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Saturday 20 May 2017

भारत में बलात्कार एक सनातनी परम्परा : डॉ पूनम लाल वाया अनिल जनविजय

 सनातन धर्म में बलात्कार सनातन काल से ही चला आ रहा है एक नजर हमारे उन महापुरुषों के पुरुषार्थ पर जिनको हम भगवान मानकर पूजते हैं और त्यौहार मनाते आ रहे हैं-

ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या से बलात्कार किया इंद्रदेव ने फिर भी पूजनीय क्यूँ ?
राजा पाण्डु ने माधुरी से बलात्कार किया...उसका दहन नहीं...कोई सजा नहीं क्यों ?
ऋषि पराशार ने केवट की पुत्री सत्यवती से बलात्कार किया उसका बहिष्कार क्यों नहीं ?
बृहस्पति की पत्नी तारा का चंद्र ने अपहरण कर बलात्कार किया (देखा जाए तो बलात्कारी को देख कर करवाचौथ की पूजा की जाती है जाने किस मंशा से )

ब्रह्मा ने अपनी पुत्री वाच से जबरन सहवाह किया और पुत्री सरस्वती से जबरन विवाह कर हमेशा के लिए बलात्कार का अधिकार पा लिया (ऐसा आराद्धय मुँह के जनों का ही हो सकता है.

नरक के राजा की रानियों से कृष्ण का विवाह और मामा अनय की पत्नी से शारीरिक संबंध फिर भी पूजनीय है पता नहीं क्यूँ (आज अगर कोई किसी के कपड़े चुरा कर भागे तो उसके शरीर पर कपड़े नहीं बचेंगे)
भीष्म ने अम्बा,अम्बिका और अम्बालिका का अपहरण किया ताकि नियोग द्वारा बच्चा पैदा किया जा सके ( ये भी बलात्कार का ही रूप है) फिर काहे के पितामह ??

राम के पूर्वज राजा दण्ड ने शुक्राचार की पुत्री अरजा के साथ बलात्कार किया...(यानी राम एक बलात्कारी के वंशज थे)
वायु देवता ने महर्षि कुशनाभ की कन्याओं से बलात्कार की कोशिश की

जब हमारे शास्त्रों में बलात्कार को इतनी सहजता से स्वीकार कर लिया गया है तो कैसे समाज से यह कोढ़ खत्म हो पाएगा ???

जब आपके ग्रंथों में बलात्कार को भी महिमामंडित किया जाता है तो कैसे संभव है बलात्कार का आज के जमाने में रोक पाना ????

क्योंकि बलात्कार को शक्ति और सक्षमता से जोड़ कर दिया गया है शायद इसीलिए आज भी गाँव में बलात्कारी से ही विवाह का फरमान सुना दिया जाता है.मुझे शर्म आती है ऐसे ग्रंथों में दर्ज शर्मशार कर देने वाले व्याख्यानों से
(नोट: सनातन का अर्थ परंपरानुसार चला आता हुआ)

भारत पर ब्राह्मणों के आक्रमण और विदेशी आक्रमणकारी होने के पुख्ता सबूत ?

ऋग्वेद में श्लोक 10 में लिखा है कि हम (वैदिक ब्राह्मण ) उत्तर ध्रुव से आये हुए लोग है। जब आर्य व् अनार्यो का युद्ध हुआ ।

2. The Arctic Home At The Vedas बालगंगाधर तिलक (ब्राह्मण) के द्वारा लिखी पुस्तक में मानते है कि हम बाहर आए हुए लोग है ।

3. जवाहर लाल नेहरु ने (बाबर के वंशज फिर कश्मीरी पंडित बने) उनकी किताब Discovery of India में लिखा है कि हम मध्य एशिया से आये हुए लोग है। यह बात कभी भूलना नही चाहिए। ऐसे 30 पत्र इंदिरा जी को लिखे जब वो होस्टल में पढ़ रही थी।

4. वोल्गा टू गंगा में “राहुल सांस्कृतयान” (केदारनाथ के पाण्डेय ब्राहम्ण) ने लिखा है कि हम बाहर से आये हुए लोग है और यह भी बताया की वोल्गा से गंगा तट (भारत) कैसे आए।

5. विनायक सावरकर ने (ब्राम्हण) सहा सोनरी पाने “इस मराठी किताब में लिखा की हम भारत के बाहर से आये लोग है।

6. इक़बाल “काश्मीरी पंडित ” ने भी जिसने “सारे जहा से अच्छा” गीत लिखा था कि हम बाहर से आए हुए लोग है।

7. राजा राम मोहन राय ने इग्लेंड में जाकर अपने भाषणों में बोला था कि आज मै मेरी पितृ भूमि यानि अपने घर वापस आया हूँ।


8. मोहन दास करम चन्द गांधी (वेश्य) ने 1894 में दक्षिणी अफ्रीका के विधान सभा में लिखे एक पत्र के अनुसार हम भारतीय होने के साथ साथ युरोशियन है हमारी नस्ल एक ही है इसलिए अग्रेज शासक से अच्छे बर्ताव की अपेक्षा रखते है।

9. ब्रह्म समाज के नेता सुब चन्द्र सेन ने 1877 में कलकत्ता की एक सभा में कहा था कि अंग्रेजो के आने से हम सदियों से बिछड़े चचेरे भाइयों का (आर्य ब्रह्मण और अंग्रेज ) पुनर्मिलन हुआ है।

इस सन्दर्भ में अमेरिका के Salt lake City स्थित युताहा विश्वविधालय (University of Utaha’ USA) के मानव वंश विभाग के वैज्ञानिक माइकल बमशाद और आंध्र प्रदेश के विश्व विद्यापीठ विशाखा पट्टनम के Anthropology विभाग के वैज्ञानिकों द्वारा सयुक्त तरीको से 1995 से 2001 तक लगातार 6 साल तक भारत के विविध जाति-धर्मो और विदेशी देश के लोगो के खून पर किये गये DNA के परिक्षण से एक रिपोर्ट तैयार की। जिसमें बता गया कि भारत देश की ब्राह्मण जाति के लोगों का DNA 99:96 %, कश्त्रिय जाति के लोगों का DNA 99.88% और वेश्य-बनिया जाति के लोगो का DNA 99:86% मध्य यूरेशिया के पास जो “काला सागर ’Blac Sea” है। वहां के लोगो से मिलता है। इस रिपोर्ट से यह निष्कर्ष निकालता है कि ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य-बनिया विदेशी लोग है और एस सी, एस टी और ओबीसी में बंटे लोग (कुल 6743 जातियां) और भारत के धर्म परिवर्तित मुसलमान, सिख, बुध, ईसाई आदि धर्मों के लोगों का DNA आपस में मिलता है। जिससे साबित होता है कि एस सी, एस टी, ओबीसी और धर्म परिवर्तित लोग भारत के मूलनिवासी है। इससे यह भी पता चलता है कि एस सी, एस टी, ओबीसी और धर्मपरिवर्तित लोग एक ही वंश के लोग है। एस सी, एस टी, ओबीसी और धर्म परिवर्तित लोगों को आपस में जाति के आधार पर बाँट कर ब्राह्मणों ने सभी मूलनिवासियों पर झूटी धार्मिक गुलामी थोप रखी है। 1900 के शुरुआत से आर्य समाज ब्राह्मण जैसे संगठन बनाने वाले इन लोगो ने 1925 से हिन्दु नामक चोला पहनाकर घुमाते आ रहे है। उक्त बात का विचार हमे बहुत ही गहनता से करने की आवश्यकता है। राष्ट्रिय स्वयं सेवकसंघ के जरिये 3% ब्राह्मण 97% मूलनिवासी भारतीयों पर पिछ्ले कई सालों से राज करते आ रहे हैं।