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Thursday 21 April 2016

आर एस एस के सीक्रेट एजेंट है नितीश लालू और मुलायम , कर रहे है शुद्र और मुसलमानों का सर्वनाश

जन उदय : कुछ लोगो को लगता है की आर एस एस का कार्यालय सिर्फ नागपुर में है और ये लोग वही से सारी देशविरोधी गतिविधिया चलाते है , दरसल ऐसा नहीं है  पहले आर एस एस के मक्कड़ जाल को समझना होगा आर एस एस  ने अपने एजेंट सभी पार्टियो में छोड़े हुए है चाहे वो वामपंथी हो या कांग्रेस   वैचारिक स्तर पर ये लोग उपरी तौर  पर ऐसा दिखाते है की जैसे आर एस एस के दुश्मन हो लेकिन अंदर ही अंदर ये सब आर एस एस  के सबसे बड़े समर्थक है और उसकी विचारधारा को ही आगे बढाते है ,
ऐसा आर एस एस और ब्राह्मणवादी करने पर क्यों मजबूर हुए . दरसल इनके सामने समस्या थी  शुद्रो की जिनका नेत्रत्व  बाबा साहेब कर रहे थे और उनके अधिकारों के लिए लड़  रहे थे , दूसरी समस्या  थी मुस्लिम की  जो जनसँख्या में काफी  जयादा है ,
यह बिल्किल सम्भव न हो पाया की सारे मुसलमान पाकिस्तान चले जाए सो येंके गले की हड्डी बन गए  अब  शुद्र और मुस्लिम  इन सभी के दिमाग में  ये ही टारगेट बन गए

समय समय  पर दंगे होते रहे , लोहे को लोहे से काटा जाता रहा यानी शुद्रो को हिन्दू बना कर मुस्लिम से लड़वाते रहे और मारते रहे  और मुस्लिम करते रहे  और यही नहीं सेक्लुरिस्म के नाम पर भी संघी दूकान चलाते  रहे , मुस्लिम शुद्र को मारता रहा और शुद्र मुस्लिम को  , कमाल की बता यह थी की इन हजारो दंगो में आजतक दस  स्वर्ण या ब्राह्मण नहीं मारे गए है लेकिन ये दोनों जानवर कौम आज तक इस बात को समझ ही नहीं पाई

इसके बाद इन दोनों का खेल अजीब तरीके से चालु हुआ ७० के दशक में एक मनुवादी के जरिये ही  जिसे जे पी आन्दोलन कहते है  इस आन्दोलन से तीन गुर्गे निकले  मुलायम , लालू  और नितीश

इन तीनो ने समाजवाद और एकता समानता के नाम पर इन दोनों कौमो को  यानी शुद्र और मुस्लिम को बेवकूफ बनाना  शुरू कर दिया ,

कमाल की बात यह है की इन तीनो के काल में बिहार यु पी में  हजारो दलितों के कत्ल हुए , उनके गाव   जलाए  गए  दिन रात  शुद्रो  का शोषण होता रहता है  हालात  यह है की दलितों की जमीन छीन कर   सवर्णों में बांटी जा रही है लेकिन कोई सुनवाई नहीं


सिर्फ गरीब कमजोर को मार कर बहादुर बनते है ब्राह्मणवादी ,असल में इनका इतिहास डरपोक ,देशद्रोह और गद्दारी का है

जन उदय : भारत का पूरा इतिहास उठा कर देख ले वो भी वो जो सच है न की काल्पनिक कहानिया ,सवर्ण ,ब्राह्मणवादी लोग जो बहादुर बनते है और अपनी  बहादुरी गरीब ,कमजोर निहत्थे लोगो को मार कर दिखाते है ये दरअसल एक नम्बर के डरपोक , देशद्रोही और गद्दार रहे है ,

इनकी बहादुरी के किस्से  पृथ्वीराज चोहान  की काल्पनिक कहानियाओ से शुरू होती है जिसमे ये अपने आपको बहादुर बताते है , लेकिन इसका सच यह है की  गौरी ने बिना देर किये चोहान की गर्दन काट दी थी और उसको ले जाकर दीवार में चिनवा  दिया था
इसके बाद मुस्लिम शासको का सिलसिला जारी रहा जिनके चलते  ये बहादुर लोग  उनके दरबारों में नौकरी करने लगे और ब्राह्मणों ने अपना पूरा पूरा साथ मुस्लिम शासको को दिया और उनसे बदले में मांग की वो भी यानी ब्राह्मण भी उनकी तरह विदेशी हमलावर है इसलिए इनको ज़जिया कर से मुक्त किया जाए , और उनसे मांग की  शुद्र उनके गुलाम है  इसलिए इस ताने बाने को बना रहने दिया जाए . सो मुस्लिम शासको को इस बात से कोई सरोकार न था इसलिए उन्होंने समाज के इस ताने बाने पर कोई ध्यान न दिया  , इसकी एक वजह यह भी रही की ये ब्राह्मण और अन्य सवर्ण मुस्लिम  राजाओं को  मनोरंजन और शादी के लिए अपनी समाज की और परिवार की लडकियो को पेश करते थे .

और यह सिलसिला फिर सैंकड़ो साल चलता रहा हर म्सुलिम शासक , मुग़ल शशक के दरबार में  ब्राह्मण और अन्य स्वर्ण मजे करते रहे मानसिंह ,  पुरनिया पंडित ऐसे   हजारो नाम है

एक नाम और आता है राणा प्रताप का मुग़ल काल में जिसे  ब्राह्मण और जातिवादी लोग बहुत बहादुर बताते है यहाँ तक की उसके घोड़े को भी महान बताते है ,जब असल में यह हुआ की एक हिन्दू  यानी मानसिंह को अकबर ने भेजा और यह बहादुर  डर कर जंगलो में छिप  गया और जब तक बहार नहीं आया जब अकबर ने मेवाड़ की तरह ध्यान देना छोड़ दिया , और राणा आकर   चार सैनको को मार कर   वहा शासन करने लगा

अंग्रेजो के आने के बाद ब्राह्मण इनके भी समीप रहे  और शासन करने में इनकी मदद करते रहे  मात्र  ६५ हजार अंग्रेज  ४० करोड़ से जयादा की जनसंख्या वाले इस देश  पर शासन इसलिए करते रहे क्योकि यहाँ केलोग यानी ब्राह्मण और स्वर्ण इनके साथ थे , पुलिस , प्रशासन , आदि में  १७ आई सी एस अफसरों में  हर बार  १६   अफसर  ब्राह्मण ही होते   थे , और बाकी जातिओ के लोग सेना  और अन्य सेवा में


ब्राह्मण देश देश चिल्लाते  रहे लेकिन देश के नाम पर देश को ये आजादी के नाम पर भी ठगते  आ रहे है ,जातिके नाम पर हर साल हजारो कत्ल , बलात्कार  ये लोग करते है , आदिवासिओ का जीना मुस्ल्किल  किया हुआ है



सरकार कानून इनके लिए कुछ भी नहीं ये सिर्फ आतंक फैला  रहे है अपना और वो भी सिर्फ उन्ही लोगो को मारते है जहा पर दलित लोग कमजोर और  गरीब  है अनपढ़ है , गरीबो की जमीने छीन ले रहे है ,टोला  बथानी ,  और ऐसी  हजारो घटनाए है अहा पर पुरे के पुरे गाव दलितों के जला दिए गए लेकिन कोई सुनवाई  नहीं 

ब्राह्मण आतंकवादियो के अच्छे दिन शुरू : धीरे धीरे छूट रहे है जेल से : राज आदिवाल

अब तो मैं बड़े जोर से कहूंगा सबसे बड़े आतंकवादी ब्राम्हणवादी ब्राम्हणवादी !!मोहन भागवत ने आरएसएस के ब्राम्हणो को बम ब्लास्ट के काम पर लगाया अब बीजेपी आरएसएस की सत्ता आयी है तो उन आतंकवादी ब्राम्हणो को मोहन भागवत केवल बचा ही नहीं रहा है तो उन्हें महानता की खिताब भी दिया जा रहा है।मैं इस बात की कड़ी आलोचना करता हु !!इस तरह अगर हो रहा है तो देश में ब्राम्हणो को रहना मुश्किल हो सकता है !!इसी कर्नल प्रसाद पुरोहित ने गुप्त मीटिंग लेकर कहा था की हमें इस देश से भारत संविधान खत्म करके मनुस्मृति का राज लाना है !!

ब्राम्हण आतंकवादी है यह बात प्रमाणित हुयी !!न्यायपालिका में भी ब्राम्हण बैठे है ,ब्राम्हणो का जुडिशियल कैरक्टर नहीं होता इस लिए ब्राम्हण न्याय पालिका में ब्राम्हण नाते बैठने लायक नहीं है !निकलो बाहर मकानों जंग लढो बेईमानो से !!भारत मुक्ति मोर्चा लड़ेगा देशव्यापी आंदोलन !!जय मूलनिवासी !!देखे खबर :समझौता ब्लास्ट मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को NIA ने दी क्लीन चिटअंतिम अपडेट: बुधवार अप्रैल 20, 2016 समझौता ब्लास्ट मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को NIA ने दी क्लीन चिट लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित

नई दिल्ली: मालेगांव धमाकों के आरोपी कर्नल पुरोहित को एनआईए ने समझौता एक्सप्रेस में हुए धमाके के मामले में क्लीन चिट दे दी है। बताया जा रहा है कि मालेगांव में भी एनआईए की जांच सवालों से घिरी है। एनडीटीवी को मिली जानकारी के मुताबिक, कर्नल पुरोहित को समझौता धमाके में क्लीन चिट दे दी गई है। एनआईए के डीजी का कहना है कि पुरोहित का नाम कभी इस मामले में आया ही नहीं।कर्नल पुरोहित ने भी रक्षा मंत्रालय में अर्जी देकर अपने सम्मान बहाली कीमांग की है।
मालेगांव मामले में भी कई अहम गवाहियों का पता नहीं है, जबकी समझौता धमाकों में भी 165 गवाहों में से 22 गवाह पलट चुके हैं। 

दरअसल, 2006 के मालेगांव धमाकों में 37 लोगों की मौत हुई।2007 के समझौता धमाके में 68 लोग मारे गए। इन धमाकों के लिए पहले लश्कर और सिमी को जिम्मेदार बताया गया और फिर अभिनव भारत को, लेकिन समझौता धमाकों मे एनआईए अब नए सिरे से इस मामले में यू-टर्न लेती दिख रही है।आरिफ कासमानी की तलाशइस बीच एनआईए ने इस सिलसिले में आरिफ कासमानी नाम के एक शख्स की तलाश शुरू कर दी है। एनआईए के मुताबिक, आरिफ कासमानी वह शख्स है, जिसने समझौता धमाके की फंडिंग की। भारत ने अमेरिकासे इस बारे में मदद मांगी है।


एनआईए के मुताबिक, अमेरिकी सरकार की ओर से 2010 में इस शख़्स की जानकारी मिली थी।जब जब बीजेपी सत्ता में आती है तो ऐसा ही होता है : तारिक अनवरएनसीपी नेता तारिक अनवर ने कहा, जब बीजेपी की सरकार केन्द्र में आती है तब यही सब होता है। धीरे-धीरे सभी आरोपी इस मामले में छूट जाएंगे।सरकार किसी पर दबाव नहीं डालती : 

रिजिजूकेंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने सफाई दी है कि हमारी सरकार किसी पर दबाव नहीं डालती। मगर एक जांच के भीतर इतने सारे यू-टर्न हैरान करने वाले हैं। दरअसल, केंद्र में जब जब सरकार सरकार बदली तब तब जांच एजेंसियां संवेदनशील मामलों में अपना रुख बदल लेती हैं। चाहे वह एटीएस हो या सीबीआई या फिर NIA

वचन है नहीं पड़ने देंगे गरीब ,दलित ओ बी सी को यु जी सी नॉन नेट फ़ेलोशिप जारी रहने का सच , धूर्तता से भरी चाल ,कर दिया देश को गुमराह

 जन उदय :  देश के सभी शिक्षा संस्थानों के गरीब ओ बी सी छात्रों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है की उनके द्वारा किये गए प्रयासों से सरकार यु जी सी की नॉन नेट फ़ेलोशिप जारी रखने के लिए मजबूर हो गई है .

लेकिन संघी ,जो पूंजीवादियो के चमचे है और ब्राह्मणवाद को फैलाने के लिए वचनबद्ध इतने आसानी से हार मानने वाले नहीं है ,पुरे देश को गुमराह  करते हुए इन लोगो ने सबसे पहले यु जी सी के बजट को ५५ % कम किया है इस साल के लिए जो आगे भी जारी रहेगा , तो जब बजट ही नहीं रहेगा तो यह संस्था काम कसी करेगी , इसके दो उपाय है की इसके समक्ष एक दूसरी ऐसी संस्था बना दी जाए जो इससे अलग हो और दूसरा इसके बजट को यानी कार्य  क्षमता को ही खत्म कर दिया जाए

वैसे पुरे देश में शिक्षा का बजट कम क्र दिया गया है , यानी यह वो बजट है जो सरकारी स्कूलों और कोलेज को दिया जाता है , सरकारी स्कूल और संस्थानों को हालत इतनी खराब है की वहा पर स्कूल नहीं है  कोई सुविधा नहीं है , अकेले सिर्फ ओड़िसा में ३००० हजार स सरकारी स्कूल यह कह कर बंद कर दिए गए की यहाँ बच्चे पढने नहीं आते , सवाल यह है की जब शिक्षक ही नहीं आते तो बच्चे कहा से आयंगे ?

दूसरा देश में सरकार निजी कोलेज और यूनिवर्सिटी को बढ़ावा दे रही है यानी जिसके पास पैसा है वही पढ़ेगा , गरीब  दलित इसलिए नहीं पढ़ सकेगा क्योकि उसके पास पैसा ही नहीं है फीस भरने के लिए , दूसरा कदम जो देश का बेडागर्क करेगा वही है  विदेशी यूनिवर्सिटी के कैंपस देश में ही खुलेंगे ऐसा निति आयोग ने सुझाया है और इसकी नीव कपिल सिब्बल ने डाली थी , अब इन यूनिवर्सिटी के आने से जाहिर है फिर वही अमीर लोगो के बच्चे ही पढेंगे  जिनके पास विदेशी डिग्री होगी और अंग्रेजी का ज्ञान होगा

ऐसा नहीं है की गरीबो को पढने नहीं दिया जाएगा , पढ़ ले दसवी कर ले , बारहवी कर ले चल जा कोलेज चला जा , लेकिन उच्च शिक्षा में रिसर्च में मेडिकल में इंजीनियरिंग में दलित को नहीं आने देना

हां  दलित स्किल बने यानी मजदूर बने स्किल इंडिया कार्यक्रम इस मकसद की पूर्ति के लिए चला दिया गया है , अफसर सिर्फ तिलकधारी बनेगा , देश वही  चलायगा .