Apni Dukan

Tuesday 24 May 2016

भगवान् न पैदा हुआ न मरा , नहीं है उसका कोई अस्तित्व ..धार्मिक नहीं अध्यात्मिक बने ,करे मंदिरों और पंडो का बहिष्कार

    


जन उदय : आप  बड़े  हैरान होंगे जब आपको पता चलेगा की आप जिस भगवान को मानते आये है उसी  भगवान् ने आपको  डरपोक , कायर , और एक ऐसा विक्षिप्त बना दिया है की आप  निर्बल और कमजोरो पर अत्याचर करना धर्म समझते है .

ज़रा  एक बात गौर से और सोचे क्या भगवान  कभी  जमीन पर आ कर या किसी को संदेश देकर  फोन  करके  ये कहेगा की तुम  इस विशेष जाती के लोग हो  और सब  पर अत्याचार करो  मै  तुम्हे ये हक देता हूँ ??  करेगा  कोई विशवास ??

क्या भगवान  ये कहेगा  की आप  इस तारिक  को  इस  दिन  एक जानवर का कत्ल करो  तो मै  प्रसन्न  हो जाऊँगा  ??  अगर कोई कहता है हाँ 
ऐसा  भगवान कहता है  , तो मेरी नजर में  जा कर पहले वो अपने दिमाग का इलाज  करवाए
इसके अलावा क्या कोई इस बात का विशवास करेगा की भगवान को सिर्फ एक भाषा  आती है वह है संस्कृत  , इसका मतलब तो  यह हुआ की दुनिया में कोई  और भगवान  से बात ही नहीं कर सकता बात करेंगे तो सिर्फ ब्राह्मण .. क्यों ??  ऐसा नहीं लगता  की यह एक षड्यंत्र  है ??
भारत में ब्राह्मणों  ने शिक्षा  की देवी  जिस पर ब्राह्मणों  का कब्जा  है  लक्ष्मी   देवी  जिस  पर ब्राह्मणों  का कब्जा है   लेकिन कमाल की बात यह है  की  विदेशो में शिक्षा   और धन का स्तर  यहाँ के  लोगो से काफी बढ़ा  है भारत के लोग और भारत की शिक्षा   दुनिया के स्तर पर  कही  नहीं  रही हां  
अगर भारत  का कही नाम   रहा तो वो सिर्फ बौध  समाज  का वरना किसी  का नहीं
वैसे  भी  धर्म किस  बात की गारंटी  है ??  क्या मुझे कोई ऐसा धर्म बता सकता है   जहा पर उस धर्म के सभी  लोग  प्यार   से   रहते  हो  मिलजुल कर रहते  हो  , गरीब  न  हो  , बीमार   हो   मरते  न हो  सभी  लोग शिक्षित  हो   सभी लोग धनी  हो , इनके आपस  में झगड़े  न होते  हो कोर्ट कचहरी  न होती हो . नहीं साहेब  बिलकुल  नहीं  भारत का जातिवाद  समाज , मुसलमानों  में आतंकवाद   ब्राह्मणों  में आतंकवाद  बिलकुल  नहीं  न    तो धर्म  और न ही भगवान्   ये किसी  चीज की गारंटी  नहीं है

हाँ अगर चूँकि  आप   सोचते है  की कही  तो  कोई  तो  भगवान्   या शक्ति  होगी  जो दुनिया  को चलाती  होगी , तो इस  केस में भी आप  धार्मिक   नहीं बल्कि अध्यात्मिक  बनिए  बल्कि कहे  तो  मानवतावादी  बनिए , गरीबो  पर कमजोरो  पर जुल्म न ढाए   उनकी मदद  करे  , तो मै  यह कह   सकता हूँ की निश्चित रूप  से आपको  मन  की शान्ति  मिलेगी  और  यकीनन सफलता मिलेगी


वरना  यह सब लोग करते ही होंगे यानी व्रत  रखना , पूजा पाठ  करना  , अनुष्ठान  करना , जागरण  करना , भगवान  के संकल्प  करना  भगवान  की किताबे पढना   , लेकिन भगवान् कभी  नहीं  आया  और न कभी आएगा  हाँ  जिस वक्त आपने अपने अंदर हिम्मत  जुटाई  और एकाग्र  हो कर अपनी सारी शक्तिओ  को  एक साथ किया   , उसी  दी आप विजयी  हो  गए   

मुफ्तखोर और मानसिक विक्षिप्त लोगो की फौज है भारत के साधू : मुफ्तखोर ब्राह्मण है ये सभ्य समाज में घुसे आदमखोर भेडिये है

जन उदय :  साधू   समाज समाज से समाज सभ्यता के चरणों में आगे बढ़ा  है तब से ही समाज में ऐसे लोग हमेशा होते है जो दुसरो का माल लूट कर खाना  चाहते है , मुफ्त खोरी करना  चाहते है , उन्हें  कोई मेहनत  न करनी पड़े  और दुसरे लोगो  को किसी  न किसी  बसत पर बेवकूफ बनाना  चाहते  है ताकि  अपना उल्लू  सीधा करना चाहते है
अगर हम ये देखे की ये साधू अचानक आ कहा से गए ??  ऐसी  क्या वजह है जो इन  साधुओ  को  इतना बढ़ावा  मिलता  है ??

अगर हम कारण  ढूँढेंगे  तो एक कारण हमारे सामने बड़ा  ही खुल कर सामने   आता है वह है  ब्राह्मणों  द्वर४आ  फैलाई गई अपसंस्कृति  यह वह अपसंस्कृति  है जिसमे ऐसे लोगो को बढ़ावा  मिलता है  ब्राह्मणों  में मुफ्तखोरी  कूट  कूट कर भरी हुई है इन्होने बाकी समाज को यह  कह कर बेवकूफ बनाया है की ये  भगवान् के भगत है  भगवान् ने इन्हें  पूजा पाठ  के लिए भेजा  है और   ये कमा नहीं सकते  , कुछ समय  तो तो ठीक ही  रहा होगा लेकिन बाद में  इन ब्राह्मण मुफ्तखोरो  की संख्या  इतनी बढ़  गई की आज ये लोग  करोडो में  है

इनका काम यह है की इन्होने  मंदिर नाम की अपनी दुकाने  चला ली है  और आश्रम , आदि  खोल लिए है  कमाल की बात यह है की इन आश्रम  और मंदिर पर करोडो  रुपया  का चदावा  सिर्फ इन्ही की अयाश्यियो  के लिए खर्च होता है


सदीओ से चली आ  रही अशिक्षा  गरीबी   के चलते इन्होने हजारो  तरह के अंधविश्वास फैलाए  और यही वजह है की आज इनके बनाए  मक्कड़  जाल से लोग निकल  नहीं पाते और अंधविश्वास में  फसे रहते है

यही कारण है की ये लोग  कहने को साधू  यानी  समाज से बाहर के लोग  आदमखोर   जानवर की तरह सिविल  समाज में घुस आये है  और उनकी निजता , प्रशासन  पर प्रहार कर  रहे है  समाज में जातिवाद , अन्ध्विशाव  का सहारा लेकर आये  दिन सुर्खियो में बने रहते है  और कमाल की बात यह है की समाज को राह दिखाने वाला मीडिया  इनके  आगे कदमताल  कर रहा है 

अगर हम समाज को आगे बढ़ाना  चाहते है तो ऐसे ढोंगी  पाखंडी  समाज को खत्म करना होगा जो मंदिर में पुजारी बन  और धर्म गुरु बन समाज को भ्रमित कर रहे है और जहर उगल रहे है

साथ के साथ ऐसी धार्मिक किताबे  या इन किताबो  का प्रचार करने वाले  ब्राह्मणों  को भी सबक सिखाना होगा ताकि ये लोग  अपनी गंदगी से भरी किताबो  को खुद ही समाज से दूर रखे