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Thursday 23 February 2017

एच डी ऍफ़ सी एर्गो मेडिक्लेम के नाम पर कर रहा है खरबों घोटाला , नहीं मिलता लोगो को क्लेम

जन उदय : एच डी ऍफ़ सी बैंक के बारे में जन उदय पहले ही यह बता चुका है की कैसे आपके बैंक अकाउंट से एच डी ऍफ़ सी बैंक पैसे चुरा कर हर साल खरबों का घोटाला करता है , जन उदय ने इसके कई सबूत सरकार और बैंक के समक्ष रखे लेकिन चूँकि बैंक को मंत्रियो की शय हांसिल है और मीडिया का सहयोग क्योकि ये लोग मीडिया में अरबो रूपये के हर साल विज्ञापन देते है इसलिए मीडिया कभी भी एच डी ऍफ़ सी बैंक के खिलाफ कोई रिपोर्ट दिखाते ही नहीं है

अब जन उदय क सामने एच डी ऍफ़ सी के कई ऐसे मामले आये है जिसे यह साबित होता है कैसे एच डी ऍफ़ सी बैंक मेडिक्लेम के नाम पर करोडो लोगो की मेहनत की कमाई को चट कर जाता है वह भी इस बात की झूटी उम्मीद देकर की कभी व्यक्ति को बिमारी में जरूरत हुई तो मेडिक्लेम से उस व्यक्ति को दवाई और अस्पताल का खर्चा देगा लेकिन असल में ऐसा होता नहीं है
एक आंकड़े के अनुसार हर साल सिर्फ मेडिक्लेम से खरबों रूपये लोगो से वसूल कर लेता है लेकिन जितने लोग जब अपनी इस मेडिक्लेम पालिसी का फायदा उठाना चाहता है तो बैंक किसी ने किसी बहाने से क्लेम को मना कर देता है

ऐसा ही किस्सा गाजिअबाद के वैशाली में स्थित पारस हस्त्प्ताल से सामने आया है जहा पर राज रानी नाम की महिला अपने इलाज के लिए अपनी मेडिक्लेम पालिसी ले कर पहुची . पालिसी देखने के बाद हस्पताल ने उसका इलाज शुरू कर दिया क्योकि वो जिस बिमारी का इलाज कर रहे थे वो बिमारी पालिसी के दायरे में आती थी और तीन साल पुरानी भी थी ,
लेकिन हद तो तब हो गई की इलाज करने के बाद पारस हस्पताल ने राज रानी के हाथ में ५२ हजार रूपये का बिल थमा दिया यह कह कर की एच डी ऍफ़ सी ने यह कह कर मना कर दिया है की आपको थाइराइद की बिमारी भी है जिसका जिक्र आपने तीन साल पहले पालिसी लेते वक्त जिक्र नहीं किया था


इस पर राजरानी ने कहा की यह तो वह बिमारी ही नहीं है जिक्सा इलाज चल रहा है इलाज सिस्ट का है इसका थाईराइड से क्या मतलब लेकिन एच डी ऍफ़ सी के एर्गो ने यह कह कर राज रानी को मेडिक्लेम पास नहीं किया क्योकि उसमे उसने झूट बोला था .
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जब राज रानी ने यह पूछा और कहा की अगर मुझसे गलती हुई तो आपने पालिसी देने से पहले इस बात की जांच क्यों नहीं की मैंने सच बोला है या झूट यानी एक टेस्ट जिसमे सारी बिमारी का पता चले इसको आवश्यक क्यों नहीं किया ??? इसका एच डी ऍफ़ सी के पास बिलकुल नहीं था , जिस बिमारी के इलाज के लिए क्लेम माँगा गया वो पालिसी में कवर है लेकिन फिर भी मेडिक्लेम नहीं दिया गया

राजरानी की घटना २० फरवरी २०१७ की है लेकिन इससे पहले हजारो ऎसी घटनाए होती रहती है कि जब लोग अपनी मेडिक्लेम पालिसी का क्लेम मांगते है उस वक्त एच डी ऍफ़ सी एर्गो और बैंक उनके क्लेम को मना रा देते है यानी यह एक तरह की अप्रत्यक्ष लूट और फ्रोड है जिसके जरिये ये लोगो को बेवकूफ बना कर पालिसी बेच देते है ...

अगर मान ले की कुछ लोग झूट बोल देते है या अपनी बिमारी छिपा लेते है तो क्या यह बैंक का याबिमा कम्पनी का यह फर्ज नहीं बनता की अपने क्लाइंट की यानी जिस व्यक्ति ने मेडिक्लेम लिया है उसकी जांच करवाई जाए और यह जांच आवश्यक रूप से  में नम्बर वन है यानी २० से २५ % ही क्लेम पास करता है और वह भी उसमे कुछ चार्ज इधर उधर के बहाने बना देता ही नहीं
यह एक लूट है जिसकी शिकायत समय समय पर ग्राहक फोरम में चलहो ..

एक आंकड़े के अनुसार एच डी ऍफ़ सी मेडिक्लेम के लिए मना करने रहे है लेकिन सरकार और मंत्री कोई कार्यवाही नहीं करते क्योकि उनकी सरकारों को अप्रत्यक्ष रूप से करोडो का चंदा या फायदे इनको मिलते है

लोगो को भी चाहिए की इस तरह की पालिसी लेते वक्त ऐसी कम्पनियो के इतिहास या आंकड़ो पर जरूर डाले और आंकड़े न देने पर ऐसी कम्पनी को छोड़ ही दे

एच डी ऍफ़ सी बैंक और एर्गो देश की सबसे बदनाम कम्पनियो में है यह जानकारी सबको मिलनी चाहिए इसलिए जानकार लोग सन्देश को आगे फैलाए

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HDFC ERGO BIGGEST FRAUD COMPANY OF INDIA