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Sunday 28 February 2016

संसद में सिमृती इरानी का महिसासुर ब्यान देश में जातिय दंगा शुरू हो सकता था


जन उदय : इस वक्त भारतीय जनता पार्टी शासन वाव्य्स्था के सभी फ्रंट पर फेल हो चुकी है उसकी समझ में नहीं आ रहा है की वो आने वाले चुनावों में अपना क्या मूह लेकर जाए

चुनाव में जो वादे कर के आये थे उन वादों को भाजपा खुद नकार चुकी है वह भी यह कह कर की ये सब चुनावी जुमले थे , काला दान आया नहीं महंगाई कम नहीं हुई बेरोजगारी घटी नहीं स्मार्ट सिटी , बुलेट ट्रेन ये ऐसे चीजे है की भविष्य में हुई न हुई हाँ इनको एक सपने के रूप में देखा जा सकता है , लेकिन सपनों से आम आदमी का पेट नहीं भरता , आम आदमी विकास के साथ जीना चाहता है , वह उसे अपने सामने साकार होता देखना चाहता है , जो मोदी सरकार के बसका नहीं
यही कारण है की भाजपा यानी मोदी के गुर्गो ने ऐसे ऐसे कारनामे करने शुरू कर दिए है जो लोगो का ध्यान देश की समस्याओं से खींच कर कही और ले जाए ताकि भाजपा आने वाले बंगाल , पंजाब उत्तर प्रदेश , तमिलनाडु चुनाव में प्रवेश कर सके दादरी , गोमांस मद्रास आई आई टी पुणे फिल्म स्कूल , और सबसे बड़ा मुद्दा रोहित वेमुला की संस्थागत हत्या



दरअसल रोहित वेमुला और जे एन यु के वारदातों से जिनमे ब्राह्मणवाद को चुनोती दी जाति थी , के जरिये स्वर्ण वोट को एक तरफ करना है , इन मसलो की ख़ास बात की जे एन यु और हैदराबाद विश्वविद्यालय की घटनाओं को भाजपा ने उठाया तो सही लेकिन छात्र समस्या को लेकर सही बात मीडिया के जरिये आम लोगो के सामने नहीं आने दी

जैसे जे एन यु और रोहित मूल रूप से एक बात के खिलाफ थे वो था ब्राह्मणवाद , जिसमे वो लोग महिसासुर जयंती भी मनाते थे

भाजपा ने इस मुद्दे को और देशद्रोह के मुद्दे को जम कर भुनाया लेकिन अंत में भाजपा और मैडम इरानी झूटी साबित हुई .

भाजपा यह भी मान रही है की अगर देश के स्वर्ण हिन्दू एक तरह हो कर उनके साथ आ जाए तो इनका भारत पर कब्जा हो जाएगा क्योकि स्वर्ण दलितों को मार पीट कर डरा कर अपने साथ कर लेगा , यही कारण था की मैडम इरानी ने यह सोचे बिना की देश जातिय दंगो की चपेट में आ सकता है संसद में जानबूझ कर यह ब्यान पड़ा की जे एन यु में जब महिसासुर की जयंती मनाई जाती है तब दुर्गा को एक वेश्या के रूप में पेश किया जाता है . मैडम इरानी के इस ब्यान का खंडन और निंदा सभी जाति और पार्टी के लोगो ने की क्योकि ये भारत के इतिहास में इस तरह की ब्यान बाजी संसद में पहली बार हुई जिसकी वजह से संसद शर्मसार हुई , लोकतंत्र शर्मसार हुआ

मैडम इरानी शायद ये भूल गई की एम् पी छतीसगढ़ ,ओड़िसा , बंगाल ,बिहार आदि के आदिवासी इलाको में महिसासुर को देवता के रूप में पूजा जाता है ,तो कोई समाज अपने देवता को राक्षस के रूप में कैसे स्वीकारेगा , दूसरी बात भारत में जातिय दंगे सिर्फ और सिर्फ दलितों का ही फायदा करेंगे और भाजपा संघ जैसी पार्टी का इस देश से अंत हो जाएगा

आर एस एस पुरे देश को अपना सांस्कृतिक गुलाम बनाना चाहता है


यह बात किसी से छिपी  नहीं  है  की  भारत का सविंधान न सिर्फ अभिव्यक्ति की आजादी  देता है बल्कि हर जाति  , समुदाय , धर्म के लोगो को अपने रीती रिवाज आस्था के  साथ सम्मानीय जीवन जीने की भी आजादी मौलिक अधिकारों में देता है .
आर एस एस  जो  की ब्राह्मणों का एक अतिवादी संघठन है अपनी स्थापना  से ही देश में धर्म और संस्कृति के नाम पर लोगो को बरगलाता आया है , देश  में होने वाले आज तक तक सभी दंगो में सीधा  उलटे  तरीके से संघ का हाथ   रहा है .
कभी गंगा बचाओ , कभी मंदिर , कभी गोमांस  कभी महिसासुर , कभी देशद्रोह के नाम पर संघ ने देश में न सिर्फ तनाव पैदा किया है बल्कि देश को  भाषा और संस्कृति के नाम पर  बांटने का काम किया है .

हाल ही में हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविध्यालय में दलित छात्रो पर जो प्रशासनिक जुल्म हुए जिसकी वजह से रोहित वेमुला नाम के दलित छात्र को आत्महत्या करनी पड़ी  , इन  छात्रो  से संघ को सिर्फ इसलिए परेशानी   थी कि  ये छात्र अम्बेडकरवादी सन्घठन से जुड़े थे और हमेशा सभी के लोकतांत्रिक हको के लिए आवाज उठाते  थे , ब्राह्मणों द्वारा फैलाई जा  रही कुत्सित और घ्रणित विचारधारा के खिलाफ  थे , विश्विध्यल्या में गोमांस खाने की आजादी की बाते करते क्योकि ये एक बहुत बड़े समुदाय की खान पान संस्कृति से जुडी थी , लेकिन संघ  की  विचारधारा  के  लोग हमेशा इस बात के खिलाफ  थे और वो गोमांस खाने को देशद्रोह से जोड़ कर देखते  थे  संघी  ये भी बताते  थे की  यह ब्राह्मणों  का पवित्र पशु  है  और ये इश्वर का वरदान  है .. लेकिन शोध आदि  से यह  भी  पता  चल गया  की  प्राचीन काल में स्वव्म  ब्राह्मण गोमांस  खाते   थे  बल्कि मारकंदय  पुराण में  तो यहाँ तक  बताया  गया  है कि मृत  पितरो  को गोमांस अर्पित करने से वो बहुत तृप्त  हो  जाते  है . . इसके अलावा  बहुत सारे और दृष्टांत   ब्राह्मण द्वारा  रचित ग्रंथो में मिल जाएंगे  
तो आज इन  बातो  के  लिए  संघ  का  यह आतंकी    रवेय्या  क्यों  ??
इससे पहले मंदिर के नाम पर  गुजरात में मुंबई में हम बहुत खून खराबा  देख  चुके  है , कोई कहे  नहीं  लेकिन तीस  सबके दिल में  .
यही  हाल  जे एन यु  में  हुआ   जहा छात्रो  को देशद्रोह के जूठे  आरोप लगा कर जेल में दाल  दिया   गया  है

सवाल  यह  है  की  क्या कोई  भी व्यक्ति , समुदाय ,अगर समाज में फैली बुराई  के खिलाफ अगर बोलेगा  तो  क्या उसे देशद्रोही कहा जाएगा ?? या सीधा सीधा  कहे  कि अगर ब्राह्मणों  द्वारा  फैलाई जा  रही मानसिकता के  खिलाफ बोलेगा   तो वह  देशद्रोही  होगा ?? क्या इस  तरह ब्राह्मण  इस  देश  को  अपना सांस्कृतिक  गुलाम  बनाना  चाहता  है ??   और जो नहीं  मानेगा  वो  देशद्रोही  होगा  , ऐसे कई  लेखक , कलाकार  है   जिनकी हत्या संघ करवा चुका  है  
आज  संघ के पास  देश की  कमान  है  यानी ये  लोग सत्ता  में है  इसका मतलब  यह  नहीं  की  ये  लोग हमेशा  के लिए  सत्ता  में आ चुके  है  समय और लोकतंत्र  का पहिया  हर तानाशाह को कुचल  देता  है संघ को भी कुचल देगा    और जब  ये  लोग  सत्ता  में  नहीं  होंगे  तब इनके लिए बहुत मुश्किल  होगी .  इसके  अलावा इन  लोगो को ये बात  अपने मन  में बिठानी  ही होगी  की  ये  देश  किसी  का गुलाम  नहीं  है


ये  बात  अलग  है की विदेशो  से आये आर्य /  ब्राह्मण एक समय आने पर  कत्ले आम करके इस  देश  के शासक  बन  गए  और यहाँ के  मूलनिवासी लोगो  को अपना सांस्कृतिक  गुलाम बना लिया  अपने  लिए   ग्रन्थ  लिख  लिए   की  उन्हें  भगवान्  ने भेजा  है  आने  वाली नसले गरीब कमजोर , निरक्षर   रहे  और उनकी अज्ञानता  का फायदा  ब्राह्मणों  को  मिलता  रहा लेकिन  आज  तो  ये  मूलनिवासी पड़ लिख  गए  है और अपने इतिहास को  जानने  लग गए  है , दूसरी  बात अगर  आपको  अपने रीती रिवाज की  इतनी  परवाह  है   तो  आप  कैसे किसी  दुसरे  जाति  धर्म  के  बारे  में अपमानजनक बाते  कह  सकते   है  ??? सबसे   पहले   ब्राह्मणों  को   अपने  आपको  सुधारना  होगा  और  इस   देश  को  अपना सांस्कृतिक   गुलाम  समझना  बंद  करना  होगा   तभी   इनका  भविष्य  इस  देश  में सुरक्षित  रहेगा  , क्योकि  ताकतवर , अत्याचारी कभी   सलामत  नहीं   रहे  , इतिहास   गवाह  है 

एचआर फाॅर मेक इन इंडिया पर राष्ट्रीय समिट का आयोजन

देश के अग्रणी बिजनेस स्कूलों में से एक नई दिल्ली इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट तुगलकाबाद में आने वाले समय में एचआर के क्षेत्र में सामने आने वाली चुनौतियों और उससे निपटने के उपायों पर ‘‘एचआर फाॅर मेक इन इंडिया फिटिंग जिगशाॅ पज़ल’’ विषय पर  राष्ट्रीय एचआर समिट का आयोजन किया गया। एचआर समिट की शुरूआत काॅलेज के चेयरमेन श्री वी.एम. बंसल के स्वागत भाषण से हुआ। सत्र के पहले हिस्से में ‘‘टैलेंट स्ट्रेटजी फाॅर सक्सेस आॅफ मेक इन इंडिया’’ विषय पर श्री अवधेश दीक्षित, हेड एचआर, जीई, अरिन्दम लाहिड़ी, हेड एल एण्ड डी, सैमसंग और विभिन्न उद्योगों से जुड़े एचआर ने अपने विचार सबके साथ साझा किए। 


उन्होंने सरकार की तरफ से देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चलायी जा रही स्कीममेक इन इंडिया के बारे में विस्तार से बताया और यह भी कहा कि बिना सही टैलेंट स्ट्रेटजी के मेक इन इंडिया अभियान को सफल नहीं बनाया जा सकता है। दूसरे सत्र के विषय ‘‘कैपेबिलिटी बिल्डिंग माॅडल्स फाॅर मेक इन इंडिया’’ पर सभी को सम्बोधित करते हुए अतिथियों ने भारत में मौजूद क्षमताओं के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। देश और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए मैनेजमेंट विशेषज्ञों ने अपने अपने क्षेत्रों की ज़रूरतों और उसे पूरा करने के लिए छात्रों को किस तरह से तैयार रहना चाहिए, इसके बारे में भी उनका मार्गदर्शन किया। तीसरे और आखिरी सत्र में ‘‘बिल्डिंग एण्ड सस्टेनिंग कल्चर फाॅर मेक इन इंडिया’’ विषय पर भारत में मौजूद संभावनाओं और उसको आगे बढ़ाने में बिजनेस स्कूलों की भूमिका के बारे में भी चर्चा की गयी। एचआर समिट से मैनेजमेंट काॅलेज को अपने कोर्स को रोज़गारपरक और समयानुकूल बनाने में बहुत लाभ मिलता है, वहीं कंपनी को आने वाले टैलेंट से मिलने का मौका मिलता है।


मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए सही बिज़नेस स्कूल का चुनाव बेहद ज़रूरीः प्रो. त्यागी


किसी भी देश की तस्वीर बदलने में शिक्षित लोगों का अहम योगदान होता है। उच्च शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए आज देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े बड़े बिज़नेस और मैनेजमेंट स्कूल खोले जा रहे हैं। छात्रों को लुभाने और अपनी ओर आकर्षित करने के लिए सभी स्कूलों के बीच एक होड़ सी मची हुई है। ऐसे में बिज़नेस मैनेजमेंट का कोर्स करने के इच्छुक छात्रों को अच्छा और अपने बजट के अन्दर आने वाले स्कूल और काॅलेज के चयन मंे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बेहतर शिक्षा देने के नाम पर गलाकाट प्रतियोगिता के बीच गुड़गांव स्थित जेके बिज़नेस स्कूल उन छात्रों के लिए सबसे बेहतर कैसे साबित हो सकता है, इस सिलसिले में हमने बात की जेके बिज़नेस स्कूल के चीफ मेंटर प्रोफेसर विक्रम त्यागी से।




बदलते माहौल और वैश्विक परिदृश्य के सबब आज उच्च और तकनीकि शिक्षा की मांग काफी बढ़ गयी है। छात्रों को हमेशा ये कोशिश करनी चाहिए कि वे ऐसी शिक्षण संस्था का चुनाव करें जो उन्हें ना सिर्फ अच्छी तालीम दे, बल्कि, उनके भविष्य को एक आयाम देने में भी मदद करे। छात्रों को कोई भी बिज़नेस स्कूल का चुनाव करने से पहले ये ज़रूर देखना चाहिए कि काॅलेज एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त है या नहीं? छात्रों को अपना भविष्य चुनने से पहले काॅलेज के इतिहास और सरकारी नियामक से एप्रूवल की जानकारी अवश्य हासिल करनी चाहिए। आज वैष्वीकरण के इस युग में पैसे कमाने की होड़ में ग़ैर-मान्यता प्राप्त कई काॅलेज छात्रों को अपने नाम के फ़जऱ्ी प्रमाण-पत्र उपलब्ध करा रहे हैं। एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त जे.के. बिज़नेस स्कूल, गुड़गांव, देश के जाने माने औद्योगिक घराने .ेक. ग्रुप द्वारा संचालित है। इस घराने का औद्योगिक इतिहास काफी लंबा रहा है। जे.के. ग्रुप का मक़सद पैसा कमाना नहीं, बल्कि, काॅरपोरेट सोशल रिस्पाॅन्सिबिलिटी के तहत अपनी सामाजिक जि़म्मेदारी को निभाना है। भविष्य के लिए एक ऐसे मैनेजर और उद्यमी को तैयार करना है, जो देश के विकास में अपना अहम योगदान दे सके। आज दिल्ली के बाद गुड़गांव, बिज़नेस और एजुकेशन हब के तौर पर तेज़ी से उभर रहा है। अच्छी शिक्षा के लिए शिक्षण संस्थान का शहरी भीड़भाड़ और शोर शराबे से दूर होना ज़रूरी है। जे.के. बिज़नेस स्कूल पढ़ाई के लिहाज़ से छात्रों के लिए एक बेहतरीन जगह है। सैकड़ों एकड़ में फैला ये संस्थान अपने यहां छात्रों को अपनी पसंद के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की पूरी आज़ादी देता है। यहां विभिन्न उद्योगों में बरसों का अनुभव रखने वाले शिक्षक छात्रों को थ्योरी एवं प्रैक्टिकल ट्रेनिंग साथ-साथ मुहैया करवाते हैं, ताकि, वो अपने क्षेत्र की बारीकियों को समझ सकें। आज हमारे देश के हर हिस्से में बिज़नेस स्कूल चल रहे हैं। लेकिन, उनका छात्रों से कोई लगाव नहीं है। जे.के. बिज़नेस स्कूल ने अपने छात्रों से लगातार जुड़े रहने और उनकी हर ज़रूरतों को आसानी से उपलब्ध कराने के मक़सद से काॅलेज कैम्पस में ही लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग हाॅस्टल की व्यवस्था की है, ताकि, छात्र-छात्राएं ख़ुद को परिवार के बीच महसूस कर सकें। छात्रों को विदेशों में काम करने का अनुभव मिल सके, इसके लिए काॅलेज ने अमेरिका की मशहूर कैलीफोर्निया यूनीवर्सिटी के साथ क़रार भी किया है। कोर्स के दौरान बेहतर प्रदर्शन करने वाले छात्रों को शैक्षणिक यात्रा के अन्तर्गत विदेश ले जाया जाता है। इससे छात्रों का मानसिक विकास होने के साथ-साथ बदलते माहौल में अपने आपको ढालने में भी मदद मिलती है। आज छात्रों को डिग्री हासिल करने के बाद भी रोजगार मिलना काफ़ी मुश्किल हो गया है, इसकी सबसे बड़ी वजह कोर्स का रोज़गारपरक ना होना है। चूंकि जे.के. बिज़नेस स्कूल अपने आपमें एक औद्योगिक ब्रांड है। लिहाज़ा, इसके छात्रों को विभिन्न उद्योगों में ट्रेनिंग करने का आसान मौक़ा मिल जाता है। कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि जे.के. बिज़नेस स्कूल, गुड़गांव मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए बेहतरीन संस्थानों में से एक है।