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Wednesday 6 April 2016

इस देश में असली देशद्रोही और गद्दार सिर्फ विदेशी ब्राह्मण है


जन उदय : हमारे देश में ऐसे बहुत सारे कानून है जो १५० साल से भी जायदा पुराने है जिन्हें अंग्रेजो ने बनाया था और हो सकता है वो कानून उस वक्त में सार्थक हो क्योकि ये कानून अंग्रेजो की जरूरतों को पूरा करते थे , लेकिन आज ये कानून बेकार हो चुके है इन्हें न सिर्फ बदलने की जरूरत है बल्कि अपराधो की फिर से व्याख्या करने की जरूरत है

पिछले दिनों  जे एन यु के छात्रो को जिस तरह इस कानून की आड़ में प्रताड़ित किया गया  इस बात ने इस बात पर जायदा जोर दाल दिया है की इस कानून को बदला जाए
 हमें सबसे पहले इस बात को पुनर्भाषित करना होगा की आखिर देशद्रोह क्या है ?
देश के खिलाफ किसी षड्यंत्र में शामिल होने के अलावा भ्रस्टाचार को भी देशद्रोह में शामिल किया जाना चाहिए इसका एक मुख्य कारण है की जो बदहाली आज हमारे देश की है उसमे भ्रष्टाचार मुख्य वजह है

इसके लिए हम एक उधाहरण लेते है की एक संसदीय क्षेत्र में स्कूल , कोलेज , सडक स्कूल अस्पताल , डिस्पेंसरी बनाने के लिए हद से हद सिर्फ पांच साल लगेंगे , लेकिन आज ६८ साल बाद भी ये सब नहीं हो पाया है कारण के जाति के लोग जिन्होंने इस देश पर कब्जा किया हुआ है उन्होंने जानबूझ कर विकास नहीं होने दिया अगर कही कुछ हुआ तो तो वो भी सिर्फ सवर्णों के इलाको में


तो सिर्फ भ्रष्टाचार ने लोगो के मूह का निवाला छिना , कपडा छिना शिक्षा छिनी , स्वास्थ छिना कुल मिलाकर देश का विकास छीन लिया तो इस लिहाज से सबसे बड़ा देशद्रोह यही है और ये काम उन लोगो का है जिन्होंने देश की ८५ % सीट पर कब्जा किया हुआ है

महाराष्ट्र में सुखा : सरकार सिर्फ दलित बाहुल्य इलाको में पानी नहीं , सवर्णों को कोई कमी नहीं है पानी की , ,पानी बांटने में खूब पसरा है जातिवाद

जन उदय : महाराष्ट्र के कई इलाको में पानी की इस हद तक कमी है लोगो को कई कई दिनों तक लोगो को पिने का पानी नसीब नहीं हो  रहा है , हर साल ९००० हजार से जयादा किसान आत्महत्या कर रहे है जिसका  मुख्य कारण किसान की फसल की बर्बादी  जिसके कारण कर्ज की वापसी नहीं

ये बात गौरतलब है की महाराष्ट्र में पानी का भारी संकट है जिसका कारण है की कई बाँध और जलाशय में पानी की काफी कमी है लेकिन पानी की कमी से जयादा प्रभवित  इलाके लातूर , वर्धा , अमरावती  ऐसे इलाके है जहा पर दलित बाहुल्य लोग रहते है , बाकी इलाको में पानी की वैसी कमी नहीं है जैसी की इन दलित इलाको में

कमाल की बात यह है की इन्ही इलाको में पानी के टैंकर के माफिया छाये हुए है उसमे भी कमाल की बात यह है की ये पानी के टैंकर  सिर्फ और सिर्फ स्वर्ण चला रहे है ,  जिन पर कोई कार्यवाही नहीं हो रहे है  और ये लोग अपने धडल्ले से चला  रहे है
हालांकि पानी की कमी से महारष्ट्र के कई इलाको में धारा १४४ तक लगानी पड़ी है लेकिन बावजूद इसके कोई सुधार नहीं हो पा रहा है , 

इसके कई मुख्य कारण है की आजादी के बाद से ही इन इलाको में पानी की कोई सही वाव्स्था  स्थापित जानबूझ कर नहीं की गई इसका मुख्य कारण यही है की पानी की कमी से प्रबावित होने वाले इलाके जयादातर दलित है , जिनसे सरकार को कोई सरोकार नहीं है , कोई मरे या जिए

इसकी एक और बात यह  है की महाराष्ट्र में पानी की सही वाव्स्य्था को सही करने के लिए यूनाइटेड नेशन ने लाखो  डॉलर  फण्ड  दिया लेकिन नेताओं ने जानबूझ कर इस फण्ड का इस्तेमाल नहीं किया  क्योकि इसका फायदा सिर्फ दलितों को था , सो हार कर यूनाइटेड  नेशन ने ये फण्ड  बंद कर दिया