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Sunday 6 March 2016

तानाशाह भाजपा अगला लोकसभा चुनाव हारी तो कर लेगी हथियारों के दम देश पर कब्जा

 हलांकि देश में भाजपा शासन का आना  ही देश का सबसे बढ़ा  दुर्भाग्य था लेकिन ये सारा  कार्य एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत हुआ तो पुरे देश ने भाजपा को सम्मान की दृष्टि से देखा और नरेंदर मोदी को  प्रधान मंत्री के  रूप  में  दिल से स्वीकार  भी  किया
जिस तरह से किसी भी पार्टी से देश की जनता उम्मीद करती है उसी तरह जनता ने भाजपा  सरकार से भी उम्मीद की देश की टूटती  ,बिखरती अर्थ वाव्य्स्था को भाजपा  संभाल लेगी  और महंगाई , पर रोक लगायगी , दाम कम होंगे, पट्रोल के दाम कम होंगे  बेरोजगारी  कम होगी  और युवाओं को विकास के नए  रास्ते मिलेंगे .

लेकिन युवाओं के साथ और देश के साथ बहुत बढ़ा  धोखा  हुआ नरेंद्र मोदी सिर्फ भाषणों से और घोषणाओं से लोगो का दिल बहलाने लगे , कुछ समय तो देश की जनता भाषणों से से भी खुश नजर आये  , लेकिन फिर भी कुछ  न हुआ  , कुछ लोगो ने कहा  की भाजपा  सरकार को कुछ समय  देना चाहिए ताकि वो चीजो को समझ कर अर्थ वाव्य्स्था को सही दिशा में ले जा सके लेकिन दो साल बाद भी कुछ नहीं हुआ ,
अपनी नाकामयाबी को भाजपा समझ भी  रही  थी , हालांकि ऐसा नहीं है की भाजपा  ने कोशिश  नहीं की लेकिन शायद  उसकी सारी  कोशिशे  सब बेकार गई , यानी पिछले  दो सालो में भाजपा  पूरी तरह विफल   रही है .
अब भाजपा ने अपने पुराने तरीके भी इस्तेमाल करने शुरू कर दिए यानी राज्यों के आम चुनावों में साम्प्रदायिक  दंगे कराये गए , मुज्ज़फर नगर दंगे , इसके बाद दादरी में गोमांस को लेकर एक मुस्लिम व्यक्ति की हत्या  कराई गई ,  हर समय देश में एक असंतोष का माहोल बनता चला गया  उधर दूसरी तरफ  विश्विध्यालो में अपने लोगो को लाना और संघियो के प्रभाव को बढाने के लिए  प्रयास किये जाने लगे , मद्रास आई आई टी , हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविध्यालय  में रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या , दूसरी तरफ जे एन यू , पुणे फिल्म स्कूल , फिर इलाहाबाद विश्वविध्यालय में  ऋचा सिंह को प्रताड़ित किया जाने लगा , स्कूलों और कोलेजो में पाठ्यक्रम को बदलना , जे एन यू  की घटना ने तो पुरे विश्व को हिला दिया यही नहीं पुरे  विश्व में भारत की इमेज बहुत गन्दी हो गई 

कन्हिया के जेल से आने के बाद जो भाषण हुआ उसके बाद  कोई  उसकी जीभ  काटने की बात कर रहा है  , कोई उसकी  ह्त्या करवा   रही  है , कोई उसको  गोली मार  रहा है
कमाल की बात है की इस  तरह की बाते करने वाले खुल्ले आम अखबारों में और टीवी  चंनेलो में बैठे  बकवास कर  रहे है , और पुलिस प्रशासन घर बैठे इन्हें देख रहे है ,

जो लोग देश के माहोल  को खराब करने पर तुले है उनके खिलाफ  कोई भी कार्यवाही  नहीं  हो  रही  है , अगर  हालात ऐसे ही  रहे तो ऐसा लगता है की आने वाले वक्त में जब भाजपा सत्ता से बहार होने लगेगी  तो वो इस बात को बर्दास्त नहीं कर पायंगे और फिर भाजपा संघ के साथ मिल  कर एक हथियारबंद कब्जा देश पर करना  चाहेगी हालांकि  ये शायद आज के दौर में न हो पाए लेकिन हालात  ऐसे लग  रहे है की भाजपा अब सत्ता से बहार नहीं जाना चाहेगी  और इस कार्य के लिए चाहे दंगे हो चाहे दलितों की हत्या हो  या खुनी  खेल  भाजपा   किसी  बात से पीछे  नहीं हटेगी 

देश में बढ़ रहा है भगवा आतंकवाद , जे एन यु के रोहित वेमुला/ कनाहिय्या की जान को खतरा


हैदराबाद  सेंट्रल यूनिवर्सिटी  में रोहित वेमुला की हत्या के  से शुरू हुआ भगवा आतंक देश में दिनों दिन बढ़ता  जा रहा है ऐसा लग रहा है देश में कानून नाम की कोई चीज नहीं  रही गई है अपने आपको देशभक्त कहने वाले देश की इज्जत को दुनिया में तार तार कर रहे है ,
गौर तलब है है की रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या में सीधे सीधे संघ का बगल बच्चा ए बी वी पी को आगे बढाने के लिए संघ सरकार पूरी मदद कर रही थी  यहाँ तक यूनिवर्सिटी में सारे प्रोफेस्सर इस बात से डरे हुए थे की कही सरकार उनके उपर कोई कार्यवाही न करे , सिम्रिति इरानी ने देश को गुमराह किया


इसके बाद संघियो का रुख देश के जाने  माने  विश्वविध्यालय की तरफ किया गया जहा पर एक भयंकर साजिस रची गई ए बे वी पी द्वारा  कुछ नकाब पोश छात्र बुलाये गए और  देश विरोधी नारे लगवाये गए फिर दो विडियो को मिला कर सिम्रिति इरानी की सलाहकार ने एक विडियो बनाया गया   जिसको मीडिया में यह कह कर बाँट  दिया गया और कहा गया की ये देशविरोधी नारे  कन्हैया और उसके साथी लगा रहे थे , कमाल की बात है की ए बी वी पी के बुलावे पर जी न्यूज़ और ए एन आई दोनों आये  और देश विरोधी नारे लगे तो फिर उनके पास वो ओरिजिनल  विडियो क्यों नहीं है ,
क्यों  वो ए बे वी पी के द्वारा दिए गए विडियो चलाते  रहे इसके अलावा विडियो की जांच से यह भी पता चला की की असल में ए बी वी पी के छात्र ही देश विरोधी नारे  लगा रहे थे
इस घटना को मीडिया ने एक राष्ट्र संकट के रूप में पेश किया  और कनाहिय्या को कोर्ट से लेकर पुलिस ने  थाने  तक में  पीटा  
 इस पूरी कार्यवाही के पीछे संघियो की मंशा थी की कनाहिया  और उसके साथिओ का मनोबल तोड़ दिया जाय  हिम्मत तोड़  दी जाए  , लेकिन जिस   तरह जे एन यु के टीचर  , स्टाफ  और पुरे देश से  सपोर्ट मिला  उसे देख कर संघी घबरा गए ,  इसके बाद कोर्ट ने भी कन्हिया को जमानत दे दी है
लेकिन जैसे ही कन्हिया  जेल से वापिस आया और उसने सभी छात्रो के सामने भाषण  दिया  कन्हिया के भाषण में मोदी को , सिम्रिति  इरानी  को सुब्रम्नाय्म स्वामी को ललकारा   गया   और उनके  द्वारा रचित हर झूट का पर्दाफाश किया   इस भाषण को पूरी दुनिया में लाइक  किया गया   और   मोदी , इरानी ,  संघी सारे बौने नजर आने लगे .. ये इतिहास में पहली बार ऐसा  हुआ है की जब एक मामूली से छात्र ने प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री को टुच्चा   साबित कर  दिया .इसके बाद  से ही कन्हिया को संघी से धमकी मिलने लगी  है , कोई  कन्हिया  की जीब  पर पांच लाख का इनाम रख  रहा है  तो कोई उसकी हत्या की कीमत  ११  लाख लगा रहा है .

हालांकि पुलिस ने कन्हिया को सुरक्षा देने का वादा  किया है  लेकिन सवाल है  जो लोग इस तरह की सुपारी दे रहे है उन लोगो  के खिलाफ कार्यवाही  क्यों नहीं हो  रही  है , मतलब साफ़ है की संघियो  की सरकार है और संघियो  की ही कानून वाव्य्स्था  चलेगी  यानी जब तक   ये रहेंगे तब तक आतंक  रहेगा  लोकतंत्र  की हत्या  बार बार  होगी 

रोहित वेमुला की हत्या के बाद ऋचा सिंह की संस्थानिक हत्या की शाजिस कर रहा है संघ

रोहित, कन्हैया के बाद अब किया जा रहा ऋचा सिंह को प्रताड़ित

दक्षिणपंथी  छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भिड़ने के वजह से कथित तौर पर जिस तरह  हैदराबाद विश्वविद्यालय में रोहित वेमुला ने हुए उत्पीड़न और निलंबन की वजह से आत्महत्या कर ली थी फिर उसी तरह ही जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भी  के छात्र संघ के  अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित कई छात्र नेताओं की गिरफ़्तारी कर के उनपर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया।  हैदराबाद विश्वविद्यालय के रोहित और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के बाद अब ऋचा सिंह की बारी है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ की पहली महिला अधय्क्ष ऋचा सिंह को  भाजपा छात्र इकाई ABVP और विश्वविद्यालय प्रशासन के दबाव का सामना करना पड़ रहा है है।  ऋचा   इलाहाबाद विश्वविद्यालय के ग्लोबलाइज़ेशन एवं  डेवेलपमेंट  स्टडीज सेंटर से पीएचडी कर रही हैं

वो लोग मुझे पीएच.डी. से बाहर करने के लिए कोशिश कर रहे हैं मेरा एडमिशन रद्द करने   की  कोशिश  की  जा  रही है ,  “मैंने  अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के खिलाफ लड़ाई लड़ाई लड़ती रही  हूँ और मैंने विश्वविद्यालय परिसर में विवादित सांसद योगी आदित्यनाथ को प्रवेश नहीं होने दिया था जब उन्हें किसी कार्यकर्म  में आना था । मैंने कुलपति द्वारा किए गए गलत नियुक्तियों पर भी सवाल उठाया है और इसी वजह से  वो सब मुझे निशाना बना रहे हैं और मेरा दाखिला रद्द करने के लिए कोशिश कर रहे हैं।”  ऋचा सिंह ने आपका टाइम्स संवाददाता को फ़ोन पर हुई बातचीत में बताया।
ऋचा  ने कहा कि उनका दाखिला  पीएच.डी. में  2013-14 के सत्र में  हुआ था और दो साल पूरा होने वाला है  एडमिशन होने के बाद  और सब सही चल रहा था और  आज  अचानक  ही  ऐसा  क्या के मेरे एडमिशन पर  सवाल  उठाया  जा  रहा  है? अब तक 2 सालों में मेरे एडमिशन में उन्हें कुछ गलत नहीं लगा और अब जाकर उन्हें मेरा एडमिशन गलत लग रहा है तो सवाल यह है की पिछले  दो साल से वो लोग क्या कर रहे थे।
ऋचा ने बताया की जब मेरा  एडमिशन 2013-14 में हुआ था तब , सेंटर में दो सीटें थे। वो लोग(कॉलेज प्रशाशन ) कहते हैं कि दो सीटों में से एक  सामान्य सीट और अन्य एक आरक्षित सीट थी। वो  अब दावा कर रहे हैं कि सीटों के रोटेशन के हिसाब से वह सीट आरक्षित वर्ग के लिए थी।
गौरतबल है की ऋचा M.Phill की गोल्ड मेडलिस्ट भी रही हैं और छात्र संघ का चुनाव निर्दलीय जीता था जबकि बाकी के तीन सीटों पर ABVP का कब्ज़ा है।
News source : aapkatimes.com 

Tag: jnu , abvp,dalit, richa singh , Allahabad, Hyderabad university ,rohit vemula ,kanahiya , ambedkar students association ,dalit atrocity 

मौजूदा रुपया शब्द है देन शेरशाह सूरी की


 प्राचीन भारत मे व्यापार कितना फला फुला  इसका पता  उस समय के सिक्के या मुद्रा के प्रचलन से चलता  है किन किन देशो में और स्थानों  से व्यापार सम्बन्ध थे इसका पता भी खुदाई में मिले इन सिक्को से चलता है .

अफ़सोस की बात है की तथाकथित टूर पर भारत को स्वर्ण भारत सोने की चिड़िया  कहने वाले लोग  इस बात का अभी तक तार्किक रूप से पता नहीं चला पाए .

भारत में सिक्के / मुद्रा का प्रचलन हलांकि  प्राचीन समय  से  ही   है  लेकिन उस वक्त दुसरे समुदाय , देशो   और राज्यों  से व्यापार का तरीका  विनिमय  जयादा था  और मुद्रा पर आधारित कम था यानी  की एक  वस्तु के बदले दूसरी वास्तु ले लेना  यही  लें दें का आधार था  लेकिन जहा  ये सब नहीं  हो  सकता था  वहा पर यह कहा आता है की जानवर , स्वर्ण , महिलाए को अदला  बदला   जाता  था जानवर में मुख्य   रूप  से गाय  और भैंस  हुआ करती  थी .

स्वर्ण मुद्रा का पता  प्राचीन द्रविड़  संस्कृति   से पता  चलता है जिसको बाद में आर्यों ने भी अपनाया

और अशोक  के  समय में इसको काफी वाव्स्थित  रूप मिल  चूका   था
 कथित रूप से व्यापार का ग्रन्थ माने जाने वाले अर्थ शास्त्रीय ग्रन्थ अथर्वेद में भी मुद्रा का कोई सही मुलायांक्न   नहीं मिलता है

मौजूदा मुद्रा के प्रचलन में मुस्लिम राजा शेर शाह सूरी का ही सबसे बड़ा  योगदान हमें देखने को मिलता है १५४० -१५४५ तक के समय में शेर  शाह सूरी ने काफी युगांतकारी कार्य इस क्षेत्र में किये  और एक चांदी का सिक्का  चलाया जो १७८  ग्राम का था  जिसे रुपया  नाम  दया  गया   हलांकि  इस में आगे आकर काफी सुधार हुए  जिसमे १६ आने बनाए गए  और हर  आना या  तो चार पैसे या १२ पैएस  में विभाजित  था या  जिसके  कारण भारत में मुद्रा को एक वैज्ञानिक  पहचान मिली

अंग्रेजो   के आने के बाद भी यही शब्द प्रचलन में रहा और जब अंग्रेजो ने कागज का रुपया पहली बार  बैंक ऑफ़ हिन्दोस्तान  १७७०-१८३२  और बैंक ऑफ़ बंगाल  १७८४ १७९१ में  के जरिये चालु  किया