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Thursday 31 March 2016

दलित औरत और स्वर्ण औरत में फर्क होता है : वर्ना उठ गई होती ज्योति पाण्डेय / निर्भया की तरह डेल्टा को न्याय देने की मांग

जन उदय :  एक दलित लडकी का बलात्कार और उसकी हत्या की  खबर किसी राष्ट्रीय मीडिया या न्यूज़ चैनल में नहीं है , जाहिर है की वो लड़की ब्राह्मण बनिया नहीं है , क्योकि ब्राह्मण बनिया लडकियो के अलावा बाकी सब लडकिया या लोग जानवर से ज्यादा कुछ नहीं है .

ये बात सबको याद होगी की ज्योति पाण्डेय नाम की लड़की का दिल्ली की एक बस में बलात्कार हुआ  और बाद में उसको मरने के लिए फेंक दिया गया .  चूँकि यह लड़की ब्राह्मण थी  तो जातिवादी मीडिया  ने इसे राष्ट्रिय शर्म  का मुद्दा करार दिया और पुरे देश को आंदोलित कर दिया .


लेकिन देश में रोज दलित लडकियो के बलात्कार  उनकी हत्या होती है  जातिवादी  लोग लगातार  दलित लोगो को प्रताड़ित कर रहे है लेकिन इनके लिए न तो कोई वजा उठती है और न ही लोग केंडल मार्च निकालते है  बल्कि सच्चाई  यह है की इनकी हत्या   करने वाले  और बलात्कार करने वाले लोगो को सरकार की तरफ से अप्रत्यक्ष रूप से इनाम मिलते है

यु पी , मध्य प्रदेश , छतीसगढ़ , ओड़िसा ,बिहार , झारखंड , महाराष्ट्र  गुजरात  हर जगह दलित उत्पीडन की वारदाते बढ़  रही है

राजेस्थान  के बाड़मेर जिले में डेल्टा नाम की एक राष्ट्रिय स्तर की एक मेघावी छात्रा की हत्या   और बलात्कार हुआ  लेकिन किसी भी बुद्धिजीवी  ,मीडिया एन जी ओ की कान में जू  तक नहीं रेंगी
भारत में वैसे भी जितने भी महिला आन्दोलन है उन पर सब पर ब्राह्मण बनिया महिलाओं  का कब्जा है जो दिखाने को तो महिला  मुक्ति के लिए  काम करती है लेकिन  अंदर ही अंदर  ये दलित महिला   आन्दोलन  नाम का धंधा  करती है , दलित आगे न बढ़े  ऐसे षड्यंत्र  रचती है

इन महिलाओं की ख़ास बात यह भी है की ये षड्यंत्र के  रूप में सांस्कृतिक  कार्यकर्म का आयोजन करती है  , बस ये ये कार्यक्रम इनके सारे मकसद पुरे कर देता है
राष्ट्रीय , अन्तेर्राष्ट्रीय  स्तर पर दलित महिलाए  बहुत कम आ पाती है , जिसका कारण इन दलित महिलाओं की शिक्षा  जो एक शय्न्त्र के तहत इन्हें कोई अंतरराष्ट्रीय  भाषा  नहीं सिखने देती


ये हालात डेल्टा  के है की उसकी लाश को अस्पताल भी कचरा  ढोने की गाडी में ले जाया गया

डेल्टा  के पिता  की शिकयात के बावजूद पुलिस  सही ढंग से कार्यवाही  नहीं कर रही है

सरकार ,पुलिस ,प्रशासन , में बैठे सभी जातिवादी  लोग मामले को दबाने में लगे  है 

अमरीका में भी छाया है दलित उत्पीडन का मामला , एक कंपनी ने सभी रेस्टोरेंट पर लगाए हिंदू विरोधी प्रतीक, हिंदू धर्म को नस्लवादी बताया

 जन उदय : लगातार  दलितों की हत्या , बलात्कार , और दलित छात्रों की संस्थानिक हत्याओं ने वैसे तो पुरे विश्व को चोंका   दिया है  , लेकिन अमरीका में लोगो ने  भारत की ब्राह्मणवादी सरकार के खिलाफ कार्यवाही  करना शुरू कर   दिया   है .

एक लोकप्रिय अमेरिकी फास्टफूड कंपनी डेरी क्वीन के मालिक मोहम्मद डार ने कहा है कि हिंदू नस्लवादी होते हैं। पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक डार ने अपने रेस्टोरेंट पर हिंदू विरोधी प्रतीक भी लगा रखा है। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा है कि कोई भी उनके दावे को गलत साबित नहीं कर सकता।        क्योकि यह सिर्फ एक दिन की बात  नहीं  है बल्कि भारत में  जातिवाद  और सम्प्रद्य्वाद के नाम पर  बहुत हत्याए   रोज हो   रही है

फॉक्स न्यूज के मुताबिक डार ने टेक्सास के अपने सभी रेस्टोरेंट में ऐसे प्रतीक लगवा दिए हैं जो सीधे हिंदू  ब्राह्मण धर्म पर निशाना साधते हैं। डार का दावा है कि रेस्टोरेंट पर लगा प्रतीक  आधारहीन नहीं बल्कि तथ्यों पर आधारित हैं।

उन्होंने  यह भी कहा कि 14 साल तक हिंदू धर्म पर शोध करने के बाद  और  आय दिन की ह्त्या  बलात्कार की घटनाओं  को देखते हुए  ही मैंने अपने रोस्टोरेंट पर हिंदू धर्म से जुड़े प्रतीक लगाए हैं। हिंदू धर्म दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म माना जाता है।   


उन्होंने एक लोकल टीवी में कहा कि अगर किसी को भी इससे परेशानी है तो मुझे गलत साबित करके दिखाए। मैं नस्लवाद नहीं बल्कि समानता का विश्वास करता हूं। मेरे रोजाना के करीब 200 ग्राहकों में से सिर्फ एक फीसदी इन प्रतीकों से आहत होते हैं। 

ब्राह्मण औरत ने करवाया दलित छात्रा डेल्टा का बलात्कार और हत्या : एक और होनहार दलित छात्रा की बलि ली : पूरी ताकत झोंक दी है ब्राह्मणों ने मामले को दबाने के लिए

जन  उदय : रोहित  वेमुला की संस्थानिक हत्या के बाद देश में ही नहीं दुनिया में भारत का नाम बदनाम हुआ है , इस हत्या की ख़ास बात यह है की यह पूरी तरहस से षड्यंत्रकारी और योजनाबद्ध थी जिसको अंजाम जातिवादी तरीके से दिया गया

इसके बाद यह जातिवादी  षड्यंत्र यही नहीं रुका है सरकार उन लोगो पर लगातार दमनकारी कार्यवाही कर रही है जो लोग रोहित वेमुला  के लिए न्याय की मांग कर रहे है ,इसकी एक ख़ास बात यह है की पुलिस और सरकार सिर्फ दलित छात्रो और शिक्षको को चुन चुन कर निशाना बना रही है .


हालांकि रोहित वेमुला न तो अंतिम दलित छात्र है जो जातिवाद का शिकार हुआ है और न ही  पहला  इससे पहले भी काफी छात्रो को जातिवादी तरीके से शिकार बनाया  गया है
इसी श्रंखला में एक नया नाम आया है    है राजेस्थान की डेल्टा का जो रोहित वेमुला की तरह एक मेघावी  छात्रा  थी  और जिसे कई राष्ट्रिय पुरूस्कार मिल चुके है

१७ साल की डेल्टा राजेस्थान के बारमेर जिले के एक छोटे से गाव की रहने वाली थी  और वही के जैन आदर्श  टीचर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट  फॉर गर्ल्स  नोखा , बाड़मेर  से बी एस टी सी  कर रही थी जो    १२ क्लास के बाद होता है


राष्ट्रिय स्तर के इनाम जीत चुकी डेल्टा एक बहुत अच्छी  पेंटर  थी और उसी में शिक्षा के द्वारा अपना भविष बनाना  चाहती थी

२९ मार्च २०१६ को होस्टल के पानी के टैंक के पास संधिद्ग अवस्था में डेल्टा की लाश मिली , जहा से कचरा ढोने वाली गाडी में उठा कर अस्पताल ले जाया गया ,  होस्टल के कर्मचारियो ने बताया  की डेल्टा  ने आत्महत्या  कर ली है क्योकि उसे पी टी टीचर के साथ अपातिजंक अवस्था में  पकड़ लिया गया था , जिसके चलते उसने शर्म से आत्महत्या कर ली 

पुलिस और प्रशासन की ही बाते मान ले तो अगर डेल्टा को आपतिजनक अवस्था में  पी टी  टीचर के साथ पकड़ लिया गया तो इस बारे में डेल्टा के घर वालो को सूचित क्यों नहीं किया गया
दूसरी बात होस्टल में छुट्टिया  में थी और वहा सिर्फ चार लडकिया  था , डेल्टा भी होस्टल में अपने पिटा के साथ २८ तारीख की सुबह ही होस्टल पहुची थी , २८ तारिख को ही रात को आठ बजे डेल्टा ने फोन कर अपने पिता  को बताया था की होस्टल की वार्डन  प्रिया शुक्ल  ने जबरदस्ती डेल्टा को पी टी  टीचर  के रूम में भेजा  सफाई करवाने के बहाने से , जिसके बाद  दुसरे दिन डेल्टा की लाश मिली

इस हत्या से कई बात सामने आई है की अगर डेल्टा किसी   टीचर  के साथ आपतिजनक  अवस्था में पाई गई  तो इसकी सुचना डेल्टा के माँ बाप को क्यों नहीं दी  गई ,

इसके बाद उस  टीचर पर कार्यवाही क्यों नहीं की गई , सर माफ़ी नामा क्यों लिखवाया   गया   इसके बाद  किसी भी स्थान की फोरेंसिक  



जांच नहीं की गई है , लाश को बड़े ही गंदे  तरीके से कचरे  की गाडी में ले जाने का मतलब है  की सबूतों को नष्ट करना  होस्टल  की वार्डन प्रिया शुक्ला   पर कारवाही क्यों   नहीं की जा रही ,कोलेज पर कार्यवाही क्यों नहीं की   जा रही .

केस को दबाने के लिए  पुरे जातिवादी  लोग सामने आ गए है , अब देखना यह है की इन्साफ  जीतेगा या ये जातिवाद  आतंकवाद 

84 के दंगे में मारे गए सिर्फ दलित सिख , नहीं मिला इनको न्याय कांग्रेस ने करवाया ,भाजपा ने फायदा उठाया

जन उदय :  इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद  पुरे देश में जो दंगे हुए उससे तरह के नरसंहार से पूरी दुनिया दहशत में आ गई , जिस तरह तरह पुरे देश में सिक्खों को मारा गया वो नजारा किसी युद्ध से कम नहीं था जहा पर सिर्फ दुशमन को ख़त्म कर दिया जाता  है बिना किसी रहम की . लेकिन इन दंगो में जो हुआ उससे मानवता जरूर शर्मशार हुई , औरते ,बच्चे ,मर्द , बूढ़े  सबको बड़ी बेहरहमी से कत्ल किया गया .


अब जो दंगो की तस्वीर पेश की गई वह बड़े ही सम्प्रद्यिक तरीके से पेश की गई लेकिन इसमें एक सच्चाई जो आज तक न तो किसी मीडिया में चढ़ा होती है और न ही किसी कानून के दायरे में वह यह की या दंगा सम्प्रद्यिक तो था ही लेकिन इसमें जो सिख मारे गए और दलित सिख थे  

जो सिख समाज में भी उपेक्षित रहते है  ये लोग न तो पुरे सिख होते है और हिन्दुओ की जातिवादी भेदभाव से बचने के लिए सिक्ख आवरण में रहते है , दिल्ली के तिलक नगर , 

खिचड़ीपुर  आदि इलाको में इन्ही सिक्खों को गले में टायर  बाँध कर उसमे आग लगा कर इनको मारा गया था ,
लेकिन यह बात ध्यान रखने वाली है की ९५ % मारे गए व्यक्ति दिल्ली में  दलित  सिक्ख  थे जिन्हें आज तक न्याय नहीं मिला है

इन दंगो की ख़ास बात यह थी की इन दंगो को समर्थन तो कांग्रेस का था लेकिन इसका फायदा हिन्दू संघठनो ने उठाया , ये दंगा इन आतंकी हिन्दुओ के लिए एक वरदान साबित हुआ जिससे इन्हें वोट मिले  

Wednesday 30 March 2016

निर्दोष आदिवासिओ की हत्या और बलात्कार किया पुलिस और सेना के जवान ने :: ,नक्सलियो ने बदले की कार्यवाही की ७ पुलिस वाले मरे


जन उदय :: रायपुर , छतीसगढ़  आदिवासिओ की हत्या , उनकी महिलाओं का बलात्कार  इनिलाको में सेना के जवानो  द्वारा बड़ी आम बात है  इसी क्रम में  में नारायणपुर जिले में पुलिस ने एक झूटी मुठभेड़ में एक महिला समेत तीन आदिवासिओ  को मार गिराया।

पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा ने मंगलवार को बताया कि जिले के धौड़ाई थाना क्षेत्र के अंतर्गत सुलेंगा और टिरकानार गांव के जंगल में पुलिस ने एक  आदिवासी महिला समेत तीन लोगो को जंगल में ले जाकर बिना बात में  मार  दिया

इसके बाद पुलिस ने अपनी पुरानी जैसी कहानी मीडिया के समक्ष प्रस्तुत की जो इस प्रकार है  मीणा ने बताया कि जिले में जिला रिजर्व समूह, विशेष कार्य बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल और जिला बल के संयुक्त दल को गश्त के लिए रवाना किया गया था। दल में लगभग सात सौ जवान थे तथा अभियान में कोंडागांव जिले की पुलिस भी शामिल थी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जब पुलिस दल सुलेंगा और टिरकानार गांव के जंगल में पहुंची तब नक्सलियों ने पुलिस दल पर गोलीबारी शुरू कर दी। इसके बाद पुलिस दल ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू की। 

कुछ देर तक दोनों से भारी गोलीबारी के बाद नक्सली वहां से भाग गए। पुलिस दल ने जंगल के भीतर नक्सलियों का लगभग तीन किलोमीटर तक पीछा भी किया। लेकिन नक्सली वहां से निकलने में कामयाब रहे। मीणा ने बताया कि जब बाद में पुलिस दल ने घटनास्थल में खोजबीन की तब वहां से एक महिला नक्सली समेत तीन नक्सलियों का शव, एक इंसास रायफल, एक 315 बोर रायफल, एक 12 बोर बंदूक, दो भरमार बंदूक और अन्य नक्सली सामान बरामद किया गया। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस घटना में चार से पांच नक्सलियों के घायल होने की जानकारी मिली है

जिनकी तलाश पुलिस कर रही है। उन्होंने बताया कि इस घटना में मारे गए नक्सलियों की पहचान नहीं हो पाई है। सुरक्षा बल जब जंगल से बाहर निकलेगा तब इसकी जानकारी ली जाएगी””
इस तरह की कहानिया  हम सब हमेशा से सुनते आये है जबकि  हकीकत कुछ और हो होती है
इसके बाद आदिवासिओ ने  धमाका कर दिया है। इस धमाके में सीआरपीएफ के सात जवान शहीद हो गए हैं। दंतेवाड़ा के एसपी ने अपने बयान में कहा है कि ये सातों जवान 230 बटालियन के हैं। दंतेवाड़ा के मेलापाड़ा-मोकपाक के बीच लैंड माइन ब्लास्ट में सात सीआरपीएफ के जवान मारे गये हैं।बताया जा रहा है कि ब्लास्ट तगड़ा था जिसमें एक गाड़ी पूरी तरह से उड़ गई। 

मृतको की संख्या बढ़ सकती है। आमतौर पर इस इलाकें में नक्सली वारदात नहीं होती है। इस इलाके में नक्सलियों को सीमित कर दिया गया था। इस कारण से इसे सुरक्षित एरिया माना जाता है। मिली जानकारी के अनुसार सीआरपीएफ के 230वीं बटालियन की तीन गाड़िया जा रही थी। खबर मिली है कि नक्सल धमाके में गाड़ी के चिथड़े उड़ गये हैं तथा सड़क पर बड़ा गढ्ढा हो गया है। करीब-करीब एक बड़े इलाके में सड़क का नामोनिशान मिट गया है।
इस तरह की घटनाए आम बात है जिसमे  आदिवासिओ पर पुलिस , प्रशासन जी भर के जुल्म करते है  

बलात्कार कर नंगा घुमायंगे शहर में पुलिस ने दलित छात्राओं को दी धमकी , हैदराबाद विश्वविध्यालय अपडेट

जन उदय : पुरे षड्यंत्र रचा ए बी वी पी ने  हैदराबाद में छात्रो को गिरफ्तार करवाने के लिए पुलिस ने दिया षड्यंत्र में सहयोग

जेल में करीब एक हफ्ता गुजारने के बाद जमानत पर बाहर आए हैदराबाद यूनिवर्सिटी के 24 स्टूडेंट्स और दो टीचरों ने आरोप लगाया कि उन्हें कथित तौर पर पुलिस की हिरासत में मारा-पीटा गया और धमकी दी गई। इन छात्रों को परिसर में 22 मार्च की हिंसा के सिलसिले में जमानत प्रदान की गई है। हिंसा के दौरान कुलपति के सरकारी आवास में भी तोड़फोड़ की गई थी।

हैदराबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर तथागत सेन गुप्ता ने कहा कि मैंने खुद सुना कि पुलिस ने लड़की के साथ बलात्कार की धमकी दी। पुलिस ने हमें कहा कि अगले 24 घंटे के लिए हमारे मानवाधिकार खत्म हो गए हैं।  पुलिस ने छात्रो समेत टीचर्स  को भी बेरहमी से पीटा

यह बात एकदम ध्यान रखने की है की हैदराबाद विश्विध्य्ल्या में पुलिस टार्चर को ठीक उसी तरह अंजाम दिया गया जिस तरह दिल्ली के जे एन यु और पुणे में षड्यंत्र रचा गया

इस वक्त संघ सरकार की बस एक ही वरीयता है की जितने भी दलित और बी जे पी विरोधी संघठन है उनको वर्वाद करना या डराना , यह बात भी ध्यान रखने की है की मोदी खुद षड्यंत्र  और हिंसा में विशवास रखने वाला  ब्यक्ति है यह वह व्यक्ति है जो ताकत पास होने पर अपने आपको शेर समझने लगता है और कमजोर होने पर दुबक कर बैठ जाते है

हैदराबाद के छात्रो के मसले में एक बात विशेष रूप से सामने आ रही है की इसमें पुलिस  बाखूबी अपना रोल निभा रही है यानी संघी सरकार के साथ है  , कई छात्रो और छात्राओं ने कहा है की पुलिस लगातार  इनको गन्दी गन्दी गालिया  दे रही थी  इनको कही जगह  शिफ्ट किया  गया और मारपीट की गई  


संघ समर्थित हिन्दू आतंकवादी संघठन ने दी कन्हैया को जान से मारने की धमकी, नहीं मारा तो कह्लायंगे हिजड़े ,वचन दिया है

जन उदय : वैसे तो देश में भगवा आतंक बढ़ता ही जा रहा है जहा देखो मुसलमानों को कभी गोमांस के नाम पर  कभी भारत माता के नाम पर इनकी हत्याए की जा रही है , सबसे बढ़ी कमाल की बात यह है की इन संघठनो को कोई कुछ कहने सुनने वाला नहीं है


और सबसे बढ़ी कमाल की यह है की ऐसे आतंकवादी  संघटनो को मीडिया  विशेष कर संघ संचालित  मीडिया हीरो बना कर पेश कर  रहा है , ये  संघठन पूर्ण रूप से जातिवादी  और धार्मिक उन्माद और पूर्वाग्रह से भरे है  लेकिन इनके उपर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है

इसी कर्म में उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष अमित जानी ने जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को 31 मार्च तक दिल्ली न छोड़ने पर शूटआउट करने की धमकी दे डाली।


जानी ने कहा कि शायद देश के लोगों या कन्हैया कुमार और उमर खालिद को 31 मार्च तक के अटलीमेटम की बात मजाक लगती होगी, लेकिन यह हकीकत है। 

उन्होंने कहा कि 8 अप्रैल से नवरात्रों की पूजा प्रारंभ हो रही है नवरात्रो में उनके शार्प शूटर कन्हैया नामक महिषासुर  का अंत कर देंगे। जानी ने यह भी कहा कि कन्हैया के वध किये जाने के बाद ही वे दुर्गा अष्टमी की पूजा करेंगे।  


अब देखना  यह है की  पुलिस इस आतंकवादी संगठन पर कार्यवाही करती है या किसी वारदात होने का इन्तजार करती है 

गरीबो को नहीं हांसिल होगी उच्च शिक्षा : बी जे पी का पक्का इरादा

जन उदय : जब से भाजपा सरकार आई है तब से शिक्षा के स्तर मर लगातार गिरावट आ रही है
हालांकि  ऐसा नहीं है की  इससे पहले भारत का दुनिया में कोई नाम हो गया था  या है

भारत में शिक्षा का स्तर पहले से ही गिरा हुआ है , और भाजपा ने आकर इसको और गिरा दिया है
भाजपा ने आते के साथ ही प्राइवेट शिक्षा को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है  और सरकारी संन्स्थानो को बंद करना शुरू कर दिया है , सिर्फ ओड़िसा में ही आदिवासी इलाको के तीन हजार से जयादा स्कूल बंद कर दिए गए है , आई आई टी में फी बढ़ा दी गई है  और सबसे बड़ी बात की उच्च शिक्षा में एम् फिल और पी एच डी  में नॉन नेट फेलोशिप बंद कर देने का प्रवाधान है

बी जे  पी एक समर्थक श्री श्री रवि शंकर मानते ही है की सरकारी स्कूलों से पढ़ कर बच्चे नक्सली बनते है , लेकिन श्री श्री रवि शंकर जी को ये मालूम नहीं है की इस देश में सारे के सारे नौकरशाहो से लेकर बड़े बड़े व्यापारी , मंत्री  सभी सरकारी स्कूलों से आते है , देश के सारे विज्ञानिक आई आई टी जैसी संस्थाओं से आते है  जो की पूर्ण रूप से सरकारी है   अगर ऐसी संस्थाओं को बंद कर  दिया जाएगा तो देश कैसे आगे बढेगा

ये बड़ी अजीब बात है कई की शिक्षा के हर  कार्यकर्म में  प्रधान मंत्री ,. राष्ट्रपति , सभी लोग शिक्षा के विकास की बात करते है लेकिन जब शिक्षा को बढाने की बात आती है तो तो सब पीठ दिखा देते है 

इस साल यु जी सी  का बजट  ५५ % कम कर दिया   गया है जिसके कारण दूर दराज  ,म गरीब किसानो के बच्चे जिनके पास सिर्फ फेलोशोप का सहारा होता है वो कैसे पढेंगे ?? ये कोई नहीं जानता


कुल मिला आकर कह सकते है की भजापा शिक्षा को न सिर्फ अमीरों तक सिमित रखना चाहती है बल्कि गरीबो को इससे दूर भी रखना चाहती है 

ज्योतिष शास्त्र भारत में नहीं अरब , मिश्र बेबीलोन में जन्मा , ब्राह्मणों ने इस्तेमाल किया षड्यंत्र के रूप में


जन उदय : मनुष्य का भविष्य को  जानने का अपने बारे में जानने की इच्छा बड़ी प्रबल होती है , गृह नक्षत्र की दशा , दिशा आदि से इंसान के भविष के बारे में बताना यह बड़ी पुरानी परम्परा  है हलांकि इसमें विज्ञान कितना है यह कहना असम्भव है क्योकि इसमें विज्ञान बहुत कम है

अगर हम इसके , जन्म  ,विकास के  बारे में देखे तो हमें बड़ी हैरानी होगी की अपने आपको विश्व गुरु कहने वाला भारत विशेषकर ज्योतिष और तन्त्र मन्त्र में माहिल भारत  में ज्योतिष का ज्ञान बहुत  बाद में आया  , बल्कि यह कह सकते है की ये ज्ञान कम और षड्यंत्र के रूप में जयादा आया 
अब जरा  इसके  जन्म और विकास के बारे में थोडा जान लेते है


इसके  प्रारंभिक सबूत  25,000 साल पहले हड्डियों और गुफा दीवारों पर आक्रति के रूप में मिले है  जो बताते हैं की इन तारो  और ग्रहों की गति से कैसे बारिश होगी चाँद निकलेगा  , दिन निकलेगा यह ज्ञान इसी तरह चलता रहा लेकिन इसका सबसे पहला लेकिन बिखरा हुआ संकलन बेबीलोन में १७०० बी सी में मिला  है उसी समय मिश्र , अरब , चीन , आदि सभी देशो में यह ज्ञान मिलता है .

भारत में  ज्योतिष की परम्परा  के ज्ञान को अपने साथ ले कर भारत आये  यानी जब ब्राह्मणों ने हमला किया तो उनके साथ ये ज्ञान भी भारत आया , को वेदांग भी कहा   जाता है जो अथर्वेद में ज्यादा मुख्य रूप से सामने आया है भारत में ब्राह्मणों द्वारा इस्तेमाल की जानी वाली ज्योतिष  अरब देश , मिश्र आदि से ली गई

इससे पहले भारत का आकृति , गृह  आदि सभी चीजो का ज्ञान था इसमें शक कैलेंडर आदि सब इस्तेमाल होते थे  लेकिन  ब्राह्मणों के आक्रमण के बाद शक संवत को बदल दिया गया और उसके स्थान पर  विक्रम संवत को लाया गया 

सबसे पहले यह ज्ञान सिर्फ शुद्ध ज्ञान के रूप में था  इसलिए वैदिक  ज्योतिष में ब्राह्मणों द्वारा बताये जाने वाले उपाय कही नहीं है , लेकिन बाद में लोगो को मुर्ख बनाने के लिए इन्होने उपाय आदि लिखना शुरू  कर दिया  और लोगो को मूर्ख बनाने लगे


Tuesday 29 March 2016

आयुर्वेद ब्राह्मणों का नहीं आदिवासिओ का ज्ञान है : ज्ञान चोरी के मामले में भी अव्वल है ब्राह्मण


जन उदय : पुरे विश्व में  स्वस्थ वृद्धि   बिमारिओ से जो इलाज  की प्रक्रिया  चलती है उसमे , आयुर्वेद , होमियोपैथी , यूनानी  और एलोपैथी  , इनमे से  एलोपैथी ने सबसे जयादा विकास किया है

 यूनानी प्रणाली ने ग्रीस में जन्म लिया। हिप्पोक्रेट्स द्वारा यूनानी प्रणाली की नींव रखी गई थी। इस प्रणाली के मौजूदा स्वरूप का श्रेय अरबों को जाता है जिन्होंने न केवल अनुवाद कर ग्रीक साहित्य के अधिकाँश हिस्से बल्कि अपने स्वयं के योगदान के साथ रोजमर्रा की दवा को समृद्ध बनाया। इस प्रक्रिया में उन्होंने भौतिकी विज्ञान, रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, पैथोलॉजी, चिकित्सा और सर्जरी का व्यापक इस्तेमाल किया।

यूनानी दवाएं उन पहलुओं को अपनाकर समृद्ध हुई जो मिस्र, सीरिया, इराक, फारस, भारत, चीन और अन्य मध्य पूर्व के देशों में पारंपरिक दवाओं की समकालीन प्रणालियों में सबसे अच्छी थी। भारत में यूनानी चिकित्सा पद्धति अरबों द्वारा पेश की गयी थी और जल्द ही इसने मज़बूत जड़ें जमा ली। दिल्ली के सुल्तानों (शासकों) ने यूनानी प्रणाली के विद्वानों को संरक्षण प्रदान किया और यहां तक कि कुछ को राज्य कर्मचारियों और दरबारी चिकित्सकों के रूप में नामांकित भी किया था|


भारत में आयुर्वेद इंडस वैली  सभ्यता के समय से ही काफी उफान पर था और इसमें भी काफी  विकास था , लेकिन ब्राह्मणों ने न सिर्फ इस ज्ञान को बर्बाद किया  बल्कि इस सारे ज्ञान को अपने नामकर  लिया जिसका इतिहास अथर्वेद  से लगाते है  जब की ये सब जानते है की आयुर्वेद  वेदों से भी पहले  मौजूद  था और ब्राह्मणों ने इस ज्ञान को अथर्वेद  से शुरू किया है , अगर हम इस ज्ञान को अथर्वेद से शुरू करते है तो इस लिहाज से हम दुनिया में हम काफी पिछड़  जाते है ,

ब्राह्मणों ने यह ज्ञान यहाँ के मूल निवासी  और आदिवासी  लोगो से  सीखा  इस बात की पुष्टि इस बात से भी होती है की आदिवासी लोगो को ही सारी वनस्पति और जड़ी बूटियो की पहचान थी  और इसके सारे उपयोग भी मालूम थे , यही नहीं आज भी आदिवासिओ  को जंगल में रहने के कारण बहुत सारी जड़ी बूटियो के बारे में मालूम है जो किसी आयुर्वेद के प्रोफेस्सर  को भी मालूम नहीं  होती , आज भी ये लोग अपने सारे इलाज सिर्फ आयुर्वेद पध्दति से ही करते है
ब्राह्मणों ने अपने झूट को यहाँ से शुरू किया है


अथर्ववेद एक  उपवेद है। यह विज्ञान, कला और दर्शन का मिश्रण है। आयुर्वेदनाम का अर्थ है, ‘जीवन का ज्ञानऔर यही संक्षेप में आयुर्वेद का सार है।

हिताहितं सुखं दुःखमायुस्तस्य हिताहितम्।
मानं च तच्च यत्रोक्तमायुर्वेदः स उच्यते॥ -(च.सू.१/४०)

इस शास्त्र के आदि आचार्य अश्विनीकुमार माने जाते हैं जिन्होने दक्ष प्रजापति के धड़ में बकरे का सिर जोड़ा था। अश्विनी कुमारों से इंद्र ने यह विद्या प्राप्त की। इंद्र ने धन्वंतरि को सिखाया। काशी के राजा दिवोदास धन्वंतरि के अवतार कहे गए हैं। उनसे जाकर सुश्रुत ने आयुर्वेद पढ़ा। अत्रि और भारद्वाज भी इस शास्त्र के प्रवर्तक माने जाते हैं। आय़ुर्वेद के आचार्य ये हैंअश्विनीकुमार, धन्वंतरि, दिवोदास (काशिराज), नकुल, सहदेव, अर्कि, च्यवन, जनक, बुध, जावाल, जाजलि, पैल, करथ, अगस्त, अत्रि तथा उनके छः शिष्य (अग्निवेश, भेड़, जातूकर्ण, पराशर, सीरपाणि हारीत), सुश्रुत और चरक।


अब सब लोग दुनिया के इतिहास से इस परम्परा की तुलना करेंगे  तो साफ़ पता चल जाएगा  की  ब्राह्मणों  ने इस ज्ञान   पर कब्जा किया है  यह इनका नहीं  है 

जीरो और दशमलव नहीं है भारत की खोज

जन उदय :  अपने मूह मियाँ  मिटठू  बनना , ये कहावत तो आपने बिलकुल सुनी ही होगी जिसका मतलब होता है की अपनी झूटी  तारीफ़ खुद करना ,  जी हां  सबसे बड़ी तारीफ़ है है की अपने आपको विश्व गुरु बताना  , खैर  मान भी ले की भारत विश्व गुरु था और इसका दुनिया में नाम था तो भी ये काल सबसे पहले ब्राह्मणों का शासन काल नहीं था  और न ही  ऐसी  किसी प्रतिष्ठा में इनका कोई योगदान


अब उधाह्र्ण के लिए एक बात देखिये की हमें शुरू से बचपन से ही बताया जाता है की दुनिया में जीरो भारत ने दिया और गणित के ज्ञान की परम्परा को आगे बढया  जो की सरासर गलत है 

भारतीय ‌गणितज्ञ वर्षों से ये दावा करते रहे हैं कि शून्य का अविष्कार भारत में किया गया था। हालांकि अमेरिका के एक गणितज्ञ कहना है कि शून्य का आविष्कार भारत में नहीं हुआ था। अमेरिकी गणितज्ञ आमिर एक्जेल ने ‌सबसे पुराना शून्य कंबोडिया में खोजा है।

'फाइंडिंग जीरो: ए मैथिमैटिशियंस ओडिसी टू अनकवर द ओरिजिन ऑफ नंबर' पुस्तक को डॉ आमिर एक्जेल ने लिखा है। इस किताब में उन्होंने दावा किया है कि सबसे पुराना शून्य भारत में बल्कि कंबोडिया में मिला था।

इसके अलावा दशमलव का भी आविष्कार  कहा जाता है की इसका आविष्कार भारत में हुआ था और कुछ संस्कृत  ग्रंथो में यानी वेदों में   इसका ब्यान है लेकिन जिस अगर दशमलव के इतिहास को सही ढंग से देखा जाए तो इसका वर्णन  भी अरब , ग्रीक , मिश्र आदि देशो में मिलता  तो कुल मिलाअहि कह सकते है  भारत के ब्राह्मणों ने कुछ किया हो या न किया हो हाँ झूठे  ग्रन्थ जरूर लिखे है  जिसमे अपने आपको  यानी ब्राह्मणों  को महान बताने की कोशिस  की गई  है  

Monday 28 March 2016

वेदों से मर्द सीखे अपने लिंग को कमान की तरह तानना और कैसे मसली जाति है स्त्री की छाती : ये ज्ञान है या अश्लीलता

वेदों  से मर्द  सीखे अपने लिंग को कमान की तरह तानना और कैसे मसली जाति है स्त्री की छाती :  ये  ज्ञान  है  या अश्लीलता

वेदों में मैंने पढ़ा कि पूरे शरीर में देशी घी लगाकर अपनी पत्नी से सम्भोग करें.......अब इन नालायको से कोई पूछे आपने लिख तो दिया कि देशी मगर देशी घी आयेगा कहा से..मेरे बाप की कोई मिल तो चल नहीं रही है....यहाँ साला एक महीना हो गया नहाये बिना, तेल तक तो है नहीं सर में लगाने के लिए और ये देशी घी रीक्मेंट कर रहे है.....इसके लिए तो भाई मुझे मोहन घी वालों की फैक्टरी का टाला चटकाना पडेगा तब जाकर चार छ: देशी घी के पीपों का जुगाड होगा......ऐसा भी तब करूँगा जब हौसलेवाली राजी होगी....वरना भई जोर जबरदस्ती की तो एक पत्नी को भी हक है कि वो रेप का केस लगवा सके.......फिर सम्भोग तो क्या....मु* मारने के लायक भी नहीं रहूँगा........आप ही बताओ क्या करना चाहिए.........कमेन्ट जरुर करना कभी इस सीरियस मामले में भी कंजूसी करो....!

अब जिक्र करते है अश्लीलता का :-वेदों में कैसी-कैसी अश्लील बातें भरी पड़ी है,इसके कुछ नमूने आगे प्रस्तुत किये जाते हैं (१) यां त्वा .........शेपहर्श्नीम || (अथर्व वेद ४-४-१) अर्थ : हे जड़ी-बूटी, मैं तुम्हें खोदता हूँ. तुम मेरे लिंग को उसी प्रकार उतेजित करो जिस प्रकार तुम ने नपुंसक वरुण के लिंग को उत्तेजित किया था.

(२) अद्द्यागने............................पसा:|| (अथर्व वेद ४-४-६) अर्थ: हे अग्नि देव, हे सविता, हे सरस्वती देवी, तुम इस आदमी के लिंग को इस तरह तान दो जैसे धनुष की डोरी तनी रहती है

(३) अश्वस्या............................तनुवशिन || (अथर्व वेद ४-४-८) अर्थ : हे देवताओं, इस आदमी के लिंग में घोड़े, घोड़े के युवा बच्चे, बकरे, बैल और मेढ़े के लिंग के सामान शक्ति दो

(४) आहं तनोमि ते पासो अधि ज्यामिव धनवानी, क्रमस्वर्श इव रोहितमावग्लायता (अथर्व वेद ६-१०१-३) मैं तुम्हारे लिंग को धनुष की डोरी के समान तानता हूँ ताकि तुम स्त्रियों में प्रचंड विहार कर सको.

(५) तां पूष...........................शेष:|| (अथर्व वेद १४-२-३८) अर्थ : हे पूषा, इस कल्याणी औरत को प्रेरित करो ताकि वह अपनी जंघाओं को फैलाए और हम उनमें लिंग से प्रहार करें.

(६) एयमगन....................सहागमम || (अथर्व वेद २-३०-५) अर्थ : इस औरत को पति की लालसा है और मुझे पत्नी की लालसा है. मैं इसके साथ कामुक घोड़े की तरह मैथुन करने के लिए यहाँ आया हूँ.


(७) वित्तौ.............................गूहसि (अथर्व वेद २०/१३३) अर्थात : हे लड़की, तुम्हारे स्तन विकसित हो गए है. अब तुम छोटी नहीं हो, जैसे कि तुम अपने आप को समझती हो। इन स्तनों को पुरुष मसलते हैं। तुम्हारी माँ ने अपने स्तन पुरुषों से नहीं मसलवाये थे, अत: वे ढीले पड़ गए है। क्या तू ऐसे बाज नहीं आएगी? तुम चाहो तो बैठ सकती हो, चाहो तो लेट सकती हो.