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Saturday 30 December 2017

भारत में नहीं थी जाति मेगास्थनीज़ की पुस्तक इंडिका से खुलासा :

 जन उदय : भारत में जातिवाद पूर्ण रूप से  ब्राह्मणों के षड्यंत्र के रूप में विकसित हुई  क्योकि इसका विवरण भारत के पोरानिक  इतिहास में कही नहीं मिलता  बल्कि  इसका  प्रमाण ब्राह्मण अपने ग्रंथो में जो दिखाते  है वह तकनिकी  और वैज्ञानिक  रूप से बोगस  है और झूट है  . अपने आपको  सर्व्श्रेस्थ और भगवान् का प्रतिनिधि बना कर पेश करना और सबसे ज्यादा अधिकार अपने पास रखना  और धार्मिक  ग्रंथो की रचना कर उनके माध्यम से अपने आपको   सभी लोगो पर अत्याचार करने का अधिकार खुद को ले लेना  ये सब  षड्यंत्र के रूप में ही सामने आये  इनके द्वारा लिखे गए रामायण , महाभारत झूठे और काल्पनिक  ग्रन्थ है

अब सवाल आता है भारत में एक वर्ग द्वारा फैलाई जा रही भ्रान्तियो के बारे में यानी रामायण और महाभारत कभी इस देश में हुए या नहीं या ये सिर्फ कोरी कल्पना है , इतिहास ने भी विज्ञान के नियमो को अपनाया है और इतिहास
का लेखन वास्तुनिष्ट सामग्री पर लेखन के लिए ही जो डाला गया है , और जब हम वास्तुनिष्ट सबूतों या सामग्री की बात करते है तो उस पर रामायण और महाभारत खरी नहीं उतरती , आइये देखे कैसे
कहानी रामयाण और महाभारत एक एपिक की तरह लिखे गए ज्सिका मकसद सिर्फ और सिर्फ एक राजनितिक षड्यंत्र तय्यार करना था जिसका पहला उधाह्र्ण है


1.कोई भी वास्तु /शिल्प सबूत नहीं : हर राजा , महाराजा , अपने लिए महल बनवाता है , भवन बनवाता है , बाग़ बगीचे बनवाता है और इन इमारतो को वह कुछ ख़ास तरीके से बनवाता है यानी हम अगर सम्राट अशोक का इतिहास देखे तो हमें सभी प्रकार के सबूत मिलते है वास्तु भी शिल्प भी लेकिन रामायण और महाभारत के इन अभिनेताओं का कुछ भी नहीं मिलता , कुछ संघटनो का कहना है की मंदिर मिले है भगवान् के तो कोई इनसे पूछे क्या भगवान् इन्हों मंदिरों से शासन करते थे ??

2 . हर शासक , राजा , महाराजा अपने शासन काल में अपने सिक्के यानी व्यापार के लिए सिक्के ,मुद्रा चलवाता है , जो निश्चित तोर पर उसकी सीमा और विदेश सीमा यानी उसके शासन के बाहर भी खुदाई में मिलते है लेकिन रामायण , महाभारत काल का ऐसा कुछ भी नहीं मिलता
३. विदेशो से सम्बन्ध एक राजा के लिए बड़े जरूरी होते है , युद्ध भी होते है संधिया भी होती है लेकिन इन दोनों काल के यानी रामायण और महाभारत काल का ऐसा कुछ भी सबूत नहीं मिलता
४. विदेशो से व्यापार , यात्रिओ के लिए धर्मशाला , सुरक्षा वाव्य्स्था बाग़ बगीचे , सराय ये सब भी रहा बनवाता है लेकिन इन दोनों काल का कुछ भी नहीं मिलता

५. संस्कृति कला ,किसी भी इतिहास में या शासन में अपनी कला और संस्कृति जन्म लेती है , लेखक ,कवी आदि जन्म लेते है लेकिन न तो किताबो के स्तर पर कुछ भी नहीं मिलता , शिल्प , पेंटिंग , नक्काशी , वाल राइटिंग, वाल कार्विंग , भित्ति चित्र आदि इस काल का कुछ भी नहीं मिलता 

६. कालखंड . सबसे बड़ी बात होती है कि कोई भी घटना किसी कालखंड में ही होती है यानी उसका अपना एक समय होता है लेकिन इन ग्रंथो का कोई भी कालखंड नहीं है कहने को तो हर धार्मिक संघठन अपनी अपनी दलील देता रहता है , कोई कुछ काल बताता है तो कोई कुछ
इसके अलावा जो ग्रन्थ या किताबे मिली है उनकी भी कार्बन डेटिंग से कोई सबूत नहीं मिलता की ये ग्रन्थ बहुत पुराने है बल्कि इसमें भी घपला है
सो विज्ञान धारणा या कल्पना से शुरू हो सकता है लेकिन हमने उड़ने की कल्पना की लेकिन उड़े कैसे ? इसलिए विज्ञानिक कोई भी तत्थ्य आज तक नहीं है और न ही आयगा
खैर यहाँ पर बात चल रही है  जातिवाद की तो हम यहाँ पर किसी भारतीय ग्रन्थ के माध्यम से नहीं बल्कि एक विदेशी  सैलानी  मेगास्थिज़ के माध्यम से ही सम्झंगे की भारत में जातिवाद  या जाति का अस्तितिव  ही नहीं था
मेगस्थनीज (Megasthenes, 350 ईसापूर्व - 290 ईसा पूर्व) यूनान का एक राजदूत था जो चन्द्रगुप्त के दरबार में आया था। यूनानी सामंत सिल्यूकस भारत में फिर राज्यविस्तार की इच्छा से 305 ई. पू. भारत पर आक्रमण किया था किंतु उसे संधि करने पर विवश होना पड़ा था। संधि के अनुसार मेगस्थनीज नाम का राजदूत चंद्रगुप्त के दरबार में आया था। वह कई वर्षों तक चंद्रगुप्त के दरबार में रहा। उसने जो कुछ भारत में देखा, उसका वर्णन उसने "इंडिका" नामक पुस्तक में किया है।

इंडिका में मेगास्थिज़  ने भारत में यानी चन्द्रगुप्त के समय में समाज में सात वर्ग बताये  यह बात ध्यान में रहे  मेगास्थिज़ ने सात वर्ग की बात की है , की जाति की  इसमें  उसने एक पुरोहित  वर्ग बताया जो  लोगो को पूजा कराता  था  और लोगो के पैसे से या समान से अपना जीवन चलाता था   लेकिन वह सबसे उपर  था ऐसा बिलकुल नहीं था , बल्कि इसको कार्य करने से रोका जा सकता  था और वही आदमी फिर समान्य वग में आ जाता था
दूसरा वर्ग किसान का था   जो खेती  करते थे , तीसरा  ग्वाले , का था जो लोग भेड़  बकरिया  चराते थे चोथा वर्ग दुकानदार  और शिल्पकारो  का था जो दूकान चलाते  थे   ये लोग टेक्स पे करते  थे 
पांचवा वर्ग सैनिको  का था  और सबसे बड़े और इज्जतदार  लोग यही होते  थे  ये लोग युद्ध करते  थे और शांतिकाल में आराम करते  थे 

छटा वर्ग   सुपरवाइजर  का था जो देश समाज में हो रहे हर काम पर निगरानी रखते थे  और इन कामो  के बारे में राजा को जानकारी   देते थे .
सातवा  और अंतिम   वर्ग  मंत्रियो का था जो राज्य से सम्बन्धित  हर कार्य में राजा से मंत्रणा  करते  थे और नीतिया  बनाते थे . मेग्स्थिज़  ने एक ही  परिवार  और वंश में पैदा  हुए लोगो को हर तरह के काम करते  देखा  यानी कोई भी  वेग निश्चित  और स्थाई  नहीं था बल्कि योग्यता के अनुसार  अपने वव्साय को चुन सकते  थे
अब चूँकि  मेगास्थिज़  ३००  बी सी में  था  और जाति  नहीं थी  तो  ब्राह्मण  कैसे कामयाब हो गए इस तरह के समाज का निर्माण  करने में

वैज्ञानिक  रूप से यह बात प्रमाणित  है की ब्राह्मण  विदेशो  से आय  कार्य  घुमन्तु   लोग थे और यहाँ आकर   इन्होने शरण मांगी  जो इन्हें दे दी गई
इन्होने कई बार इस देश और समाज से गद्दारी करने की कोश्सी  की लेकिन ये लोग कामयाब १८० बी सी में हो गए परशुराम / पुष्यमित्र शुंग इसे ब्राह्मण भगवान् भी मानते है क्योकि इसने  मौर्य सम्राज्य को धोखे से समाप्त कर ब्राह्मण शासन स्थापित  किया इसके अशोक के पोते व्रह्द्स्थ को धोखे से मार दिया था और लाखो  बौध  लोगो की ह्त्या की  और चोरासी  हजार  बौध विहारों को तोड़  मंदिरों में बदल दिया यह बात सनद  रहे कि  इससे पहले मंदिर  नहीं थे  लेकिन लोगो  के कुल देवी देवताओं के पूजा गृह थे

इसके बाद इन्होने इन्होने जातिवाद  यानी अपने आपको सव्र्श्रेस्थ रखने के लिए ऐसे ग्रंथो की रचना की जिनके जरिये देश में असमानता  , बर्बरता , आज भी बरकरार  है , और इसी कारण  देश का सबसे बड़ा वर्ग तरक्की नहीं कर पाया शिक्षित नहीं हो पाया और यही कारण देश की बदहाली  के कारण ये ही लोग है

Megasthene  traveler visited India during the reign of Chandergupta , his account book Indika  revealed  that there was no caste system in India instead  seven class of workers  were there .
Later on caste was created by the Brahman / Aryan Invaders as a part of conspiracy against the aboriginals along with Ramayan , Mahbharat , Manusimriti  and other fake scriptures .

Carbon dating of these books has confirmed   these books age and are not ancient book but were written during the 180 BC to 230 AD 

अम्बेडकर की फोटो लगाने की नौटंकी जबकि दलितों की हत्या , बलात्कार लगातार हो रहे है यु पी में

अम्बेडकर  की फोटो लगाने की नौटंकी जबकि  दलितों की हत्या  , बलात्कार लगातार हो रहे है  यु पी में
जन उदय : वैसे तो पुरे देश में भारत के मूलनिवासी  जिन्हें दलित भी कहा जाता है उनका जातीय  हिंसा और उत्पीडन से बुरा हाल है रोहित वेमुला , जीशा , डेल्टा  मेघवाल ,उना काण्ड , अख़लाक़  काण्ड हुए  है और ऐसे ही रोज हो रहे है लेकिन  भाजपा शासित  राज्यों में ब्राह्मण आतंकवाद  जिसे भगवा आतंकवाद भी कहा जाता है वह इस कद्र  बढ़  रहा है की लोग सांस  नहीं ले पा रहे .

उत्तर प्रदेश में जबसे  ई वी एम् घोटाले से बनी सरकार  आई है तब से जातीय  नरसंहार  जोरो पर रोज हत्या  बलात्कार  हो रहे है  और सहारनपुर की जातीय हिंसा और    ऐसी घटना है   जिनसे पुरे विश्व को हला कर  रख दिया है  पूरी दनिया के मानवाधिकार संघठन  भी हिल गए है . क्योकि  इसमें योगी सरकार ने   ठाकुरों  को पोलिस    का साथ दे कर राज्य के चमारो  पर हमले करवाए   उनकी हत्याए की  और उनके घर लुटे

कमाल की बता की  ठाकरो पर कार्यवाही करने की जगह दलितों को ही  जेल में डाल दिया गया और उनकी जमानत  तक नहीं होने दी जा रही ई  भीम आर्मी के चीफ  चंदर शेखर  को एल में ही मारने की साजिश  रची जा रही है


 “””” सहारनपुर में हुई जातीय हिंसा का सचजाकिर चौधरी

उत्तर प्रदेश में जब से भाजपा की सरकार आई है तब से ऐसा लगता है जैसे सहारनपुर क्षेत्र को किसी की नज़र लग गयी हो। कुछ दिन पहले चिलकाना में सैनी समाज के कुछ उपद्रवी लोगों ने  दलितों पर हमला बोला। होली के अवसर पर राजपूतों और दलितों के बीच झगड़े की खबर आई थी। ताज़ा घटना को ध्यान में रखें तो सहारनपुर के ग्राम शब्बीरपुर में दलित, बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा लगाना चाह रहे थे। इस स्थान पर क़ानूनी तौर पर अधिकार दलितों का ही है। इस गाँव के राजपूतों को दलितों द्वारा अम्बेडकर की प्रतिमा को लगाने तथा प्रतिमा का चबूतरा ज़्यादा ऊंचा बनवाए जाने से आपत्ति थी। इस कार्य को राजपूतों ने रुकवा दिया। दलितों में सहमति बनी कि इस कार्य को प्रशासन की अनुमति लेने के बाद ही शुरू कराया जाये। इसलिए कार्य वहीं  ठप्प हो गया।

इसके कुछ दिन बाद राजपूतों ने बिना अनुमति के महाराणा प्रताप के जन्मदिन यानि 9 मई को शौर्य दिवसका जूलुस निकाला। शौर्य दिवस मनाने की अनुमति तो प्रशासन ने एक पार्क में दी थी लेकिन जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी क्यूंकि कहीं न कहीं प्रशासन को भी किसी अनुचित घटना घटित हो सकने का अंदेशा था। शौर्य दिवस मनाने के लिया हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के राजपूत समुदाय के लोग इकठ्ठा हुए थे. गैरकानूनी ढंग से जलूस निकालने के बाद राजपूत समुदाय के लोगों ने संत रविदास के मंदिर के सामने ऊँची और तेज़ आवाज़ में गाने बजाये। शोर शराबे पर जब दलितों ने आपत्ति जताई तो कहासुनी और झड़प हुई। उसके फलस्वरूप राजपूत समुदाय के लोगों ने संत रविदास मंदिर के अन्दर जाकर संत रविदास की प्रतिमा को क्षति पहुंचाई। इन सभी हरकतों और घटनाओं से आप अंदाजा लगा सकते है कि किस तरह से राजपूत समुदाय के लोग दलितों को डराने और उकसाने का प्रयास कर रहे थे।


इसी बीच जब झुण्ड का एक व्यक्ति प्रतिमा को तोड़कर मंदिर से बाहर आ रहा था तभी वह अचानक से चक्कर खाकर ज़मीन में गिरा और उसकी मृत्यु हो गई। यह बात पोस्ट मॉर्टेम रिपोर्ट में भी साबित हुई कि उस व्यक्ति की मृत्यु स्वतः हुई और उसके शरीर पर किसी भी प्रकार की चोट का कोई निशान नहीं पाया गया है।

एक स्थानीय निवासी के अनुसार झड़प शुरू होने के थोड़ी देर बाद लगभग दो हज़ार राजपूत इकठ्ठा हो गए। राजपूत समुदाय के लोग फ़ोन पर फ़ोन किये जा रहे थे और सभी लोग लाठी, तलवार और अन्य हथियारों से लैस थे। उनहोंने शब्बीरपुर के गरीब, असहाय और निहत्थे दलितों पर धावा बोल दिया और लगभग 30 घरों को जलाकर नष्ट कर दिया। इसी बीच दलितो में हाहाकार मच गया और वह किसी तरह अपनी जान बचा कर सुरक्षित स्थानों पर भागे। राजपूत समुदाय की जो भीड़ दलितों पर आक्रमण कर रही थी उसमें लोग जय राजपूतानाके नारे लगा रहे थे साथ ही साथ यह भी कह रहे थे कि जय भीम नहीं जय राजपूताना बोलना होगा।””””

 अब  चुकी  हर जगह दलितों  की  अनदेखी  की जा रही है   नौकरी में ब्राह्मण आयोग बना  सिर्फ ब्राह्मणों  को ही भारती इया जा रहा है  नर्सिंग घोटाला सामने आया है जिसमे ३ अंक और ८ अंक पाने वाले ब्राह्मणों  को  नौकरी  दी गई जबकि ५० अंक पाने वाले   दलितों  को नहीं  मिली

जब से भाजपा सरकार में आई है तब से गैर ब्राह्मणों  पर आतंक  की तलवार लटकी हुई  है
अब योगी ने एक सगुफा छोड़ा  है की  हर सरकारी  दफ्तर में अम्बेडकर  की मूर्ति लगेगी  यह ब्यान  अंत कुमार  हेगड़े  एक ब्राह्मण आतंकवादी के जिसने यह कहा था हम आये ही सविंधान बदलने है

वैसे भी अम्बेडकर की मूर्ति या तस्वीर लगाने से क्या होगा , एक तरफ  आप तस्वीर लगायंगे  दूसरी तरफ  दलितों की हत्या   और उनके हको  को छिनेंगे  इसे दोग्लापंती  कहते है    भाजपा और आर्य आतंकवादियो  का यह  डरपोक वाला ब्यान है ,  दरसल  ब्राह्मण  और  उसके समर्थक  विदेशी आतंकवादी  है जिन्हें जब तक देश से निकाला  नहीं जाएगा तब तक इस देश का भला नहीं होगा

After genocide of dlit in saharanpur , up yogi govt order to keep ambedkar photo in every govt office
Saharanpur  or any other place yogi  is the mastermind of saharanpur  caste riot wherein he permitted supported  the thakurs