  आये और चले गए . जब भी इस देश में जुल्म हुआ है  ये सिर्फ उस व्यक्ति की ताकत नहीं होती जो अत्याचार करने के लिए आगे बढ़ता  है बल्कि  उन लोगो की बहुत बढ़ी  गलती होती है जो लोग  इस बदलते मंजर को खामोशी से खड़े देखते रहते है और अपने आप को वक्त के पहिये के निचे बिना कुछ कहे  कुचल  जाते है
भारत के जिस दौर में हम आज गुजर रहे है   ये सच में एक बहुत बड़े  संकट का समय है और यह संकट है भारत में भगवा आतंकवादियो  की सरकार कहने को तो इस सरकार बन्ने में पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया  का पालन हुआ लेकिन इस प्रक्रिया में इतनी गडबडी  हुई की सभी लोकतांत्रिक शक्तिया  आवाक  रह गई और अंत में लोकतांत्रिक जंग में भारत के मानवतावादी शक्तियों  की हार हुई

इस भगवा सरकार बन्ने  के बाद शुरू से ही इन लोगो ने अपने आतंकी होने के प्रमाण देने शुरू कर दिए अपने देशद्रोही इरादों  को नजाम देना शुरू कर दिया  इसकी शुरुआत  गंगा  बचाओ आन्दोलन के नाम पर २०० करोड़  , बनारस के पंडो  के लिए ५६ करोड़ , और अन्य  ऐसे कार्य करना शुरू कर दिया


इन भगवा लोगो का काम सबसे पहले शिक्षा  संस्थानों  पर अपना कब्जा ज़माना था सो इन्होने पुणे फिल्म स्कूल हैदराबाद  यूनिवर्सिटी में रोहित वेमुला  की संस्थानिक  हत्या  मद्रास आई आई टी  में संघी आतंक  डेल्टा मेघवाल की हत्या , जे  एन यु    षड्यंत्र , मुजफ्फर नगर दंगे ,  गोमांस को लेकर आतंक , आदि
इन लोगो के द्वारा लोकहित के वादे सब फ्लॉप हुए देश कर्ज  और  पतन के गर्त में जाना  शुरू कर दिया हालांकि ये बात सबको मालूम थी की ये सब देशभक्ति के वादे सब झूठे है लेकिन सभी प्रगतिवादी  शक्तिया कुछ न कर पाई . और न ही कर पा रही है

इन लोगो ने पुरे देश में खुला  आतंक फैलाया हुआ है ,गरीबी महंगाई , बेरोजगारी बढती  ही जा रही है और ऐसा लगता नहीं की आगे कुछ रुक जाएगा   इसके विपरीत  मोदी के चहेते  सारे  पूंजीपति  खूब मुनाफ़ा  कमा रहे है  रेलैएंस का तिमाही  मुनाफ़ा  ४ से ६.५ हजार करोड़ पहुच गया है इसी तरह अधानी का मुनाफ़ा  ७५ ५ बढ़ गया है कमाल की बात यह है की सारी सरकारी संस्थाए घाटे में और आई सी यु में पहुच गई है इस बात को खुद  सरकारी  लोग मानते है  जिस जी डी पी का हवाला  दिया जा रहा है  उसमे रिटेल  और गरीबो का कितना हक है  इसका कोई  जवाब सरकार के पास नहीं है क्योकि ये सब भ्रम है . लगातार किसान आत्महत्या  कर रहे है , अपराधो  की संख्या  ४०० %  बढ़  गई है कमाल की बात यह है की इसमें दलितों के प्रति अपराध ३०० % से जयादा बढे  है , इनकी हत्याए बलात्कार लगातार बढ़  रहे है

 हमें इतनी उम्मीद नहीं थी की  देश इस तरह पतन के गर्त में चला जाएगा इसी कारण न जाने क्यों मन एक तनाव रहता है  क्योकि इस सरकार का असर आने वाली नस्लों  तक होगा और नसले हमसे पूछेंगी  की जब ऐसे लोग देश में आये तो आप लोग क्या कर रहे  थे ??  जवाब ये तो बिलकुल नहीं हो सकता हमसे गलती  हो गई या हम इन लोगो  को पहचान नहीं पाए ??  नहीं हम लोगो  को अपनी गलती मान ली चाहिए और ये स्वीकार करना चाहिए की  हम नाकामयाब हुए  ,


चाहे कुछ भी रहे लेकिन हम आने वाले वक्त में ऐसा नहीं होने देंगे  सभी लोगो  को  एकजुट करना होगा और अपने देश को बचाना होगा  इस देश की आने वाली नस्लों  को बचाना  होगा 

दलित खुद नीच और जलील है ,ब्राह्मण इसलिए इनको दबाता है , जानिये क्या है यह नीचता



जन उदय : भारत में दलित समुदाय जिस तरह जाति  के नाम पर और उससे जुड़े अत्याचार से परेशान है कह नहीं सकते हर जगह हर स्थान पर जातिवाद  का बोलबाला  और ये सब वो लोग जयादा फैलाते है जो अपनी  ऊँची जाति को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते है और दलितों का मोबल एक पल में जातिवाद के नाम पर तोड़  देते है ,

लेकिन ये सब देख कर ऐसा लगता नहीं की दलित  लोग भी जातिवाद  और उत्पीडन के खिलाफ कोई जोरदार और सच्ची  मुहीम चला रहे है है जातिवाद से उत्पीडन के बावजूद ये लोग खुद ब्राह्मणों द्वारा फैलाए गए जाल में  फंसते है खुद उनकी शरण में पहुच जाते है

इसके अलावा  खुद दलितों के नेता इनके नाम से आगे बढ़ते है , दलित नाम से जीवन में नौकरी पाते है लेकिन जब सही समय आता है तब दलितों के दलाल इनका सौदा कर बैठते है , राम विलास पासवान , उदित राज जितन राम मांझी जैसे लोग जो आरक्षण की बदौलत आगे आ गए है अब दलितों को आरक्षण छोड़ने का उपदेश देते है ,

इसके अलावा खुद समान्य जन उन सभी ब्राह्मण कुरितियो  को अपनाते है जो इनके लिए जाल के  रूप में तैयार की गई

इसके अलावा न तो इन लोगो में एकता है  और न ही द्रिड निश्चय , ये लोग बस  ये चाहते है जाति  बरकरार रहे लेकिन जाति के नाम पर उत्पीडन न हो और इन्हें आरक्षण मिलता  रहे
इसपर जयादा कुछ न कहते हुए पेश है एक छोटी से कहानी जिसको शशि अतुलकर के फेसबुक वाल से लिया गया है

एक ओबीसी अफसर हनुमान का भक्त था।

रोज वह हनुमान के मंदिर मे जा कर प्रसाद और पैसे चढाता फिर घर आ कर अपने कुत्ते को भी प्रसाद खिलाता। एक दिन उसका कुत्ता भी उसके पीछे-पीछे मंदिर तक चला गया, वहां सभी लोग कुत्तों को भी प्रसाद डालते थे। जैसे ही वह अफसर का कुत्ता प्रसाद खाने लगा तो वहाँ के लोकल कुत्ते उस पर टूट पडे। जैसे-तैसे उस अफसर ने अपने कुत्ते को बचाया लेकिन कुत्ते के कई घाव हो चुके थे, घर लाकर अफसर ने कुत्ते की मरहम पटटी की और कुत्ते को उपदेश देने लगा , क्या जरूरत थी मंदिर आने की, अकल ठिकाने आ गइ न, अब तो कभी मंदिर नहीं जायेगा।


कुत्ते ने जवाब दिया मैं तो कुत्ता हूँ फिर भी कसम खाता हूँ क़ि जहाँ मेरी बेइज्जती हुई है वहाँ कभी नहीं जाउंगा। पर तुम तो जानवरों से भी गिरे हुए हो, तुम्हारे बाप दादा और माँ बहिनो की हिंदू धर्म के नाम पर मंदिरो मे अनेको बार बेइज्जती हुई हैं फिर भी तुम कितने बेशर्म हो, तुम्हें लात मारने के बाद भी बार बार उन्ही हिन्दू मंदिरो में जाते हो।
सुधर जाओ।