जन उदय : हाल ही में भारत के एक वर्ग जिसे सवर्ण
कहते है उसने एस सी / एस टी / ओ बी
सी आरक्षण के खिलाफ भारत बंद किया यहाँ तक
की इसी वर्ग की एक पार्टी ने भारत के उन सभी संस्थाओ मे आरक्षण को खत्म भी कर दिया है यानी नौकरी में अब इन वर्गो को आरक्षण
नहीं मिल रहा है , क़माल की बात यह
है कि ये काम वो लोग कर राहे है जो हिन्दू –हिन्दू कर इन लोगो
को गुमराह करता है और कभी इसाई तो
कभी मुसलमान से लड्वाता है और दूसरी तरह इनके हको
को छीन लेता है . ऐसा कैसे हो सकता
है कि एक तरफ आप हिन्दू – हिन्दू कह अपना
भाई कहते है दूसरी तरफ
इनके हको को छीनते है . तो क्या एक
भी अपने दुसरे भाई के खिलाफ ऐसे
षड्यंत्र रचता है ?? जाहिर है नहीं , लेकिन ये लोग करते है
जिसका मतलब साफ़ है की ये लोग हिन्दू नहीं है यानी
या तो ब्राह्मण हिन्दू नहीं है
या एस सी एस टी ओ बी सी हिन्दू नहीं है
वैसे भी अगर आप देखे तो दुनिया के किसी भी धर्म में प्रेम भाई चारा सिखाया जाता है सबको सामान माना
जाता है लेकिन
केवल इन ब्राह्मणों के ग्रन्थ ऐसे ही जिसमे एस सी एस टी
ओ बी सी की हत्या को वैध मना गया है
इनको शिक्षा सम्पति किसी
चीज क अधिकार नहीं है समानता का अधिकार नहीं है . तो क्या ऐसे ग्रन्थ कभी किसी भगवान् ने लिखे होंगे ??? इन ग्रंथो
में इन छोटे तबके के लोगो को लिख लिख के गली दी गई है
सारी किताबे नफरत के पुलिंदे
इतिहास की विवेचना कर लीजिये ब्राह्मण द्वारा
लिखे सारे ग्रन्थ छान मारिये जिन्हें ये भगवान् का संदेश बता कर पेश करते है जो
भगवान् ने इन्हें संस्कृत में दिए थे , कही भी आपको
हिन्दू शब्द नहीं मिलेगा , मिलेगा तो वर्ण वाव्य्स्था या जातिवाद
वो भी भारतीय समाज में .
भारत की निचले स्तर की जातीओ को ब्राह्मणों ने
अपना गुलाम बना कर रखा और आने वाले हर विदेशी हमलावर चाहे वो मुस्लिम रहे या
अंग्रेज उनके सामने अपना गुलाम बना कर पेश किया
ब्राह्मणों ने इन निम्न स्तर की जातिओ का
मानसिक ,शारीरिक आर्थिक शोषण सदीओ तक किया और आज भी कर
रहे है , ये लोग बिलकुल नहीं चाहते की दलित लोग आगे बड़े
या पढ़े , ये सिर्फ इनको जानवरों की तरह ही गुलाम रखना
चाहते है
शुद्रो को ब्राह्मण मुसलमानों से लड़वाने के लिए
जब इस्तेमाल करते है तब ये जातिया हिन्दू होती है
मुसलमानों से लड़ने के बाद ये सारे लोग अनेक
जातियों में बाँट जाते है इन्हें फिर समाज में गन्दी नजरो से देखा जाने लगता है और
सारी गंदगी फैलाता है ब्राह्मण .
जब दलितों को शुद्रो को आगे बढ़ने की बात आती है
तो ब्राह्मण ही सबसे पहला व्यक्ति होता है जो दलितों के अधिकार के खिलाफ बोलता है , ये
इनकी शिक्षा का विरोध करता है , इनके आरक्षण का विरोध करता है और इनको
मिलने वाली हर सविन्धानिक सुविधाओं का विरोध करता है
और फिर मुसलमानों का डर दिखा फिर हिन्दू हिन्दू
करने लगता है , समाज को बांटने में असमानता फैलाने में ये लोग
माहिर है और बंटा हुआ समाज कभी भी तरक्की नहीं कर सकता