Apni Dukan

Wednesday 27 April 2016

कसीदे पढने होंगे मोदी सरकार के पी.एचडी के नाम पर :: गुजरात सरकार ने कहा जो विषय हमने दिए है उसी पर होगी पी एच डी

जन उदय :   हिंदी साहित्य को काल के  हिसाब से विभाजित किया गया है , इसमें एक काल था  वीरगाथा काल इस काल में नवाब छोटे मोटे राजा अपने दरबार में  कवि और लेखक रखते थे , इन कविओ और लेखको का काम था नवाब साहेब की शान में कसीदे पढने . यानी उनकी शासन के बारे में अच्छी अच्छी बाते लिखना , यह बताना की नवाब साहेब कितने बढे दानी और उदार  थे , , 

ये लेखक अपने डरपोक राजा या नवाब  की बहादुरी के गीत लिखते थे कविताएं लिखते थे , ऐसे ही एक कविता आपने सबने पढ़ी होंगी , खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी , जबकि सच्चाई यह है की झांसी की रानी लक्ष्मी बाई युद्ध का मैदान छोड़ भाग गई थी और उसकी जगह युद्ध का मैदान  झलकारी बाई ने संभाला था ,

 इसी तरह रन बीच चोकड़ी भर भर चेतक बन गया निराला था राणा प्रताप के घोड़े को पड़ गया  हवा का पाला  था , यानी चेतक के जरिये राणा प्रताप की बहादुरी बता रहे है कवी , जबकि असलियत  में राणा प्रताप भी दुम दबा कर भाग गया था जंगलो में .

इतिहास गवाह है की जो भी विदेशी हमलावर और राजा आया उसने आकर यहाँ के लोगो को न सिर्फ मारा बल्कि यही राज किया वो भी ऐसे ही लोगो के दम  से जो आज भारत माता की जय और देशभक्त बने फिरते है .

अब दुबारा से उसी तरह का वीरगाथा काल संघी भगवा सरकार ने शुरू कर दिया है देश के हर कॉलेज , यूनिवर्सिटी में अपने भगवा आतंकी छोड़  दिए है जो प्रोफसर , वी सी के भेष में है   और ये लोग देश के हर कॉलेज यूनिवर्सिटी के माहौल को दूषित और जहरीला कर रहे है .
गुजरात सरकार ने तो एक ऐसा तुगलकी फरमान जारी ही नहीं किया है बल्कि आदेश ददिया है की राज्य में पी एच डी सिर्फ गिने चुने टोपिक पर ही हो

जैसे   Prime Minister Narendra Modi's pet project 'Swachh Bharat Abhiyan', and Gujarat's model schemes like Kanya Kelavani, Gunotsav and MA Yojana. Among the topics imposed on the students are: 'Comparative study of Sardar Patel Awas Yojna and Indira Awas Yojana'; 'Education of minorities — A critical study'; 'Gujarat: Good governance for growth, scientific management and development — A critical study of existing pattern and future course —A policy suggestions (sic)'; 'Mutual cooperation among states' action plans and comparative analysis of strategies for development — A Gujarat Model'; and 'Comprehensive analysis of growth of water in seven reservoirs of Saurashtra through SAUNI Yojana'.

अब इन बातो से साफ़ पता चलता है की ये सरकार और इसके लोग किस तरह की प्रवर्ती के है जो देश में हर चीज विशेषकर शिक्षा  को बर्बाद करना  चाहते है , अब इनसे कोई पूछे की क्या पी एच डी उस विषय पर की जाएगी जिसमे छात्र की रूचि होगी या जो ये चाहेंगे



दिल्ली ने कहा दिल से नहीं चाहिए केजरीवाल नौटंकी फिर से : दिल्ली की जनता का सर्वे

जन उदय : दिल्ली में सत्ता परिवर्तन बड़ा ही स्वाभाविक था ,कांग्रेस की भ्रष्टाचार की पोटली इतनी बड़ी हो गई थी की दिल्ली वाले अब उसको उठा नहीं सकते थे अपने कंधो पर महंगाई ,उस पर और कमर तोड़ रही थी , बिजली कम्पनिया अपनी मनमानी कर रही थी  इसलिए दिल्ली ने सोचा कांग्रेस को विदा किया जाए .

चुनाव के वक्त दिल्लिवासियो के पास विकल्प बहुत कम थे , लेकिन आम आदमी पार्टी एक ऐसा विकल्प नजर आ रहा था जो शायद दिल्ली वाले के दर्द को समझ सकता था , हलांकि एक बार पहले ही बहुमत को केजरीवाल नकार चूका था लेकिन फिर जनता ने एक बार फिर केजरीवाल को बहुमत दिया और यह बहुमत इतिहासिक बहुमत था ,  और केजरीवाल को मुख्यमंत्री बना दिया
लेकिन केजरीवाल अपनी प्रक्रति ने अनुसार  वही करता आ रहा है जो वह पहले से करता आया है यानी काम की जगह भाषण जयादा देना और गन्दी राजनीती करना , जब से केजरीवाल आया है कोई भी एक ऐसा काम नहीं किया है जो दिल्ली की जनता को फायदा पहुचा सके , बात अगर सिर्फ बिजली के बिल की है तो यह बात सनद रहे की केजरीवाल   सरकार ने जो बिजली के बिल में सब्सिडी दी है वह दरसल दिल्ल्ली सरकार का बकाया पैसा है बिजली कम्पनियो के पास उसी पैसे से बिजली पर सब्सिडी दी जा रही है यह पैसा लगभग साडे चार हजार करोड़ है और जिस दिन यह पैसा खत्म हो जाएगा उसी दिन सब्सिडी खत्म , जब तक केजरीवाल अपना सिक्का जमा चुके होंगे ,  और लोगो को पता भी नहीं चलेगा की उन्ही की जेब का ऐसा एक हाथ से उठा कर दुसरे हाथ में खैरात के रूप में पकड़ा दिया  गया ,

रहा सवाल पानी का तो लगभग सभी लोग जानते है की एक घर मर जहा चार सदस्य है वहा पानी एक हजार लिटर से जयादा लगता है तो यह भी एक धोखा है ,  पानी के बकाया बिल माफ़ करना भी वही साबित होगा यानी कही न कही जनता की जेब पर डाका ,

इसके अलावा दिल्ली सरकार ने कोई कम नहीं किया है न तो दिल्ली में  अपराध रुके है और न ही भ्रष्टाचार  तो सिर्फ ये दो काम करने के लिए दिल्ली में आम आदमी की सरकार क्यों ??
इसके अलावा शिक्षको की भारत आज तक पूरी नहीं हो रही इसलिए शिक्षा का बुरा हाल है , यही नहीं रहे सहे टीचर्स को भी निकाला जा रहा है , सबसे बड़ी बात की दलित शिक्षको को चुन चुन कर निकाला जा रहा  है , दिल्ली के स्कूलों में लगभग १२ हजार  शिक्षको की भर्ती तत्काल रूप से होनी चाहिए लेकिन कुछ नहीं हो रहा है , इसके अलावा अन्य भर्तियो के केजरीवाल अपनी रिश्तेदारों या मित्रो को ही भर्ती कर रहा है , एक तरफ हमेशा आरक्षण का विरोध करने वाला  केजरीवाल अपने रिश्तेदारों को किस आधार पर भर्ती कर रहा है यह पता नहीं चल रहा है . एक नम्बर  का जातिवादी और दलित विरोधी केजरीवाल का वश चले तो दलितों को गोली से भून दे

दूसरी बात रही स्वास्थ सेवाए तो वो सभी जहा है वही है हाँ सुधार के नाम पर केजरीवाल के हर हस्पताल और डिस्पेंसरी के आगे पोस्टर जरूर लगे है बाकी कुछ नहीं बदला , लम्बी कतारे , डॉक्टर की कमी नर्सो की कमी सब वही है ,

एक नौटंकी की तरह अपने विज्ञापन पर जनता का पैसा खर्च करने वाला केजरीवाल यह नहीं जानता की दिल्ली की जनता ने दिल बना लिया है की अब इस नौटंकी को दुबारा नहीं आने देंगे


Tuesday 26 April 2016

यू एन ने लगाईं भारत को फटकार , कहा बंद करो जाति के नाम पर दलितों की हत्या ; मोदी सरकार ने मांगी माफ़ी

 भारत की ब्राह्मणी सरकारें हमेशा ही जाति और जातिवाद  के खिलाफ उठती हर आवाज का विरोध करती रही हैं. और यदि  यह मुद्दा विश्व के सामने उठे तब तो इनका विरोध देखते ही
बनाता है.  गोलमेज कान्फरेन्स में पहली बार बाबासाहब ने जाति और  जातिवाद के कारण देश की बहुत बड़ी आवादी की नरक बनी  जिंदगी से विश्व को रुवरु कराया था. जिसका विरोध गांधी,
मालवीय सबने किया था. गांधी ने अपने अखबार 'हरिजन' के  माध्यम से भी पुरे विश्व को गुमराह किया. भारत में  वर्णव्यवस्था के कारण बहुजन के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार
की कभी अपने अखबार में चर्चा नहीं की. ये सिलसला रुका  नहीं. अब भी जब जातीय भेदभाव और छुआछूत का मुद्दा संयुंक्त  राष्ट्र संघ में उठाया जाता है तो भारत सरकार तुरंत विरोध
करती है. 

अभी भी यही हुआ है. 28 जनवरी 2016 को एक विस्तृत रिपोर्ट  'अल्पसंख्यक मामलों पर' UN में रखी गई है. इसमें 'जातीय  भेदभाव' को 'वैश्विक त्रासदी' बताया है. इसमें कहा गया है कि जाति व्यवस्था (भारत में वर्ण व्यवस्था), मानवीय गरिमा,  समानता और बंधुत्व के खिलाफ है. रिपोर्ट में यह सवाल उठाया  गया है कि कैसे, क्यों एक जाति में पैदा लोग पूज्यनीय हो सकते
हैं जबकि दूसरी जाति में पैदा लोग अस्पृशय. 


लेकिन भारत की ब्राह्मणी सरकारें इस बात को मानने के लिए  तैयार नहीं है. जबकि देश में हालात ऐसे हैं कि -  " बहुजन है तो समझो जान से गया" बहुजन यदि छू ले सवर्ण की बाल्टी,  तो बहुजन हाथ-पैर से गया.  बहुजन यदि मूत दे किसी ठाकुर के खेत में,  तो बहुजन जान से गया.  बहुजन प्रतिबन्धित हैं नहीं ले सकते,सर्वनाजिक कुओं, नलों, नदी से पानी,यदि ले लिया तो समझो जान से गया.

 यदि कोई बहुजन मुख्यमंत्री,बाबासाहब के नाम से बनाये कोई  प्रेरणा स्थल,तो समझो सरकार से गया.  नया सवर्ण अफसर जब संभाले आफिस,तो पहले शुद्धिकरण  करवाता है,यदि पिछला बहुजन अफसर तबादले पर गया.  यदि प्रतिनिधित्व कानून से बहुजन तरक्की करें,  तो निजीकरण की आड़ में प्रतिनिधित्व कानून गया.  यदि एकलव्य अपनी स्वयं की प्रतिभा से,तीरंदाज बन किसी  अर्जुन के लिए चुनौती बन जाये,तो एकलव्य का अंगूठा गया.

यदि कोई बहुजन 

देखिये संघ समर्थक जे एन यु के संघी प्रोफसर कैसे दे रहे है आतंकवाद को बढ़ावा


जन उदय : जे एन यू काण्ड , यानी बी जे पी के छात्र विंग  के साथ मिलकर जो षड्यंत्र मीडिया के कुछ न्यूज़ चैनल ने  चलाया था .

यह बात संसद रहे की देश की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी जहा पर वाम विचारधारा का वर्चस्व है उसको बर्बाद करने के लिए संघ , भाजपा ने अपने छात्र विंग के साथ एक षड्यंत्र  चलाया  था जिसमे एक डॉक्टरेड विडियो सभी संघी चैनल पर चलाया गया जिसमे दिखाया गया की जे एन यु के वामपंथी छात्र देशद्रोही  नारे लगा रहे है , जो विडियो बाद में जब जांच हुई फर्जी साबित हुआ
यह घटना  देश के सबसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी  और इस घटना ने देश को पूरी दुनिया में बदनाम किया

इसी घटना के सन्दर्भ और उसी से जुडी घटनाओं के लिए
9 फरवरी को जेएनयू में हुई घटना को लेकर एक जांच पैनल ने उमर खालिद और कन्‍हैया कुमार को अलग अलग सजा दी है. उमर खालिद को एक सेमिस्टर के लिए सस्पेंड कर दिया गया है साथ ही 20 हजार रुपए जुर्माना भरने को कहा है. जबकि जेएनयू स्‍टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट कन्हैया कुमार को दस हजार रुपए जुर्माना भरने को कहा गया है.

दोनों ही छात्र नेता यूनिवर्सिटी नियमों के तहत अनुशासनहीनता के दोषी पाए गए हैं. बता दें कि इस मामले में मुजीब गट्टू को भी एक सेमेस्टर के लिए निलंबित किया गया है. अनिर्बान भट्टाचार्य को 15 जुलाई तक निलंबित किया गया है. साथ ही अनिर्बान 23 जुलाई से अगले पांच साल तक जेएनयू से कोई भी कोर्स नहीं कर सकेंगे.

इसमें कमाल की बात यह है की  जो दोषी छात्र थे यानी ए बी वी पी के छात्र  , बी जे पी के नेता   और न्यूज़ चैनल उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है , जबकि कॉलेज  प्रशासन को चाहिए  था की वो इन संघी छात्र समेत सभी न्यूज़ चैनल पर भी कार्यवाही करे  लेकिन ऐसा न हो कर उलटा पीड़ित  छात्रो को ही और प्रताड़ित  किया जा रहा है


इसमें बताया  जा रहा है  जांच कमिटी का अध्यक्ष  भटनागर  संघ समर्थक और आरक्षण विरोधी  है जो इसी तरह की अन्य देशविरोधी घटनायो में शामिल रहता है 

जानिये किस किस कम्पनी ने लगाया है चुना देश को देशभक्ति के नाम पर : आर टी आई से खुलासा :: राज आदिवाल


आप एक विजय माल्या की बात करते हैं.. मैं आपको बता दूँ अभी हाल में एक आरटीआई आवेदन के ज़रिये इस बात का खुलासा हुआ कि 2013 से 2015 के बीच देश के सरकारी बैंकों ने एक लाख 14 हज़ार करोड़ रुपये के कर्जे माफ़ कर दिये। इनमें से 95 प्रतिशत कर्जे बड़े और मझोले उद्योगों के करोड़पति मालिकों को दिये गये थे।

यह रकम कितनी बड़ी है इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर ये सारे कर्ज़दार अपना कर्ज़ा लौटा देते तो 2015 में देश में रक्षा, शिक्षा, हाईवे और स्वास्थ्य पर खर्च हुई पूरी राशि का खर्च इसी से निकल आता।

इसमें हैरानी की कोई बात नहीं। पूँजीपतियों के मीडिया में हल्ला मचा-मचाकर लोगों को यह विश्वास दिला दिया जाता है कि अर्थव्यवस्था में घाटे के लिए आम लोग ज़िम्मेदार हैं क्योंकि वे अपने पूरे टैक्स नहीं चुकाते, बिल नहीं भरते, या शिक्षा, अस्पताल, खेती आदि में सरकारी सब्सिडी बहुत अधिक है, आदि-आदि। ये सब बकवास है। देश की ग़रीब जनता कुल टैक्सों का तीन-चौथाई से भी ज़्यादा परोक्ष करों के रूप में चुकाती है। मगर इसका भारी हिस्सा नेताशाही और अफ़सरशाही की ऐयाशियों पर और धन्नासेठों को तमाम तरह की छूटें और रियायतें देने पर खर्च हो जाता है। इतने से भी उनका पेट नहीं भरता तो वे बैंकों से भारी कर्जे लेकर उसे डकार जाते हैं।

ग़रीबों के कर्जे वसूल करने के लिए उनकी झोपड़ी तक नीलाम करवा देने वाली सरकार अपने इन माई-बापों से एक पैसा नहीं वसूल पाती और फिर कई साल बाद उन्हें माफ़ कर दिया जाता है। दरअसल इस सारी रकम पर जनता का हक़ होता है। करोड़ों लोगों की छोटी-छोटी बचतों से बैंकों को जो भारी कमाई होती है, उसी में से वे ये दरियादिली दिखाते हैं।
आइये अब ज़रा देखते हैं कि इन चोरों में से 10 सबसे बड़े चोर कौन हैं।

1. टॉप टेन में सबसे ऊपर हैं, अनिल अम्बानी का रिलायंस ग्रुप जो 1.25 लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ दबाये बैठा है।
2. दूसरे नंबर पर है अपने कारखानों के लिए हज़ारों आदिवासियों को उजाड़ने वाला वेदान्‍ता ग्रुप जिस पर 1.03 लाख करोड़ कर्ज़ है।
3. एस्सार ग्रुप पर 1.01 लाख करोड़ कर्ज़ है।
4. मोदी के खास अडानी ग्रुप ने बैंकों के 96,031 करोड़ रुपये नहीं लौटाये हैं। इसके बाद भी उसे 6600 करोड़ रुपये के नये कर्ज़ की मंजूरी दे दी गयी थी लेकिन शोर मच जाने के कारण रद्द हो गयी।
5. जेपी ग्रुप पर 75,163 करोड़ का ऋण है।
6. सज्जन जिन्दल (जो मोदी की पाकिस्तान यात्रा के समय वहाँ पहुँचे हुए थे) के जे.एस.डब्ल्यू. ग्रुप पर 58,171 करोड़ का कर्ज़ है।
7. जी.एम.आर. ग्रुप पर 47,975 करोड़ का ऋण है।
8. लैंको ग्रुप पर 47,102 करोड़ का ऋण है।
9. सांसद वेणुगोपाल धूत की कंपनी वीडियोकॉन पर बैंकों का 45,405 करोड़ का ऋण है।
10. जीवीके ग्रुप कुल 33,933 करोड़ दबाये बैठा है जो 2015 में मनरेगा के लिए सरकारी बजट (34000 करोड़) से भी ज़्यादा है।
डियर जनता आप अभी व्यस्त रहिये अपनी धर्म और जाति पात की गूढ़ ज्ञान गंगा में और अपने अपने नेताओं की जिंदाबाद मुर्दाबाद में लड़ते मरते रहिये आपस में.. देश और देश की संपत्ति का क्या है वो तो आपके यही महान नेता, धर्म गुरु और पूंजीपति मिल बाँट कर जल्द ही चट कर लेंग।.

बस आप अपनी देशभक्ति भारत माता की जय तक सिमित रखिये।

गीता , वेद स्कूल और कॉलेज में और मनुस्मिरिती सविंधान में आरएसएस का जहरीला गुप्त एजेण्डा

   
आरएसएस का एजेण्डा है कि 5 साल मोदी की सरकार रहते संविधान की समीक्षा करके मनुस्मृति को संविधान में जोड़ दिया जाए। इसमें सबसे पहले सरकार भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाएगी। भगवत गीता को पढाई के सिलेबस में लागू करेगी। उसी आधार पर मनुस्मृति को सर्वोच्च दर्जा देकर धर्म निरपेक्षता की जगह वर्ण व्यवस्था कायम करेगी। इससे पहले आरक्षण की समीक्षा करके आरक्षण समाप्त किया जाएगा। वो सभी पद अनुसूचित जातियों, जनजातियों, पिछड़ों, महिलाओं, माइनर कम्यूनिटी (मुस्लिम, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई आदि) से छीन लिए जाएंगे। सभी का कार्य योग्यता नहीं बल्कि जन्म आधारित जाति के आधार पर होगा।

मनुस्मृति की चतुर्वर्ण प्रणाली के आधार पर कार्य विभाजन रहेगा। ब्रहाम्णो के लिए पूजापाठ पर पूर्णतः आरक्षण रहेगा। अन्य सभी वर्गों के लोग ब्रहाम्णो को धन, सम्पदा, जमीन, जायदाद, लडकियाँ आदि दान में देंगे। सिर्फ क्षत्रिय (राजपूत) वर्ग ही सेना, पुलिस आदि अन्य सैन्य बलों, अर्द्ध सैन्य बलों में कार्यरत होगा। छोटी-बड़ी दुकान आदि कर अपना गुजारा कर रहे और मध्यम वर्ग व महनत के बल पर बडे व्यापारी बने लोगों से सब हडप लिया जाएगा वह भी सरकार व अदालत के आदेशों पर। इस तरह व्यापार करने का अधिकार सिर्फ वैश्य (बनिया) वर्ग को ही होगा।।

बाकी बचे शुद्र। शुद्र वर्ण में वे सभी लोग हैं जो उनके कर्म के आधार पर हिन्दू ग्रन्थों के अनुसार और आचार्य मनु के निर्देशानुसार कई अनेक जातियों में विभाजित किए गए हैं। इसी अनुसार नाई केवल बाल काटेंगे, गूजर दूध उत्पादन करेंगे, चमार सभी के मरे हुए पशुओं को उठाएंगे, पशूओ की खाल उतारेंगे, भंगी सभी की गन्दगी उठाएंगे आदि आदि जिन जातियों का वर्णन प्राचीन काल में नहीं मिलता ऐसी जातियाँ जो शु्र वर्ण की ही पैदाईश हैं परन्तु समय के साथ विकसित हुई, संविधान लागू होने के बाद जिन्हें अधिकार मिले परन्तु उन जातियों का कोई पुख्ता इतिहास नहीं मिलता ऐसी जातियों को समाप्त करके उन्हें "कल्कि वर्ण" का नाम देने की योजना है। यह वर्ण कलयुग में उत्पन्न हुआ वर्ण होगा। पुराणों के अनुसार जब कलयुग चरम पर होगा तब धरती पर भगवान विष्णु का अवतार जन्म लेगा उसे "कल्कि भगवान" के नाम से जाना जाएगा वह युद्ध लडेगा और पूरे विश्व में हिन्दू सनातन धर्म को स्थापित करेगा। 

उपरोक्त लिखे गए "कल्कि वर्ण" में अहीर, जाट, सुनार आदि जातियों को शामिल करने की योजना है। इस कल्कि वर्ण का काम होगा कल्कि भगवान के आगमन के लिए स्वागत की तैयारियाँ कराना, हथियार एकत्र करने में सहयोग करना, हथियार बनाना, जमींदारों की जमीनों पर किलों का निर्माण करना, सभी उच्च वर्गों के ऐश्वर्य, सुख के लिए सुन्दर स्त्रियों, मदिरा, माँस आदि का प्रबंध करना आदि। 

जिसका पूरा विवरण जल्द ही समाचारपत्रों में पढने को मिलेगा। महिलाओं पर पूर्णतः पाबंदी लगाकर गुलाम बनाकर रखा जाएगा। मुसलमानों, बौद्धों, जैनियों, खालसा पंथियों, ईसाइयों की हत्या करके उन्हें जड-मूल से समाप्त कर दिया जाएगा।

ऐसा ऐजण्डा भारत की मोदी सरकार और आरएसएस का है। जो कल्कि भगवान के पूरे विश्व में आक्रमण और पूरे विश्व में हिन्दू सनातन धर्म के प्रसार और पूरे विश्व को गुलाम बनाने के बाद ही यह ऐजेण्डा पूरा होगा। संविधान समीक्षा के समय कानूनों को बदलने के साथ-साथ राष्ट्रपति की चयन प्रक्रिया बदलली करने की भी योजना है, इस योजना के अनुसार राष्ट्रपति पद पीठ के शंकराचार्य के लिए आरक्षित किया जाएगा। वर्तमान में शंकराचार्य का पद राष्ट्रपति के पद से भी बड़ा माना जाता है जोकि बेशक संवैधानिक नहीं है परन्तु भारत के राष्ट्रपति अनेकों बार गद्दीनशीन शंकराचार्य के कदमों में झुकते देखें गए हैं। इसी प्रकार न्यायपालिका को सरकार के प्रति जवाबदेह बनाया जाएगा और मनुस्मृति, वेदों के कानून लागू किए जाएंगे।


केदारनाथ में हनीमून मनाने से आई आपदा शंकराचार्य : ठीक तो फिर भगवान् ने रोका क्यों नहीं शंकराचार्य हो गया है विक्षिप्त :: राज आदिवाल

 नया सनातन प्रमुख फ़तवा यह कि विवाहोपरांत दंपत्तियों के जाने से केदारनाथ की बाढ़ आई थी, क्यों कि दंपत्ति जीवन अपवित्र कर्म है ।

विवाह के तुरंत बाद जीवन में प्रेम कुछ ज़्यादा ही होता है और नव दंपत्ति यदि तीर्थ स्थानों पर जाते हैं और वहॉं प्रेमरत रहते हैं तो यह अपवित्र कर्म हैं और प्रकृति नाराज़ होकर ग़ुस्से में बाढ़ ला देती है और उसमें उन दंपत्तियों के साथ महा पवित्र साधु सन्यासी तीर्थयात्री भी कोपभाजन हो जाते हैं !

समझ में आया कुछ ? तो वहॉं प्रेमकांक्षी विवाहित युवक युवतियॉं न जाया करें नहीं तो पुन: बाढ़ का क़हर आ जायेगा।  सनातनप्रमुख के लिए .....वन विनाश अपवित्र नहीं है, नदियों पर क़ब्ज़ा कर उनके रास्तों को अवरुद्ध कर आश्रम होटल धर्मशाला आदि बनवाना अपवित्र कर्म नहीं है , एकदम ठीक गंगोत्री के मुहाने पर आश्रम  बनाकर उसका सीवर सीवेज सीधे गंगाजी में समर्पित कर देना अपवित्र कर्म नहीं है


पंडों की गुंडागर्दी , बेईमानी और व्याभिचार अपवित्र नहीं है , कुछ आश्रमों में हो रहे असंवैधानिक अवैधानिक अनैतिक कर्म अपवित्र कर्म नहीं है , गंगा किनारे बन रहे होटल और सीवेज विसर्जन से प्रकृति नाराज़ नहीं होती न ही गंगा जी क्रुद्ध होती हैं । भाड में जाये पर्यावरण विज्ञान और जलवायु परिवर्तन पर संसार की चिंता, अब बाबा जी ने समाधान खोज लिया है ।

बाबा जी आप इस धरती पर कहॉं से अवतरित हुये ? बिना मॉं बाप के प्रेम रत हुये ? किस स्थान पर ?
सनातन काल से तीर्थ स्थानों पर उत्पन्न मनुष्य और अन्य जीव जंतु क्या अपवित्र कर्म के महाअपवित्र उत्पाद हैं ?     ऋषिकेश , प्रयाग , काशी , तिरुपति , रामेश्वरम आदि स्थानों पर पैदा हुये पुरोहित परिवार कैसे अपवित्र नहीं हैं और तब प्रकृति कयों नहीं रूठीउनसे कि आज भी अस्सी बरस की उम्र में पौरोहित्य कर रहे हैं ?         

पर हमने तो आज तक ज्ञानियों से यही सुना था कि प्रेम ईश्वर की सबसे सुंदर अभिव्यक्ति ही है ।

अब क्या करें ? रुड़की पर नया नाका लगवाएँ जाँच करने के लिये कि कौन नवदंपत्ति है , हनीमूनर है ?

उस अपवित्र काम की जॉंच कैसे होगी कि अधेड़ उम्र के पतिपत्नी करें ? और बूढ़े दंपत्ति क्या प्रकृति जन्य भावनाओं से वंचित किये जायेंगें? बाबा जी जल्दी रास्ता बताओ क्यों कि गरमियाँ आ चुकी हैं , हर उम्र के दंपत्ति पहाड़ों की ओर प्रस्थान कर चुके हैं , उनंहें तत्काल रोकना होगा ?!?

जय हो आर्यावर्त जम्बूद्वीप भरतखण्ड के सर्वोच्च धर्म प्रमुख की!

Monday 25 April 2016

घटिया क्वालिटी की शिकायत के बाद रामदेव के , तेल , घी और अन्य उत्पादों को जांच के लिए जब्त किया गया

 गुना, 23 अप्रैल (एजेंसी)। मध्यप्रदेश के गुना जिला प्रशासन ने बाबा रामदेव के पतंजलि ब्रांड के कई उत्पादों के नमूने लेकर भोपाल प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजे हैं। एडीएम नियाज अहमद खान के निर्देश पर खाद्य एवं सुरक्षा विभाग द्वारा ये कार्यवाही की गई है।

तीन दिन चली इस कार्यवाही के दौरान चार दुकानों से पतंजलि आयोडीन नमक, दलिया, गाय का घी, चावल सहित नौ प्रोडक्ट के नमूने लिए गए। 

ये नमूने भोपाल प्रयोगशाला में जांच के लिये भेज दिये गए हैं। हलांकि खान के अनुसार रूटीन प्रक्रिया के तहत ये कार्यवाही की गई है, जो आगे भी जारी रहेगी लेकिन ऐसा है नहीं क्योकि आय दिन पतंजली और रामदेव के उत्पादों की शिकायत आरही थी और जिसकी खबरे अखबारों में छप रही थी

खान का कहना है हमे किसी का दबाव नहीं है हम  किसी का नाम और पद देखकर काम नहीं करता। इससे पहले भी देश की कई नामी-गिरामी कम्पनियों के खिलाफ सैंपलिंग और जुर्माने की कार्रवाई हो चुकी है। 

 लेकिन  यह परिणाम रामदेव के घटिया  उत्पादों  का  है , जिले में पतंजलि के एक साथ नौ उत्पादो की सैम्पलिंग अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही के रूप में देखी जा रही है। इससे पहले भी अपर कलेक्टर न्यायालय द्वारा कई बड़ी और नामी कंपनियों पर पौने दो करोड़ रूपये के जुर्माने की कार्रवाई की जा चुकी है।


Sunday 24 April 2016

आय से अधिक धन , के मामले सिर्फ दलितों पर ही क्यों , सदीओ से लूटने वाले सवर्णों की सम्पति की जांच क्यों नहीं होती ??

जन उदय : देश में कांग्रेस/ भाजपा  यानी ब्राह्मणों का वर्चस्व खत्म  हुआ देश के कई हिस्सों में उन गरीबो , की मजदूरों की सरकारे  बनने लगी जो सदीओ से ब्राह्मणों के जुल्मो के शिकार थे , इन लोगो ने पाने लोगो के लिए अपने लोगो के बारे में अपने इतिहास के बारे में लोगो को आगाह करना शुरू कर दिया  और यही कारण है देश में बहुजन क्रान्ति होने जा रही है और बहुत जल्द ब्राह्मणों का और सवर्णों का पूरी तरह वर्चस्व खत्म हो जाएगा .

लेकिन एक बात जो सवर्णों को और ब्राह्मणों को बिलकुल हजम  नहीं होती है वह है  दलितों का बहुजन का आगे बढ़ना , उनका सत्ता में आना  और सबसे बढ़ी बात की देश की हर निति निर्धारण में इनका भागीदार होना . यही कारण है इन दलित नेताओं पर तरह तरह के इल्जाम लगाय जाते रहे है , कभी आम लोगो के जरिये  कभी मीडिया के जरिये और खुद सवर्ण नेता

काफी अरसे से दलित नेताओं पर आय से अधिक सम्पति का केस चल रहा है और कभी ये केस हाई कोर्ट में होते है कभी सुप्रीम  कोर्ट में  कमाल की बात यह है की ये केस उसी वक्त खोले जाते है जब सरकार को  यानी केंद्र में बैठी ब्राह्मणों की सरकार को इन लोगो पर दबाव डालना होता है , जैसे जी एस टी के मामले पर इनके केस सामने आये , इसके बाद बिहार चुनाव में मुलायम पर दबाव डाला  गया  और अब यु पी  चुनाव आ रहे है इसमें मायावती के उपर दबाव डालने के लिए केस दुबारा खोल दिया गया है . खैर  कानून अपनी जगह

अब सवाल यह है की जाहिर मायावातो और मुलायम जैसे परिवेश से आते है इनके पास इतनी समाप्ति कभी न थी  और जो है वह पार्टी फण्ड से है  या पार्टी के जरिये जो मिलता है , खैर  इस बात का कोर्ट से फैसला हो जाएगा .


लेकिन जो लोग यानी  सवर्ण इनकी  आय की सम्पति और अन्य बातो की जांच नहीं होती ?? राजनाथ सिंह की नरेंदर मोदी की , जिंदल की , रोबर्ट वाड्रा , की नितिन गडकरी , इन लोगो की सम्पति पिछले साल में ही ३०० गुना से जयादा बढ़ गई है इसके बाडी ये लोग सदीओ से इस देश को लूटते आये है क्या इनके  उपर देश को लूटने के केस नहीं चलने  चाहिए  या आय से अधिक सम्पति की जांच क्यों नहीं होती ??? 

चोरो की जमात है सुनार और गहने व्यापारी : जानिये कैसे सुनार और गहने व्यापारी आपकी जेब काटते है एक्साइज ड्यूटी और मेकिंग चार्ज के नाम पर :: राज आदिवाल

 जन उदय : आपको यह यकीन ही नहीं होगा की कैसे सुनार और गहने व्यापरी  आपकी जेब काट लेते है और आपको पता भी नहीं चलता है  आइये  आपको बताते है मान लीजिये आप सुनार के पास गए आपने 10 ग्राम प्योर सोना 30000 रुपये का खरीदा। 

उसका लेकर आप सुनार के पास हार बनबाने गए। सुनार ने आपसे 10 ग्राम सोना लिया और कहा की 2000 रुपये बनबाई लगेगी। आपने कहा ठीक है। उसके बाद सुनार ने 1 ग्राम सोना निकाल लिया और 1 ग्राम का टाका लगा दिया। क्यों विना टाके के आपका हार नही बन सकता। यानी की 1 ग्राम सोना 3000 रुपये का निकाल लिया । और 2000 रुपये आपसे बनबाई अलग से लेली। यानी आपको 5000 रुपये का झटका लग गया। अब आपके 30 हजार रुपये सोने की कीमत मात्र 25 हजार रुपये बची। और सोना भी 1 ग्राम कम कम हो कर 9 ग्राम शेष बचा। बात यही खत्म नही हुई। 

उसके बाद अगर आप पुन: अपने सोने के हार को बेचने या कोई और आभूषण बनबाने पुन: उसी सुनार के पास जाते है तो वह पहले टाका काटने की बात करता है। और सफाई करने के नाम पर 0.5 ग्राम सोना और कम हो जाता है। अब आपके पास मात्र 8.5 ग्राम सोना बचता है। यानी की 30 हजार का सोना मात्र 25500 रुपये का बचा।
आप जानते होंगे
30000 रुपये का सोना + 2000 रुपये बनबाई = 32000 रुपये
1 ग्राम का टाका कटा 3000 रुपए + 0.5 पुन: बेचने या तुड़वाने पर कटा = सफाई के नाम पर = 1500
शेष बचा सोना 8.5 ग्राम
यानी कीमत 32000 - 6500 का घाटा = 25500 रुपये
सरकार की मंशा

एक्साइज ड्यूटी लगने पर सुनार को रशीद के आधार पर उपभोक्ता को पूरा सोना देना होगा। और जितने ग्राम का टाका लगेगा । उसका सोने के तोल पर कोई फर्क नही पड़ेगा। जैसा की आपके सोने की तोल 10 ग्राम है और टाका 1 ग्राम का लगा तो सुनार को रशीद के आधार पर 11 ग्राम बजन करके उपभोक्ता को देना होगा। इसी लिए सुनार हड़ताल पर हे। भेद खुल जायगा।

जागो ग्राहक जागो।

ब्राह्मणों की एक और धूर्तता का पर्दाफाश , नहीं था कोई कौटिल्य/ चाणक्य मोर्यकाल में

जन उदय : अगर आप दुनिया के इतिहास का मानिविय आंकलन करेंगे तो पायंगे की ब्राह्मण दुनिया की  सबसे धूर्त और मक्कार  कौम के रूप में सामने आयंगे ,  कभी कभी यह सोच कर ही हैरानी हो जाती है की इन लोगो ने कैसे कैसे ग्रन्थ लिख कर रख लिए थे जिनके आधार पर बाद में अपने आपको भगवान का दूत बताने लगे , समाज का सबसे बड़ा वर्ग बताने लगे बाकी सबको नीच बताने लगे बाकी सब इनके गुलाम है  यह भगवान् का संदेश है , और जो संदेश को नहीं मानेगा उसका कत्ल किया जाएगा , उसे एल में डाला जाएगा , कमाल है

हाल ही में एक शोध सामने आया है जिससे पता चला है की मोरी काल में कोटलिय नाम का कोई व्यक्ति नहीं था  , सभी  इतिहासकार  वेशेश्कर ब्राह्मण मौर्यकाल को ब्राह्मणों की योग्यता एयर काबलियत के रूप में पेश करते है जबकि यह झूट है
सामान्यत  कौटिल्य के पुस्तक  अर्थशास्त्र को मौर्य काल का बता कर उसमे राजनीति और अन्य नीतिओ की माह्नाता ब्राह्मण बखानते  रहते है ,

 जबकि यह सब झूट है ,
कौटिल्य के अर्थ शास्त्र के बारे में उस समय आये मगस्थ्नीज़ जैसे विद्वानों को कुछ मालूम नहीं था इतिहासकारों का मानना है की अर्थशास्त्र मौर्यकाल के ५०० वर्ष बाद लिखा गया  इस तरह अह  पुस्तक  झूटी साबित होती है , इतिहासकार जोलि  ने ये साबित  क्या है की या ग्रन्थ झूठा  है और सका मौर्य काल से कोई सम्बन्ध नहीं है


कौटिल्य की पुस्तक " अर्थशास्त्र " के आधार पर मौर्य - प्रशासन का ब्राह्मणवादी इतिहास लिखना बंद हो जाना चाहिए। कारण कि " अर्थशास्त्र " की रचना बहुत बाद में हुई है । डॉ. जाली जैसे विद्वान भी मानते हैं कि

 " अर्थशास्त्र " की रचना तृतीय शती ई. में हुई थी अर्थात् चंद्रगुप्त मौर्य के कोई पाँच सौ साल बाद रची गई थी । " अर्थशास्त्र " में ब्राह्मणवादी सिद्धांतों का प्रतिपादन है और इतिहासकार मौर्य काल की जाली तस्वीर उसी आधार पर बना लेते हैं। सच यह है कि मौर्य काल में कोई कौटिल्य और " अर्थशास्त्र " नहीं था। मेगास्थनीज सहित मौर्यकालीन सभी अभिलेख किसी कौटिल्य और उसके " अर्थशास्त्र " को एकदम नहीं जानते हैं।