जन उदय : कुछ लोगो को लगता
है की आर एस एस का कार्यालय सिर्फ नागपुर में है और ये लोग वही से सारी देशविरोधी
गतिविधिया चलाते है , दरसल ऐसा नहीं है
पहले आर एस एस के मक्कड़ जाल को समझना होगा आर एस एस ने अपने एजेंट सभी पार्टियो में छोड़े हुए है
चाहे वो वामपंथी हो या कांग्रेस वैचारिक
स्तर पर ये लोग उपरी तौर पर ऐसा दिखाते है
की जैसे आर एस एस के दुश्मन हो लेकिन अंदर ही अंदर ये सब आर एस एस के सबसे बड़े समर्थक है और उसकी विचारधारा को ही
आगे बढाते है ,
ऐसा आर एस एस और
ब्राह्मणवादी करने पर क्यों मजबूर हुए . दरसल इनके सामने समस्या थी शुद्रो की जिनका नेत्रत्व बाबा साहेब कर रहे थे और उनके अधिकारों के लिए
लड़ रहे थे , दूसरी समस्या थी मुस्लिम की जो जनसँख्या में काफी जयादा है ,
यह बिल्किल सम्भव न हो पाया
की सारे मुसलमान पाकिस्तान चले जाए सो येंके गले की हड्डी बन गए अब
शुद्र और मुस्लिम इन सभी के दिमाग
में ये ही टारगेट बन गए
समय समय पर दंगे होते रहे , लोहे को लोहे से काटा जाता
रहा यानी शुद्रो को हिन्दू बना कर मुस्लिम से लड़वाते रहे और मारते रहे और मुस्लिम करते रहे और यही नहीं सेक्लुरिस्म के नाम पर भी संघी
दूकान चलाते रहे , मुस्लिम शुद्र को मारता
रहा और शुद्र मुस्लिम को , कमाल की बता यह
थी की इन हजारो दंगो में आजतक दस स्वर्ण
या ब्राह्मण नहीं मारे गए है लेकिन ये दोनों जानवर कौम आज तक इस बात को समझ ही
नहीं पाई
इसके बाद इन दोनों का खेल
अजीब तरीके से चालु हुआ ७० के दशक में एक मनुवादी के जरिये ही जिसे जे पी आन्दोलन कहते है इस आन्दोलन से तीन गुर्गे निकले मुलायम , लालू
और नितीश
इन तीनो ने समाजवाद और एकता
समानता के नाम पर इन दोनों कौमो को यानी
शुद्र और मुस्लिम को बेवकूफ बनाना शुरू कर
दिया ,
कमाल की बात यह है की इन
तीनो के काल में बिहार यु पी में हजारो
दलितों के कत्ल हुए , उनके गाव जलाए गए दिन
रात शुद्रो का शोषण होता रहता है हालात यह है की दलितों की जमीन छीन कर सवर्णों में बांटी जा रही है लेकिन कोई सुनवाई
नहीं