जन उदय : दुनिया में
किसी भी समाज को देखो जो समाज जमीन पर कब्जा रखते है जिनकी आर्थिक
स्थिथि मजबूत है वही लोग दबंग कहलाते है
और उनकी आने वाली पीडिया भी दबंग निकलती
है उनका मनोबल इसलिए हमेशा उपर रहता है
यही कारण है भारत में भी
उच्च जाति वाले जिन्होंने इस देश की सारी जमीनों पर कब्जा कर लिया गरीबो की
सारी जमीने छीन ली
वो भी जाती के नाम पर और वह भी यह बता कर की भगवान् का आदेश है की नीच
जाति वाले जमीन नहीं रख सकते . . गरीबो को खून चूस चूस कर इन लोगो
ने अपनी तिजोरिया भर ली . आजादी के बाद उसी पैसे और जमीन के दम पर इन्होने तरह
तरह के व्यापार किये कम्पनी खोली , कारखाने खोले और जिन लोगो की जमीन थी उन्ही लोगो को वहा
मजदूर रखा .
अगर हम इस देश में सिर्फ शराब के कानूनी धंधे को देखा जाए तो यह सालाना दस लाख
हजार करोड़ से उपर का है और यह पैसा
सारा
जाता है इन्ही जातिवादी लोगो के खाते में यानी ये और मजबूत हुए और उसी सामाजिक और आर्थिक मजबूती का फायदा
उठाते हुए ये लोग समाज में दलित लोगो पर जुल्म करते है , सिर्फ इतना ही नहीं इसी
पैसे के दम पर ये लोग राजनैतिक सत्ता में
रहते है उसी सत्ता के दम पर ये लोग
मीडिया चलाते है , और दलितों के खिलाफ निति निर्धारित करते है
लेकिन अब बिहार सरकार ने इन
जातिवादियो की के खिलाफ निति निर्धारित करना शुरू कर दिया है वह है बिहार में शराबबंदी , बिहार में
शराब के
सभी ठेके इन्ही जातिवादियो के है जिनसे हजारो करोड़ की कमाई होती है , अगर ये शराब के ठेके बंद होते है तो हजारो
करोडो की इनकी कमाई बंद हो आएगी जो एक
बहुत बड़ा अघात होगा
इसके अलावा बिहार सरकार की
अगली कार्यवाही इन जातिवादियो के खिलाफ करने वाली है वह है ट्रांसपोर्ट बिज़नस
जिसकी भी हजारो करोड़ की कमाई हर महीने इन जातिवादियो की होती है सो बिहार
सरकार बहुत जल्द ही इन सारी बसों को अपने सिस्टम से बाहर निकाल देगी और उनकी
कंडिशन्ड के आधार पर उनको रोड पर नहीं चले
देगी , यानी एक और बहुत बड़ा अघात
जब इन जातिवादियो से यह
आर्थिक शक्ति छीन जाएगी तो इनकी धीरे धीरे
अक्ल अपने आप ठिकाने आ जाएगी , लेकिन अभी
भी इसमें एक बात बाकी है की नितीश सरकार को धीरे धीरे गरीबो और दलितों के आर्थिक शास्क्तिकरण की
भी नीतिया बनानी होंगी और ये काम
तभी हो सकता है जब हर जगह आरक्षण सही ढंग
से लागू होगा