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Sunday 1 May 2016

, जानिये क्यों सुलगती है ब्राह्मणों की लार्ड मैकाले से : भारत में आधुनिकता के पितामाह है

जन उदय : क्या आप जानते है ब्राह्मणों ने जातिवाद को बढाने के लिए जितने ग्रन्थ लिखे  और सामाजिक वाव्य्स्था को बनाने के लिए इन्होने बौध लोगो की हत्याए की बौध विहार  और मठ तोड़ कर इन्होने मंदिर बनाए  इन मौध मठो  के अलावा  ब्राह्मणों के भगवानो का और कोई भी सबूत  इतिहास में नहीं मिलता  .
ब्राह्मण इस देश में पश्चिमी देशो से रूस  जर्मन , इटली  आदि से आये    और इनको यहाँ  रहने की जगह मिली लेकिन ये लोग जाहे रहे वही उसी देश से समाज से गद्दारी करते रहे . भारत में इसका पूरा इतिहास है . मुस्लिम  राजा जब आये  तब ये उनके साथ हो गए  इस बात के प्रमाण भी मिलते है की इन पर जजिया कर नहीं  लगता था , ब्रिटिश काल में जब अंग्रेजो ने इनकी नहीं सुनी और अंग्रेजो ने पाया की ये इनके किसी काम के नहीं है तो अंग्रेजो ने इनको दरकिनार कर दिया  और  अपनी शासन वाव्य्स्था  चलाने के लिए भारत में आधुनिक शिक्षा  और आधुनिक वाव्स्य्था की नीव डाली  . जिसमे  सभी जातिया  शामिल थी

बस   ये बात इनको मंजूर न थी  ये चाहते थे  जातिवाद  सलामत   रहे और इनकी  पुरोहित  गिरी  भी सलामत रहे  लेकिन अंग्रेजो ने ऐसा नहीं होने  दिया  और इन विदेशी गद्दार ब्राह्मणों . जो काम  ब्राह्मण अपनी योग्यता से  कभी नहीं कर पाए आइये  देखते है  की अंग्रेजो ने कैसे आधुनिकता की नीव डाली  इस देश में

1- अंग्रेजो ने 1795
में अधिनयम 11 द्वारा
शुद्रों को भी सम्पत्ति
रखने का कानून बनाया।

2- 1773 में ईस्ट इंडिया
कम्पनी ने रेगुलेटिग एक्ट
पास किया जिसमें न्याय
व्यवस्था समानता पर
आधारित थी।6 मई 1775
को इसी कानून द्वारा
बंगाल के सामन्त ब्राह्मण
नन्द कुमार देव को फांसी हुई थी।
3- 1804 अधिनीयम 3 द्वारा कन्या हत्या पर रोक
अंग्रेजों नेलगाई (लडकियों
के पैदा होते ही तालु में अफीम चिपकाकर, माँ के
स्तन पर

धतूरे का

लेप लगाकर, एवम्

गढ्ढाबनाकर उसमें दूध डालकर डुबो कर मारा
जाता था

4- 1813 में ब्रिटिश सरकार
ने कानून बनाकर शिक्षा
ग्रहण करने का सभी
जातियों और धर्मों के
लोगों को अधिकार दिया।

5- 1813 में ने दास प्रथा
का अंत कानून बनाकर
किया।

6- 1817 में समान नागरिक
संहिता कानून बनाया
(1817 के पहले सजा का
प्रावधान वर्ण के आधार
पर था। ब्राह्मण को कोई
सजा नही होती थी ओर
शुद्र को कठोर दंड दिया
जाता था। अंग्रेजो ने सजा
का प्रावधान समान कर
दिया।)

7- 1819 में अधिनियम 7
द्वारा ब्राह्मणों द्वारा शुद्र
स्त्रियों के शुद्धिकरण पर
रोक लगाई। (शुद्रोंकी शादी
होने पर दुल्हन को अपने
यानि दूल्हे के घर न जाकर
कम से कम तीन रात ब्राह्मण के घर शारीरिक
सेवा देनी पड़ती थी।)

8- 1830 नरबलि प्रथा पर
रोक
( देवी -देवता को प्रसन्न
करने के लिए ब्राह्मण शुद्रों,
स्त्री व् पुरुष दोनों को मन्दिर
में सिर पटक पटक कर
चढ़ा देता था।)

9- 1833 अधिनियम 87
द्वारा सरकारी सेवा में भेद
भाव पर रोक अर्थात
योग्यता ही सेवा का
आधार स्वीकार किया
गया तथा कम्पनी के
अधीन किसी भारतीय
नागरिक को जन्म स्थान,
धर्म, जाति या रंग के
आधार पर पद से वंचित
नही रखा जा सकता है।

10-1834 में पहला भारतीय विधि आयोग
का गठन हुआ। कानून
बनाने की व्यवस्था जाति,
वर्ण, धर्म और क्षेत्र की भावना से ऊपर उठकर करना आयोग का प्रमुख उद्देश्य था।

11-1835 प्रथम
पुत्र को गंगा दान पर रोक (ब्राह्मणों ने नियम बनाया
की शुद्रों के घर यदि पहला
बच्चा लड़का पैदा हो तो
उसे गंगा में फेंक देना
चाहिये।
पहला पुत्र ह्रष्ट-पृष्ट एवं
स्वस्थ पैदा होता है।यह
बच्चा ब्राह्मणों से लड़ न
पाए इसलिए पैदा होते ही
गंगा को दान करवा देते थे।

12- 7 मार्च 1835 को
लार्ड मैकाले ने शिक्षा
नीति राज्य का विषय
बनाया और उच्च शिक्षा
को अंग्रेजी भाषा का
माध्यम बनाया गया।

13- 1835 को कानून
बनाकर अंग्रेजों ने शुद्रों
को कुर्सी पर बैठने का अधिकार दिया।

14- दिसम्बर 1829 के
नियम 17 द्वारा विधवाओं
को जलाना अवैध घोषित कर सती प्रथा का अंत किया।

15- देवदासी प्रथा पर
रोक लगाई।ब्राह्मणों के
कहने से शुद्र अपनी
लडकियों को मन्दिर की
सेवा के लिए दान देते थे। मन्दिर के पुजारी उनका
शारीरिक शोषण करते थे।
बच्चा पैदा होने पर उसे
फेंक देते थे।और उस
बच्चे को हरिजन नाम
देते थे।
1921 को जातिवार जनगणना के आंकड़े के अनुसार अकेले मद्रास में कुल जनसंख्या 4 करोड़
23 लाख थी जिसमें 2
लाख देवदासियां मन्दिरों
में पड़ी थी।
यह प्रथा अभी भी दक्षिण भारत के मन्दिरो में चल
रही है।

16- 1837 अधिनियम
द्वारा ठगी प्रथा का अंत
किया।

17- 1849 में कलकत्ता
में एक बालिका विद्यालय
जे ई डी बेटन ने स्थापित
किया।

18- 1854 में अंग्रेजों ने
3 विश्वविद्यालय कलकत्ता
मद्रास और बॉम्बे में
स्थापित किये। 1902 मे
विश्वविद्यालय आयोग
नियुक्त किया गया।

19- 6 अक्टूबर 1860
को अंग्रेजों ने इंडियन
पीनल कोड बनाया।
लार्ड मैकाले ने सदियों
से जकड़े शुद्रों की
जंजीरों को काट दिया
ओर भारत में जाति, वर्ण
और धर्म के बिना एक
समान क्रिमिनल लॉ
लागु कर दिया।

20- 1863 अंग्रेजों ने कानून बनाकर चरक
पूजा पर रोक लगा दिया (आलिशान भवन एवं पुल
निर्माण पर शुद्रों को
पकड़कर जिन्दा चुनवा
दिया जाता था इस पूजा
में मान्यता थी की भवन
और पुल ज्यादा दिनों
तक टिकाऊ रहेगें।

21- 1867 में बहू विवाह
प्रथा पर पुरे देश में
प्रतिबन्ध लगाने के
उद्देश्य से बंगाल सरकार
ने एक कमेटी गठित
किया ।

22- 1871 में अंग
्रेजों ने भारत में जातिवार गणना प्रारम्भ की। यह जनगणना 1941 तक
हुई । 1948 में पण्डित
नेहरू ने कानून बनाकर जातिवार गणना पर
रोक लगा दी।

23- 1872 में सिविल
मैरिज एक्ट द्वारा 14
वर्ष से कम आयु की कन्याओं एवम् 18 वर्ष
से कम आयु के लड़को
का विवाह वर्जित करके
बाल विवाह पर रोक
लगाई।

24- अंग्रेजों ने महार और चमार रेजिमेंट बनाकर
इन जातियों को सेना में
भर्ती किया लेकिन 1892
में ब्राह्मणों के दबाव के कारण सेना में अछूतों की भर्ती बन्द हो गयी।

25- रैयत वाणी पद्धति अंग्रेजों ने बनाकर प्रत्येक पंजीकृत भूमिदार को
भूमि का स्वामी स्वीकार
किया।

26- 1918 में साऊथ
बरो कमेटी को भारत मे
ं अंग्रेजों ने भेजा। यह कमेटी भारत में सभी
जातियों का विधि
मण्डल (कानून बनाने
की संस्था) में भागीदारी
के लिए आया था। शाहू
जी महाराज के कहने पर पिछङो के नेता भाष्कर
राव जाधव ने एवम्
अछूतों के नेता डा
अम्बेडकर ने अपने लोगों
को विधि मण्डल में
भागीदारी के लिये
मेमोरेंडम दिया।

27- अंग्रेजो ने 1919 में भारत सरकार अधिनियम का गठन किया ।

28- 1919 में अंग्रेजो ने ब्राह्मणों के जज बनने प
र रोक लगा दी थी और
कहा था की इनके अंदर
न्यायिक चरित्र नही
होता है।

29- 25 दिसम्बर 1927
को डा अम्बेडकर द्वारा
मनु समृति का दहन किया।

30- 1 मार्च 1930 को
डा अम्बेडकर द्वारा काला
राम मन्दिर (नासिक)
प्रवेश का आंदोलन
चलाया।

31- 1927 को अंग्रेजों ने कानून बनाकर शुद्रों के सार्वजनिक स्थानों पर
जाने का अधिकार दिया।

32- नवम्बर 1927 में साइमन कमीशन की
नियुक्ति की।जो 1928 में
भारत के लोगों को
अतिरिक्त अधिकार देने
के लिए आया। भारत के
लोगों को अंग्रेज अधिकार न दे सके इसलिए इस कमीशन के भारत पहुँचते ही गांधी ने
इस कमीशनके विरोध में बहुत बड़ा आंदोलन
चलाया। जिस कारण
साइमन कमीशन अधूरी
रिपोर्ट लेकर वापस
चला गया। इस पर
अंतिम फैसले के लिए
अंग्रेजों ने भारतीय
प्रतिनिधियों को 12
नवम्बर 1930 को लन्दन गोलमेज सम्मेलन में
बुलाया।

33- 24 सितम्बर 1932
को अंग्रेजों ने कम्युनल
अवार्ड घोषित किया
जिसमें प्रमुख अधिकार
निम्न दिए----

A--वयस्क मताधिकार

B--विधान मण्डलों और
संघीय सरकार में
जनसंख्या के अनुपात
में अछूतों को आरक्षण
का अधिकार

C--सिक्ख, ईसाई और मुसलमानों की तरह
अछूतों को भी स्वतन्त्र
निर्वाचन के क्षेत्र का
अधिकार मिला। जिन
क्षेत्रों में अछूत प्रतिनिधि
खड़े होंगे उनका चुनाव केवल अछूत ही करेगें।

D--प्रतिनिधियोंको चुनने
के लिए दो बार वोट का
अधिकार मिला जिसमें
एक बार सिर्फ अपने
प्रतिनिधियों को वोट देंगे
दूसरी बार सामान्य
प्रतिनिधियों को वोट देगे।

34- 19 मार्च 1928 को बेगारी प्रथा के विरुद्
ध डा अम्बेडकर ने मुम्बई
विधान परिषद में आवाज
उठाई। जिसके बाद
अंग्रेजों ने इस प्रथा को
समाप्त कर दिया।

35- अंग्रेजों ने 1 जु
लाई 1942 से लेकर 10 सितम्बर 1946 तक डाॅ अम्बेडकर को वायसराय
की कार्य साधक
कौंसिल में लेबर मेंबर
बनाया। लेबरो को डा अम्बेडकर ने 8.3 प्रतिशत आरक्षण दिलवाया।

36-- 1937 में अंग्रेजों
ने भारत में प्रोविंशियल गवर्नमेंट का चुनाव
करवाया।

37-- 1942 में अंग्रेजों
से डा अम्बेडकर ने 50
हजार हेक्टेयर भूमि को
अछूतों एवम् पिछङो में
बाट देने के लिए अपील
किया ।
अंग्रेजों ने 20 वर्षों की
समय सीमा तय किया था।

38- अंग्रेजों ने शासन प्रसासन में ब्राह्मणों की भागीदारी को 100% से 2.5% पर लाकर खड़ा
कर दिया था।

इन्ही सब वजाह से ब्राह्मणों
ने अन्ग्रेजो के खिलाफ़
क्रांति शुरू कर दी क्योकि
अन्ग्रेजो ने शुद्रो को सारे अधिकार दे दीये थे और
सब जातियो के लोगो को एक समान अधिकार देकर सबको बराबरी मे लाकर खडा किया।