जन उदय : शिक्षा किसी भी समाज
या देश की तरक्की की चाबी है
आप जिस भी समाज को तरक्की से वंचित करना
चाहते है तो उस समाज से शिक्षा छीन लीजिये
बस धीरे धीरे उनका जीवन अपने आप
अंधकारमय होने लग जाएगा . दलितों के साथ
सदीओ पहले यही हुआ की इनसे सबसे पहले शिक्षा
जी छिनी ब्राह्मणों ने और इसके बाद वही हुआ जो ब्राह्मण चाहते थे
यानी देश के मालिक गुलाम हो गए और
विदेशी आतंकी ब्राह्मण देश
और समाज के मालिक और भगवान् के
दूत बन गए
जो दलित जातिवाद से परेशान हो कर मुस्लिम राजाओं
या नवाबो की सरपरस्ती में मुस्लिम बन गए
कहने को तो वो मुस्लिम बन सामाजिक स्तर पर सामान हो गए लेकिन
ब्राह्मणों में से मुस्लिम बने लोगो ने
इस छोटी
जाति के मुस्लिम लोगो को फिर भी शिक्षा हांसिल नहीं होने दी यानी ब्राह्मणों को डर था अगर ये छोटी जाति के लोग मुस्लिम बन पढने लिखने लग गए तो एक दिन ये अपना इतिहास जान
लेंगे और धर्म या जाति के आधार पर न सही लेकिन ब्राह्मणों को मानवता
का दुश्मन ठहरायंगे इसलिए इन दलितों के साथ साथ बहुत सारे ब्राह्मण भी मुस्लिम
बने और इन्होने वहा भी पुरोहित पद को और बुद्धिजीवी वर्ग को ही अपनाया और इसके चलते इन्होने मुस्लिम समाज को शिक्षा से वंचित रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी
यानी मुस्लिम को न तो पूरा
कुरआन का ज्ञान होने दिया
और न ही ऐसा होने दिया की ये लोग खुद
कुरआन पढ़ ले और समझ ले
है न कमाल की बात ?? की जिस
कुरआन में औरत और मर्द की शिक्षा के उपर
जोर डाला गया है और कष्ट झेलने के बाद भी पढने की सलाह दी गई है उसी मुस्लिम समाज में ३ % लोग भी सही ढंग से शिक्षित नहीं है
कारण ?? ब्राह्मण ..
खैर इतिहास को छोडिये और लोड मैकाले के प्रयासों से खिन्न हो कर आज
भी उसको गाली देने वाले ब्राह्मण कहने को तो अपने आपको देशभक्त कहते है लेकिन ये
लोग कभी नहीं चाहते की दलित – मुस्लिम समाज पढ़ लिख ले और यही कारण है की ये किसी न किसी तरह से
इन प्रयासों में लगे रहते है की दलित
मुस्लिम शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ जाए ,
ये लोग पढ़ लिख तो ले लेकिन रिसर्च और उच्च
शिक्षा में कभी ना आये ताकि ब्राह्मणों
द्वारा रचा गया झूट का तिलिस्म कभी न टूट
पाए
कोंग्रेस वामपंथी और भाजपा
ये सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे
ब्राह्मण है कपिल सिब्बल से शुरुआत
हुई यूनिवर्सिटी में शिक्षको की कमी करना , नए
कोलेज न खोलना , इनका बजट कम करना
जिसको अब भाजपा बढ़ी श्ख्ती से लागू कर
रही है
पिछले दस दिन पहले यु जी सी ने एक अजीब सा तुगलकी फरमान
देश के सभी कोलेज और
यूनिवर्सिटी को भेजा है जिसमे कहा गया है
की हर शिक्षक को हफ्ते में कम से कम १६ की जगह २४ घंटे पढ़ना होगा यानी दो शिक्षको पर एक टीचर
कम करने की ताकिक
अब इन जनाब से कोई ये पूछे
क्या शिक्षको को पढ़ाने के लिए पढने का वक्त मिल पाएगा इस तरह ??
बिलकुल नहीं एक तरफ क्वालिटी शिक्षा की बात करने वाली भाजपा दरसल शिक्षा को
बर्बाद कर देना चाहती है , क्योकि शिक्षक को पढ़ाना तो है ही साथ के साथ यु जी सी से सम्बन्धित
जर्नल में अपने साल में कुछ रिसर्च
पेपर भी पब्लिश करना जरूरी कर दिया गया है इसके अलावा कोलेज के प्रशासनिक
कार्य भी शिक्षको को करने पढेंगे
इसमें दुसरा एक बढ़ा ही प्रवाधान
है की शिक्षक की ए पी आई में छात्रो
का फीडबेक सबसे जयादा महत्वपूर्ण
होगा यानी अगर सरकार किसी शिक्षक को
निकालना चाहे तो छात्रो के एक्स्मूह को जो
राजनैतिक हो सकता है या उनके इशारों पर काम करना वाला हो सकता है , उसको शिक्षक के पीछे लगा दिया जाएगा और शिक्षक को
बर्बाद कर दिया जाएगा . यानी पहले छात्र
गुरु जी के पाँव छूते थे अब गुरु
जी छात्रो के पाँव छुएंगे
एक तरफ सरकार चाहती है की छात्र
राजनीती न करे सिर्फ पढ़े दूसरी
तरफ उनको
उसी दलदल में धकेल रही है
मौजूदा सरकार का दो साल का रिकॉर्ड
किसी भी स्तर पर अच्छा नहीं
रहा बल्कि इनकी हर चाल देश को बर्बाद करने
और गुमराह करने की रही है , ये
लोग वैज्ञानिकों को जो देश के लिए काम करते है उनको एक तरफ कर
रही है और उन लोगो को जो चमचे है शिक्ष्ण संस्थानों का मुखिया बना रही है पुणे फिल्म स्कूल , हैदराबाद यूनिवर्सिटी
जहा रोहित वेमुला की
संस्थानिक हत्या हुई आई आई टी
मद्रास , अलाहाबाद उनिवेसिटी आदि
मौजूदा समय में सवाल सिर्फ दलितों
का या आरक्षण का नहीं है बल्कि , सवाल
मुस्लिम ब्राह्मण , बनिया का
भी नहीं है सवाल यह है की अगर इसी
तरह सरकारी संस्थान बर्बाद हो जाएंगे तो आने
वाली नसले कहा जाएंगी , क्या भाजपा सभी
सवर्ण लोगो को अपने इजी शिक्षा संस्थानों में जहा लाखो रूपये
की फीस है वहा मुफ्त पढने देगी ??
या वो इजी संस्थान जो सिर्फ पैसे के दम पर चलते है सवर्णों को
मुफ्त में आने देंगे ?? नहीं
समय और सोच सबके पास है
देश के नाम पर आतंक फैलाने वाले
अगर पुरे देश में शिक्षा फैलने देंगे तो
सच में देशभक्त कह्लाय्न्गे वर्ना इतिहास अनिसार सब जानते है की
कौन देशभक्त है कौन देशद्रोही ,