Apni Dukan

Tuesday 27 February 2018

राखी बाँध बोनी कपूर को बनाया भाई, गर्भवती होने पर शादी रचाई श्रीदेवी ने सच्चाई और भी है विसंगत आवेगों के देश में, मेजर कुमुद डोगरा और श्रीदेवी

१५ फरबरी भारतीय वायु सेना का एक फाइटर जहाज़ दुर्घटनाग्रस्त हुआ , विंग कमांडर वत्स और उनके साथी जेम्स वीरगति को प्राप्त हुये . पांच दिन पहिले ही  विंग कमांडर वत्स की पत्नी मेजर कुसुम डोगरा ने एक संतान को जन्म दिया था . पति के देश के लिए प्राण होम देने पर , अंतिम दर्शन और क्रिया के लिए मेजर कुमुद डोगरा सेना की परंपरा का निर्वाह करते हुये इस अवसर पहिने जाने वाली वर्दी पहन कर पूर्ण  सैनिक गौरव और सम्मान के साथ आयीं , तनिक भी विचलित हुये बिना , कोई विलाप , दुर्बलता नहीं , पूर्ण दृढ़ता का मुख भाव , पांच दिन की नवजात संतान को हाथों में थामे, सधे क़दमों से मार्च करते हुये , वो संतान की जिसका मुंह पिता ने देखा ही नहीं था , वो संतान जो अपने रणबांकुरे पिता को देख भी ले पांच दिवस की आयु में , तो अबोध पहिचाने कैसे ? बाद में चित्रों और कहानियों से ही बताना होगा की तुम उस वीर सैनिक की बेटी हो .

खबर अख़बारों में छपी , टी वी पर भी आई , सोशल मीडिया पर भी , लोगों के छोटे छोटे अनमने से सन्देश आये , RIP, नमन , श्रद्धांजलि , नारी शक्ति को प्रणाम इत्यादि . किसी राजनेता , नेता , अभिनेता का बयान नहीं आया ना ही शासन में बैठे लोगों ने कोई उदगार व्यक्त किये .


कुमुद डोगरा साधारण सैनिक परिवार से हैं , देशभक्ति बचपन से मानस पर आना स्वाभाविक है , सेना की नियुक्ति ली , विंग कमांडर वत्स दक्ष पायलट माने जाते थे , अति अनुशासित और कर्त्तव्य निष्ठ , मेजर कुमुद डोगरा ने प्रेम और सम्मान के भाव के साथ उन्हें जीवन साथी चुना , एक संतान पांच दिन की , और इति .  
श्रीदेवी बोनी कपूर की पत्नी मोना कपूर और उनके बच्चों के साथ उन्ही के घर में रहती

 थीं , मिथुन चक्रवर्ती की उपस्थिति में 'राखी' बाँध कर उन्होंने बोनी  कपूर  को भाई के रिश्ते में बांध लिया था , बाद में वो बोनी कपूर द्वारा गर्भवती हुयीं फिर दोनों ने एक मंदिर में जाकर विवाह किया , विवाह आपराधिक था , क्योंकि बोनी कपूर ने पहिली पत्नी से कानूनी अलगाव नहीं किया था , अपने लगभग वयस्क हो गए दो बच्चों और पत्नी को छोड़ कर बोनी कपूर श्रीदेवी के साथ रहने लगे , उन्हें दो संताने हुयीं . श्रीदेवी ने कई फिल्मों में 'अभिनय' किया , नृत्य किया , अपने सुन्दर शरीर  का खूब प्रदर्शन किया, अपने अभिनय कौशल से खूब धन कमाया , सात बार इनकम टैक्स की चोरी में पकड़ी गयीं , तीन घंटे की फिल्मों की काल्पनिक कथा के अलावा देश के लिए उनका कोई सन्देश नहीं था , देहयष्टि के सौन्दर्यीकरण के लिए १७ ,१८ बार ऑपरेशन कराये , जिसके बाद कई हानिकारक दवाएं जिनमे Steroids  भी हैं लेती थीं , ५४ वर्ष की आयु में दिल के दौरे से उनका देहांत हो गया .


कल से टी वी चैनल , अख़बारों में शोक सन्देश पढ़ रहा हूँ , देश के महानतम नेता नरेन्द्र मोदी ने इसे देश की अपूर्णीय क्षति बताया , टाइम्स ऑफ़ इंडिया की हेड लाइन है " देश से चांदनी चली गयी ", राष्ट्रपति तक ने गहन दुःख व्यक्त किया , तमाम अन्य राजनेताओं ने , अभिनेताओं ने भारी भरकम शोक सन्देश भेजे , दिन भर टी वी पर उनके रोमांचक जीवन की झलकियाँ दिखाई गयीं , फेस बुक के मित्रों ने ऐसे शोक के लेख लिखे की क्या कहूँ , राहुल गाँधी ने कहा श्री देवी की मृत्यु पर मैं स्तब्ध हूँ ............

मैं भी स्तब्ध हूँ इन सब को देख सुन कर , हमारे भावावेग विसंगत और दिशा भ्रमित हैं , हम यथार्थ में नहीं उन्मांद में जीना पसंद करते हैं , श्री देवी की मौत का दुःख मुझे भी है , पर उससे ज्यादह दुःख मुझे हमारे विसंगत आवेगों पर है . मेजर कुमुद और विंग कमांडर वत्स की दास्तान में ग्लेमर , सस्पेंस , मासंलता , धन , प्रसिद्धि , अभिनय ,विचलन ,विसंगति ,मंच , रुपहला पर्दा नहीं है ,अर्धनग्न वस्त्रों में नृत्य नहीं है एक सपाट देश प्रेम और कुर्बानी है , हमें कैसे आकर्षित कर पाएगी  ???

 व्हट्सअप ग्रुप से प्राप्त ,जस ता तस छापा है 

Sunday 25 February 2018

भारत सभी अलगाववादी पार्टी भाजपा के साथ ही क्यों ?? : मो.मिनाज़

देश में अलगाववाद एक ऐसी समस्या है जिससे भारत आजादी के बाद से ही जूझ रहा है और इसकी वजह से वुरे देश में अशांति है इन शक्तिओ के उबरने का एक कारण यह भी है की इनके क्षेत्रो में सामाजिक -आर्थिक विकास न के बराबर हो पाया और इसको एक षड्यंत्र के तहत होने ही नहीं दिया गया यानी जानबूझ कर इन कोमो को इन प्रान्तों को विकास से दूर रखा गया . 

कमाल की बात यह है की १९५० से लेकर अब तक देश की नौकरशाही , राजनीती और प्रशासन में केवल और केवल एक ही जाति के लोग हावी रहे है यानी ब्राह्मण और इन ब्राह्मणों ने देश केविकास के पैसे को लूट लिया और देश से इस गद्दारी को नाम दिया भ्रष्टाचार . खैर 



आज बैठे बैठे अचानक मन में विचार आया, आप भी एक बार विचार जरूर कीजिएगा... 
अलग गोरखालैंड की मांग करने वाला 
"गोरखा जनमुक्ति मोर्चा" का गठबंधन बीजेपी के साथ है। 
आज़ाद नागालैंड की मांग करने वाला 
"नागा जनमुक्ति मोर्चा" का गठबंधन बीजेपी के साथ है। 
आज़ाद कश्मीर की मांग करने वाली 
"पीडीपी" का गठबंधन बीजेपी के साथ है। 
आज़ाद खालिस्तान की मांग करने वाला 
"अकाली दल" का गठबंधन बीजेपी के साथ है। 
केवल मराठियों के लिए महाराष्ट्र की मांग करने वाली "शिवसेना" का गठबंधन बीजेपी के साथ है। 
अलग बोडोलैंड की मांग करने वाला 
"बोडो जनमुक्ति मोर्चा" का गठबंधन बीजेपी के साथ है। 

भारत से आरएसएस की गद्दारी का इतिहास एक नजर... रत्नाकर गौतम ए

1. मुंजे , हेडगेवार का गुरु था। 
2. मुंजे 1920 से 1948 तक हिंदू महासभा का अध्यक्ष रहा। 
3. हेडगेवार ने 1925 में 'रायल सीक्रेट सर्विस' का नाम 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' किया। 
4. 1928 में जब देश के हिन्दू मुसलमान मिलकर अंग्रेज़ों के खिलाफ देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे थे तब "सावरकर" ने खुलेआम यह ऐलान किया था कि भारत में दो राष्ट्र, हिन्दू और मुसलमान बसते हैं, भारत के बँटवारे का विचार यहीं से जन्म लेता है। 
5. 1930-31 में लंदन में हुए गोलमेज सम्मेलन से लौटते हुए मुंजे इटली के तानाशाह मुसोलिनी से मिला। 
6. इसमें उसने भारत को इटली का गुलाम बना देने का वायदा किया। 
7. आरएसएस का ढांचा और शाखाओं की रचना 1931 में मुंजे ने की। 
8. संघियों ने 1930-31 में भगतसिंह के खिलाफ गवाही दी।

9. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को १९३४ में अंग्रेजों ने कलकत्ता विवि का कुलपति बनाया। उन दिनों बंगाल में बहुत से वरिष्ठ शिक्षाविदों का नजरअंदाज कर अंग्रेजों ने सिर्फ 33 साल की श्यामा प्रसाद मुखर्जी को इसलिए VC बना दिया था , ताकि गांधी के आह्वान पर हज़ारों की तादाद में विश्वविद्यालय के होनहार छात्रों द्वारा आज़ादी के लड़ाई में शामिल होने से रोका जा सकें।



10. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1937 में मुहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग के साथ सरकार बनाई।

11. सावरकर ने 1940-41 नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी का साथ छोड़ा।

12. 1940-41 में ही संघ ने घोषणा की कि कोई भी हिन्दू 'आज़ाद हिन्द सेना' में भर्ती न हो।

13. 1940-41 में ही सावरकर ने 'आज़ाद हिन्द सेना' के खिलाफ अंग्रेजों की सेना में हिन्दुओं की भर्ती की।

14. 1942 में अटल बिहारी बाजपाई ने देश के क्रांतिकारियों के खिलाफ गवाही दी और २ क्रांतिकारियों को 'कालापानी की सजा' हुई।

15. 11 फरवरी 1943, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था

"a Hindu rally that if Muslims wanted to live in Pakistan they should "pack their bag and baggage and leave India"

16. महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 1942 में 9 अगस्त को जब अंग्रेजों भारत छोड़ोका नारा दिया, तो हिंदु महासभा ने उसका विरोध किया था।

17. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बंगाल में मुस्लिम लीग के नेतृत्व में बनी सरकार के मंत्री के रूप में अंग्रेज सरकार को 26 जुलाई 42 को पत्र लिखकर कहा था कि युद्धकाल में ऐसे आंदोलन का दमन कर देना किसी भी सरकार का फ़र्ज़ है।

18. 1941-42 में हिंदु महासभा मुस्लिम लीग के साथ बंगाल मे फजलुल हक़ सरकार में शामिल थी। श्यामा प्रसाद मुखर्जी उस सरकार में वित्त मंत्री थे।

19. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1946 में बंगाल को विभाजित कर देने की मांग रखी।

20. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1946 में कहा, "बिना गृहयुद्ध के हिंदु-मुस्लिम समस्या का हल नहीं"।

21. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1947 में सरत बोस के बंगाल को एक करने के प्रयास का विरोध किया।

बताइए आज़ादी की लड़ाई में कौन शामिल था और कौन गद्दार थे ? आज यह देशप्रेम का प्रमाणपत्र बाँटने वाले अंग्रेजों की कभी आलोचना और निन्दा क्युँ नहीं करते ? सोचिएगा

ध्यान दें - अंग्रेजों ने हिन्दू महासभा और आरएसएस पर कभी प्रतिबन्ध नहीं लगाया - क्यों ???

प्वाईंट नंबर 21 पर ध्यान दीजिए "श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1946 में कहा,

"बिना गृहयुद्ध के हिंदु-मुस्लिम समस्या का हल नहीं"

और संघी आजतक यही कोशिश लगातार कर रहे हैं , कभी मंदिर-मस्जिद तो कभी गाय , लव जिहाद ।।


सोजन्य : प्रबुद्ध भारत 

Friday 23 February 2018

उत्तर प्रदेश में अपराध मुक्ति के नाम पर जातिय नरसंहार . हिन्दू नाम गुमराह समझे भगवा चरित्र को

उत्तर प्रदेश में  अपराध मुक्ति के  नाम पर जातिय  नरसंहार . हिन्दू नाम गुमराह समझे भगवा चरित्र को  
जन उदय :  जब से उत्तर प्रदेश में  भाजपा की जातिवादी  ब्राह्मणों  की भगवा सरकार आई है तबसे एक आंकड़ो  के अनुसार  अपराध मुक्ति के नाम पर चार हजार लोगो की कानूनी हत्या की जा चुकी है , पूर्व  डी जी पी ने यह आंकडा  दो हजार और मुख्यमंत्री न खुद बाढ़ सौ  माना है लकिन सच्चाई  कुछ और ही है . .यानी  यह संख्या बहुत जयादास भी हो सकती है

खैर हाल ही में उत्तर प्रदेश के  सुलतान पुर जिले में कादीपुर गाव का सामने आया है जहा का निवासी  अम्बुज यादव पिछले  एक साल से राजेस्थान में रह नौकरी कर रहा  था उसको उत्तर प्रदेश ने फोन करके बुलाया की आ जाओ  वरना  राजस्थान में आकर एनकाउंटर  करेंगे  जब अम्बुज यादव घर आया  तो पुलिस  उसे पकड़ कर ले गई  और खेते मेला जाकर  उसका एनकाउंटर  करने लगी और एक गोली  उसके पाँव में मारी  इस घटना को एक राहगीर ने देख लिया सो वह जल्द से  गाव के लोगो को बुला लाया .

भीड़ ने पुलिस को घेरा  तो पुलिस अपनी जान बचा कर भाग  गई ,अम्बुज यादव का इलाज जिला सरकारी अस्पताल में  चल रहा है   सबसे पहले इस खबर को  मीडिया  ने एक  अपराधी  के एनकाउंटर  के रूप में चलाया  लेकिन सच्चाई  सामने आने पर मीडिया  चुप  लग  गया .

कमाल की बात यह है की  अपराध मुक्ति  के नाम पर  योगी  / भगवा सरकार केवल दलित मुस्लिम युवाओं  को शिकार बना रही है जबकि  सवर्ण गुंडों  को को प्रोमोट  कर  रही   है आज ही अलीगढ  में बजरंग  दल  के गुंडों ने  एक दरोगा  को भरे  बाजार  पीटा  लेकिन इ
 गुंडों  के खिलाफ अभी  तक कोई कार्यवाही  नहीं हुई है जबकि सरकार निर्दोष  लोगो  को भी शिकार बना रही है .
अम्बुज यादव के केस में पता चला  है  की  एक ठाकुर  अम्बुज  यादव  के जमीन पर नजर गाड़े  है और  वह पुलिस  के जरिये  अम्बुज को मरवाना चाहता था  जाहिर  है बुडा  बाप  खुद  ही मर जाता इकलोती  सन्तान के जाने के बाद . जन उदय इस घटना से जुडी  सभी जानकारियो  की  जांच  कर रहा है  की इसमें कितना सच है और कितना झूट


लेकिन एक बात तय  है  की सरकार  इस वक्त जातिय पूर्वाग्रह के साथ  काम कर रही है  कमाल की बता यह है की  ये ही भगवा लोग जब डरपोको  की तरह  घूमते है तो अपने बचाव के लिय  हिन्दू हिन्दू करते  है ताकि अपने आप को एक बड़े समूह से दिखा सके   और जब इनका  डर निकाल जाता है तब अपने आपको ब्राह्मण  और सवर्ण कहने लग जाते है  . यह एक दोगले लोग है जिसने भार जैसे देश का सर्वनाश  किया हुआ है 

Friday 9 February 2018

मोदीजी, नेहरु में कमियां रही होंगी मगर आपके ‘संघी पूर्वजों’ की तरह वो ‘अंग्रेजों’ की दलाली तो नहीं करते थे : उर्मिलेश


मोदीजी, नेहरु में कमियां रही होंगी मगर आपके ‘संघी पूर्वजों’ की तरह वो ‘अंग्रेजों’ की दलाली तो नहीं करते थे : उर्मिलेश

मैं सहमत हूं, कांग्रेस का शासन अच्छा नहीं था। उसके कुछ साल तो वाकई बुरे थे। पर उसके बाद का यह ‘संघ परिवारी राज’? यह तो बहुत बुरा, विनाशकारी होने की हद तक बुरा साबित हो रहा है!

लोकतांत्रिक संरचनाएं चरमरा रही हैं। संवैधानिक संस्थाएं अपना स्वतंत्र वजूद खो रही हैं! विरोधियों, आलोचकों और असहमति की आवाजों को तरह-तरह से कुचला जा रहा है!

यह बात सही है कि सन् 1947 में जिस तरह स्वतंत्र भारत वजूद में आया, उसे हासिल करने में इस ‘भगवा परिवार के पूर्वजों'(जो सन् 1925 से लगातार सक्रिय रहे पर आजादी की लड़ाई में नहीं!) का कोई योगदान नहीं था। इनके पूर्वजों में कुछ बेहद गणमान्यों ने ‘टू नेशन थिउरी’ का मोहम्मद अली जिन्ना से पहले ही प्रतिपादन कर दिया था।

इनका मातृसंगठन शुरू से ही कुछ अलग तरह का देश चाहता था। उन्हें मनु का देश और मनु का विधान पसंद था। वे मुल्क को अतीत के राजे-रजवाड़ों की हुकूमत की तरफ ले जाने चाहते थे। वे आधुनिक लोकतंत्र के विरुद्ध थे।


यह महज संयोग नहीं कि स्वतंत्र भारत में बहुत सारे भूतपूर्व राजे महराजे जब राजनीति में उतरे तो जनसंघ या स्वतंत्र पार्टी जैसे संंगठन उनके स्वाभाविक विकल्प बने। अनेक कांग्रेस में भी आये।

पर मुल्क ने आजादी की लड़ाई के दौरान विकसित होते राजनीतिक मूल्यों की रोशनी में सन् 1950 में अंबेडकर के संविधान को अपनाया। इसने हमें संवैधानिक लोकतंत्र दिया। यह सही है कि इसके अमल में असंख्य गलतियां, शरारतें और साजिशें हुईं।

इन सब से सबक लेकर ही यह मुल्क बेहतर दिशा में आगे बढ़ सकता है। शहीद भगत सिंह और डॉ बी आर अंबेडकर के विचारों को मिलाकर ही यह दिशा तय हो सकती है! संघ परिवार की दिशा पहले संकीर्ण मनुवादी और पुनरुत्थानवादी थी, आज पूरी तरह विनाशकारी है। वह भारत नामक एक बनते हुए आधुनिक राष्ट्र राज्य की आधारशिला को ही धाराशाही करने पर तुली है!
http://januday.co.in/NewsDetail.aspx?Article=10484
-उर्मिलेश उर्मिल
news source
bolta hindustan dot com

शिवाजी , मुसलमान और संघियो का षड्यंत्र : जीशान अहमद

शिवाजी , मुसलमान और संघियो का षड्यंत्र  : जीशान अहमद

संघी यानी आर एस एस  जिसका दुसरा मतलब  नफरत और आतंक  भी होता है  इन्होने देश में अशिक्षा की वजह से इतिहास के पन्नो   में जहर  डाल डाल के लोगो को पिला रहे है और कमाल की बात यह है की ये लोग हिन्दू शब्द का सहारा ले कर अपना उलू सीधा करते रहते है जब की यह बात सब जानते है की हिन्दू समाज या धर्म से इनका कोई लेना  देना  नहीं है इनका काम है सिर्फ जहर फैलाना , अगर इनका हिन्दू  या हिन्दू समाज से कोई सम्बन्ध  होता तो फिलहाल में  सहारनपुर में ऐसी घटना न होती  की इन्होने अपने ही धर्म के लोगो के साथ बर्बरता की  और ये सिर्फ  सहारनपुर ही नहीं पुरे देश में सदीओ से ये लोग दलित समाज में जहर फैलाते आ रहे है , वर्तमान योगी सरकार चुन चुन कर यादव , गुर्जर  और मुसलमानों की हत्या कर रही है जिसमे  ३००० से जयादा ह्त्या कर चुकी है और ये  खुनी खेल जारी  है वह भी  अपराध मुक्ति के नाम पर

अब बात करते है शिवाजी  की जिसको ये लोग  हिन्दू  कह कर संबोधित  करते है और हिन्दू –मुसलमान के बीच खड़ा कर देते है जबकि  शिवाजी  एक राजा  था   उसका राजधर्म  था जनता से उसे प्यार था  वह अपने राज्य में सबका राजा  था और  उसकी सारी प्रजा  उसके साथ थी वह भी बिना किसी जाति और धर्म के भेद के
यहाँ पर शिवाजी के बारे में कुह खुलासे  किये जा रहे है जरा देखिये
धर्म के ठेकेदारों तुम ही बताओ मुल्लो से नफरत करू भी तो किस वजह से?
छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना में 30% से ज़्यादा मुसलमान  थे


शिवाजी के 13 बॉडीगार्ड मुसलमा
न थे

शिवाजी के तोपखाने का प्रमुख इब्राहिम खान नाम का मुसलमान था।
शिवाजी का एक ही वकील था जिसका नाम क़ाज़ी है था वो भी मुसलमान था।
शिवाजी के गुरु का नाम सूफी याकूब बाबा था।
शिवाजी के थल सेना प्रमुख का नाम नूर खान था।

अफ़ज़ल खान को मारने के लिए शिवाजी को वो हथियार बना कर देने वाला सिद्धि हिलाल मुसलमान ही था
अफ़ज़ल खान के आने की खबर देने वाला रुस्तम ए ज़मान मुसलमान था।

इतिहास में कही भी नही है के शिवाजी के सेना के किसी मुसलमान ने शिवाजी को धोखा दिया हो।
शिवाजी ने रायगढ़ में अपने किले से सामने मुस्लिमों के लिए मस्जिद बनाई जो आज भी मौजूद है
शिवाजी पर हमला करने वाला कृष्णा भास्कर कुलकर्णी ब्राम्हण था।
ब्राम्हणो ने शिवाजी के राज्ये अभिषेक को नकारा था।

शिवाजी के पोते  संभाजी की हत्या कर के उनके शरीर के टुकड़े करने वाले ब्राम्हण ही थे।
शास्त्रो के हिसाब से शुद्र का शिक्षा प्राप्त करना अधर्म था अगर कोई शुद्र शिक्षा प्राप्त करले तो उसे मृत्यु दंड दिया जाता था
ज्योतिबा फुले ने शूद्रों की शिक्षा की ज़िम्मेदारी उठाई और स्कूल शुरू करने के लिए आगे बढ़े ब्राम्हणो ने खूब विरोध किया पर एक मुल्ला जिसका नाम उस्मान शेख था उसने स्कूल के लिए जगह दी।
सावित्री बाई फुले जब स्त्री शिक्षा की ज़िम्मेदारी लेकर निकली उस वक़्त भी ब्राम्हणो के खूब विरोध किया यहा तक के सावित्री बाई पर पत्थर और गोबर बरसाए गए ब्राम्हणों द्वारा पर उस वक़्त भी उनके साथ कदम से कदम मिला कर चलने वाली फ़ातेमा शेख भी मुल्ला ही थी।

ब्राम्हणों के विरोध के बावजूद डॉ भीमराव अंबेडकर को संविधान हाल तक पहोचाने वाले भी मुल्ले ही थे

धर्म के ठेकेदारों अब तुमही बताओ मेरे पूर्वजो के साथ कदम से कदम मिला कर चलने वाले इन मुसलमानों  से मैं कैसे नफरत करू?

Wednesday 7 February 2018

आर्यों आक्रमण का प्रारम्भिक इतिहास : शिव काबिले का सरदार था

जन उदय:  ऐसा प्रतीत  होता है कि  राजाओं को  छोड़  कभी भी किसी ने इस देश के साथ न्याय नहीं  किया  १८० बी सी में व्रह्द्स्थ की हत्या कर  पुष्यमित्र शुंग  / परशुराम  ने ब्राह्मण सम्राज्य स्व्थापित किया   ८४ हजार बौध और जैन मठो को तोड़ उनको  मंदिरों का रूप दिया गया  इनकी हत्याए  की  और १८० से लेकर २८० ईसा बाद तक इन्होने ऐसे ग्रन्थ लिख लिए गए जिसमे इन्होने  अपने आपको भगवान् का पुत्र , दूत , भगवान से सीधे सम्पर्क करने वाले सब्बित कर लिया  और  इन ग्रंथो में वेद , पुराण , म्नुसिमृति  जैसे घ्रणित  ग्रन्थ लिख लिए क्योकि  इन ग्रंथो  में उत्पीडन  को अपराध को मान्यता दी गई  है उर ब्राह्मण को हर अपराध से मुक्त  रखा गया हत्या बलात्कार , सम्पत्ति  छिनना  इनके लिए सब जायज  और लोगो को  सभी सुविधाओं से महरूम  रखा गया
पूरी दुनिया  में कई शोध के मुताबिक़ आर्य  भारत में लगभग १५०० इस पूर्व आये और  इनमे तीन काबिले मुख्य  रूप से थे पहले कबीले का सरदार शेड्लर  जो बाद में चल कर इन्होने शिव बना दिया  दुसरा काबिला ब्रहेट  का था  जिसे बाद में इन्होने ब्रह्मा  कहा और तीसरा कबीला वैस्नोव का था जिसे इन्होने विष्णु का नाम दिया   और ये नाम इन्होने उनको पूजने के लिए किया

जब ये लोग   आये तो  इन्होने सबसे पहले भारतीय  राजाओं  को गिफ्ट में गोरी लडकिया  और  घोड़े  दिए जिसे पाकर यहाँ के राजा  बहुत खुश होते  थे  क्योकि  घोड़े  ने उनकी यात्रा को सुगम  और तेज बना दिया  था  इसलिए इतिहास एन्थ्रोपोलॉजी  ने  भारतीय और आर्य  से जन्मे लोगो को इंडो-आर्यन कहा , ये लोग कबीलाई  थे और घुमन्तु  जाति  के थे  सो इनमे हथियार , भोजन , पानी  की बहुत महत्वता  थी


आर्यों  की एक धारा  उसी वक्त पर्शिया  की तरफ से आई जिसका नाम  पेरशेरोन था  जिसको बाद में परशुराम  भी कहा गया , परशुराम/ पेरशेरोन निहायत  क्रूर  था और उसके हाथ में एक विशेष  हथियार था जो लकड़ी और जानवर दोनों काट सकता था  और इसने शेड्लर /शिव , ब्रहेट/ ब्रह्मा , और वैस्नोव/ विष्णु  की मदद से अफगानिस्तान  के कुछ भागो  पर कब्जा कर लिया   चूँकि इसमें ब्रहेट/ ब्रह्मा , का बड़ा  योगदान था तो उस जीते  हुए स्थान को इन्होने ब्रह्मवर्त कहा  वर्त इसलिए क्योकि यह   जीता  हुआ इलाका गोल था वर्त की तरह

इस जीत से  ब्राह्मण  / आर्य बड़े ही उत्साहित थे इनके पास एक कोडवर्ड की भाषा जिसे संस्कृत कहते है लम्बे हथियार  और सबसे बड़ी बात इन्हें अपनी चालबाज़ लडकियो पर पूरा भरोसा था और समझ गए थे  गोरी  चमड़ी यहा के राजाओं की कमजोरी है और यही कारण था उत्तर भारत आते आते इन्होने यहा के बाहुबली  राजा हिरणाकश्यप के पुत्र को फसा लिया था  इसकी कहानी ऐसे  चलती है ‘’’’’’ होलिका अनार्य थी , मात् प्रधान कबीले की सरदार , आर्यो की चाल ने प्रहलाद को एक कन्या के चक्कर में फसाया , लेकिन कामयाब न हुए , (आग में जलने का द्रश्य नहीं ये युद्ध हुआ था) प्रह्लाद की मदद से एक युद्ध में आर्यो ने होलिका को मार दिया ,,, बाद में होलिका के कबीले ने आर्यो को बहुत मारा और खून से धरती लाल कर दी , और उस खून से सनी मिटटी को आर्यो के माथे पर लगा कर कहा की तुम वीर नहीं अबीर हो यानी कायर हो ,,, उस दिन से आज तक हर डरपोक आर्य एक दूसरे को रंग लगता है ,, मथुरा में एक दीं अबीर होली का होता है

इसके बाद इन्होने इस इलाके को आर्यवर्त कहा जो लगभग उतरी  भारत  था
खैर १८० बी सी से लेकर इन लोगो ने जिस तरह बर्बरता , दिखाई , इस देश के मूलनिवासियो अत्याचार  किये उनकी हत्या की सम्पत्ति  छिनी उर शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया

इसके बाद मुस्लिम शासक  आये जिनकी मदद  इन्होने की  अंग्रेजो के साहयक रहे  लकिन एक शर्त पर की  ये लोग जाति  यानी समाजिक वाव्य्स्था पर कुछ नहीं कहंगे या करेंगे , लेकिन अंग्रेजो ने जब यह सब देखा  तो इनके वर्चस्व को खत्म कर दिया सबसे बड़ी बात अंग्रेज बड़े ही उदार और न्यायप्रिय  थे इसलिए उन्होंने कभी भी ब्राह्मणों  के लोकतांत्रिक  विरोध का विरोध  नहीं किया  और इसलिए उन्होंने खुद ब्राह्मणों  के लिए कांग्रेस को बना कर  दिया .. ब्राह्मण अपने आपको  चाहे जितना मजी शूरवीर कहे  लेकिन मुगल काल में एक आवाज तक नहीं उठाई क्योकि ब्रह्मण  जानते थे  एक आवाज उठाने पर गर्दन  कट  जाएगी


सबसे बड़े कमाल की बात यह है की  आर्य  यानी ब्राह्मण आज भी इस देश से प्रेम नहीं करते यहाँ लोगो से प्रेम नहीं करते बल्कि ये लोग इतनी नफरत करते और फैलाते है ये लोग आज भी नहीं चाहते की मूलनिवासी  के पास सम्पति आ जाए , ये लोग पढ़ लिख ले  या इन्हें समाज में सम्मान मिले . पूरा इतिहास चाहे कैसा भी हो उसे भुलाया जा सकता है लकिन वर्तमान को कैसे नजरअंदाज करे ??  

Tuesday 6 February 2018

एक और रोहित वेमुला : छतीसगढ़ भगवा प्रशासन के व्यवहार से परेशान दलित छात्रा ने की आत्महत्या


 एक और रोहित वेमुला : छतीसगढ़ भगवा प्रशासन के व्यवहार से परेशान दलित छात्रा ने की आत्महत्या
रायपुर। मुख्यमंत्री रमन सिंह के गृह जिला कवर्धा सरकारी नर्सिंग कॉलेज के हॉस्टल में सीनियर वर्षीय छात्रा ज्योति बंजारे जो कि द्वितीय वर्ष की छात्रा है को हॉस्टल प्रबंधन द्वारा और सीनियर छात्रों द्वारा प्रताड़ित किये जाने और एक गुलामों की तरह व्यवहार भी किये जाने के कारण ज्योति बंजारे ने हॉस्टल के तीसरे माले से छलांग लगा दी। पालक गण शिक्षा ग्रहण करने के लिये नर्सिंग कॉलेज में दाखिला करवाए थे, वही हॉस्टल प्रबंधन और सीनियर छात्रों द्वारा उससे सुबह से शाम तक दैनिक दिनचर्या का काम करने को दबाव डाला जाता था बर्तन मंजवाने का भी काम करवाना बताया जा रहा है।



 साफ सफाई व्यवस्था छात्रों की उपस्थिति की भी जिम्मेदारी ज्योति को दी गयी थी, उसे खाना भी नही दिया जाता था, लगातार अपने साथ हो रहे प्रताड़ना को वह अपने परिवार जनों को बताया करती थी और कॉलेज प्रबंधन को बताने पर किसी भी प्रकार का कोई भी कार्यवाही नहीं किए जाने से प्रताड़ित होकर अपने ही कॉलेज के तीसरे माले से ज्योति कूद गई क्योंकि वह यह जिल्लत भरी जिंदगी नहीं जीना चाह रही थी। एक गरीब अनुसूचित जाति परिवार की बेटी जो कि पढ़ लिख कर अपने मां बाप और परिवार का नाम रोशन करना चाह रही थी वही उससे गुलामों जैसा व्यवहार किया गया जिससे वह दुखी प्रताड़ित थी।


 मुख्यमंत्री रमन सिंह के गृह क्षेत्र में यह घटना होना सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के मुंह में करारा तमाचा है। प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली का खुलासा इसी से हो रहा है कि स्वयं मुख्यमंत्री के गृह जिले में संपूर्ण स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं है जिसके कारण ज्योति बंजारे को रायपुर के सरकारी अस्पताल में भर्ती होना पड़ छत्तीसगढ़ की बेटी ज्योति बंजारे जो कि शिक्षा ग्रहण करने के लिए सरकारी नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन ली थी