मोर्य वंश के महान सम्राट चन्द्रगुप्त के पोत्र
महान अशोक ने कलिंग युद्ध के पश्चात् बौद्ध धर्म अपना लिया। और बौध धर्म के प्रचार
के लिए अपने पुत्र और पुत्री तक को इस काम
में लगा दिया , सिर्फ अशोक के प्रचार की वजह से लगभग सभी
एशियाई देशो में बौध धर्म फ़ैल
गया यही कारण रहा की एशिया के सभी देश
में महान अशोक का नाम बड़े आज भी आदर से लिया जाता है
उससे भी आगे जब मोर्य वंश का नौवा अन्तिम
सम्राट व्रहद्रथ मगध की गद्दी पर बैठा ,तब उस समय तक आज का अफगानिस्तान,
श्री
लंका , चीन , इंडोनेशिया , थाईलैंड कोरिया सभी देश बौद्ध बन बन चुके थे
सम्राट व्रहद्रथ के शासनकाल में ग्रीक शासक
मिनिंदर जिसको बौद्ध साहित्य में मिलिंद कहा गया है ,ने भारत वर्ष पर
आक्रमण की योजना बनाई। लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी इस कार्य के लिए मिनिंदर ने
सबसे पहले ब्राह्मण गुरुओं से संपर्क साधा,और
उनसे कहा कि अगर आप भारत विजय में मेरा साथ दें तो में भारत विजय के पश्चात् में
ब्राह्मणों सत्ता दे दूंगा – ब्राह्मणों
ने नामक हरामी और राष्ट्र द्रोह किया तथा
भारत पर आक्रमण के लिए एक विदेशी शासक का साथ दिया।
सीमा पर स्थित मठो में ब्राह्मण से बौध बने
ब्राह्मण पहले से ही घुस गए थे । बोद्ध भिक्षुओ का वेश धरकर मिनिंदर के
ब्राह्मणों के साथ सैनिक मठों में आकर
रहने लगा । हजारों मठों में सैनिकों के साथ साथ हथियार भी छुपा दिए गए।
दूसरी तरफ़ सम्राट व्रहद्रथ की सेना का एक
गद्दार सैनिक पुष्यमित्र शुंग जो एक गरीब
विधवा ब्राह्मण औरत का पुत्र था और उस पर
दया दिखा कर सम्राट व्रह्द्स्थ पढने लिखने
का मौका दिया और उसे सेना में सिपाही भी
रख लिया था पुष्यमित्र की सेवा और कर्तव्य निष्ठां से प्रसन्न
हो सम्राट ने उसे अपने करीब कर लिया था
लेकिन व्रह्द्स्थ नहीं जानता था कि वो आस्तीन में नाग पाल रहा है बाद में अपनी
सेवा
अपनी वीरता व साहस के कारण मगध कि सेना का
सेनापति बन चुका था । बौद्ध मठों में विदेशी सैनिको का आगमन उसकी नजरों से नही
छुपा बल्कि पुष्यमित्र इस षड्यंत्र में
शामिल था
। इस बात का पता किसी तरह जब
सम्राट को चला तो वह काफी शुब्द रह
गया और पुष्यमित्र शुंग को बुलवा भेजा और
पुष्यमित्र शुंग को भी लेकर मठो में पहुच गया
तो वहा यह देख कर हैरान हो गया की
ब्राह्मण बौध बने हथियारों से लैस मठो में जमे पड़े है
मठों में स्थित सभी विदेशी सैनिको को पकड़ लिया
गया,तथा उनको जेल में डाल दिया
गया और उनके हथियार कब्जे में कर
लिए गए। राष्ट्रद्रोही ब्राह्मणों को भी
ग्रिफ्तार कर लिया गया। लेकिन सम्राट ने पुष्यमित्र शुंग माफ़ी मांगने पर को माफ़ कर दिया और यही सबसे बड़ी गलती कर दी . सम्राट ने सोचा शायद पुष्यमित्र शुंग भटका गया था और अब मार्ग पर आ गया है , लेकिन हुआ उलटा
पुष्यमित्र शुंग के दिल में बौध सम्राट
के खिलाफ नफरत और भी गहरी हो गई और वह अंदर ही अंदर फिर से योजना
बनाने लगा
एक बार जब व्रह्धास्थ सेना का निरक्षण कर रहा था
उसी
समय पीछे से पुष्यमित्र शुंग ने
सम्राट व्रह्द्स्थ का सर काट दिया
और योजना के तहत छिपे हुए ब्राह्मण
सैनिक बाकी के सैनिको पर टूट
पड़े और सेना के अंदर ही ब्राह्मण
सैनिक भी
पुष्यमित्र शुंग के साथ हो गए और इस तरह सम्राट का अंत हुआ
लेकिन यह पुष्यमित्र शुंग के आतंक
का अंत नहीं था इसके बाद पुष्यमित्र
शुंग ब्राह्मण सैनिको के साथ पुरे
महल में घुमा जहा पर उसने गर्भवती
रानी को न सिर्फ मारा बल्कि उसका पेट फाड़ कर बच्चे को निकाला
और उसे मारा इसके बाद उसने अपना
रुख नगर
की और किया और जहा जहा पर बोध रहते थे वहा कत्ले आम शुरू कर दिया सभी बौध लोगो
की हत्याए कर दी
गई छोटे छोटे
बच्चो की लाशो को नगर
चौक पर टांगा
बात सिर्फ एक नगर तक सिमित नहीं रही पुष्यमित्र
शुंग बौध लोगो से इतनी नफरत करता था की उसकी जब आँख खुल जाति थी उसी वक्त
वह किसी न किसी बस्ती में चला जाता और पागलो
की तरह हत्याए करने लग जाता , यहाँ तक की अगर कुछ ब्राह्मण कहते की ये गलत है तो उन ब्राह्मण परिवारों को उसने
खत्म कर दिया या उनको सामान्य ब्राह्मणों
की श्रेणी से निकाल कर उन्हें शुद्रो की श्रेणी
में डाल दिया महारिषी वाल्मीकि उसी
श्रेणी में आते है
ब्राह्मणों
की सत्ता को स्थापित करने के लिए पुरे भारत की एक सभा
पातिलिपुत्र में हुई और
अपनी सत्ता को चिरस्थाई बनाने के
लिए योजनाये बनाई गई यह सभा कई महीनो तक चली और इसका सारा खर्चा राज्य
ने उठाया और इस सभा के कुछ
निष्कर्ष इस प्रकार निकाले गए
१ बौध लोगो को समाज से बाहर नहीं निकाला जाएगा
बल्कि ब्राह्मणों की बनाई वर्ण वाव्स्य्था के तहत इनको गुलाम बनाया जाए
२. वर्ण वाव्य्स्था को भगवान का संदेश
बताया जाए
३. इन्हें शिक्षा, सम्पति और धन
नहीं रखने दिया जाए ताकि इनकी बुधि एकदम कुंद हो जाए और ये पुरे जानवर बन जाए
४. ईश्वर के ऐसे संदेश तैयार
किये जाए जिससे इनकी मानसिक
गुलामी सुनिश्चित हो
५. भय , अन्धिव्श्वास का
पुलिंदा इनके दिमागों पर लाद दिया जाए
६ बौध
परिवारों में पैदा होने वाले बच्चो को बचपन से ही इतना मानसिक उत्पीडित
किया जाए ताकि उनका आत्मविश्वास मर
जाए और वो कभी भी विद्रोह
की बात सोच ही न
सके
इस सभा में मानिविय मनोविज्ञान पर पूरी चर्चा
हुई और उसके बाद सिलसिला चालू हुआ
दुनिया भर के ऐसे झूठे धार्मिक
ग्रन्थ लिखने का जिसमे औरतो और शुद्रो को
गुलाम रहने की शिक्षा दी गई
और इस गुलामी को भगवान् की मर्जी
और संदेश बताया गया .यह घटना १८० बी सी की है
और इसी के बाद और आने वाले सालो यानी २५० ए डी तक रामायण , मनुसिमृति ,
महाभारत
, वेदों का अंतिम रूप और पुराण
सामने आये
इन ग्रंथो
को लिखते वक्त इन्होने एक होशियारी
यह भी की कि इन ग्रंथो में इन्होने कोई तारीख नहीं लिखी
ताकि हमेशा यह कहा जा सके की ये ग्रन्थ
भगवान् के संदेश है और इन्हें
भगवान् ने उसी वक्त भेजा जिस वक्त भगवान् ने दुनिया बनाई ...