Apni Dukan

Tuesday 12 April 2016

क्या आप जानते है की विजय माल्या जो ९००० करोड़ ले कर भागा है वह आपके बैंक अकाउंट से चुराया पैसा है ?? माल्या वापिस दे या न दे बैंक को कोई फर्क नहीं पड़ता

 जन उदय : क्या आप जाने है की हर बैंक विशेषकर सभी प्राइवेट बैंक आपके अकाउंट से पैसा  चुराते है , जिसकी वजह से उसे अरबो रूपये का मुनाफ़ा बिना कुछ करे धरे ही हो जाता ??

अब आप सबसे पहले बैंक चलाने का तरीका समझ ले  सबसे पहले एक राशि के साथ बैंक के संस्था की तरह बाजार में उतरता है  और इसकी सबसे बड़ी ताकत होती है इसे अकाउंट होल्डर यानी अगर बैंक में अकाउंट नहीं है तो समझ लीजिये वह बैंक नहीं चलेगा और जिस बैंक में जितने जयादा अकाउंट होंगे  बैंक उन अकाउंट होल्डर के पैसे से बाजार में व्यापार करेगा , वह लोन हो सकता है , कुछ अवधि जमा योजना  या कुछ और  और इस   व्यापार से होने वाले मुनाफे से यह बैंक अपने कर्मचारियो को सेलरी , और अन्य सुविधा देता है , यानी बैंक पूर्ण रूप से आपके पैसे से चलता है

पिछले कुछ सालो से बैंकिंग सेक्टर में काफी बदलाव आये है काफी सुविधाए बैंक ने अपने अकाउंट होल्डर के लिए बढाई है , नेट बैंकिंग , ए टी एम् आदि इसी तरह की सुविधाए है  इसके साथ साथ प्राइवेट बांको की संख्या भी काफी बड़ी है 

प्राइवेट बैंक अपने यहा ग्राहकों की संख्या बढाने के लिए तरह तरह की सुविधाए  और वादे करता है और विज्ञापनों पर भी 

हर साल करोडो खर्च करता है , इसके साथ साथ पूंजीपतियो को लोन भी देता है
पिछले कई सालो में लाखो करोडो का लोन पूंजीपति ले कर बैठे हुए है  जिसमे अम्बानी अधानी,  विजय माल्या जैसे लोग है जिन पर हजारो करोड़ का लोन बाकी है लेकिन दे नहीं रहे है ,

इस बात में एक बात विशेष यह है की बैंक को इस हजारो करोड़ के लोन के डूब जाने का कोई गम नहीं नहीं , ऐसा क्यों ?? , क्योकि ये लोन का रुपया दरसल  आम लोगो के अकाउंट से लूटा हुआ चोरी किया हुआ पैसा जो डूब जाए तो डूब जाए , आइये  देखे कैसे चुराता है बैंक आपके अकाउंट से पैसा

आपके अकाउंट से हर महीने या  तीन महिने में  बैंक कुछ राशि काट लेता है वो भी बिना किसी कारण के यानी औसत बैंक बैलेंस , ए टी एम् चार्ज , दुसरे  बैंक से पैसा निकालना  , आदि
यह राशि हर साल इतनी बड़ी होती है की हर बैंक अरबो रुपया बिना बात के कमाता है और अकाउंट होल्डर के अकाउंट में इतनी छोटी होती है की लगभग सभी लोग  इस पर ध्यान ही नहीं देते
अब सवाल यह है की अगर कुछ लोग कहे तो भी  सरकार या रिज़र्व बैंक इस पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं करते ??  जाहिर है नेता रिश्वत नहीं लेते बैंक से लेकिन अगर वह कहे की इस पूंजीपति को लोन देना है तो बैंक मना नहीं करता  और वह पूंजीपति इस नेता को चुनाव में मदद करता है


इस तरह की लूट  में प्राइवेट बैंक एच डी ऍफ़ सी और आई सी आई सी आई बैंक शामिल है 

आरक्षण छोड़ने की बात करने वाले दलित नेता पहले खुद दलित राजनीती छोड़े और आरक्षित सीटो पर न लड़े

नई दिल्ली : रामविलास पासवान ने एक बार कहा था की अगर आरक्षण न होता तो वो आज जहा है वहा नहीं होते ,जाहिर है इसमें कोई दो राय नहीं है क्योकि आज जितने भी दलित है वो आरक्षण की वजह से आगे आये है


अब इनके सपुत्र  आरक्षण के लिए लड़ने वाली अपनी ही पिता की पार्टी से जिन्हें चुनाव लड़ने का आरक्षण मिला  कहते है कि आर्थिक रूप से खुशहाल दलितों को भी आरक्षण का लाभ उठाना बंद कर देना चाहिए।



अख़बार 'द टाइम्स ऑफ़ इंडिया' को दिए गए एक इंटरव्यू में चिराग पासवान ने कहा कि आर्थिक रूप से समृद्ध लोगों के लिए आरक्षण कोटा बंद कर देना चाहिए और यह उन समुदायों को दिया जाना चाहिए जिन्हें इसकी जरूरत है, इससे उनकी स्थिति में सुधार आएगा। 


इस बात को खाने से पहले चिराग पासवान ने के बार भी नहीं सोचा होगा की अगर समृद्ध दलित आरक्षण छोड़ेंगे तो वो खुद अपने पिता की  पार्टी में क्यों आरक्षण पाकर चुनाव लड़े ?
इसके अलावा अब खुद क्यों दलित राजनीती कर रहे है ??  आप समृद्ध है अब आपको क्या करना है आरक्षण का ??



ये बड़े ही अचरज की बात है की इससे पहले दलितों के नाम पर खाने वाले आरक्षित सीट पर लड़ने वाले कहते है समृद्ध दलितों को आरक्षण छोड़ना चाहिए , यानी ये वो लोग है जिन्हें खुद सब कुछ चाहिए लेकिन प्रवचन सबको त्याग का दे रहे है   

जानिये क्यों हो गए है स्वरूपानंद सरस्वती विक्षिप्त तथाकथित कांग्रेसी बाबाओ ,संतो धर्मगुरूओ हो गए है भाजपा से परेशान , इसलिए ऊल जलूल ब्यान देकर स्वरूपनद सरस्वती अपनी पहचान बना रहे है,

जन उदय : जिस तरह सरकारे बदलती है उसी तरह अफसरों नौकरशाहों के तबादले होने शुरू हो जाते है सत्ताधारी पार्टी अपने अपने चमचे अफसरों को  नौकरशाहों को आगे लाना शुरू कर देती है ,ठीक उसी तरह प्रदेश में एन जी ओ  सामाजिक संस्थाओं का भी हाल हो जाता है जो संस्था सत्ताधारी पार्टी की बात नहीं मानती उनकी विचारधारा के साथ काम नहीं करती ,  उन संस्थाओं के हालात काफी बुरे  चलते है , ठीक इसी तरह गुंडे भी सत्ताधारी पार्टी  के ही सक्रिय रहते है , सत्ताधारी पार्टी अपने गुंडों को समर्थन दे उनके  वर्चस्व  और खौफ को बढ़ाती है ताकि यही गुंडे चुनाव के वक्त इनके काम आ सके

सत्ताधारी पार्टी का मतलब है की उस पार्टी की सत्ता के समय में सारे के सारे अफसर , गुंडे नेता , दलाल  तत्व ही काम करेंगे

सत्ता का मजा सिर्फ गुंडे बदमाश या नेता अफसर ही नहीं लेते  बल्कि भारतीय समाज में उस पार्टी को आशीर्वाद  देने वाले साधू , संत , धर्म गुरु भी खूब ऐश करते है  आपको  यकीन नहीं हो रहा होगा  दरअसल भाजपा  शासन में यही हो रहा है , जितने भी भाजपा समर्थक साधू संत , नेता , गुंडे सब एश कर रहे है  लेकिन कांग्रेस समर्थित बाबा और साधू लोगो को दरकिनार कर दिया गया है आज इन साधुओ की वो हलात हो गई है जैसे गली का कुत्ता हो , 

यही कारण है कि इतना समय तक चुप चाप  रहने वाले साधू स्वरूपानंद सरस्वती  पूरी तरह से  मानसिक रूप से पगला  गए है
इनको लगता था  भाजपा आएगी  तो साधू होने के नाते धार्मिक सरकार इन्हें कुछ विशेष पदवी या तमगा  देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ  उलटा  इनका हर बात पर तिरस्कार हो  रहा है  यही कारण है की स्वरूपानंद सरस्वती  जी ऐसे उलटे सीधे ब्यान दे रहे है जिससे सरकार और मीडिया का ध्यान इनकी तरफ जाए और अंत में सरकार इन्हें कुछ दे दे


वैसे स्वरूपानंद जी के ब्यान कुछ ऐसे ब्यान है जो मानसिक रूप से विक्षिप ही दे सकता है चूँकि ये साधू है तो शायद इनके लिए कोई कड़े शब्द  तो इस्तेमाल नहीं कर रहा है लेकिन पागल जरूर करार दे रहा है