Apni Dukan

Tuesday 23 May 2017

बौध धर्म अपना कर मायावती कर सकती है दुनिया की सबसे बड़ी रक्तहीन सामाजिक क्रांति . मायवती के लिए क्रांति की जमीन तैयार है , मौका न जाने दे


जन उदय : आजकल जिस तरह  दलित  जो की वर्ण वाव्य्स्था के अनुसार छोटी  जाति  के है  उन पर लगातार अत्याचार बढ़ते  जा रहे है सहारनपुर  मेरठ , अलीगढ , पंजाब और देश के अन्य स्थानों से लगातार दलितों  पर जुल्म की खबरे  आ रही है   सहारन प[उर में लगातार पुलिस और प्रशासन  की मदद से ठाकुर लोग  दलितों  के घर जलाए जा रहे है . आखिर इन जुल्मो का या कोई अंत है ?? आखिर किस तरह सदीओ पुरानी मानसिकता को दलित लोग खत्म कर पायंगे ??  ये हो भी पायेगा  या नहीं 

भारत में जातिवाद की समस्या हजारो साल से है और यह इसलिए है की ब्राह्मणों ने इस जातिवाद को सामाजिक बना दिया और यह कह दिया की यह भगवान् की बनाई हुई वाव्य्स्था है जिससे समाज को सुचारू रूप से चलाया जा सके . मानसिक रूप से विक्षिप्त ब्राह्मणवादी मैनेजमेंट गुरु यह भी बताने से नहीं हिचकते की भारत में मनेजमेंट हजारो सालो से है क्योकि प्राचीन भारत में समाज को चलाने के लिए एक वैज्ञानिक वाव्य्स्था थी , खैर ये वही लोग है नारद को पहला रिपोर्टर बताते है

खैर यहाँ यह भी जान लेना भी आवश्यक है की भारत में ब्राह्मण विदेशी और यहाँ शरण ले कर रहे रहे थे , लेकिन अशोक के बाद उसके प्रोपोत्र का सेनापति पुष्य मित्र सुंग जिसने धोके से अपने सम्राट को मार बौध लोगो की हत्या करना शुरू कर दिया बौध विहार और मठ तोड़ उनको मंदिरों की शक्ल दे दी गई


और बौध लोगो को अपना गुलाम बना लिया , इसी गुलामी को बरकारर रखने के लिए ब्राह्मणों ने मानव मनोविज्ञान का इस्तेमाल करते हुए कुछ ग्रन्थ रचे जिनमे अपने आपको श्रेष्ट बताया जाति वावय्स्था को समाजिक और धार्मिक मान्यता देने वाले ग्रन्थ रच लिए और दलितों को शिक्षा , सम्पति के अधिकार छीन लिए गए

दलित आन्दोलन होते होते बाबा साहेब तक आये जिन्होंने न सिर्फ इस देश का सविंधान बनाया बल्कि दलितों को पुन पैक्ट के बदले आरक्षण भी दिलवाया जिसमे उम्मीद थी की दलितों की सामाजिक और आर्थिक स्थिथि सुधरेगी लेकिन ऐसा भी नहीं हो सका क्योकि दलितों के नाम पर मिले सारे फायदे खुद जातिवाद के जनक रक्षक और पोषक समाज ने खा लिए , लेकिन एक बहुत बढ़ा फर्क जो भारत के समाज में बाबा साहेब ने डाला वह यह था बाबा साहेब ने अपनी मृत्यु से पहले लाखो लोगो के साथ बौध धर्म अपनाया .

हालांकि इसके बाद भी जातिवाद खत्म नहीं हुआ बल्कि पिछले कुछ सालो से जातिवाद लगातार बढ़ रहा है और इसके साथ साथ जाति के नाम पर उत्पीडन भी लेकिन इस बीच एक काम यह हो गया है की दलित समाज के काफी लोग पढ़ लिख गए है और ये पढ़े लिखे लोग अपने अपने समाज और परिवेश में काफी जागरूकता ला रहे है लेकिन इनकी संख्या काफी कम है क्योकि जो दलित पढ़ लिख गए है और समाज में काफी अच्छा मकाम हांसिल कर चुके है वो लोग खुद ब्राह्मणवादी हो चुके है और इन्ही की वजह से दलित समाज आगे नहीं जा पा रहा है .

अभी कुछ दिन पहले मायावती ने ये ऐलान किया था की वो अपने समर्थको के साथ बौध धर्म स्वीकार करेंगी .
अगर ऐसा होता है तो यह बात समझ लेनी चाहिए की मायावती के समर्थक लाखो में नहीं बल्कि करोडो में है और ये है भारत के इतिहास की एक बहुत बड़ी घटना होगी जो पूरी दुनिया के सामाजिक आंदोलनों पर बहुत गहरा असर डालेगी और भारत में तो सीधा सीधा ब्राह्मणवाद पर बहुत बढ़ा असर डालेगी ,

मायावती के इस कदम से हिन्दू नाम की प्रजाति एकदम लुप्त हो जाएगी और ब्राह्मणवादी जो लोग हिन्दू नाम का कवच पहन मुस्लिम और इसाइओ पर अत्याचार करते है वह सब इसके बाद न हो सकेगा , बल्कि बौध , मुस्लिम , इसाई मिलकर कर ब्रह्मन्वाडियो को इस देश से ही नेस्तनाबूत कर देंगे , किसी भी तरह का सामाजिक तनाव ब्राह्मणवादी झेल नहीं सकेंगे और इसके बाद यह तय है की इनका अंत बहुत जल्द ही हो जाएगा


 और यह  दुनिया की सबसे बड़ी रक्तहीन सामाजिक क्रान्ति  होगी  मायावती  के लिए  क्रांति  की जमीन तैयार है