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Wednesday 6 December 2017

भारत में २०२४ का चुनाव एस सी /एस टी / ओ बी सी और आर्य ब्राह्मण - सवर्ण आतंकवाद के बीच होगा

 भारत में २०२४ का चुनाव मूलनिवासी और आर्य आतंकवाद के बीच होगा
जन उदय : पूना पैक्ट   को बाबा साहेब अम्बेडकर ने सिर्फ इसलिए स्वीकार किया क्योकि उस वक्त दलित किसी  भ तरह की सत्ता सम्भालने के लायक नहीं थे यानी आर्थिक रूप से शिक्षा के स्तर से समाजिक रूप से संघठित नहीं थे इसलिए उन्होंने पूना पैक्ट को स्वीकार किया और उसके बदले दलित यानी भारत के मूलनिवासी जिन्हें एस सी एस टी ओ बी सी  कहा गया उनके लिए नौकरी ,शिक्षा राजनैतिक प्रतिनिधित्व मिले , और इस प्रतिनिधित्व को पूरा करने के लिए आरक्षण की वाव्य्स्था की गई . यानी आरक्षण सबसे  पहले कोई खैरात नहीं  क्योकि यह पूना पैक्ट के जरिये बाबा साहेब द्वारा एक बहुत बड़ा बलिदान दे कर मिला यानी यह खुद भारत पर एक अहसान था और  और कोंग्रेसी   गाँधी की नौटंकी से भी निपट लिया गया . अगर आज आरक्षण स्म्पाप्त किया जता है तो भारत में सरकार द्वारा पूना पैक्ट को लागू  करना होगा . दूसरा यह की अब्बा साहेब द्वारा यह देश को  विकसित करने , सभी का विकास करने और एकता बनाए रखने की एक बहुत बड़ी पहल थी , जबकि इसके उल्ट गांधी नेहरु – सावरकर , और अन्य संघियो  ने न सिर्फ देश को तोड़ने की वकालत की बल्कि  अंग्रेजो की सत्ता बनाए रखने की भी वकालत की  .

यहाँ एक बात साफ़ कर देना बहुत जरूरी है कि आर्य विदेशी आक्रमणकारी  है   और इस देश में रोटी पानी की  तलाश में आये थे , कालन्तर में ये शिक्षा के दम पर राज्य की गतिविधिओ में  शामिल रहने लगे  और लगभग  १८० बी सी में एक ब्राह्मण सेनापति  पुश्मित्र शुंग ने व्रह्द्साथ की हत्या कर शासन पर कब्जा कर लिया इकसे बाद पुष्यमित्र शुंग ने बौध  लोग को हत्याए की यहाँ तक की गर्भवती स्त्री का पेट फाड़ बच्चे की ह्त्या की  चौरासी  हजार बौध  स्तूप  और विहारों को तोड़  उनके मंदिर बनवाये और  बौध को शिक्षा और सम्पति से वंचित कर दिया  और इसके बाद २३०  ईसा बाद  तक ऐसे ग्रन्थ लिख लिए जिसमे अपने आपको भगवान का प्रतिनिधि  बताया  और सभी लोगो को अपने से निचे बताया और समाज को जाती में विभाजित कर यहाँ के मूलनिवासियो को नीच / शुद्र  चंडाल घोषित कर दिया , इसके बाद इम्होने मुस्लिम राजाओं को निमन्त्रण दे कर बुलाया  उनके दरबारों में रहे उनसे अपनी बेटियो की शादी की
बाबा साहेब के सपने १९५६ से टूटने शुरू हो गए जब  वामपंथी , संघी औ कोंग्रेस के रूप में छिपे  ब्राह्मण भेडियों  ने अपने रंग दिखाना  शुरू कर दिया , हिन्दू कॉड बिल का विरोध , स्त्री शिक्षा और सम्पत्ति के अधिकार का विरोध और ओ बी सी आरक्षण का विरोध  हुआ तो बाबा साहेब ने इस्तीफा दे दिया


 ब्राह्मण तीन  तरीके से दलित / मूलनिवासियो  को बर्बाद करने के षड्यंत्र में लगे रहे , संघी  आक्शन का विरोध करते रहे लेकिन हिन्दू कह कर इन्हें अपने दंगो का ईंधन बनाए रखा  यह बाद दलित बिलकुल समझ ही नहीं पाए की  अगर ब्राह्मण / संघी  हिन्दू कैसे हुए जो हिन्दुओ को मिलने वाली बेसिक सुविदाओ  का विरोध करते है  यानी आरक्षण का  विरोध ,  जब की मुल्सिम मुस्लिम के खिलाफ  आन्दोलन नहीं करता , सिख सिख के विरोध में आन्दोलन नहीं खड़ा करता  तो ये ब्राह्मण  हिन्दू  होने के बावजूद दलितों का विरोध कैसे करते है ??
यानी डरपोक ब्राह्मण  जब मुस्लिम से डरता तो दलितों को आज भी हिन्दू कहता है

खैर वामपंथी समानता का सपना दिखा इन्हें मार्क्सवाद के नाम पर छलता  रहा यानि दलितों का अपना कोई आन्दोलन या पार्टी न खड़ी  हो हमेशा इस कार्य में लगे  रहे  और कोंग्रेस  ने आगजनी , हत्या , जैसे हथियार अपनाए रखे
अब जब २०१७ है वामपंथी , कांग्रेस  और संघी एक समान कार्य करने वाले लोगो के आतंक से सिर्फ दलित ही नहीं बल्कि मुस्लिम   सभी परेशान और आतंकित है , बाबरी मस्जिद विध्वंश ,  गुजरात दंगे गोदरा काण्ड , सहारन पुर काण्ड , रोहित वेमुला हत्या , डेल्टा  मेघवाल हत्या , अख़लाक़ हत्या  और ऐसे हजारो केस फेक एनकाउंटर के , और मोदी योगी के दौर में  लगातार  सपा बसपा के लोगो की रोज हत्या , दलित और प्रगतिवादी  लेखको की हत्या गौरी लंकेश ,  कलबुर्गी  हत्याओं का दौर जारी  है . सबसे बड़ी  बात संघी शासन में लोकतंत्र की हत्या हो चुकी है  लोकतंत्र के नाम पर ई वी एम् का इस्तेमाल   संघियो ने इसको एक ऐसा हथियार  बना लिया है जिसके जरिये  ये लोग अपने हक में जनमत दिखाते है लेकिन असल में इन लोगो ने लोकतंत्र की हत्या कर दी
जी एस टी  आर नोट्बंदी ने देश के आम आदमी  की कमर तोड़  दी है महंगाई , बेरोजगारी , गरीबी बेतहाशा  बढती जा रही है  अगर यह  कर्म और क्रम चलता रहा तो देश में आने वाले सम्स्य में ग्रह युद्ध लाज़मी  बन जाता  और और यही हलात है .

विदेशी  मूल के ब्राह्मण जिन्होंने  भारत पर कब्जा किया हुआ है ,इन्होने देश को विभिन्न जातिओ में  बांटा  हुआ है यह समझते है की इनके द्वारा फैलाए गए अंधविश्वास और  अज्ञानता हमेशा बना रहेगा  , ये सब कुछ खत्म हो जाएगा  और  अंतिम लोकतंत्रिक  चुनाव  २०१९ में या २०२४ में होगा और यह चुनाव  भारत के मूल निवासी  यानी एस सी एस टी ओ बी सी ,मुस्लिम और  विदेशी  आर्य आतंकी  ब्राह्मणों और सवर्णों  के बीच  होगा जो एक दम स्पष्ट रूप से होगा .

हलांकि इन्होने वक्त को समझते हुए हर चीज का भगवाकरण कर दिया है यहाँ तक की सेना , पोलिस , न्यायपालिका  जो हर तरीके से एससी  एस टी  ओ बी सी के खिलाफ काम करती है , लेकिन

इन लोगो ने भी जो वैचारिक क्रांति  के बीज डाले  है जल्द ही सामाजिक शान्ति , एकता भाई चारे और सबके विकास के लिए   ब्राह्मणों  का अंत जरूर कर देंगे  और तभी  भारत  सच में भारत बनेगा 
THE LAST DEMOCRATIC ELECTION IN INDIA ,  CIVIL WAR