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Thursday 9 November 2017

ब्राह्मण न तो हिन्दू है न भारतीय ,वैज्ञानिक खोजो ने किया खुलासा

जन उदय : वैसे तो जब से यह दुनिया बनी है तब से मानव सवभाव लालची ही रहा है और मानव अपने अपनों के लिए उनके फायदे के लिए ही काम करता है लेकिन सभ्यता के बढ़ते चरणों में जब देश समाज आता है तो हर इंसान देश को और देश की जनता को सर्वोपरी रखते है और वैसे भी जो लोग देश के नहीं होते वे लोग देशद्रोही कहलाते है . इस तरह के लोग हर देश में होते है और उनका इतिहास भी होता है भारत में ऐसे ही एक जाति है जिसे ब्राह्मण कहते ही 

ब्राह्मणों का इतिहास . 

ब्राह्मणों के अनुसार ये लोग किसी भगवान् के मूह से पैदा हुए है और उस भगवान् ने इन्हें सर्वोच्च स्थान दिया है , भगवान् ने सिर्फ इन्हें ही पढने का धिकार दिया इन्हें यह भी अधिकार दिए कि ये किसी भी स्त्री का बलात्कार कर सकते है , किसी भी दुसरे समुदाय के लोगो की स्मप्प्ती छीन सकते है क्योकि ऐसा इन्हें भगवान् ने कहा है ... अगर कोई सामान्य अक्ल का व्यक्ति इनकी इन बातो को सुने तो या तो हंस पढ़ेगा या इन्हें मुर्ख मानते हुए चला जाएगा , लेकिन कमाल की बात यह है की ये लोग इस बात पर अडिग है की ये लोग महान है सबसे बड़ी बात ये लोग इस जाति के आधार पर सबसे घृणा करते है और ऐसा वही लोग कर सकते है जो लोग उस समाज और देश के निवासी नहीं होते 

ब्राह्मणों के इतिहास में यह साफ़ साफ़ पता चलता है कि ये लोग यूरोप , इटली , जर्मन से भारत की और घुमन्तु जाति के रूप ,में आये थे और यहाँ के मूल निवासिओ की दया पर यहाँ रहने लगे बदले में इन्होने यहाँ के मूलनिवासी लोगो को अपनी बेतिया गिफ्ट दी और इनसे पैदा हुए लोग इंडो – आर्यन लोग कहलाये आर्य यानी ब्राह्मण विदेशी है इस बात के सारे वैज्ञानिक प्रमाण है और मिले है 

इन लोगो ने यहाँ के लोगो से जो दुश्मनी की है वह शायद मानव सभ्यता में कही भी नहीं मिलेगी यानी कुल मिला कर ये लोग एक आतंकवादी दस्ते के रूप में काम करते है 


री दुनिया में हम जिस आतंकवाद को जानते है वह है हिंसक आतंकवाद यानी इसमें या इसके मानने वाले सिर्फ हिंसा में विशवास रखते है यानी अल कायदा , आर एस एस , आइसिस ,लिट्टे जैसे संघठन इसमें आते है , दूसरा होता है सांस्कृतिक आतंकवाद जो दुनिया में सिर्फ आर एस एस चलाता है इसके पूरी दुनिया में बहुत सारे सन्घठन है जो लोगो को गुमराह करके अपनी संस्क्रती की और खींचते है और उन्हें अपने समाज और संस्क्रती की सच्चाई से दूर रखते है , आर एस एस के सन्घठन , अमरीका , यूरोप , कनाडा ,एशिया सभी देश में ये लोग काम करते है इसके कुछ मुख्या एजेंट है ब्रहम कुमारी , पतंजलि , आर्ट ऑफ़ लिविंग , विश्व हिन्दू परिषद , बजरंग दल आदि 

तीसरा है राजननीतिक आतंकवाद इसमें अमरीका रूस , चीन , कोरिया इसराइल आदि मुख्य देश है जो पूरी दुनिया में अपना वर्चस्व कायम करने के लिए इन देशे में तरह तरह के आन्दोलन चलवाते है , इन देशो की अर्थ वाव्य्स्था पर कब्जा जमाते है और इन् देशो को वैसा ही चलाने की कोशिस करते है जैसा ये चाहते है 

भारत में एक वर्ग द्वारा फैलाई जा रही भ्रान्तियो के बारे में यानी रामायण और महाभारत कभी इस देश में हुए या नहीं या ये सिर्फ कोरी कल्पना है , इतिहास ने भी विज्ञान के नियमो को अपनाया है और इतिहास 
का लेखन वास्तुनिष्ट सामग्री पर लेखन के लिए ही जो डाला गया है , और जब हम वास्तुनिष्ट सबूतों या सामग्री की बात करते है तो उस पर रामायण और महाभारत खरी नहीं उतरती , आइये देखे कैसे 

कहानी रामयाण और महाभारत एक एपिक की तरह लिखे गए ज्सिका मकसद सिर्फ और सिर्फ एक राजनितिक षड्यंत्र तय्यार करना था जिसका पहला उधाह्र्ण है 

1.कोई भी वास्तु /शिल्प सबूत नहीं : हर राजा , महाराजा , अपने लिए महल बनवाता है , भवन बनवाता है , बाग़ बगीचे बनवाता है और इन इमारतो को वह कुछ ख़ास तरीके से बनवाता है यानी हम अगर सम्राट अशोक का इतिहास देखे तो हमें सभी प्रकार के सबूत मिलते है वास्तु भी शिल्प भी लेकिन रामायण और महाभारत के इन अभिनेताओं का कुछ भी नहीं मिलता , कुछ संघटनो का कहना है की मंदिर मिले है भगवान् के तो कोई इनसे पूछे क्या भगवान् इन्हों मंदिरों से शासन करते थे ?? 

2 . हर शासक , राजा , महाराजा अपने शासन काल में अपने सिक्के यानी व्यापार के लिए सिक्के ,मुद्रा चलवाता है , जो निश्चित तोर पर उसकी सीमा और विदेश सीमा यानी उसके शासन के बाहर भी खुदाई में मिलते है लेकिन रामायण , महाभारत काल का ऐसा कुछ भी नहीं मिलता 

३. विदेशो से सम्बन्ध एक राजा के लिए बड़े जरूरी होते है , युद्ध भी होते है संधिया भी होती है लेकिन इन दोनों काल के यानी रामायण और महाभारत काल का ऐसा कुछ भी सबूत नहीं मिलता 

४. विदेशो से व्यापार , यात्रिओ के लिए धर्मशाला , सुरक्षा वाव्य्स्था बाग़ बगीचे , सराय ये सब भी रहा बनवाता है लेकिन इन दोनों काल का कुछ भी नहीं मिलता 

५. संस्कृति – कला ,किसी भी इतिहास में या शासन में अपनी कला और संस्कृति जन्म लेती है , लेखक ,कवी आदि जन्म लेते है लेकिन न तो किताबो के स्तर पर कुछ भी नहीं मिलता , शिल्प , पेंटिंग , नक्काशी , वाल राइटिंग, वाल कार्विंग , भित्ति चित्र आदि इस काल का कुछ भी नहीं मिलता 

६. कालखंड . सबसे बड़ी बात होती है कि कोई भी घटना किसी कालखंड में ही होती है यानी उसका अपना एक समय होता है लेकिन इन ग्रंथो का कोई भी कालखंड नहीं है कहने को तो हर धार्मिक संघठन अपनी अपनी दलील देता रहता है , कोई कुछ काल बताता है तो कोई कुछ 

इसके अलावा जो ग्रन्थ या किताबे मिली है उनकी भी कार्बन डेटिंग से कोई सबूत नहीं मिलता की ये ग्रन्थ बहुत पुराने है बल्कि इसमें भी घपला है .. 
सो विज्ञान धारणा या कल्पना से शुरू हो सकता है लेकिन हमने उड़ने की कल्पना की लेकिन उड़े कैसे ? इसलिए विज्ञानिक कोई भी तत्थ्य आज तक नहीं है और न ही आयगा 

इतिहास बदला समय बदला लेकिन ये लोग नहीं बदले ये लोग आज भी इस वैज्ञानिक युग में अपना जातीय आतंक फैलाने पर तुले है