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Tuesday 26 April 2016

यू एन ने लगाईं भारत को फटकार , कहा बंद करो जाति के नाम पर दलितों की हत्या ; मोदी सरकार ने मांगी माफ़ी

 भारत की ब्राह्मणी सरकारें हमेशा ही जाति और जातिवाद  के खिलाफ उठती हर आवाज का विरोध करती रही हैं. और यदि  यह मुद्दा विश्व के सामने उठे तब तो इनका विरोध देखते ही
बनाता है.  गोलमेज कान्फरेन्स में पहली बार बाबासाहब ने जाति और  जातिवाद के कारण देश की बहुत बड़ी आवादी की नरक बनी  जिंदगी से विश्व को रुवरु कराया था. जिसका विरोध गांधी,
मालवीय सबने किया था. गांधी ने अपने अखबार 'हरिजन' के  माध्यम से भी पुरे विश्व को गुमराह किया. भारत में  वर्णव्यवस्था के कारण बहुजन के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार
की कभी अपने अखबार में चर्चा नहीं की. ये सिलसला रुका  नहीं. अब भी जब जातीय भेदभाव और छुआछूत का मुद्दा संयुंक्त  राष्ट्र संघ में उठाया जाता है तो भारत सरकार तुरंत विरोध
करती है. 

अभी भी यही हुआ है. 28 जनवरी 2016 को एक विस्तृत रिपोर्ट  'अल्पसंख्यक मामलों पर' UN में रखी गई है. इसमें 'जातीय  भेदभाव' को 'वैश्विक त्रासदी' बताया है. इसमें कहा गया है कि जाति व्यवस्था (भारत में वर्ण व्यवस्था), मानवीय गरिमा,  समानता और बंधुत्व के खिलाफ है. रिपोर्ट में यह सवाल उठाया  गया है कि कैसे, क्यों एक जाति में पैदा लोग पूज्यनीय हो सकते
हैं जबकि दूसरी जाति में पैदा लोग अस्पृशय. 


लेकिन भारत की ब्राह्मणी सरकारें इस बात को मानने के लिए  तैयार नहीं है. जबकि देश में हालात ऐसे हैं कि -  " बहुजन है तो समझो जान से गया" बहुजन यदि छू ले सवर्ण की बाल्टी,  तो बहुजन हाथ-पैर से गया.  बहुजन यदि मूत दे किसी ठाकुर के खेत में,  तो बहुजन जान से गया.  बहुजन प्रतिबन्धित हैं नहीं ले सकते,सर्वनाजिक कुओं, नलों, नदी से पानी,यदि ले लिया तो समझो जान से गया.

 यदि कोई बहुजन मुख्यमंत्री,बाबासाहब के नाम से बनाये कोई  प्रेरणा स्थल,तो समझो सरकार से गया.  नया सवर्ण अफसर जब संभाले आफिस,तो पहले शुद्धिकरण  करवाता है,यदि पिछला बहुजन अफसर तबादले पर गया.  यदि प्रतिनिधित्व कानून से बहुजन तरक्की करें,  तो निजीकरण की आड़ में प्रतिनिधित्व कानून गया.  यदि एकलव्य अपनी स्वयं की प्रतिभा से,तीरंदाज बन किसी  अर्जुन के लिए चुनौती बन जाये,तो एकलव्य का अंगूठा गया.

यदि कोई बहुजन 

देखिये संघ समर्थक जे एन यु के संघी प्रोफसर कैसे दे रहे है आतंकवाद को बढ़ावा


जन उदय : जे एन यू काण्ड , यानी बी जे पी के छात्र विंग  के साथ मिलकर जो षड्यंत्र मीडिया के कुछ न्यूज़ चैनल ने  चलाया था .

यह बात संसद रहे की देश की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी जहा पर वाम विचारधारा का वर्चस्व है उसको बर्बाद करने के लिए संघ , भाजपा ने अपने छात्र विंग के साथ एक षड्यंत्र  चलाया  था जिसमे एक डॉक्टरेड विडियो सभी संघी चैनल पर चलाया गया जिसमे दिखाया गया की जे एन यु के वामपंथी छात्र देशद्रोही  नारे लगा रहे है , जो विडियो बाद में जब जांच हुई फर्जी साबित हुआ
यह घटना  देश के सबसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी  और इस घटना ने देश को पूरी दुनिया में बदनाम किया

इसी घटना के सन्दर्भ और उसी से जुडी घटनाओं के लिए
9 फरवरी को जेएनयू में हुई घटना को लेकर एक जांच पैनल ने उमर खालिद और कन्‍हैया कुमार को अलग अलग सजा दी है. उमर खालिद को एक सेमिस्टर के लिए सस्पेंड कर दिया गया है साथ ही 20 हजार रुपए जुर्माना भरने को कहा है. जबकि जेएनयू स्‍टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट कन्हैया कुमार को दस हजार रुपए जुर्माना भरने को कहा गया है.

दोनों ही छात्र नेता यूनिवर्सिटी नियमों के तहत अनुशासनहीनता के दोषी पाए गए हैं. बता दें कि इस मामले में मुजीब गट्टू को भी एक सेमेस्टर के लिए निलंबित किया गया है. अनिर्बान भट्टाचार्य को 15 जुलाई तक निलंबित किया गया है. साथ ही अनिर्बान 23 जुलाई से अगले पांच साल तक जेएनयू से कोई भी कोर्स नहीं कर सकेंगे.

इसमें कमाल की बात यह है की  जो दोषी छात्र थे यानी ए बी वी पी के छात्र  , बी जे पी के नेता   और न्यूज़ चैनल उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है , जबकि कॉलेज  प्रशासन को चाहिए  था की वो इन संघी छात्र समेत सभी न्यूज़ चैनल पर भी कार्यवाही करे  लेकिन ऐसा न हो कर उलटा पीड़ित  छात्रो को ही और प्रताड़ित  किया जा रहा है


इसमें बताया  जा रहा है  जांच कमिटी का अध्यक्ष  भटनागर  संघ समर्थक और आरक्षण विरोधी  है जो इसी तरह की अन्य देशविरोधी घटनायो में शामिल रहता है 

जानिये किस किस कम्पनी ने लगाया है चुना देश को देशभक्ति के नाम पर : आर टी आई से खुलासा :: राज आदिवाल


आप एक विजय माल्या की बात करते हैं.. मैं आपको बता दूँ अभी हाल में एक आरटीआई आवेदन के ज़रिये इस बात का खुलासा हुआ कि 2013 से 2015 के बीच देश के सरकारी बैंकों ने एक लाख 14 हज़ार करोड़ रुपये के कर्जे माफ़ कर दिये। इनमें से 95 प्रतिशत कर्जे बड़े और मझोले उद्योगों के करोड़पति मालिकों को दिये गये थे।

यह रकम कितनी बड़ी है इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर ये सारे कर्ज़दार अपना कर्ज़ा लौटा देते तो 2015 में देश में रक्षा, शिक्षा, हाईवे और स्वास्थ्य पर खर्च हुई पूरी राशि का खर्च इसी से निकल आता।

इसमें हैरानी की कोई बात नहीं। पूँजीपतियों के मीडिया में हल्ला मचा-मचाकर लोगों को यह विश्वास दिला दिया जाता है कि अर्थव्यवस्था में घाटे के लिए आम लोग ज़िम्मेदार हैं क्योंकि वे अपने पूरे टैक्स नहीं चुकाते, बिल नहीं भरते, या शिक्षा, अस्पताल, खेती आदि में सरकारी सब्सिडी बहुत अधिक है, आदि-आदि। ये सब बकवास है। देश की ग़रीब जनता कुल टैक्सों का तीन-चौथाई से भी ज़्यादा परोक्ष करों के रूप में चुकाती है। मगर इसका भारी हिस्सा नेताशाही और अफ़सरशाही की ऐयाशियों पर और धन्नासेठों को तमाम तरह की छूटें और रियायतें देने पर खर्च हो जाता है। इतने से भी उनका पेट नहीं भरता तो वे बैंकों से भारी कर्जे लेकर उसे डकार जाते हैं।

ग़रीबों के कर्जे वसूल करने के लिए उनकी झोपड़ी तक नीलाम करवा देने वाली सरकार अपने इन माई-बापों से एक पैसा नहीं वसूल पाती और फिर कई साल बाद उन्हें माफ़ कर दिया जाता है। दरअसल इस सारी रकम पर जनता का हक़ होता है। करोड़ों लोगों की छोटी-छोटी बचतों से बैंकों को जो भारी कमाई होती है, उसी में से वे ये दरियादिली दिखाते हैं।
आइये अब ज़रा देखते हैं कि इन चोरों में से 10 सबसे बड़े चोर कौन हैं।

1. टॉप टेन में सबसे ऊपर हैं, अनिल अम्बानी का रिलायंस ग्रुप जो 1.25 लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ दबाये बैठा है।
2. दूसरे नंबर पर है अपने कारखानों के लिए हज़ारों आदिवासियों को उजाड़ने वाला वेदान्‍ता ग्रुप जिस पर 1.03 लाख करोड़ कर्ज़ है।
3. एस्सार ग्रुप पर 1.01 लाख करोड़ कर्ज़ है।
4. मोदी के खास अडानी ग्रुप ने बैंकों के 96,031 करोड़ रुपये नहीं लौटाये हैं। इसके बाद भी उसे 6600 करोड़ रुपये के नये कर्ज़ की मंजूरी दे दी गयी थी लेकिन शोर मच जाने के कारण रद्द हो गयी।
5. जेपी ग्रुप पर 75,163 करोड़ का ऋण है।
6. सज्जन जिन्दल (जो मोदी की पाकिस्तान यात्रा के समय वहाँ पहुँचे हुए थे) के जे.एस.डब्ल्यू. ग्रुप पर 58,171 करोड़ का कर्ज़ है।
7. जी.एम.आर. ग्रुप पर 47,975 करोड़ का ऋण है।
8. लैंको ग्रुप पर 47,102 करोड़ का ऋण है।
9. सांसद वेणुगोपाल धूत की कंपनी वीडियोकॉन पर बैंकों का 45,405 करोड़ का ऋण है।
10. जीवीके ग्रुप कुल 33,933 करोड़ दबाये बैठा है जो 2015 में मनरेगा के लिए सरकारी बजट (34000 करोड़) से भी ज़्यादा है।
डियर जनता आप अभी व्यस्त रहिये अपनी धर्म और जाति पात की गूढ़ ज्ञान गंगा में और अपने अपने नेताओं की जिंदाबाद मुर्दाबाद में लड़ते मरते रहिये आपस में.. देश और देश की संपत्ति का क्या है वो तो आपके यही महान नेता, धर्म गुरु और पूंजीपति मिल बाँट कर जल्द ही चट कर लेंग।.

बस आप अपनी देशभक्ति भारत माता की जय तक सिमित रखिये।

गीता , वेद स्कूल और कॉलेज में और मनुस्मिरिती सविंधान में आरएसएस का जहरीला गुप्त एजेण्डा

   
आरएसएस का एजेण्डा है कि 5 साल मोदी की सरकार रहते संविधान की समीक्षा करके मनुस्मृति को संविधान में जोड़ दिया जाए। इसमें सबसे पहले सरकार भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाएगी। भगवत गीता को पढाई के सिलेबस में लागू करेगी। उसी आधार पर मनुस्मृति को सर्वोच्च दर्जा देकर धर्म निरपेक्षता की जगह वर्ण व्यवस्था कायम करेगी। इससे पहले आरक्षण की समीक्षा करके आरक्षण समाप्त किया जाएगा। वो सभी पद अनुसूचित जातियों, जनजातियों, पिछड़ों, महिलाओं, माइनर कम्यूनिटी (मुस्लिम, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई आदि) से छीन लिए जाएंगे। सभी का कार्य योग्यता नहीं बल्कि जन्म आधारित जाति के आधार पर होगा।

मनुस्मृति की चतुर्वर्ण प्रणाली के आधार पर कार्य विभाजन रहेगा। ब्रहाम्णो के लिए पूजापाठ पर पूर्णतः आरक्षण रहेगा। अन्य सभी वर्गों के लोग ब्रहाम्णो को धन, सम्पदा, जमीन, जायदाद, लडकियाँ आदि दान में देंगे। सिर्फ क्षत्रिय (राजपूत) वर्ग ही सेना, पुलिस आदि अन्य सैन्य बलों, अर्द्ध सैन्य बलों में कार्यरत होगा। छोटी-बड़ी दुकान आदि कर अपना गुजारा कर रहे और मध्यम वर्ग व महनत के बल पर बडे व्यापारी बने लोगों से सब हडप लिया जाएगा वह भी सरकार व अदालत के आदेशों पर। इस तरह व्यापार करने का अधिकार सिर्फ वैश्य (बनिया) वर्ग को ही होगा।।

बाकी बचे शुद्र। शुद्र वर्ण में वे सभी लोग हैं जो उनके कर्म के आधार पर हिन्दू ग्रन्थों के अनुसार और आचार्य मनु के निर्देशानुसार कई अनेक जातियों में विभाजित किए गए हैं। इसी अनुसार नाई केवल बाल काटेंगे, गूजर दूध उत्पादन करेंगे, चमार सभी के मरे हुए पशुओं को उठाएंगे, पशूओ की खाल उतारेंगे, भंगी सभी की गन्दगी उठाएंगे आदि आदि जिन जातियों का वर्णन प्राचीन काल में नहीं मिलता ऐसी जातियाँ जो शु्र वर्ण की ही पैदाईश हैं परन्तु समय के साथ विकसित हुई, संविधान लागू होने के बाद जिन्हें अधिकार मिले परन्तु उन जातियों का कोई पुख्ता इतिहास नहीं मिलता ऐसी जातियों को समाप्त करके उन्हें "कल्कि वर्ण" का नाम देने की योजना है। यह वर्ण कलयुग में उत्पन्न हुआ वर्ण होगा। पुराणों के अनुसार जब कलयुग चरम पर होगा तब धरती पर भगवान विष्णु का अवतार जन्म लेगा उसे "कल्कि भगवान" के नाम से जाना जाएगा वह युद्ध लडेगा और पूरे विश्व में हिन्दू सनातन धर्म को स्थापित करेगा। 

उपरोक्त लिखे गए "कल्कि वर्ण" में अहीर, जाट, सुनार आदि जातियों को शामिल करने की योजना है। इस कल्कि वर्ण का काम होगा कल्कि भगवान के आगमन के लिए स्वागत की तैयारियाँ कराना, हथियार एकत्र करने में सहयोग करना, हथियार बनाना, जमींदारों की जमीनों पर किलों का निर्माण करना, सभी उच्च वर्गों के ऐश्वर्य, सुख के लिए सुन्दर स्त्रियों, मदिरा, माँस आदि का प्रबंध करना आदि। 

जिसका पूरा विवरण जल्द ही समाचारपत्रों में पढने को मिलेगा। महिलाओं पर पूर्णतः पाबंदी लगाकर गुलाम बनाकर रखा जाएगा। मुसलमानों, बौद्धों, जैनियों, खालसा पंथियों, ईसाइयों की हत्या करके उन्हें जड-मूल से समाप्त कर दिया जाएगा।

ऐसा ऐजण्डा भारत की मोदी सरकार और आरएसएस का है। जो कल्कि भगवान के पूरे विश्व में आक्रमण और पूरे विश्व में हिन्दू सनातन धर्म के प्रसार और पूरे विश्व को गुलाम बनाने के बाद ही यह ऐजेण्डा पूरा होगा। संविधान समीक्षा के समय कानूनों को बदलने के साथ-साथ राष्ट्रपति की चयन प्रक्रिया बदलली करने की भी योजना है, इस योजना के अनुसार राष्ट्रपति पद पीठ के शंकराचार्य के लिए आरक्षित किया जाएगा। वर्तमान में शंकराचार्य का पद राष्ट्रपति के पद से भी बड़ा माना जाता है जोकि बेशक संवैधानिक नहीं है परन्तु भारत के राष्ट्रपति अनेकों बार गद्दीनशीन शंकराचार्य के कदमों में झुकते देखें गए हैं। इसी प्रकार न्यायपालिका को सरकार के प्रति जवाबदेह बनाया जाएगा और मनुस्मृति, वेदों के कानून लागू किए जाएंगे।


केदारनाथ में हनीमून मनाने से आई आपदा शंकराचार्य : ठीक तो फिर भगवान् ने रोका क्यों नहीं शंकराचार्य हो गया है विक्षिप्त :: राज आदिवाल

 नया सनातन प्रमुख फ़तवा यह कि विवाहोपरांत दंपत्तियों के जाने से केदारनाथ की बाढ़ आई थी, क्यों कि दंपत्ति जीवन अपवित्र कर्म है ।

विवाह के तुरंत बाद जीवन में प्रेम कुछ ज़्यादा ही होता है और नव दंपत्ति यदि तीर्थ स्थानों पर जाते हैं और वहॉं प्रेमरत रहते हैं तो यह अपवित्र कर्म हैं और प्रकृति नाराज़ होकर ग़ुस्से में बाढ़ ला देती है और उसमें उन दंपत्तियों के साथ महा पवित्र साधु सन्यासी तीर्थयात्री भी कोपभाजन हो जाते हैं !

समझ में आया कुछ ? तो वहॉं प्रेमकांक्षी विवाहित युवक युवतियॉं न जाया करें नहीं तो पुन: बाढ़ का क़हर आ जायेगा।  सनातनप्रमुख के लिए .....वन विनाश अपवित्र नहीं है, नदियों पर क़ब्ज़ा कर उनके रास्तों को अवरुद्ध कर आश्रम होटल धर्मशाला आदि बनवाना अपवित्र कर्म नहीं है , एकदम ठीक गंगोत्री के मुहाने पर आश्रम  बनाकर उसका सीवर सीवेज सीधे गंगाजी में समर्पित कर देना अपवित्र कर्म नहीं है


पंडों की गुंडागर्दी , बेईमानी और व्याभिचार अपवित्र नहीं है , कुछ आश्रमों में हो रहे असंवैधानिक अवैधानिक अनैतिक कर्म अपवित्र कर्म नहीं है , गंगा किनारे बन रहे होटल और सीवेज विसर्जन से प्रकृति नाराज़ नहीं होती न ही गंगा जी क्रुद्ध होती हैं । भाड में जाये पर्यावरण विज्ञान और जलवायु परिवर्तन पर संसार की चिंता, अब बाबा जी ने समाधान खोज लिया है ।

बाबा जी आप इस धरती पर कहॉं से अवतरित हुये ? बिना मॉं बाप के प्रेम रत हुये ? किस स्थान पर ?
सनातन काल से तीर्थ स्थानों पर उत्पन्न मनुष्य और अन्य जीव जंतु क्या अपवित्र कर्म के महाअपवित्र उत्पाद हैं ?     ऋषिकेश , प्रयाग , काशी , तिरुपति , रामेश्वरम आदि स्थानों पर पैदा हुये पुरोहित परिवार कैसे अपवित्र नहीं हैं और तब प्रकृति कयों नहीं रूठीउनसे कि आज भी अस्सी बरस की उम्र में पौरोहित्य कर रहे हैं ?         

पर हमने तो आज तक ज्ञानियों से यही सुना था कि प्रेम ईश्वर की सबसे सुंदर अभिव्यक्ति ही है ।

अब क्या करें ? रुड़की पर नया नाका लगवाएँ जाँच करने के लिये कि कौन नवदंपत्ति है , हनीमूनर है ?

उस अपवित्र काम की जॉंच कैसे होगी कि अधेड़ उम्र के पतिपत्नी करें ? और बूढ़े दंपत्ति क्या प्रकृति जन्य भावनाओं से वंचित किये जायेंगें? बाबा जी जल्दी रास्ता बताओ क्यों कि गरमियाँ आ चुकी हैं , हर उम्र के दंपत्ति पहाड़ों की ओर प्रस्थान कर चुके हैं , उनंहें तत्काल रोकना होगा ?!?

जय हो आर्यावर्त जम्बूद्वीप भरतखण्ड के सर्वोच्च धर्म प्रमुख की!