जन उदय : हमारे
देश में ऐसे बहुत सारे कानून है जो १५० साल से भी जायदा पुराने है जिन्हें
अंग्रेजो ने बनाया था और हो सकता है वो कानून उस वक्त में सार्थक हो क्योकि ये
कानून अंग्रेजो की जरूरतों को पूरा करते थे , लेकिन आज ये कानून बेकार हो चुके है इन्हें न सिर्फ बदलने
की जरूरत है बल्कि अपराधो की फिर से व्याख्या करने की जरूरत है
पिछले दिनों जे एन यु के छात्रो को जिस तरह इस कानून की आड़
में प्रताड़ित किया गया इस बात ने इस बात
पर जायदा जोर दाल दिया है की इस कानून को बदला जाए
हमें सबसे पहले इस बात को पुनर्भाषित करना होगा
की आखिर देशद्रोह क्या है ?
देश के खिलाफ
किसी षड्यंत्र में शामिल होने के अलावा भ्रस्टाचार को भी देशद्रोह में शामिल किया
जाना चाहिए इसका एक मुख्य कारण है की जो बदहाली आज हमारे देश की है उसमे
भ्रष्टाचार मुख्य वजह है
इसके लिए हम एक
उधाहरण लेते है की एक संसदीय क्षेत्र में स्कूल , कोलेज , सडक स्कूल
अस्पताल , डिस्पेंसरी बनाने के लिए
हद से हद सिर्फ पांच साल लगेंगे , लेकिन आज ६८ साल
बाद भी ये सब नहीं हो पाया है कारण के जाति के लोग जिन्होंने इस देश पर कब्जा किया
हुआ है उन्होंने जानबूझ कर विकास नहीं होने दिया अगर कही कुछ हुआ तो तो वो भी
सिर्फ सवर्णों के इलाको में
तो सिर्फ
भ्रष्टाचार ने लोगो के मूह का निवाला छिना , कपडा छिना शिक्षा छिनी , स्वास्थ छिना कुल मिलाकर देश का विकास छीन लिया तो इस लिहाज
से सबसे बड़ा देशद्रोह यही है और ये काम उन लोगो का है जिन्होंने देश की ८५ % सीट
पर कब्जा किया हुआ है