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Monday 21 March 2016

एनडीआईएम को मिला बेस्ट मैनेजमेंट कालेज का अवार्ड



नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में देश के अग्रणी थिंक टैंकों में से एक सेंटर फाॅर एजूकेशन ग्रोथ एण्ड रिसर्च (सीईजीआर) ने उच्च शिक्षा, भारत की क्या ज़रूरत है विषय पर  राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया। 

इस सेमीनार में क़रीब 300 शिक्षाविदों और काॅरपोरेट  ने हिस्सा लिया। सेमीनार में भाग लेने आए शिक्षाविदों ने भारत में उच्च शिक्षा की ज़रूरत और उसे किस तरह से हासिल किया जा सकता है, इस पर अपने अपने विचार व्यक्त किए। 

समारोह को मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित करते हुए डाॅ. अरूण कुमार, सांसद, जहानाबाद, बिहार ने भारत की खत्म होती सांस्कृतिक और चारित्रिक मूल्यों पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए इसमें काफी बदलाव की ज़रूरत है। सेमीनार को श्री गुरतेज सिंह ढिल्लन, सचिव, भारतीय जनता पार्टी, पंजाब राज्य ने भी संबोधित किया। 

श्री ढिल्लन ने शिक्षा में अच्छे परिणाम हासिल करने के लिए इसके व्यावसायीकरण की बात कही। सेमीनार के दौरान डाॅ. मनप्रीत सिंह मन्ना, डायरेक्टर, एआईसीटीई ने उच्च शिक्षा के प्रसार के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में हाॅल में मौजूद श्रोताओं और दर्शकों को बड़े ही सरल अंदाज़ में बताया। 

सेमीनार में ही पूरे देश में उच्च शिक्षा के लिए बेहतर काम करने वाले युनीवर्सिटी और काॅलेजों को ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा गौरव पुरस्कार’’ से सम्मानित भी किया गया। देश के बेस्ट मैनेजमेंट काॅलेज का अवार्ड नई दिल्ली इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट (एनडीआईएम) को मिला। पुरस्कार हासिल करने एनडीआईएम के चेयरमेन श्री विश्वमोहन बंसल खुद मौजूद थे। अवार्ड मिलने के बाद उन्होंने सीईजीआर को धन्यवाद दिया और भविष्य में और बेहतर प्रदर्शन करने का वादा किया। ग़ौरतलब है कि एनडीआईएम ने अपने छात्रों को हमेशा अच्छा वातावरण मुहैया करवाने की है। 

शिक्षा और उद्योग जगत से बेहतरीन तालमेल की वजह से इस संस्थान की गिनती देश के सर्वश्रेष्ठ मैनेजमेंट काॅलेजों में होती है।   

हज सब्सिडी के नाम पर लूटती है सरकार मुसलमानों को


जन उदय : ऐसा कहा जाता है की सरकार मुसलमानों को हज के लिए सुस्ब्सीय देती है यानी जो भी खर्चा हज पर आता है उसका कुछ हिस्सा सरकार वहां करती है
भारत के अतिवादी संघठन  आर एस एस के लोगो का कहना है की ये सब्सिडी खत्म की जाए  या जैसे मुसलमानों को सब्सिडी दी जाती है वैसे ही संघियो को वैष्णो देवी   और अमरनाथ यात्रा के लिए दी जाए

खैर   अब इस सब्सिडी को समझ लिया जाए   हज  वाव्य्स्था सऊदी  अरब और भारत सरकार मिल कर करते है और हर साल एक निश्चित  कोटा होता है जिसमे निश्चित लोगो को ही हज पर भेजा जाता है , इस अहद के तहत भारत से जाने वाले मुसलामानो के लिए प्लेन टिकट  रहने सहने की वाव्य्स्था मेडिकल , इसुरेंस  आदि दोनों सरकार मिल कर करती है  सरकार जो खर्चा  आता है हज पर उस खर्च में लघभग  २० – ३०   प्रतिशत  सब्सिडी हज यात्रिओ को देती है

कुछ लोगो को लगता है की ये काम मुसलमानों के लिए विशेस  रूप से किया जाता है
अब इस वाव्य्स्था को बाजार के अंदाज से समझते है  , पुरे साल खाली रहने वाले  एयर इंडिया के  हवाई  जहाज  हज के मौसम में एकदम व्यस्त हो जाते है , पुरे साल एयर इंडिया की फ्लाइट में बहुत कम लोग जाते है क्योकि इसका किराया बहुत जयादा है  जब की दूसरी प्राइवेट एयर लाइन्स का किराया काफी कम  है  इसके अलावा  होटल  आदि में जो खर्च आता है  अगर किसी दुसरे होटल आदि में रहा जाए तो वह भी बहुत कम खर्च होगा

अब हम मान लेते है की भारत के मुसलमानों को यह सब्सिडी खत्म कर दी जाए और और मुसलमान अपने आप हज जाए या किसी ट्रेवल एजेंसी के जरिये जाय , आप यकीन नहीं मानेंगे अगर यह काम किसी प्राइवेट कम्पनी के हाथ में आ जाए तो तो न सिर्फ वह कम्पनी आज से यानी सब्सिडी  वाले पैसे से मुसलमानों को कम खर्च में हज यात्रा  करा देगी  बल्कि  खुद करोड़ो  रुपया काम लेगी


लेकिन मुसलमानों  को यह समझ  नहीं  आ रहा है  क्योकि इस लूट में मुसलमानों के कुछ  नुमाइंदे   भी शामिल है  जो मुसलमानों की आँख पर पट्टी  बाँध कर रखते है 

नरेंद्र मोदी ने मोहन भागवत और संघियो को साबित किया भोंकने वाला कूकुर

नरेंद्र  मोदी ने मोहन  भागवत और संघियो  को साबित  किया  भोंकने वाला कूकुर
जन उदय :  बिहार , दिल्ली में हार के बाद  अब अन्य राज्यों में  चुनाव आने वाले है इसलिए  मोदी और भाजपा अब घडियाली  आंसू बहाना शुरू कर दिया है ताकि दलित वोट उनसे क्त न सके

हलांकि बिहार चुनाव के वक्त मोहन भागवत ने आरक्षण खत्म करने की बात करने की बात कह कर स्वर्ण समाज को अपने साथ करने की  कोशिस  की  भागवत जी को ये विशवास था की अगर समस्त स्वर्ण समाज संघ के साथ आ जाएगा  तो दलित समाज को  तो  दुबारा  मनुस्मिरिती  लागू करके  उनकी औकात  दिखा देंगे  , लेकिन सफल न हो सके

 हार से परेशान आज मोदी  ने ये एलान कर  दिया कि आरक्षण को  कोई छू  भी नहीं सकता   तो सबसे पहले मोदी  यह जान ले की संघ  भाजपा  की कोई औकात है ही नहीं  अगर है  तो कर के दिखा दो   यानी आरक्षण  खत्म कर दो .
नरेंद्र मोदी अम्बेडकर के नाम पर जितना  रोना  रो रहे है तो सबसे पहले ये बता  दे की बाबा साहेब की किताबे रिडिल्स ऑफ़ हिंदूइस्म  और अन्हीलेश्न ऑफ़ कास्ट  क्यों नहीं छपने दे रहे है संघी
दरसल ये सिर्फ चुनावी  आंसू  है


भारत बौधकाल में विश्व गुरु था , इसमें ब्राहमणों का कोई योगदान नहीं रहा


आज   दुनिया में भारत के शिक्षा संस्थान सिर्फ सिलिये बदनाम नहीं है की यहाँ की यूनिवर्सिटी में रोहित  वेमुला ,जैसे होनहार छात्रो की संस्थानिक हत्या हो जाती है  

और इसमें सरकार  और सभी कर्मचारी शामिल होते है . भारत इसलिए भी बदनाम हुआ है की देश के एकमात्र अच्छी  यूनिवर्सिटी के छात्रो को भाजपा सरकार ने झूटे  देशद्रोह  कानून  में फसाया .
वैसे अगर हम दुनिया के स्तर पर भारत में  शिक्षा के स्तर को देखा जाएगा कि दुनिया टॉप ४०० यूनिवर्सिटी में भारत का स्थान २७९ वा है


खैर मानने वाले ऐसा मानते है की भारत में शिक्षा का स्तर सिर्फ आरक्षण की वजह से गिरा हुआ है , लेकिन जब हम आंकड़े देखते है तो ये बड़ी हैरानी वाले होते है  जैसे भारत में सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेज मे९९ % शिक्षक प्रोफेसर  सिर्फ और सिर्फ ब्राह्मण जाति   के है तो शिक्षा की खराब हालत के जिम्मेदार भी वही ठहरे

प्राचीन कालमें भारत विश्वगुरु था। विश्वगुरु बोले तो... ? जो विश्व को शिक्षा देता है, वो.! तो किसने विश्व को शिक्षाये दी ? किस गुरू की प्रतिमाये विश्वभरमे स्थापित की गयी ? किसकी शिक्षा पुरे विश्व में अनुदित हुयी

विश्वभरमे शिक्षा देने के लिए किन किन विद्वानोंको भारत से आमंत्रित किया गया ? कुछ नाम सेम्पल के लिए -गुणवर्मन, गुणभद्र, प्रग्नारुचि, उपशुन्य, ज्ञानभद्र, बुद्धभद्र, कमलशील, ज्ञानप्रभ, चित्रगुप्त जैसे हजारो बौद्ध विद्वान यूनान, तुर्की, और मध्य एशिया से लेकर पुरे पूर्वी एशिया के देशो मे शिक्षा देने के लिये बुलाये गए। मजेदार बात यह ही इनमे एक भी चोटी धारी प्रकांड पण्डित नही है...। जाहिर है वे सारे के सारे बौद्ध थे। फिर भी आज, कुछ लोगो को मेरिट की माला जपते देखता हूँ तो बड़ा मजा आता है...!

आर टी आई का न दिया जाए जवाब : सभी मंत्रालयों को मोदी सरकार का आदेश ?


जन उदय : आर टी आई के खुलासे से परेशान सभी सरकारे रही है , लेकिन पूर्व सरकार के भ्रस्ताचार और मोदी के मंत्रियो के भ्रष्टाचार  अब दोनों मिला कर आर टी आई में सामने आ रहे है , और मोदी विरोधी  मीडिया जैम आकर फायदा उठा रहा है , वही दूसरी तरफ एक सकारत्मक काम यह हो रहा है की मोदी  सरकार की पोल खोलने के चक्कर में  सभी भ्रष्टाचार सामने आ रहे है
 इस बात से परेशान  मोदी सरकार ने ऐसा लगता है की सभी मंत्रालयों को ये कह दिया है की ऐसी किसी भी आर टी आई का जवाब न दिया जाए जो सरकार विरोधी चली जाए

ऐसा हम  इसलिए कह रहे है की हमारे  अखबार ने जब सामाजिक  सामाजिक न्याय और शास्क्तिकर्ण मंत्रालय में यह जाने के लिए आर टी आई लगाईं की एस  सी एस टी छात्रो को परीक्षा की तय्यारी कराने वाले एन जी ओ को कितना फंड दिया गया है और कितने लोगो को इससे से फायदा हुआ  तो सरकार को ये मालूम ही नहीं की इस पैसे से क्या हुआ है , सो सरकार ने जवाब देना ही उचित ही नहीं समझा 


इसके अलावा  हमारी जांच में ये भी पता चला की क लगभग बहुत सारे एन जी ओ एस सी एस टी  विकास के नाम पर  उनको परीक्षा की तय्यारी कराने के नाम पर जम कर सरकारी खजाने को लूट  रहे है  सो जन उदय अखबार ने सम्बन्धित अधिकारिओ को सूचित किया और शिकायत  दर्ज कराई लेकिन इस शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं हुई , जब कई महीनो बाद हमने ये जानने की कोशिश की कि कार्यवाही क्यों नहीं हुई  तो इस बात को भी दबा  दिया गया  और बाकायदा  आर टी आई तक का जवाब नहीं दिया गया

एस सी  एस टी के विकास के लिए   बहुत साड़ी योजान्ये कागज पर आती है लेकिन  इसका फायदा सभी स्वर्ण लूटेरे   ले जाते है और एस सी एस टी देखते रह जाते है

कमाल की बात यह की किसी भी शिकायत पर कोई कार्यवाही  नहीं होती  और न ही सुचना के लिए कोई  जवाब दिया जाता 

जनता के एकाउंट् से खरबों रूपये की चोरी करते है एच डी ऍफ़ सी और आई सी आई सी आई बैंक, मंत्रिओं के पास पहुचता है हिस्सा , इसलिए नहीं होती कार्यवाही

नई  दिल्ली  :  आप बैंक मे  अपना खाता  खुलवाते है  और वहा अपने खून पसीने की गाडी कमाई रखते हैं आप ये काम इसलिए करते है ताकि आपका पैसा सुरक्षित रहे , और जब आप चाहे इसका इस्तेमाल कर सके, बैंकिंग सेक्टर में प्राइवेट बांको का आगमन सिर्फ इसलिए हुआ क्योकि  सरकारी बैंक पर्याप्त  मात्रा में नहीं थे  इसके अलावा सरकारी बैंक  में मिलने वाली सुविधाए  और योजनाये न तो सही  थी  और न ही आकर्षक , सरकारी कर्मचारी  कामचोर  के सबसे बड़े निशाँ बन गए थे ,


लेकिन  शुरू शुरू में प्राइवेट  बैंक न सिर्फ अच्छी  सुविधाए  दी बल्कि  बोलचाल , सुविधा  और हर चीज का आकर्षक बना कर रखा जिसने सभी लोगो को आकर्षित  किया
लेकिन क्या ये कोई बता सकता है की इतनी सारी सुविध्याए  क्या बैंक आपको अपनी जेब से पैसा खर्च करके देता है ?? नहीं जी  नहीं ये सारा का सारा पैसा प्राइवेट बैंक आपके खाते से चोरी करके देते है और आपके  अकाउंट से ये लोग कब पैसा निकाल लेते है आपको  पता ही नहीं चलता , कभी  बीस पैसे , कभी दो रूपये , कभी पांच रूपये  कभी कोई टैक्स के नाम पर , कभी हजारो रूपये इस बात पर की आपने औसत रकम अपने अकाउंट में नहीं रखी


इस तरह की घटनाए हर अकाउंट के साथ होती  है लेकिन जिन्दगी इतनी व्यस्त है की आपको अहसास ही नहीं हो पाता  आपको शायद यकीन नहीं होगा एक प्राइवेट बैंक दिन में औसत रूप से एक करोड़ से जयादा  का चुना अपने ग्राहकों को लगा देते है , एक करोड़ यानी महीने में तीस करोड़  और साल में तीन  सौ  साठ  करोड़ वो भी बिना कुछ करे धरे .. 


इस बारे में कुछ जागरूक  ग्राहकों से से बातचीत हुई तो उन्होंने अपना अनुभव बताया की अकाउंट में उपर नीचे  होता  रहता है  और उन्हें इस वजह से साल में लगभग  दो हजार का चुना एह डी ऍफ़ सी  बैंक लगा देता है ..



अकाउंट सर धन चोरी में एच डी ऍफ़ सी  बैंक और आई सी आई सी आई बैंक सबसे उपर है , कई ग्राहकों  ने कई बार आर बी आई , वित् मंत्री  और सभी सम्बन्धित विभाग का आगाह किया लेकिन इन बैंक  मालिको  के चेयरमैन  आदि  के राजनेतिक रसूक  कुछ नहीं होने देते