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Wednesday 23 November 2016

मीडिया संस्थानों ,कलाकारों और टीवी सीरियल निर्माताओ को धमका नोट-बंदी के पक्ष में प्रचार करवा रही है भाजपा

जन उदय : वैसे तो मीडिया रिपोर्टिंग से पता चल रहा है की मोदी और भाजपा के डर से सभी न्यूज़ चैनल अखबार नोट बंदी के बाद देश में हुए हालातो पर सच नहीं दिखा रहे है बल्कि जान बूझ कर ऐसी तस्वीर पेश कर रहे है मानो देश में सभी लोग मोदी के नोट बंदी के फैसले से खुश है और सब लोग उत्सव मना रहे है

कोई भी चैनल एक या दो चैनल को छोड़ यह नहीं दिखा रहा है की कितने लोग मर रहे है ,आम लोगो को कितनी परेशानी हो रही है , रोटी नहीं मिल रही है , दवाई नहीं मिल रही है इलाज नहीं हो पा रहा है बल्कि बिकायु मीडिया इन सब परेशानियो को देशभक्ति से जोड़ कर दिखा रहा है यानी कोरा झूट




भाजपा के लोग समाज के उस हर वर्ग पर प्रभाव डाल रहे है जो लोग समाज में कुछ मकाम रखते है जैसे व्यापारी संस्थाओं को धमकाया जा रहा है की वो लोग यापार मंडल की तरफ से मोदी के फैसले का स्वागत वाले पोस्टर और बैनर लगाए , सारे एन जी ओ , वकीलों , आदि

अब धीरे धीरे मोदी के गुंडों का दबदबा टीवी सीरियल और समाज में होने वाले एयर सामाजिक उत्सवो में मोदी गुणगान करने का दबाव डाला जा रहा है

स्टार प्लस , सोनी , कलर और अन्य टीवी चैनल पर आने वाले हर कार्यक्रम यानी सीरियल की स्क्रिप्ट में जबरदस्ती नोट बंदी को सही ठहराया जा रहा है , कपिल शर्मा शो आदि में और अन्य सीरियल में ये सब हो चुका है ऐसा इसलिए किया जा रहा है की इन टी सीरियल को करोड़ो लोग देखते है और इन टीवी सीरियल के जरिये लोगो को गुमराह करना आसान है , कमाल की बात यह है की १९ नवम्बर को होने वाले मुम्बई के एक रॉक कॉन्सर्ट को मोदी ने लाइव सम्बोधित किया


यह वही प्रधानमंत्री है जो संसद में सिर्फ इसलिए नहीं आ रहा ताकि देश को संसद को जवाब न देना पड़े

शील भंग करवा कर अपनी जगह बनाने वाली महिलाए तार्किक रिपोर्टिंग नहीं कर पाती, अखबार ,न्यूज़ चैनल सब एक अंडर वर्ल्ड गैंग की तरह

जन उदय : ५० के दशक में यह बहस जिन्दा थी की मीडिया झा चाहे समाज को मोड़ दे सकता है लोगो की मानसिकता को शेप कर सकता है , समाज की सोच को निर्धारित कर सकता है इसमें फिल्म ,कला न्यूज़ रिपोर्टिंग आदि सभी तरह की कला आती है . कार्ल मार्क्स ने तो यहाँ तक कहा की सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई में साहित्य / मीडिया एक हथियार का काम करता है .

लेकिन जैसे जैसे मीडिया में शोध बढ़ने लगे और संचार के फैलने यानी उसकी गति और प्रभाव पर और भी शोध हुए तो पीछे वाली भ्रान्तिया खत्म होने लगी और नयी नयी सोच सामने आने लगी और अंत में आज हम मीडिया शोध से यहाँ तक आ पहुचे है की मीडिया भ्रान्ति / प्रोपगेंडा फैलाने में एक नम्बर का हो गया है और कुल मिला कर ऐसा नहीं है की मीडिया लोगो को कुछ करने पर मजबूर कर दे बल्कि मीडिया इस तरह से भी काम करता है की समाज में ओपिनियन मेकर सूचना अपना काम करने लगते है यानी ये अफवाह भी हो सकती है .

महिलाए और दलित वर्ग के लोग बहुत चाहने पर भी इस ताकतवर माध्यम से नहीं जुड़ पा रहे है या ये कह सके है की इस माध्यम से उन्हें जानबूझ कर जुड़ने नहीं दिया जाता यानी जगह नहीं दी जाती , लेकिन बावजूद इसके बहुत सारे लोग इन मीडिया संस्थानों में अपनी जगह बनाने में कामयाब हुए है और बहुत अच्छा काम भी कर रहे है

लेकिन पिछले पन्द्रह सालो से मीडिया शेक्षिक संस्थानों में लगातार वृद्धि हुई है और साथ के साथ बहुत सारे चेंनेल और अखबार खुले है लेकिन इनकी ख़ास बात यह है की ये मीडिया संस्थान बिल्डर , और बनिया लोगो ने खोले है जिनका प्रथम उदेश्य इस माध्यम को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना और दुसरा कम से कम खर्च हो .. और

यही कारण रहा की मीडिया शेक्षिक संस्थानों से निकले ये नवयूवक पत्रकार अपनी जगह बनाने के लिए अपनी नौकरी पक्की करने के लिए वही काम करते है जो इनके बनिया आका कहते है और ये बनिया आका पोलटिकल खेमे में अपनी जगह बनाने के लिए अपनी दहशत फैलाने के लिए किसी न किसी पार्टी के लिए काम करने लगते है .और इस काम में लगे युवा युवती इनकी इस धूर्तता को अंजाम देते है



दरसल ये युवा पत्रकार जिसमे लडकिया भी शामिल है कुछ ऐसे पारिवारिक माहौल से आते है जो इलीट क्लास के होते है इसके अलावा इनका बौधिक स्तर बहुत ही कम होता है या कहिये की ये लडकिया इस तरह के काम के काबिल ही नहीं होती ,

अब इन लडकियो को चैनल इन लडकियो को लेता ही क्यों है ?? पहला ये की यह मानसिकता है की टीवी देखने वाले खबर के साथ साथ खबर देने वाली को भी देखते है यानी खूबसूरत लड़की को देखते है , लेकिन सिर्फ इतना ही काफी नहीं होता इनको लेने के लिए बड़े बड़े एडिटर भी चाहते है की खूबसूरत लड़की साथ रहे और जरूरत पड़े तो इस्तेमाल कर सके

इस्तेमाल की बात कोई खुल कर नहीं होती लेकिन अंदाज से समझा दिया जता है की नौकरी में रहने की शर्त यही है यानी सम्पादक का बिस्तर गर्म करना , इंडिया टीवी का तनु शर्मा केस शायद सबको याद होगा इसके अलवा चैनल मालिक सम्पादक इन लडकियो को अपने क्लाइंट या नेताओं को भी परोसते है और कुछ लडकिया तो इतनी शातिर होती है की चैनल छोड़ इन नेताओं के साथ ही हो लेती है एन डी टीवी का अमृता सिंह का केस जिसने राजनाथ से शादी की यह भी सबको याद होगा , . नीरा रादिया के साथ बरखा दत का भी केस सबको याद होगा की ये लोग कैसे पूंजीपति और अपने चैनल के लिए दलाली करती है

इन महिला एंकर और रिपोर्टर की भाषा , अंदाज , और खबरे पेश करने का तरीका और पक्षपाती तरिका इनके चरित्र को और भी दागदार बना देता है

यह हो सकता है की शायद इस तरह की लडकियो की संख्या या प्रतिशत कम हो लेकिन मीडिया के अंदर वर्ल्ड में जिस तरह की लडकिया काम कर रही है वो यकीनन जातिवादी , मुर्ख और अपना शील भंग कराने के बाद ही इसमें रहती है


नोट बंदी पर रायशुमारी : मोदी का एक एक और मूर्खतापूर्ण कदम

जन उदय : वैसे ये पुरानी कहावत है की किसी भी कार्य को करने से पहले हजार बार सोच लेना चाहिए उसके सारे पहलु पर अच्छे से विचार करना चाहिए की क्या सही है और क्या गलत , कार्य के बीच में सिर्फ उसी कदम में सुधार लाने की ही बाते की जा सकती है बाकी कुछ नहीं .

अब मोदी जी जनता से राय जान रहे है की क्या मोदी का ये कदम सही है क्या इस योजना से काला धन निकलेगा ?? आदि आदि तो क्या मोदी जी एप के जरिये यह योजना के बारे में क देश की राय जान पायंगे ?? क्या पूरा देश स्मार्ट फोन इस्तेमाल करता है ?? या सिर्फ भक्त लोगो की राय से खुश हो जाएंगे . और अगर राय जाननी थी तो इस कार्य को करने से पहले जाननी थी . अब तो सिर्फ एक ही रास्ता है योजना को वापिस लेना शायद इसी वजह से मोदी को थोड़ी राहत मिल पाय और इज्जत बच जाए

काले धन पर गुमराह करने वाले मोदी अपने नेताओं को जो ५०० करोड़ की शादी करते है उनको सिर्फ नोटिस भेज रहे है और जो अपने पुरे जीवन की कमाई ४ लाख रूपये बैंक में जमा करा रहा है उससे बैंक के ही कर्मचारी पूछताछ कर रहे है .. ये साफ़ साफ़ आतंक है

नोटबंदी के बाद पुरे देश को गुमराह कर मोदी ने जो काले धन का पत्ता फेंका है यह दरअसल उल्टा पढता नजर आ रहा है और अब मोदी बैकफूट पर पहुच गया है मोदी की हालत सिर्फ सलिए नहीं हुई की संसद में इन जनाब से सवाल पूछे जा रहे है बल्कि इसलिए हुई है की देश के अंदर आम लोगो का जीवन तबाह हो गया है


अब तक अस्सी से जयादा लोग बिना मौत के मर चुके है एक ऐसी मौत जिसके बारे में मरने वाले के परिवारों ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी इसके अलावा जो भी धन बैंक में जमा हो रहा है वह काला धन तो बिलकुल नहीं है बल्कि गरीबो का खून पसीने से कमाया हुआ धन है दस ग्यारह दिन के पश्चात शायद सरकार ने भी यह महसूस कर लिया है की यह जतन भी काम नहीं आया है जिसकी वजह से सरकार को कोई फायदा हो

इसके अलावा यह कदम साफ़ साफ़ दिखाता है की मोदी ने इस कार्य को करने से पहले कोई होम वर्क नहीं या है क्योकि यह अफरातफरी इसी बात का नतीजा है इस बात के लिए सभी माननीय हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट कह रहे है की सरकार ने अपना काम पूरा नहीं किया और आनन् फानन में यह फैसला कर लिया ,

मोदी के चरित्र और भाजपा की अब तक की विफलता को देखते हुए यही कहा जा सकता है , मोदी ने भी लोगो को चोंका देना वाला काम किया ताकि लोग गरीबी , बेरोजगारी महंगाई पर कभी कोई बात न कर सके

वैसे मोदी की डींग मारने की आदत इस काम पर भी नहीं गई और कहने लगे जनाब की मै पिछले दस महीने से इस योजना में लगा हुआ था , अगर हम मोदी की यह बात भी मान ले तो यह कहना बिलकुल गलत नहीं होगा की भाजपा और मोदी किसी भी योजना को नहीं बना सकते जो सफल हो सके इसके अलावा कुमारी मायावती ने यह बात संसद में भी पूछी थी अगर मोदी दस महीने से इस योजना पर काम कर रहे थे तो फिर अब पचास दिन क्यों मांग रहे है ??? फिर तो यह योजना आसानी से कामयाब हो जानी चाहिए थी लेकिन न हो सकी क्योकि यह मोदी की मूर्खतापूर्ण योजना था

इसके अलावा मोदी ने यह योजना यु पी पंजाब के चुनाव को देखते हुए लागू की मोदी का मानना था की सपा और बसपा चुनाव में पैसे खर्च करके यानी काला धन लगा कर चुनाव जीतते है तो मोदी महाशय जी ने यह अक्ल क्यों नहीं लगाईं की भाजपा के पास तो सबसे जयादा पैसा है वो फिर भी इतने सालो से पुरे देश पर कब्जा नहीं जमा पाई . और अगर पैसे से सब कुछ होता तो कांग्रेस को भी कोई नहीं हरा सकता था बी एस पी जैसी पार्टी कैडर बेस्ड पार्टी है अगर इन लोगो को पैसा नहीं भी मिलेगा तो भी इनका वोट बी एस पी को जाएगा और मुलायम का वोट मुलायम को ही मिलेगा .


खैर अब मोदी ने अपने दोनों तरफ खाई खोद ली है जिसमे इसका गिरना निश्चित है