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Thursday 4 May 2017

आदिवासिओ महिलाओं के बलात्कार , हत्यायो और उत्पीडन का बदला लिया सुकमा में : हिमांशु कुमार

 हाल ही में सुकमा में जिसे नक्सली हमला बताया जा रहा था जिसमे कई निर्दोष जवान भी शहीद हुए अगर हम इन हमलो की पृष्ठभूमि को देखे तो हम यही कहेंगे की जो नक्सलियो ने जो किया वह एकदम सही था हलांकि इसमें कुछ निर्दोष सैनिक भी मारे गए …
जान लीजिये आखिर आदिवासिओ के साथ होता क्या है जिसका इतना गुस्सा इन्हें रहता है की ये लोग बड़े से बड़े हमले को भी अंजाम दे देते है

इस विषय पर हिमांशु कुमार जी का लेख जो उनकी फेसबुक वाल से लिया गया है .. इस लेख का शीर्षक जन उदय का दिया हुआ है

""""छत्तीसगढ़ में तैनात सुरक्षा बल जंगलों में जाते हैं, आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार करते हैं,
जंगल में लड़कियों के स्तनों को दबा कर दूध निकाल कर सिपाही जांच करते हैं कि लडकियां शादी शुदा हैं कि नहीं ?
थानों में लड़कियों को नंगा रखा जाता है बिजली से उनके स्तन जलाए जाते हैं ?
राष्ट्रीय मानवाधिकार जांच करता है और इसे सच घोषित करता है,
लेकिन आप इसे मानने के लिए तैयार नहीं हैं,
क्योंकि आप शहर में बैठ कर हराम की खा रहे हैं,

अगर सिपाही गाँव और जंगल से लूट कर नहीं लायेंगे तो आप शहर में बैठ कर क्या खायेंगे ?
आप एक हिंसक और लुटेरी अर्थव्यवस्था और राज्य व्यवस्था का समर्थन कर रहे हैं,
हिंसा का समर्थन मत कीजिये, अपनी हिंसा का भी समर्थन मत कीजिये,
जिसमें दम हो आये हमारे साथ हम एक अहिंसक और शांतिप्रिय समाज बनाने का रास्ता जानते हैं,
इसके साथ रायपुर जेल की डिप्टी जेलर वर्षा डोंगरे का स्टेट्स शेयर कर रहा हूँ जिन्होंने जेल में ऐसी जलाई गयी आदिवासी लड़कियों को देखा है जिनके स्तनों को थानों में बिजली से जलाया गया है "
पूंजीवादी व्यवस्था के शिकार जवान शहीदों को सत सत नमन्


मगर मुझे लगता है कि एक बार हम सभी को अपना गिरेबान झांकना चाहिए, सच्चाई खुदबखुद सामने आ जाऐगी... घटना में दोनों तरफ मरने वाले अपने देशवासी हैं...भारतीय हैं । इसलिए कोई भी मरे तकलिफ हम सबको होती है । लेकिन पूँजीवादी व्यवस्था को आदिवासी क्षेत्रों में जबरदस्ती लागू करवाना... उनकी जल जंगल जमीन से बेदखल करने के लिए गांव का गांव जलवा देना, आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार, आदिवासी महिलाऐं नक्सली है या नहीं इसका प्रमाण पत्र देने के लिए उनका स्तन निचोड़कर दुध निकालकर देखा जाता है । टाईगर प्रोजेक्ट के नाम पर आदिवासियों के जल जंगल जमीन से बेदखल करने की रणनीति बनती है जबकि संविधान अनुसार 5 वी अनुसूची में शामिल होने के कारण सैनिक सरकार को कोई हक नहीं बनता आदिवासियों के जल जंगल और जमींन को हड़पने का....

आखिर ये सबकुछ क्यों हो रहा है । नक्सलवाद खत्म करने के लिए... लगता नहीं । सच तो यह है कि सारे प्राकृतिक खनिज संसाधन इन्ही जंगलों में है जिसे उद्योगपतियों और पूंजीपतियों को बेचने के लिए खाली करवाना है । आदिवासी जल जंगल जमींन खाली नहीं करेंगे क्योंकि यह उनकी मातृभूमि है । वो नक्सलवाद का अंत तो चाहते हैं लेकिन जिस तरह से देश के रक्षक ही उनकी बहू बेटियों की इज्जत उतार रहे हैं, उनके घर जला रहे हैं, उन्हे फर्जी केशों में चार दिवारी में सड़ने भेजा जा रहा है । तो आखिर वो न्याय प्राप्ति के लिए कहां जाऐ... ये सब मैं नहीं कह रही CBI रिपोर्ट कहता है, सुप्रीम कोर्ट कहता है, जमीनी हकीकत कहता है । जो भी आदिवासियों की समस्या समाधान का प्रयत्न करने की कोशिश करते हैं चाहे वह मानव अधिकार कार्यकर्ता हो चाहे पत्रकार... उन्हे फर्जी नक्सली केशों में जेल में ठूस दिया जाता है । अगर आदिवासी क्षेत्रों में सबकुछ ठीक हो रहा है तो सरकार इतना डरती क्यों है । ऐसा क्या कारण है कि वहां किसी को भी सच्चाई जानने के लिए जाने नहीं दिया जाता ।

मैनें स्वयं बस्तर में 14 से 16 वर्ष की मुड़िया माड़िया आदिवासी बच्चियों को देखा था जिनको थाने में महिला पुलिस को बाहर कर पूरा नग्न कर प्रताड़ित किया गया था । उनके दोनों हाथों की कलाईयों और स्तनों पर करेंट लगाया गया था जिसके निशान मैने स्वयं देखे । मैं भीतर तक सिहर उठी थी...कि इन छोटी छोटी आदिवासी बच्चियों पर थर्ड डिग्री टार्चर किस लिए...मैनें डाक्टर से उचित उपचार व आवश्यक कार्यवाही के लिए कहा ।

हमारे देश का संविधान और कानून यह कतई हक नहीं देता कि किसी के साथ अत्याचार करें...।
इसलिए सभी को जागना होगा... राज्य में 5 वी अनुसूची लागू होनी चाहिए । आदिवासियों का विकास आदिवासियों के हिसाब से होना चाहिए । उन पर जबरदस्ती विकास ना थोपा जावे । आदिवासी प्रकृति के संरक्षक हैं । हमें भी प्रकृति का संरक्षक बनना चाहिए ना कि संहारक... पूँजीपतियों के दलालों की दोगली नीति को समझे ...किसान जवान सब भाई भाई है । अतः एक दुसरे को मारकर न ही शांति स्थापित होगी और ना ही विकास होगा...। संविधान में न्याय सबके लिए है... इसलिए न्याय सबके साथ हो...

हम भी इसी सिस्टम के शिकार हुए... लेकिन अन्याय के खिलाफ जंग लड़े, षडयंत्र रचकर तोड़ने की कोशिश की गई प्रलोभन रिश्वत का आफर भी दिया गया वह भी माननीय मुख्य न्यायाधीश बिलासपुर छ.ग. के समक्ष निर्णय दिनांक 26.08.2016 का para no. 69 स्वयं देख सकते हैं । लेकिन हमने इनके सारे ईरादे नाकाम कर दिए और सत्य की विजय हुई... आगे भी होगी ।
अब भी समय है...सच्चाई को समझे नहीं तो शतरंज की मोहरों की भांति इस्तेमाल कर पूंजीपतियों के दलाल इस देश से इन्सानियत ही खत्म कर देंगे ।

ना हम अन्याय करेंगे और ना सहेंगे....

जय संविधान जय भारत

बच्चे की चाह रखने वाले आई वी ऍफ़ केन्द्रों से सावधान

जन उदय : वो जमाने लद गए जब लोग बच्चा  न पैदा होने पर इसे भगवान् की मर्जी समझ लेते  थे  और अपनी  सारी  जिन्दगी बिना औलाद के ही काट लेते थे , अब लोगो  का नजरिया  बदला गया है  साथ में विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि   बच्चा  न होने की स्थिथि में भी आप बच्चा  पैदा कर सकते है , इस वैज्ञानिक  वाव्य्स्था को टेस्ट ट्यूब  बेबी  और आई वी ऍफ़ कहते है

सबसे पहले जान लेते है की आई वी ऍफ़ की प्रक्रिया क्या है ?/  अगर किसी  स्त्री  ,पुरुष जो बच्चा  पैदा करने में सक्षम  नहीं है जिसमे उम्र  और शरीर को भी शामिल किया जाता है वो लोग आई वी ऍफ़  सेंटर  जाते है जहा पर स्त्री  और पुरुष  यानी पति  पत्नी  दोनों के अंडे  लिए जाते है और  इन अन्डो  को निषेचन  कर वापिस  स्त्री  योनी में स्थापित  किया जाता है इसे  पश्चात  आपको बच्चे  की प्राप्ति  हो जाती है . अगर पति  या पत्नी  दोनों में से किसी  कम  भी अंडे  काम नहीं करते  वैसी  हालत में   बाहर से किसी  दुसरे स्त्री  पुरुष के अंडे  ले जाते है  और सन्तान की प्राप्ति हो जाती है  और यही कारण  है की भारत में आई वी ऍफ़ का उद्योग  लगभग १ लाख करोड़  सलाना  से उपर का है ,लेकिन  इस प्रक्रिया के काफी खतरे है  जो आम आदमी नहीं जानते 

आइये   इन खतरों को समझ लेते है  सबसे पहले  यह बात की भारत में आई वी ऍफ़ के उपर  सरकार या मेडिकल  कौंसिल  ऑफ़ इंडिया की  कोई भी गाइड लाइन  नहीं है  यानी आप मेडिकल के बारे में जानते है और आपने सिम्पली  एम् बी बी  एस किया हुआ है  तो आप आई वी ऍफ़ सेंटर  खोल सकते है , सरकारी  नियम अनुसार  एक आई वी ऍफ़ क्लिनिक  में किस  तरह के उपकरण  होंगे  या मशीन  होंगी  ऐसा कुछ भी नहीं है , इसके सम्बन्धित  सरकार के पास कोई कानून भी नहीं है  और इन्ही कम्जोरियो  का लाभ उठा कर देश में आई वी ऍफ़ क्लिनिक  लगातार बढ़ते  जा रहे है  कोई भी डॉक्टर कही  भी क्लिनिक  खोल कर बैठा  है

इसमें सबसे घबराहट  पैदा करने वाली बात यह है की अगर आपने यानी पति पत्नी  ने जो अंडे  दिए  है क्या सच में  उन्ही अन्डो  का निषेचन  किया गया है ?? या डॉक्टर  ने पैसे  कमाने के लिए अंडे बदल दिए  है

दुसरा इसमें सबसे बड़ा  खतरा यह है  की अगर पति  या पत्नी में से किसी  के भी अंडे काम नहीं कर रही है और वो जोड़ा  बाहर किसी से अंदर अंडे लेता है तो  इस बात की क्या गारंटी  है की जिसके अंडे लिए गए है उसको कोई भी आनुवांशिक  बिमारी  नहीं है  उसकी मानसिक   स्वास्थ  बिलकुल ठीक   था  उसका बुधि स्तर  ठीक था  उसका रंग  कैसा  है यह बहुत ही महत्वपूर्ण बाते है जिसको ध्यान में तो रखना ही होता है  बल्कि   इन सब बातो  की पुष्टि  कैसे हो यह ध्यान में रखना  जरूरी है 

हालांकि  विज्ञान में एक और साहयता प्राप्त है वह है डी एन ए  टेस्ट की यानी आप इस टेस्ट के माध्यम से पता कर सकते है की पैदा  होने वाला  बच्चा  आपका  है या नहीं ??
लेकिन सबसे बड़ी बात  इस सम्बन्ध में  विशेस  कानून का न होना   जिसकी वजह से  यह भी खतरा हो सकता है की कही आई वी ऍफ़ की मदद से पैदा होने वाला बच्चा  लड़का  है या लड़की  इसकी  भी  पहचान हो सकती है  और लड़के  की उम्मीद  लगाए  परिवार  लड़की  की भ्रूण  हत्या भी आसानी से कर  सकते है जिसको मेडिकल  एक्सीडेंट  का भी नाम दिया जा सकता है  डॉक्टर   इसकी एक बड़ी  रकम  वसूल सकता है ..

और सबसे बड़ी  बात इस पेशे के लिए  कोई भी विशेष  ट्रेनिंग  भी  होनी चाहिए केवल  एम् बी बी एस डिग्री  के होने से काम नहीं चलना चाहिए  क्योकि  देश में चलने वाले  आई  वी ऍफ़ सेंटर  कोई  आई सर्जन  चला रहा है  , कोई ई एन टी    कोई किडनी स्पेशलिस्ट  ऐसा लगता है  सब लोग  आई वी  ऍफ़  में इसलिए आ गए क्योकि इसमें पैसा बहुत  ज्यादा है  , इसके अलावा सरकार को  कुछ कानून बनाने ही होंगे



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