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Sunday 3 April 2016

“भारत माता की जय” वाले आतंकवादी संगठनो को इस देश से निकालना होगा

जन उदय : भारत माता की जय ,  संघियो का एक हथियार बन गया है जसके जरिये ये पाने  आपको देशभक्त साबित करने में लगे है  और जो न बोले उसको देशद्रोही , जब की असलियत यह है की ये संघी इनका मूल स्थान भारत है ही नहीं   ये आर्य विदेशी हमलावर है , जो कई क्रम   और खेप में भारत आये ,

\ये लोग जब से आये कभी भी इन्होने इस देश को देश नहीं माना  यहाँ आने वाले हर  हमलावर के साथ इन्होने सत्ता के मजे लिए

अंग्रेजो के साथ मिलकर भी ये इस देश की सत्ता में रहे बल्कि ये चाहते थे की अंग्रेज  जाते वक्त इनके हाथो में सत्ता सोंपे  लेकिन ऐसा न हुआ 

“”RSS के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने "14 अगस्त 1947 के भगवा ध्वज के पीछे का रहस्य_ शीर्षक सम्पादकीय में.. "भाग्य की लात खाकर सत्ता में आ गए लोग हमारे हाथ में तिरंगा पकड़ा सकते हैं पर हिन्दू उस तिरंगे को न कभी स्वीकारेंगे, न उसका सम्मान करेंगे. 3 की संख्या खुद में ही अशुभ है, अपशकुनी है, और तीन रंगों वाला झंडा देश को बहुत बुरा मनोवैज्ञानिक नुकसान पंहुचाएगा और देश के लिए खतरनाक होगा

तिरंगे और देश के सविंधान से इन्हें सबसे जयादा अलर्जी रही है इसलिए समय समय पर इन्होने जब चाहा देश के सविंधान को जलाया , दंगे करवाए जिस तरह पुरे देश में इस वक्त एक आतंक का माहोल बना दिया है संघ ने उससे लगता है ये लोग बहुत जल्द ही अराजकता ले आयंगे पुरे देश में ,

हाल ही में फद्न्विस जो महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री है दुबारा से अपना गैर जिम्मेदाराना ब्यान जारी किया है कि जो भारत माता की जय बोलेगा वही इस देश में रहेगा ,


मुसलमान बोल चुके है की हम नहीं बोलेंगे तो इस पर इन्होने मुसलमानों को विदेशी बताना शुरू कर दिया है , लेकिन सिक्खों ने भी मना कर दिया है लेकिन उनके खिलाफ ये जवाब नहीं दे रहे है , इनकी इन्ही हरकत की वजह से नवजोत सिद्धू ने इनकी पार्टी छोड़ दी है वैसे भी सिक्ख धर्म के सबसे बड़े दुश्मन ये खुद ब्राह्मण भी रहे है

न बोल कि लब आज़ाद है न बोल जुबां तेरी है , पत्रकार बनके रहेगा तो संघ का गुलाम बन कर रहेगा ये है भाजपा का शुशासन


छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता की चुनौतियों का पता लगाने के लिए 13 से 15 मार्च के बीच एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया की जो फैक्ट फाइंडिंग टीम वहां गई थी, उसकी रिपोर्ट में कुछ ऐसी चौंकाने वाली बातें शामिल हैं जिन्हें जान कर दिल्ली व दूसरे महानगरों में बैठे पत्रकारों और संपादकों की आँखें खुल सकती हैं.

मसलन, अगर आपको यह बताया जाए कि बस्तर का प्रशासन राष्ट्रीय मीडिया को माओवादियों का समर्थक मानता है, तो इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी? इसका सीधा सा मतलब यह है कि यदि आप दिल्ली के पत्रकार हैं, खुद को राष्ट्रीय मीडिया का हिस्सा मानते हैं और बस्तर में विजिटर के तौर पर असाइनमेंट पर जा रहे हैं, तो सतर्क हो जाइए क्योंकि वहां न तो आपका प्रेस कार्ड काम आएगा और न ही राष्ट्रीय मीडिया का बैनर, क्योंकि आप पहले से ही माओवादी समर्थक माने जा चुके हैं.

आइए, एडिटर्स गिल्ड की रिपोर्ट के कुछ ऐसे ही चौंकाने वाले अंशों पर निगाह डालते हैं:
•             बस्तर पत्रकार संघ के अध्यक्ष करीमुद्दीन ने बताया, ‘‘मैं जगदलपुर से बाहर की किसी भी जगह बीते छह साल से नहीं गया हूं क्योंकि मुझे सच लिखने की मनाही है और आप जो देखते हैं अगर उसे लिख नहीं सकते, तो फिर बाहर जाकर सूचना जुटाने का कोई मतलब नहीं बनता।’’ वे पिछले तीन दशक से ज्यादा वक्त से यूएनआइ के बस्तर प्रतिनिधि हैं।
•             एक स्थानीय अखबार के संपादक दिलशाद नियाज़ी ने बताया कि वे डर के मारे पिछले आठ साल से पड़ोसी जिले बीजापुर नहीं गए हैं।

•             मालिनी सुब्रमण्यम ने बताया कि यदि कोई पत्रकार सूचना जुटाने के लिए बाहर जाने की हिम्मत भी कर लें, तो माना जाता है कि उसे लोगों से बात नहीं करनी है। उन्होंने बताया, ‘‘पुलिस अधिकारी पत्रकारों से यह उम्मीद करते हैं कि उनकी कही बात का भरोसा कर के वे छाप दें। अगर कोई पत्रकार तथ्यों को जुटाने के लिए थोड़ी भी अतिरिक्त मेहनत करने की मंशा रखता हो, तो यह उन्हें पसंद नहीं आता। एक आत्मसमर्पण के मामले में मैंने जब कुछ लोगों से बात करने की कोशिश की, तो पहले मुझसे पूछा गया कि मैं उन लोगों के नाम बताऊं जिनसे मैं बात करना चाहती हूं और मेरे वहां पहुंचने से पहले ही उन्हें बता दिया गया था कि मुझसे क्या बोलना है।’’




•             जैसा कि स्थानीय पत्रकार कहते हैं, बस्तर में पत्रकारों की तीन श्रेणियां हैं- सरकार समर्थक, सरकार के थोड़े कम समर्थक और माओवादी समर्थक या उनसे सहानुभूति रखने वाले पत्रकार।

•             स्ट्रिंगर और समाचार एजेंटः ये लोग बस्तर में पत्रकारिता की रीढ़ हैं। संघर्ष-क्षेत्र के सुदूर इलाकों में तैनात इन लोगों को स्ट्रिंगर, न्यूजएजेंट और यहां तक कि हॉकर भी कहा जाता है। ये लोग खबरें जुटाकर या तो जगदलपुर ब्यूरो में या फिर सीधे मुख्यालय में भेजते हैं। इन्हें अपने अखबार से न तो कोई औपचारिक नियुक्ति पत्र मिलता है और न ही काम के बदले कोई पारिश्रमिक मिलता है।
•             स्थानीय अधिकारियों ने दावा किया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि जगदलपुर से कोई स्क्रोल डॉट इन नामक वेबसाइट के लिए लिख रहा है। जगदलपुर के कलक्टर ने इस बारे में कहा, ‘‘वह तो मुख्यधारा का मीडिया भी नहीं है।’’
•             स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि इस विवाद के सामने आने से पहले खुद उन्हें नहीं पता था कि मालिनी सुब्रमण्यम स्क्रोल डॉट इन के लिए लिखती हैं। मालिनी ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने कभी भी सरकार के जनसंपर्क विभाग में एक पत्रकार के बतौर अपना पंजीकरण करवाने की परवाह नहीं की क्योंकि वे दैनंदिन घटनाओं को कवर नहीं करती थीं।
•             आलोक पुतुल छत्तीसगढ़ से बीबीसी हिंदी के लिए लिखते हैं। वे खबर करने के लिए बस्तर गए थे और बस्तर के आइजी एसआरपी कल्लूरी व पुलिस अधीक्षक नारायण दास से मिलने की कोशिश कर रहे थे। कई कोशिशों के बाद उन्हें आइजी की ओर से यह संदेश मिला, ‘‘आपकी रिपोर्टिंग बहुत एकतरफा और पूर्वाग्रहग्रस्त होती है। आप जैसे पत्रकारों पर अपना समय खर्च करने का कोई मतलब नहीं है। मेरे साथ मीडिया और प्रेस का एक राष्ट्रवादी और देशभक्त तबका खड़ा है और वह मेरा समर्थन भी करता है। बेहतर है कि मैं उन्हें वक्त दूं। शुक्रिया।’’

•             पुलिस अधीक्षक ने भी ऐसा ही संदेश भेजा, ‘‘हाय (अंग्रेज़ी में अभिवादन) आलोक, मुझे देश के लिए बहुत सारे काम करने हैं। मेरे पास आप जैसे पत्रकारों के लिए वक्त नहीं है जो एकतरफा तरीके से खबरें लिखते हैं। मेरा इंतजार मत करना।’’
•             इस बारे में टीम द्वारा सवाल किए जाने पर जगदलपुर के कलक्टर अमित कटारिया ने हंसते हुए कहा, ‘‘आलोक पुतुल और आइजी के बीच कुछ कम्युनिकेशन गैप रहा होगा, और कुछ नहीं।’’
•             राज्य सरकार चाहती है कि माओवादियों के साथ सरकार की लड़ाई को मीडिया राष्ट्र के लिए की जा रही लड़ाई के रूप में देखे, उसे राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले की तरह बरते और इस बारे में कोई सवाल न खड़ा करे।




 सोर्स : mediavigil.com  

जानिये मोदी ने कैसे देश को बदनाम किया है ,”सामरिक क्षेत्र में भारत की करारी हार , मोदी हुए फ्लॉप , देश का मान घटा

जन उदय : जिस  तरह भाजपा /संघ  चुनाव जितने के साथ ही यहाँ देश में लोकतंत्र के लिए भगवा ताकतों ने लोकतंत्र के लिए खतरे पैदा कर दिए , वही दूसरी तरफ  एक चक्रवर्ती सम्राट अशोक की तरह पूरी दुनिया का दौरा करना  शुरू कर दिया था  उससे देश में ये संदेश देने की कोश्सी की गई की जो पहले की सरकारों ने नहीं किया वह अब हो जाएगा , अमरीका , दुबई , कनाडा में भाजपा ने प्रायोजित कार्यकर्म करवाए और भारतीय पिछलग्गू मीडिया ने भी ऐसा ही दिखाने की कोशिस की लेकिन सब उपर से ही पानी के बबूले की तरह लग रहा था .


फ्रांस ने तो राफेल विमान के मामले  में पहले से ही झटका दे दिया था भारत को  जिससे  ऐसे लग रहा था की मोदी  और ओबामा की केमिस्ट्री काफी अच्छी  है लेकिन  अमरीका ने अपना रुख  एकदम साफ़ कर  दिया , कमाल की बात ये की अमरीका ने राफेल विमान भारत को न देकर पाकिस्तान को दिए , ये बड़े शर्म  की बात थी
हाल ही में  चीन ने पठानकोट आतंकी हमले के साजिशकर्ता और जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर बैन लगाने की भारत की कोशिश पर फिर अवरोध खड़ा कर दिया है। आज समय सीमा से कुछ घंटे पहले चीन ने संयुक्त राष्ट्र की कमेटी से अनुरोध किया कि इसे रोका जाए।


यह कमेटी पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख पर पाबंदी पर विचार कर रही है। वहीं केंद्रीय मंत्री किरण रिरिजु ने कहा कि सरकार इस पर जल्द ही उचित कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि चीन ने जो किया है वह सही नहीं है। संयुक्त राष्ट्र में चीन के इस व्यवहार को लेकर संवाददाताओं के सवाल पर उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय जो भी आवश्यक कदम होगा उठाएगा।

गौरतलब है कि मसूद को बैन करने के लिए भारत ने यूएन से अपील की थी। 15 में से 14 देश थे जो भारत के समर्थन में थे। यूएन कमेटी में अजहर मसूद को बैन करने पर फैसला होना था। कमेटी में शामिल 15 में से 14 देश इसके हक में थे। रिपोर्ट के मुताबिक बैन के समर्थन में अमरीका, यूके और फ्रांस जैसे देश थे, सिर्फ चीन ने इसका विरोध किया।


चीन का विरोध भी इसलिए महत्व पूर्ण है क्योकि   ये दावा  किया जा रहा था की मोदी ने आते ही चीन से भारत के सम्बन्ध   सुधार लिए है जो की गलत साबित हुआ  और पूरी दुनिया में यह संदेश गया है की भारत पूरी दुनिया के सामने हाथ फैलाता  घूम  रहा है , लेकिन कोई भी उसके हाथ पर सहयता की इक्कनी नहीं रख रहा है


 इस वक्त पूरी दुनिया में भारत एक मजबूर इंसान बन कर खड़ा है और इसका कारण है संघ संचालित सरकार की नीतिया  जो लगातार हर स्तर पर भारत  का मान  कम करती जा रही है  चाहे देश  में होने वाली रोहित वेमुला की हत्या  दलित बस्तिओ को जलाना , डेल्टा मेघवाल की हत्या  अन्य  जातीय  हत्याए , जे एन यु की घटना  के बावजूद  संघी नेताओं द्वारा समय समय पर दिए आ रहे  ब्यान  इन सब ने मिल कर देश का बेडा गरक कर  दिया है  

भारत माता की जय बोलो और तिरंगा जलाने वाले , दंगे करवाने ,सविंधान जलाने वाले , बन जाए देशभक्त

  जन उदय :   “”RSS के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने "14 अगस्त 1947 के भगवा ध्वज के पीछे का रहस्य_ शीर्षक सम्पादकीय में.. "भाग्य की लात खाकर सत्ता में आ गए लोग हमारे हाथ में तिरंगा पकड़ा सकते हैं पर हिन्दू उस तिरंगे को न कभी स्वीकारेंगे, न उसका सम्मान करेंगे. 3 की संख्या खुद में ही अशुभ है, अपशकुनी है, और तीन रंगों वाला झंडा देश को बहुत बुरा मनोवैज्ञानिक नुकसान पंहुचाएगा और देश के लिए खतरनाक होगा

तिरंगे और देश  के सविंधान से इन्हें सबसे जयादा अलर्जी  रही है इसलिए समय समय पर इन्होने जब चाहा  देश के सविंधान को जलाया , दंगे करवाए

जिस तरह पुरे देश में इस वक्त एक आतंक का माहोल बना दिया है संघ ने उससे लगता है ये लोग बहुत जल्द ही अराजकता ले आयंगे पुरे देश में ,

हाल ही में फद्न्विस जो महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री है दुबारा से अपना गैर जिम्मेदाराना  ब्यान जारी किया है कि  जो भारत माता की जय बोलेगा वही इस देश में रहेगा , मुसलमान बोल चुके है की हम नहीं बोलेंगे  


तो इस पर इन्होने मुसलमानों को विदेशी बताना  शुरू कर दिया है , लेकिन सिक्खों ने भी मना कर दिया है लेकिन उनके खिलाफ ये जवाब नहीं दे रहे है , इनकी इन्ही हरकत की वजह से नवजोत सिद्धू ने इनकी पार्टी छोड़  दी है  वैसे भी सिक्ख धर्म के सबसे बड़े दुश्मन ये खुद ब्राह्मण भी रहे है