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Saturday 16 April 2016

“”हिन्दू शब्द कवच है””” डरपोक और देशद्रोही आर एस एस का :: वर्ना इस देश में हिन्दू कोई नहीं

जन उदय : इतिहास की विवेचना कर लीजिये  ब्राह्मण द्वारा लिखे सारे ग्रन्थ छान मारिये  जिन्हें ये भगवान् का संदेश बता कर पेश करते है  जो भगवान् ने इन्हें संस्कृत  में दिए थे , कही भी आपको हिन्दू शब्द नहीं मिलेगा , मिलेगा तो वर्ण वाव्य्स्था  या जातिवाद वो भी भारतीय समाज में .
भारत की निचले स्तर की जातीओ को ब्राह्मणों ने अपना गुलाम बना कर रखा और आने वाले हर विदेशी हमलावर  चाहे वो मुस्लिम रहे या अंग्रेज उनके सामने अपना गुलाम  बना कर पेश किया  
ब्राह्मणों ने इन निम्न स्तर की जातिओ का मानसिक ,शारीरिक आर्थिक शोषण सदीओ तक किया और आज भी कर रहे है , ये लोग बिलकुल नहीं चाहते की दलित लोग आगे बड़े या पढ़े , ये सिर्फ इनको जानवरों की तरह ही गुलाम रखना चाहते है

शुद्रो को ब्राह्मण मुसलमानों से लड़वाने के लिए जब इस्तेमाल करते है  तब ये जातिया  हिन्दू होती है

मुसलमानों से लड़ने के बाद ये  सारे  लोग अनेक  जातियों में बाँट जाते है इन्हें फिर समाज में गन्दी नजरो से देखा जाने लगता है और सारी गंदगी फैलाता है ब्राह्मण .

जब  दलितों को शुद्रो को आगे बढ़ने की बात आती है तो ब्राह्मण ही सबसे पहला व्यक्ति होता है जो दलितों के अधिकार के खिलाफ बोलता है , ये इनकी शिक्षा का विरोध करता है , 

इनके आरक्षण का विरोध करता है और इनको मिलने वाली हर सविन्धानिक सुविधाओं  का विरोध करता है
और फिर मुसलमानों का डर  दिखा फिर हिन्दू हिन्दू करने लगता है , समाज को बांटने में असमानता फैलाने में ये लोग माहिर है  और  बंटा  हुआ समाज कभी भी तरक्की नहीं कर सकता



“”चुर्रेट चुर्रेट मुट्ठी से सिक्का बाहर”” एक मंजा हुआ मदारी है केजरीवाल ,जो एक ही सिक्के को बार बार मुट्ठी निकाल कर दिखा रहा है ,दिल्ली की जनता मुर्ख नहीं है

जन उदय : आपने सडको पर मोहल्लो में मदारी देखे  होंगे जो अपनी खाली हथेली दिखा कर फिर उसमे जमीन से मिटटी उठा कर रखता है फिर एक डंडे से चुर्रेट चुर्रेट करके मन्त्र पढ़ता है और और फिर मुट्ठी खोल कर सबको सिक्का दिखाता है , सबको जादूगर लगता है , जिसमे अक्ल भी होती है वह दर्शक भी समझ तो  जाता है की ये मदारी सबको बेवकूफ बना रहा है लेकिन बावजूद उसके वो भी उस मदारी का खेल बड़े ही आनंद से देखता है .

दरअसल अरविन्द केजरीवाल एक ऐसा ही मदारी है  जो दिल्ली की जनता को इसी तरह चुर्रेट
चुर्रेट  करके नए नए शो दिखा रहा है  कभी ओड- इवन कर  कभी महाराष्ट्र में पानी भेजने के नाम पर
वैसे कोमन सेन्स की बात है की जिस दिल्ली के पास खुद के लिए अपना पानी नहीं है वो महारष्ट्र में कैसे भेजेगा पानी ??

खैर  आरक्षण विरोधी सेना का सेनापति  आज अम्बेडकर के चरणों में पड़ा है और बोल रहा है की हम अम्बेकर को अपने स्कूलों में  पढ़ायांगे सवाल यह है की केजरीवाल जी आप बिलकुल न पढाओ अम्बेडकर को ये सब सगूफे न छोडो सबसे पहले जिन सरकारी स्कूलों में दलित बच्चे पढ़ते है उन सरकारी स्कूलों की हालत सुधारों जहा पर टीचर नहीं है और जो थे उनको आपने निकाल दिया आपके घर के बाहर दिन रात इन शिक्षको का पदर्शन होता है

दूसरी बात केजरीवाल को जो दिल्ली में बहुमत मिला उसके मुख्य कारण दिल्ली में व्यापत  भ्रष्टाचार था  आपने कहा था की आप शीला दीक्षित के खिलाफ , सुरेश  कलमाड़ी के खिलाफ केस करेंगे और उन्हें जेल भेजंगे  लेकिन ऐसा नहीं हुआ

आपने लोकपाल का शगूफा भी छोड़ा था लेकिन उसका भी कुछ नहीं हुआ
और अब केजरीवाल जी ५२४ करोड़ के सालाना विज्ञापनों के खर्च को मनीष सिसोदिया के साले की एजेंसी के जरिये अपने खुद के प्रचार पर खर्च कर रहे है और वो भी  बेतुकी बातो के लिए

केजरीवाल ने अपने रिश्तेदारों को  और अपने चहेतों को मलाई वाली पोस्ट पर बिना किसी योग्यता के बिठाना शुरू कर दिया है उन्हें नीली  और लाल बत्ती की गाडिया बांटी है

तकनिकी रूप से जो पैसा बिजली सब्सिडी  के रूप में दिया जा रहा है वह बिजली कम्पनियो पर सरकार का ही उधार है जिसे आप बर्बाद कर रहे है
कुल मिला कर अरविन्द केजरीवाल दिल्ली की जनता को मूर्ख न समझे  चुनाव आने दो फिर सब पता  चल जाएगा


जानिये कौन है माता पिता , डरपोक ,निर्बल .निर्लज्ज भगवान के

जन उदय : क्या आप जानते है कि  भगवान् कौन है ,कहा है कैसा है ?? शायद नहीं  सिवाय इसके कि कुछ लोग इसकी रचना आकर लेते है अपने आपको भगवान् का एजेंट कहते है  बताते है की उनका संदेश  लेकर आये है  साथ में ये भी बता देते है की भगवान् ने उनको कुछ लाइसेंस  दिया है
खैर  भगवान् कही नहीं होता  उसका  अस्तित्व  जब तक रहता है जब तक समाज में विषमता  रहती है ,दुःख दर्द  रहता है , तकलीफ रहित है बेरोजगारी रहती है , सबसे बड़ी बात जब जीवन में कुछ भी निश्चित  न हो और चारो तरफ से इंसान मुसीबतों से घिर जाता है तब वह भगवान् के पीछे पीछे  भागने लग जाता है वह सोचता है की उसके हाथ कोई ऐसी शक्ति है जो उसे सारी मुसीबतों से बाहर  निकल देगी , जबकि कोई  भी मुसीबत , समस्या तब तक सोल्व नहीं  हो सकती जब तक उसे सोल्व करने के लिए व्यक्ति खुद खड़ा नहो हो जाता

आपको  इस बात का भी शायद यकीन नहीं होगा की आपका भगवान् उतना ही बलवान और शक्तिशाली है जितना शक्तिशाली आपका विशवास और आस्था अगर आपकी आस्था कमजोर है तो आपको भगवान् भी कमजोर होगा

आपको यह भी शायद यकीन नहीं होगा की आपका भगवान् भाषा भी वही जानता है जो आप जानत है और उसको भोग , उसका माहोल वही होता है जो आपका होता है यानी भगवान् वही भाषा और संस्क्रती को जानता है जो आपकी है

आप लाख मुशीबत में होते है लेकिन भगवान् कभी नहीं आता , कभी नहीं सुनता केवल आपने जो कर्म किये होते है उसी के आधार पर आगे का फैसला आ जाता है  बाकी कुछ नहीं होता
हाल ही  में  पुत्निग्ल मंदिर की घटना भगवान् और केदरनाथ की घटना ने यह साबित कर दिया की आप सुरक्षित नहीं है यहाँ तक की अ भगवान् के घर में भी

भगवान्  इस कद्र निक्कम्मा और नकारा  है की खुद के बनाए हुए घर में नहीं रहता ह खुद  कमा नहीं सकता अपना घर नहीं बना सकता

इसलिए आप चींखते रहिये चिल्लाते रहिये लेकिन भगवान् आपकी मदद के लिए कभी नहीं आयगा .. हाँ एक बार हिम्मत करके खड़े हो जाइए आप अपने आप के भगवान् बन जाएंगे


भगवान् का जन्म एक ख़ास शासक वर्ग ने अपनी सत्ता चलाने के लिए और जनता को बेवकूफ बनाने के लिए किया है , जातिवाद भारत में  इसका बहुत बड़ा  उधाहरण है