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Wednesday 10 January 2018

सालो पहले मर चुके डॉक्टर का इंटरव्यू आधार पर नहीं दिया मेडिक्लेम एच डी ऍफ़ सी एर्गो ने

जन उदय : अगर आपने एच डी ऍफ़ सी एर्गो से अपना कोई मेडिक्लेम करवाया है तो सावधान हो जाइये क्योकि कम्पनी कलम न देने के लिए कोई भी पैंतरा अपना सकती है अगर आपको यकीन नहीं तो जान कर रह जाएंगे हैरान

क्या पाने कभी सूना है की कोई इन्सुरेंस कम्पनी या मेडिक्लेम कम्पनी यह कहे आप हमारी पालिसी ले लीजिये हमें पैसे दीजिये लेकिन जब आपको जरूरत पड़ेगी तो हम आपको आपके पैसे देने के बजाय दिखायंगे ठेंगा ?? जी हाँ यही काम कर रहा है एच डी ऍफ़ सी एर्गो

ऐसा ही किस्सा गाजिअबाद के वैशाली में स्थित पारस हस्पताल से सामने आया है जहा पर राज रानी नाम की महिला अपने इलाज के लिए अपनी मेडिक्लेम पालिसी ले कर पहुची . पालिसी देखने के बाद हस्पताल ने उसका इलाज शुरू कर दिया क्योकि वो जिस बिमारी का इलाज कर रहे थे वो बिमारी पालिसी के दायरे में आती थी और तीन साल पुरानी भी थी ,



लेकिन हद तो तब हो गई की इलाज करने के बाद पारस हस्पताल ने राज रानी के हाथ में ५२ हजार रूपये का बिल थमा दिया यह कह कर की एच डी ऍफ़ सी ने यह कह कर मना कर दिया है क्योकि आपको थाइराइद की बिमारी भी है जिसका जिक्र आपने तीन साल पहले पालिसी लेते वक्त जिक्र नहीं किया था

इस पर राजरानी ने कहा की यह तो वह बिमारी ही नहीं है जिक्सा इलाज चल रहा है इलाज सिस्ट का है इसका थाईराइड से क्या मतलब लेकिन एच डी ऍफ़ सी के एर्गो ने यह कह कर राज रानी को मेडिक्लेम पास नहीं किया क्योकि उसमे उसने झूट बोला था .,


इस पर राजरानी ने कहा की हमने कोई झूट नहीं बोला क्योकि हमसे यह तो पूछा ही नहीं गया था कि आपको कोई ऐसी बिमारी जो लम्बे समय से चल रही है या नहीं बल्कि यह पूछा गया की आपका कोई एक्सीडेंट या आपको ब्लड प्रेशर , या हाइपर टेंसन तो नहीं है , जिसकी रिकॉर्डिंग भी एच डी ऍफ़ सी के पास मौजूद है और रही बात स्वास्थ सम्बन्धी शिकायत की तो खांसी बुखार , फ्लू झुकाम तो सबको लगा रहता है तो क्या इसकी भी जानकारी देनी चाहिए थी और अगर जरूरी था यह तो साफ़ साफ़ खोल कर क्यों नहीं पूछा गया , क्योकि यह काम कम्पनी का था

जब राज रानी ने यह पूछा और कहा की अगर मुझसे गलती हुई तो आपने पालिसी देने से पहले इस बात की जांच क्यों नहीं की मैंने सच बोला है या झूट यानी एक टेस्ट जिसमे सारी बिमारी का पता चले इसको आवश्यक क्यों नहीं किया ??? इसका जवाब एच डी ऍफ़ सी के पास बिलकुल नहीं था , जिस बिमारी के इलाज के लिए क्लेम माँगा गया वो पालिसी में कवर है लेकिन फिर भी मेडिक्लेम नहीं दिया गया

राजरानी की घटना २० फरवरी २०१७ की है लेकिन इससे पहले हजारो ऎसी घटनाए होती रहती है कि जब लोग अपनी मेडिक्लेम पालिसी का क्लेम मांगते है उस वक्त एच डी ऍफ़ सी एर्गो और बैंक उनके क्लेम को मना रा देते है यानी यह एक तरह की अप्रत्यक्ष लूट और फ्रोड है जिसके जरिये ये लोगो को बेवकूफ बना कर पालिसी बेच देते है ...
इसके बाद राजरानी ने एच डी ऍफ़ सी एर्गो से पूछा की अब मेरी पालिसी का क्या होगा ?? तो एच डी ऍफ़ सी एर्गो का जवाब था की पालिसी आपकी चलती रहेगी ... एच डी ऍफ़ सी की यह बात एक बहुत बड़े घोटाले की तरफ इशारा करती है की अगर आप कोई क्लेम देंगे ही नहीं तो आप पालिसी चलायंगे ही क्यों ??? और आप लोगो से पैसे लेंगे ही क्यों ???

कहानी यही खत्म नहीं हुई इसके बाद राजरानी ने इस क्लेम को पाने के लिए ग्रेवेंस में डाला जिससे की क्लेम मिले लेकिन ५० दिन की जांच के बाद बड़ा ही हैरान करने वाला हादसा सामने आया वह यह की एच डी ऍफ़ सी ने कहा हमने ५० दिन तक जांच की और उस डॉक्टर से भी मिले जिसने आपका पहले इलाज किया था और उस डॉक्टर ने कहा की आपको यह बीमारी तीन साल पहले से है ... इसमें हैरान करने वाली बात यह है की जिस डॉक्टर का हवाला एच डी ऍफ़ सी दे रही है वह डॉक्टर एक साल पहले मर चुका है इसके आलावा उसके द्वारा लिखे गए पर्चे पर कही भी पुरानी बिमारी थायरायड का जिक्र ही नहीं है जिसका मतलब यह हुआ की कम्पनी क्लेम देना ही नहीं चाहती

इस तरह का केस सिर्फ राजरानी का ही नहीं बल्कि हजारो केस है लकिन मीडिया में करोडो के विज्ञापन कम्पनी देती है इसलिए मीडिया इनके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाता
बात साफ़ है मेडिक्लेम और जनरल इन्सुरेंस के नाम पर देश में बहुत बड़ा घोटाला चल रहा है जो हजारो करोड़ का है जिसे सरकारी तंत्र की शय हांसिल है . मीडिया या सरकार इसलिए कोई कार्यवाही नहीं करते क्योकि इन कम्पनियो के माध्यम से करोडो का विज्ञापन और चन्दा मिलता है



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