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Thursday 31 March 2016

दलित औरत और स्वर्ण औरत में फर्क होता है : वर्ना उठ गई होती ज्योति पाण्डेय / निर्भया की तरह डेल्टा को न्याय देने की मांग

जन उदय :  एक दलित लडकी का बलात्कार और उसकी हत्या की  खबर किसी राष्ट्रीय मीडिया या न्यूज़ चैनल में नहीं है , जाहिर है की वो लड़की ब्राह्मण बनिया नहीं है , क्योकि ब्राह्मण बनिया लडकियो के अलावा बाकी सब लडकिया या लोग जानवर से ज्यादा कुछ नहीं है .

ये बात सबको याद होगी की ज्योति पाण्डेय नाम की लड़की का दिल्ली की एक बस में बलात्कार हुआ  और बाद में उसको मरने के लिए फेंक दिया गया .  चूँकि यह लड़की ब्राह्मण थी  तो जातिवादी मीडिया  ने इसे राष्ट्रिय शर्म  का मुद्दा करार दिया और पुरे देश को आंदोलित कर दिया .


लेकिन देश में रोज दलित लडकियो के बलात्कार  उनकी हत्या होती है  जातिवादी  लोग लगातार  दलित लोगो को प्रताड़ित कर रहे है लेकिन इनके लिए न तो कोई वजा उठती है और न ही लोग केंडल मार्च निकालते है  बल्कि सच्चाई  यह है की इनकी हत्या   करने वाले  और बलात्कार करने वाले लोगो को सरकार की तरफ से अप्रत्यक्ष रूप से इनाम मिलते है

यु पी , मध्य प्रदेश , छतीसगढ़ , ओड़िसा ,बिहार , झारखंड , महाराष्ट्र  गुजरात  हर जगह दलित उत्पीडन की वारदाते बढ़  रही है

राजेस्थान  के बाड़मेर जिले में डेल्टा नाम की एक राष्ट्रिय स्तर की एक मेघावी छात्रा की हत्या   और बलात्कार हुआ  लेकिन किसी भी बुद्धिजीवी  ,मीडिया एन जी ओ की कान में जू  तक नहीं रेंगी
भारत में वैसे भी जितने भी महिला आन्दोलन है उन पर सब पर ब्राह्मण बनिया महिलाओं  का कब्जा है जो दिखाने को तो महिला  मुक्ति के लिए  काम करती है लेकिन  अंदर ही अंदर  ये दलित महिला   आन्दोलन  नाम का धंधा  करती है , दलित आगे न बढ़े  ऐसे षड्यंत्र  रचती है

इन महिलाओं की ख़ास बात यह भी है की ये षड्यंत्र के  रूप में सांस्कृतिक  कार्यकर्म का आयोजन करती है  , बस ये ये कार्यक्रम इनके सारे मकसद पुरे कर देता है
राष्ट्रीय , अन्तेर्राष्ट्रीय  स्तर पर दलित महिलाए  बहुत कम आ पाती है , जिसका कारण इन दलित महिलाओं की शिक्षा  जो एक शय्न्त्र के तहत इन्हें कोई अंतरराष्ट्रीय  भाषा  नहीं सिखने देती


ये हालात डेल्टा  के है की उसकी लाश को अस्पताल भी कचरा  ढोने की गाडी में ले जाया गया

डेल्टा  के पिता  की शिकयात के बावजूद पुलिस  सही ढंग से कार्यवाही  नहीं कर रही है

सरकार ,पुलिस ,प्रशासन , में बैठे सभी जातिवादी  लोग मामले को दबाने में लगे  है 

अमरीका में भी छाया है दलित उत्पीडन का मामला , एक कंपनी ने सभी रेस्टोरेंट पर लगाए हिंदू विरोधी प्रतीक, हिंदू धर्म को नस्लवादी बताया

 जन उदय : लगातार  दलितों की हत्या , बलात्कार , और दलित छात्रों की संस्थानिक हत्याओं ने वैसे तो पुरे विश्व को चोंका   दिया है  , लेकिन अमरीका में लोगो ने  भारत की ब्राह्मणवादी सरकार के खिलाफ कार्यवाही  करना शुरू कर   दिया   है .

एक लोकप्रिय अमेरिकी फास्टफूड कंपनी डेरी क्वीन के मालिक मोहम्मद डार ने कहा है कि हिंदू नस्लवादी होते हैं। पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक डार ने अपने रेस्टोरेंट पर हिंदू विरोधी प्रतीक भी लगा रखा है। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा है कि कोई भी उनके दावे को गलत साबित नहीं कर सकता।        क्योकि यह सिर्फ एक दिन की बात  नहीं  है बल्कि भारत में  जातिवाद  और सम्प्रद्य्वाद के नाम पर  बहुत हत्याए   रोज हो   रही है

फॉक्स न्यूज के मुताबिक डार ने टेक्सास के अपने सभी रेस्टोरेंट में ऐसे प्रतीक लगवा दिए हैं जो सीधे हिंदू  ब्राह्मण धर्म पर निशाना साधते हैं। डार का दावा है कि रेस्टोरेंट पर लगा प्रतीक  आधारहीन नहीं बल्कि तथ्यों पर आधारित हैं।

उन्होंने  यह भी कहा कि 14 साल तक हिंदू धर्म पर शोध करने के बाद  और  आय दिन की ह्त्या  बलात्कार की घटनाओं  को देखते हुए  ही मैंने अपने रोस्टोरेंट पर हिंदू धर्म से जुड़े प्रतीक लगाए हैं। हिंदू धर्म दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म माना जाता है।   


उन्होंने एक लोकल टीवी में कहा कि अगर किसी को भी इससे परेशानी है तो मुझे गलत साबित करके दिखाए। मैं नस्लवाद नहीं बल्कि समानता का विश्वास करता हूं। मेरे रोजाना के करीब 200 ग्राहकों में से सिर्फ एक फीसदी इन प्रतीकों से आहत होते हैं। 

ब्राह्मण औरत ने करवाया दलित छात्रा डेल्टा का बलात्कार और हत्या : एक और होनहार दलित छात्रा की बलि ली : पूरी ताकत झोंक दी है ब्राह्मणों ने मामले को दबाने के लिए

जन  उदय : रोहित  वेमुला की संस्थानिक हत्या के बाद देश में ही नहीं दुनिया में भारत का नाम बदनाम हुआ है , इस हत्या की ख़ास बात यह है की यह पूरी तरहस से षड्यंत्रकारी और योजनाबद्ध थी जिसको अंजाम जातिवादी तरीके से दिया गया

इसके बाद यह जातिवादी  षड्यंत्र यही नहीं रुका है सरकार उन लोगो पर लगातार दमनकारी कार्यवाही कर रही है जो लोग रोहित वेमुला  के लिए न्याय की मांग कर रहे है ,इसकी एक ख़ास बात यह है की पुलिस और सरकार सिर्फ दलित छात्रो और शिक्षको को चुन चुन कर निशाना बना रही है .


हालांकि रोहित वेमुला न तो अंतिम दलित छात्र है जो जातिवाद का शिकार हुआ है और न ही  पहला  इससे पहले भी काफी छात्रो को जातिवादी तरीके से शिकार बनाया  गया है
इसी श्रंखला में एक नया नाम आया है    है राजेस्थान की डेल्टा का जो रोहित वेमुला की तरह एक मेघावी  छात्रा  थी  और जिसे कई राष्ट्रिय पुरूस्कार मिल चुके है

१७ साल की डेल्टा राजेस्थान के बारमेर जिले के एक छोटे से गाव की रहने वाली थी  और वही के जैन आदर्श  टीचर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट  फॉर गर्ल्स  नोखा , बाड़मेर  से बी एस टी सी  कर रही थी जो    १२ क्लास के बाद होता है


राष्ट्रिय स्तर के इनाम जीत चुकी डेल्टा एक बहुत अच्छी  पेंटर  थी और उसी में शिक्षा के द्वारा अपना भविष बनाना  चाहती थी

२९ मार्च २०१६ को होस्टल के पानी के टैंक के पास संधिद्ग अवस्था में डेल्टा की लाश मिली , जहा से कचरा ढोने वाली गाडी में उठा कर अस्पताल ले जाया गया ,  होस्टल के कर्मचारियो ने बताया  की डेल्टा  ने आत्महत्या  कर ली है क्योकि उसे पी टी टीचर के साथ अपातिजंक अवस्था में  पकड़ लिया गया था , जिसके चलते उसने शर्म से आत्महत्या कर ली 

पुलिस और प्रशासन की ही बाते मान ले तो अगर डेल्टा को आपतिजनक अवस्था में  पी टी  टीचर के साथ पकड़ लिया गया तो इस बारे में डेल्टा के घर वालो को सूचित क्यों नहीं किया गया
दूसरी बात होस्टल में छुट्टिया  में थी और वहा सिर्फ चार लडकिया  था , डेल्टा भी होस्टल में अपने पिटा के साथ २८ तारीख की सुबह ही होस्टल पहुची थी , २८ तारिख को ही रात को आठ बजे डेल्टा ने फोन कर अपने पिता  को बताया था की होस्टल की वार्डन  प्रिया शुक्ल  ने जबरदस्ती डेल्टा को पी टी  टीचर  के रूम में भेजा  सफाई करवाने के बहाने से , जिसके बाद  दुसरे दिन डेल्टा की लाश मिली

इस हत्या से कई बात सामने आई है की अगर डेल्टा किसी   टीचर  के साथ आपतिजनक  अवस्था में पाई गई  तो इसकी सुचना डेल्टा के माँ बाप को क्यों नहीं दी  गई ,

इसके बाद उस  टीचर पर कार्यवाही क्यों नहीं की गई , सर माफ़ी नामा क्यों लिखवाया   गया   इसके बाद  किसी भी स्थान की फोरेंसिक  



जांच नहीं की गई है , लाश को बड़े ही गंदे  तरीके से कचरे  की गाडी में ले जाने का मतलब है  की सबूतों को नष्ट करना  होस्टल  की वार्डन प्रिया शुक्ला   पर कारवाही क्यों   नहीं की जा रही ,कोलेज पर कार्यवाही क्यों नहीं की   जा रही .

केस को दबाने के लिए  पुरे जातिवादी  लोग सामने आ गए है , अब देखना यह है की इन्साफ  जीतेगा या ये जातिवाद  आतंकवाद 

84 के दंगे में मारे गए सिर्फ दलित सिख , नहीं मिला इनको न्याय कांग्रेस ने करवाया ,भाजपा ने फायदा उठाया

जन उदय :  इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद  पुरे देश में जो दंगे हुए उससे तरह के नरसंहार से पूरी दुनिया दहशत में आ गई , जिस तरह तरह पुरे देश में सिक्खों को मारा गया वो नजारा किसी युद्ध से कम नहीं था जहा पर सिर्फ दुशमन को ख़त्म कर दिया जाता  है बिना किसी रहम की . लेकिन इन दंगो में जो हुआ उससे मानवता जरूर शर्मशार हुई , औरते ,बच्चे ,मर्द , बूढ़े  सबको बड़ी बेहरहमी से कत्ल किया गया .


अब जो दंगो की तस्वीर पेश की गई वह बड़े ही सम्प्रद्यिक तरीके से पेश की गई लेकिन इसमें एक सच्चाई जो आज तक न तो किसी मीडिया में चढ़ा होती है और न ही किसी कानून के दायरे में वह यह की या दंगा सम्प्रद्यिक तो था ही लेकिन इसमें जो सिख मारे गए और दलित सिख थे  

जो सिख समाज में भी उपेक्षित रहते है  ये लोग न तो पुरे सिख होते है और हिन्दुओ की जातिवादी भेदभाव से बचने के लिए सिक्ख आवरण में रहते है , दिल्ली के तिलक नगर , 

खिचड़ीपुर  आदि इलाको में इन्ही सिक्खों को गले में टायर  बाँध कर उसमे आग लगा कर इनको मारा गया था ,
लेकिन यह बात ध्यान रखने वाली है की ९५ % मारे गए व्यक्ति दिल्ली में  दलित  सिक्ख  थे जिन्हें आज तक न्याय नहीं मिला है

इन दंगो की ख़ास बात यह थी की इन दंगो को समर्थन तो कांग्रेस का था लेकिन इसका फायदा हिन्दू संघठनो ने उठाया , ये दंगा इन आतंकी हिन्दुओ के लिए एक वरदान साबित हुआ जिससे इन्हें वोट मिले