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Sunday 24 April 2016

आय से अधिक धन , के मामले सिर्फ दलितों पर ही क्यों , सदीओ से लूटने वाले सवर्णों की सम्पति की जांच क्यों नहीं होती ??

जन उदय : देश में कांग्रेस/ भाजपा  यानी ब्राह्मणों का वर्चस्व खत्म  हुआ देश के कई हिस्सों में उन गरीबो , की मजदूरों की सरकारे  बनने लगी जो सदीओ से ब्राह्मणों के जुल्मो के शिकार थे , इन लोगो ने पाने लोगो के लिए अपने लोगो के बारे में अपने इतिहास के बारे में लोगो को आगाह करना शुरू कर दिया  और यही कारण है देश में बहुजन क्रान्ति होने जा रही है और बहुत जल्द ब्राह्मणों का और सवर्णों का पूरी तरह वर्चस्व खत्म हो जाएगा .

लेकिन एक बात जो सवर्णों को और ब्राह्मणों को बिलकुल हजम  नहीं होती है वह है  दलितों का बहुजन का आगे बढ़ना , उनका सत्ता में आना  और सबसे बढ़ी बात की देश की हर निति निर्धारण में इनका भागीदार होना . यही कारण है इन दलित नेताओं पर तरह तरह के इल्जाम लगाय जाते रहे है , कभी आम लोगो के जरिये  कभी मीडिया के जरिये और खुद सवर्ण नेता

काफी अरसे से दलित नेताओं पर आय से अधिक सम्पति का केस चल रहा है और कभी ये केस हाई कोर्ट में होते है कभी सुप्रीम  कोर्ट में  कमाल की बात यह है की ये केस उसी वक्त खोले जाते है जब सरकार को  यानी केंद्र में बैठी ब्राह्मणों की सरकार को इन लोगो पर दबाव डालना होता है , जैसे जी एस टी के मामले पर इनके केस सामने आये , इसके बाद बिहार चुनाव में मुलायम पर दबाव डाला  गया  और अब यु पी  चुनाव आ रहे है इसमें मायावती के उपर दबाव डालने के लिए केस दुबारा खोल दिया गया है . खैर  कानून अपनी जगह

अब सवाल यह है की जाहिर मायावातो और मुलायम जैसे परिवेश से आते है इनके पास इतनी समाप्ति कभी न थी  और जो है वह पार्टी फण्ड से है  या पार्टी के जरिये जो मिलता है , खैर  इस बात का कोर्ट से फैसला हो जाएगा .


लेकिन जो लोग यानी  सवर्ण इनकी  आय की सम्पति और अन्य बातो की जांच नहीं होती ?? राजनाथ सिंह की नरेंदर मोदी की , जिंदल की , रोबर्ट वाड्रा , की नितिन गडकरी , इन लोगो की सम्पति पिछले साल में ही ३०० गुना से जयादा बढ़ गई है इसके बाडी ये लोग सदीओ से इस देश को लूटते आये है क्या इनके  उपर देश को लूटने के केस नहीं चलने  चाहिए  या आय से अधिक सम्पति की जांच क्यों नहीं होती ??? 

चोरो की जमात है सुनार और गहने व्यापारी : जानिये कैसे सुनार और गहने व्यापारी आपकी जेब काटते है एक्साइज ड्यूटी और मेकिंग चार्ज के नाम पर :: राज आदिवाल

 जन उदय : आपको यह यकीन ही नहीं होगा की कैसे सुनार और गहने व्यापरी  आपकी जेब काट लेते है और आपको पता भी नहीं चलता है  आइये  आपको बताते है मान लीजिये आप सुनार के पास गए आपने 10 ग्राम प्योर सोना 30000 रुपये का खरीदा। 

उसका लेकर आप सुनार के पास हार बनबाने गए। सुनार ने आपसे 10 ग्राम सोना लिया और कहा की 2000 रुपये बनबाई लगेगी। आपने कहा ठीक है। उसके बाद सुनार ने 1 ग्राम सोना निकाल लिया और 1 ग्राम का टाका लगा दिया। क्यों विना टाके के आपका हार नही बन सकता। यानी की 1 ग्राम सोना 3000 रुपये का निकाल लिया । और 2000 रुपये आपसे बनबाई अलग से लेली। यानी आपको 5000 रुपये का झटका लग गया। अब आपके 30 हजार रुपये सोने की कीमत मात्र 25 हजार रुपये बची। और सोना भी 1 ग्राम कम कम हो कर 9 ग्राम शेष बचा। बात यही खत्म नही हुई। 

उसके बाद अगर आप पुन: अपने सोने के हार को बेचने या कोई और आभूषण बनबाने पुन: उसी सुनार के पास जाते है तो वह पहले टाका काटने की बात करता है। और सफाई करने के नाम पर 0.5 ग्राम सोना और कम हो जाता है। अब आपके पास मात्र 8.5 ग्राम सोना बचता है। यानी की 30 हजार का सोना मात्र 25500 रुपये का बचा।
आप जानते होंगे
30000 रुपये का सोना + 2000 रुपये बनबाई = 32000 रुपये
1 ग्राम का टाका कटा 3000 रुपए + 0.5 पुन: बेचने या तुड़वाने पर कटा = सफाई के नाम पर = 1500
शेष बचा सोना 8.5 ग्राम
यानी कीमत 32000 - 6500 का घाटा = 25500 रुपये
सरकार की मंशा

एक्साइज ड्यूटी लगने पर सुनार को रशीद के आधार पर उपभोक्ता को पूरा सोना देना होगा। और जितने ग्राम का टाका लगेगा । उसका सोने के तोल पर कोई फर्क नही पड़ेगा। जैसा की आपके सोने की तोल 10 ग्राम है और टाका 1 ग्राम का लगा तो सुनार को रशीद के आधार पर 11 ग्राम बजन करके उपभोक्ता को देना होगा। इसी लिए सुनार हड़ताल पर हे। भेद खुल जायगा।

जागो ग्राहक जागो।

ब्राह्मणों की एक और धूर्तता का पर्दाफाश , नहीं था कोई कौटिल्य/ चाणक्य मोर्यकाल में

जन उदय : अगर आप दुनिया के इतिहास का मानिविय आंकलन करेंगे तो पायंगे की ब्राह्मण दुनिया की  सबसे धूर्त और मक्कार  कौम के रूप में सामने आयंगे ,  कभी कभी यह सोच कर ही हैरानी हो जाती है की इन लोगो ने कैसे कैसे ग्रन्थ लिख कर रख लिए थे जिनके आधार पर बाद में अपने आपको भगवान का दूत बताने लगे , समाज का सबसे बड़ा वर्ग बताने लगे बाकी सबको नीच बताने लगे बाकी सब इनके गुलाम है  यह भगवान् का संदेश है , और जो संदेश को नहीं मानेगा उसका कत्ल किया जाएगा , उसे एल में डाला जाएगा , कमाल है

हाल ही में एक शोध सामने आया है जिससे पता चला है की मोरी काल में कोटलिय नाम का कोई व्यक्ति नहीं था  , सभी  इतिहासकार  वेशेश्कर ब्राह्मण मौर्यकाल को ब्राह्मणों की योग्यता एयर काबलियत के रूप में पेश करते है जबकि यह झूट है
सामान्यत  कौटिल्य के पुस्तक  अर्थशास्त्र को मौर्य काल का बता कर उसमे राजनीति और अन्य नीतिओ की माह्नाता ब्राह्मण बखानते  रहते है ,

 जबकि यह सब झूट है ,
कौटिल्य के अर्थ शास्त्र के बारे में उस समय आये मगस्थ्नीज़ जैसे विद्वानों को कुछ मालूम नहीं था इतिहासकारों का मानना है की अर्थशास्त्र मौर्यकाल के ५०० वर्ष बाद लिखा गया  इस तरह अह  पुस्तक  झूटी साबित होती है , इतिहासकार जोलि  ने ये साबित  क्या है की या ग्रन्थ झूठा  है और सका मौर्य काल से कोई सम्बन्ध नहीं है


कौटिल्य की पुस्तक " अर्थशास्त्र " के आधार पर मौर्य - प्रशासन का ब्राह्मणवादी इतिहास लिखना बंद हो जाना चाहिए। कारण कि " अर्थशास्त्र " की रचना बहुत बाद में हुई है । डॉ. जाली जैसे विद्वान भी मानते हैं कि

 " अर्थशास्त्र " की रचना तृतीय शती ई. में हुई थी अर्थात् चंद्रगुप्त मौर्य के कोई पाँच सौ साल बाद रची गई थी । " अर्थशास्त्र " में ब्राह्मणवादी सिद्धांतों का प्रतिपादन है और इतिहासकार मौर्य काल की जाली तस्वीर उसी आधार पर बना लेते हैं। सच यह है कि मौर्य काल में कोई कौटिल्य और " अर्थशास्त्र " नहीं था। मेगास्थनीज सहित मौर्यकालीन सभी अभिलेख किसी कौटिल्य और उसके " अर्थशास्त्र " को एकदम नहीं जानते हैं।