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Wednesday 9 March 2016

देश के 39 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एससी/एसटी और ओबीसी कोटे के शिक्षकों के 58 फीसदी पद खाली हैं।

देश के 39 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एससी/एसटी और ओबीसी कोटे के शिक्षकों के 58 फीसदी पद खाली हैं।
इन वर्गों के लिए स्वीकृत 4763 पद में से सिर्फ 1977 पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर की नियुक्तियां हुई हैं। इसके अलावा असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए बीएचयू और एचएनबी गढ़वाल ने स्वीकृत पदों से ज्यादा नियुक्तियां सामान्य वर्ग में कर ली थी।


आंकड़े एक साल पुराने 2015 के हैं लेकिन वर्तमान में भी इनकी प्रासंगिकता है क्योंकि हाल ही में हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला के सुसाइड के बाद आरक्षण का मुद्दा गर्माया हुआ है।

आरटीआई कार्यकर्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने 2015 में आरटीआई के माध्यम से यूजीसी से केंद्रीय विवि में एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग के शिक्षकों का ब्योरा मांगा था।

आरटीआई (2015) के मुताबिक केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कुल 6107 असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर के पद खाली हैं। इनमें 1135 एससी, 610 एसटी और 1041 ओबीसी कोटे के पद हैं। जबकि शिक्षकों के कुल स्वीकृत पद 16339 हैं।
आरटीआई से खुलासा

सोर्स : अपडेट मार्ट .कॉम 

कौन सी भारतीय संस्कृति सिखाना चाहते है रवि शंकर ,दंगे जातिवाद ??

कौन सी  भारतीय संस्कृति  सिखाना  चाहते है रवि शंकर ,दंगे जातिवाद ??
दिल्ली में यमुना नदी पर होने वाला श्री श्री रवि शंकर  का संस्कृति महोत्सव न सिर्फ यमुना के लिए बर्बादी बन कर सामने आया है लेकिन अभी तक ये भी पता नहीं चल  रहा है की इतना पैसा खर्च कर के वो विदेशी लोगो को  भारत की कौनसी संस्कृति सिखाना चाहते है



गौर तलब है रवि शंकर का साथ देने वाले लोग वो है जिन्होंने जे एन यु में सत्ता का पूरा दुरउपयोग करके नकली विडियो बनाया  और पुरे देश में अशांति का माहोल बना दिया , इससे पहले हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में पुरे षड्यंत्र के साथ दलित छात्रो को पहले होस्टल से निकाला गया और फिर उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया , दलितों ने इसे  संस्थानिक हत्या का नाम दिया है
देश के अंदर एक बहुत बड़ी आबादी का विकास सिर्फ इसलिए नहीं हो पाया क्योकि जातिवाद के कारण उनको न तो सिर्फ सुविधा दी जाति है  और न ही अवसर दिए  जाते है

देश के अंदर होने वाले दंगे ,  जातिवादी हत्याए  बहुत आम बात है तो क्या रवि शंकर ये संस्कृति पूरी दुनिया को सिखाने वाले है , अगर रवि शंकर को भारतीय संस्कृति पर इतना ही गर्व है तो वो एक बार खुल कर लोगो के साथ संवाद क्यों नहीं करते संस्कृति पर हो सकता है लोगो से गलती हो  रही  हो

किसी को ये समझ में नहीं आता की मानवता को शर्मसार करने वाली संस्कृति को कौन पसंद करेगा 

मनुसिमृति का जलाया जाना संघ के षड्यंत्र की अगली कड़ी : सिर्फ मनुसिमृति नहीं , ब्राह्मणों द्वारा लिखित ग्रन्थ जलाय जाने चाहिए जो करते है जातिगत उत्पीडन की वकालत ,

  मनुसिमृति का जलाया जाना  संघ के षड्यंत्र की अगली कड़ी : सिर्फ मनुसिमृति नहीं ,  ब्राह्मणों द्वारा लिखित ग्रन्थ जलाय जाने चाहिए जो करते है जातिगत उत्पीडन की वकालत ,

इसे   प्लान कहो या षड्यंत्र की दूसरी क़िस्त में ए बी वी पी के छात्रो ने   जेएनयू में प्रशासन की अनुमति के बिना मंगलवार को मनुस्मृति की फोटो कॉपी की प्रतियां जलाई गई. एबीवीपी के पूर्व यूनिट सचिव प्रदीप नारवाल ने कहा कि “मनुस्मृति महिलाओं और शूद्रों के खिलाफ है. इसलिए इसको लेकर हमारा विरोध है.”  उनके इसी ब्यान से साबित होता है की  वो जातिगत  भावना से कितने पीड़ित है की वो आज भी दलितों और उत्पीड़ितो को  शुद्र    कहते है , जबकि ये लोग भारत के मूल निवासी है  और ब्राह्मण विदेशी हमलावर है


कमाल की बात है की ये मनुवादी  छात्र नारे भी लगा रहे थे की यहाँ  पर मनुवाद की कब्र खुदेगी
कुछ छात्रो का ये भी मानना  है की ए बी  वी पी के छात्रो ने ये इसलिए किया है की इन छात्रो का एक प्रकार से सामाजिक बहिष्कार हो गया है और ये अपने आपको कही अलग थलग महसूस करते है

दुसरे छात्र ने बताया की ए बी  वी पी के इन छात्रो को कोई भी बहिष्कार नहीं किया गया है है ये हो सकता है इन छात्रो में खुद अपराधिक बौध हो और वे अपने अंदर ही अपने आपको अपराधी मानते है जिसकी भरपाई ये मनुसिमृति को जला कर कर रहे है
दुसरे छात्र ने बताया की ए  बी वी पी के इन छात्रो को इस बात का भी डर होगा की आने वाले वक्त में कही इन पर जब कानूनी कार्यवाही होगी तो ये लोग अकेले पढ़ जाएगे और इनका हाल एक वास्तविक अपराधी की तरह ही होगा

एक अन्य छात्र ने कहा की  अगर ये लोग जातिवाद के इतने ही खिलाफ है मानवता के इतने पक्षधर है तो ये ब्राह्मणों द्वारा लिखे उन सभी ग्रंथो को क्यों नहीं जलाते जो दलितों मूलनिवासियो के खिलाफ क्रूरता की वकालत करते है मनुसिमृति को पहले भी  जलाया जा चुका है और उसको एक बार  फिर जला दो उससे कोई फर्क नहीं पढता
दरसल सरकार संघ जे एन यु को ही न्यूज़ में रखना चाहती है और पुरे देश का ध्यान रोहित वेमुला की हत्या से हटानी चाहती है

सेना की खोली पोल : महिला दिवस पर बोले कन्हैया ‘कश्मीर में सुरक्षा के नाम पर सेना करती है महिलाओं से रेप’


नई दिल्ली। देशद्रोह के आरोपी जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने महिला दिवस पर अपने भाषण के जरिये भारतीय सेना को निशाने पर लिया है। साथ ही उसने मोदी सरकार को भी घेरने की कोशिश की। उसने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि चाहे उनकी आवाज दबाने की लाख कोशिशें हों, लेकिन वह डंके की चोट पर कहते हैं कि कश्मीर में सुरक्षा के नाम पर महिलाओं से बलात्कार होते हैं।

हालांकि कन्हैया ने ये भी कहा कि वो सुरक्षाबलों का सम्मान करता है, लेकिन जब उसने कश्मीर का जिक्र किया तो कहा कि वहां सेना बलात्कार करती है। कन्हैया ने कश्मीर में सेना को लेकर कहा कि हम सुरक्षाबलों का सम्मान करते हुए भी बोलेंगे कि कश्मीर में सेना द्वारा बलात्कार किया जाता है। हमारे आपस में मतभेद हैं, लेकिन इस देश को बचाने और इस देश के संविधान को बचाने में हमारे कोई मतभेद नहीं है। हम आजाद हिन्दुस्तान में समस्याओं से आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
कन्हैया ने खुद की तस्वीर के सोशल मीडिया में वायरल होने के मुद्दे पर कहा, ‘आज आठ मार्च है। महिला दिवस है। आज उनका नाम नहीं लूंगा। आज ही के दिन हमारी फोटो को गलत तरीके से पेश किया गया है। मैं 21 साल का हूं। मेरी दोस्त मुझे बच्चा कहती है, उसे टीचर बना दिया।


राष्ट्रवाद पर चोट करते हुए कन्हैया ने आरएसएस और भाजपा को घेरने की कोशिश की और कहा कि ये लोग देशद्रोहका स्टिकर लेकर घूमते हैं और जिस पर चाहते हैं चिपका देते हैं। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि जवानों से ज्यादा बहादुर व्यापारी है। ये जो बोलते हैं उससे पलट जाते हैं। एक तरफ भारत माता की जय कहते हैं, दूसरी तरफ महिलाओं को वेश्या कहते हैं। जेएनयू देश की समस्या पर बहस करता है तो इसे खत्म करना चाहते हैं।कन्हैया ने कहा, ‘लोग मेरे कपड़ों पर सवाल उठा रहे हैं। कहते हैं कि इतना महंगा जैकेट पहना है, इनको पता नहीं ये जैकेट राजनाथ सिंह की पुलिस ने दिया है।

सुरक्षाबलों पर रेप का आरोप लगाते हुए कन्हैया ने कहा कि कश्मीर में सुरक्षा के नाम पर महिलाओं से रेप हो रहा है। इस देश में कस्टडी में रेप होता है। मैरिटल रेप होता है। उन्होंने कहा, ‘गुजरात का उदाहरण उठाकर देख लीजिए। पहले महिलाओं का बलात्कार किया फिर मारा गया।

गौरतलब है कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी का विरोध करने के लिए जेएनयू में नौ फरवरी को एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाए गए, जिसके बाद जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को 12 फरवरी को गिरफ्तार कर लिया गया। फिलहाल दिल्ली उच्च न्यायालय ने उसे छह महीने की अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया।


सोर्स  : लोकभारत . कॉम  

कन्हिया को चाहिए अपना ध्यान सिर्फ रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या और रोहित एक्ट पर रखे

  
जब से कन्हिया देश द्रोह के  झूठे आरोप  में   जमानत  पर जेल से बाहर आया है  और आकर उसने जे एन यु  कैंपस में भाषण दिया है उस दिन से भाजपा  के गुर्गे  कभी उसकी जबान काट  रहे है कोई उसको मारने  के लिए   फरमान जारी कर रहा है तो कोई उसे देश से निकालने की बात कर रहा है  , कमाल की बात यह है की ये सब गुंडे जो ये आदेश जारी कर रहे है सब टीवी चैनल 

पर बैठ कर ऐसे बाते कर रहे है मानो बहुत बड़े देशभक्त हो और देश का बहुत बड़ा कार्य कर रहे हो
सबसे बड़े कमाल की बात देशभक्ति का राग अलापने वाले चैनल जो आजकल देस्भ्क्तो के साथ कंधे से  कन्धा मिलाकर काम कर रहे है ये भी ऐसे  आतंकी   देशभक्तों को प्रोत्साहन दे रहे है  , 

और सबसे बड़े कमाल की बात की सरेआम धमकिया  देने वाले गुंडों को पुलिस  कुछ कह नहीं रही है

चाहे अह्लात कुछ भी हो लेकिन एक बात इस समय कन्हिया को ये बात ध्यान रखनी चाहिए की उसकी  लड़ाई रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या के साथ शुरू हुई थी  और संघियो का सबसे बड़ा  काम था की पुरे देश का ध्यान रोहित वेमुला से हटा कर जे एन यु  पर ले आये हलांकि संघी अपने स मकसद में कुछ कामयाब भी हुए लेकिन घूम कर  कहानी उसी मोड़ क पर आ गई है की रोहित वेमुला की हत्या की जवाबदेही कौन देगा

अब बार बार भाजपा / संघी देश का ध्यान रोहित से हटाने के लिए  कन्हिया के बयानों को  सामने ला रहे है   ऐसे में कन्हिया को चाहिए की वो संघी / भाजपा या उसके गुर्गो द्वारा दिए गए ब्यान से परे रहे है और साथ के साथ ही कोई अन्य बयानबाजी न करे  और रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या पर केन्द्रित रहे  ताकि रोहित एक्ट बन सके  और इस लड़ाई को जीता जा सके