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Saturday 9 April 2016

सिन्दूर , मंगल सूत्र नहीं पतिव्रता और पवित्रता की गारंटी , जानिये क्या कहती है लडकिया शादी , सेक्स , प्रेम और समर्पण के बारे में

जन उदय : एक लड़की से पूछा गया की शादी कैसे होती है , उसने बताया की पहले सगाई , फिर शादी का भोज, और अंत  में सात  फेरे , “ तो क्या सात फेरे लेने से शादी हो जाती  है ??  नहीं उसके बाद  साथ साथ रहते है  सेक्स करते है  ,  अच्छा  तो सेक्स करने से शादी  हो जाती है . खैर इसके बाद उसका कोई जवाब नहीं आया
वैसे भी यह बड़ा ही सामान्य सा सवाल है की क्या अग्नि के सात फेरे लेने से  सेक्स करने से शादी  होजाती है , शायद नहीं , क्योकि शादी दो जीवन और आत्मा का सम्बन्ध है उसके लिए अग्नि के फेरे , सेक्स करना भर काफी नहीं है ,

किसी भी स्त्री के लिए सिन्दूर लगा कर घूमना  और मंगल सूत्र पहन कर रखना  हो सकता है यह बात साबित कर देता हो की इस महिला या लड़की की शादी हो गई है , लेकिन ये दोनी इस बात की गारंटी नहीं है की वो लड़की सिर्फ अपने पति के साथ  सम्बन्ध  रखती है या सिर्फ उसी से प्रेम करती है

यह भी हो सकता है कि  वह एक साथ दो  लोगो से प्रेम करे  और दोनों में दो अलग अलग व्यक्तितिव को पसंद करती हो   या प्रेम पति से और सेक्स किसी  और से भी , वैसे यह बात सोचने में ही कितनी बुरी लगती है या अजीब लगती है , लेकिन यह बात लेखक की नहीं बल्कि आज की आधुनिक लडकियो की है जो प्यार और सेक्स को अलग मानती है  रेखा कहती है की एक कॉल गर्ल भी अपनी बच्चो के लिए अपने पति की बिमारी के लिए दुसरे लोगो से सेक्स करती है लेकिन प्यार और समर्पण तो उसका उसके परिवार के साथ  ही है

तानिया शादीशुदा  कामकाजी महिला है उसका अफेयर अपने मोहल्ले के एक युवक से है  वह अपने पति के अलावा उस  लड़के के साथ घुमती है और सेक्स भी करती है , लेकिन उसका समपर्ण  अपने पति के लिए ही है


हमारे समाज में शादी को सेक्स से जोड़कर  और शादी को वफादारी का प्रमाण या गारंटी मानते है  दुसरे के साथ सेक्स करना अपराध माना जाता है , लेकिन प्रेम  समर्पण  ये अलग चीजे है सिका सम्बन्ध सीधा सीधा आत्मा से है ये जरूरी नहीं  इसके लिए शादी करनी पड़े या साथ रहना पड़े  या सेक्स भी करना पड़े  इसका सबसे बड़ा उधाहरण सनी लिओनी  है  जो सेक्स फिल्म में काम करती है लेकिन उसकी वफादारी अपने पति  और परिवार के लिए है 

डरपोक और स्वार्थी मुस्लिम लेखक , कवि ,शायर और बुधिजीविओ ने बढ़ावा दिया है दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवाद को , जानिये क्या है वो

जन उदय : जो ओग हथियारों के साथ आतंक फैलाते है , निर्दोष लोगो को को गोली मारते है वह किसी भी सूरत में माफ़ी के काबिल नहीं है , क्योकि किसी भी इंसान को ये हक नहीं है कि वो किसी भी  दुसरे इंसान को धर्म , महज़ब के नाम पर गोली मार दे क्योकि किसी के मरने से सिर्फ एक आदमी नहीं मरता बल्कि उसका पूरा परिवार  उसके सपने उनका जीवन मर जाता है .
लेकिन क्या आप ऐसी जिन्दगी की कल्पना कर सकते है जहा पर आपको रोज मानसिक रूप से शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया   जाता है , आपको कपडे पहनने नहीं दिए जाते आपको कही जाने नहीं दिया जाता  आपको खाना नहीं मिलता , आपको जानवर से भी जायदा बदतर जिन्दगी जीने पर मजबूर किया जाता है ? नहीं बिलकुल नहीं  बल्कि आप कहेंगे ऐसी जिन्दगी से तो मरना बेहतर है

जी हाँ हमारे देश में दलितों के साथ सदीओ से यही हो रहा है , और आज भी हो रहा  है महानगरो में जहा पर इस जातीय उत्पीडन की फॉर्म  अलग है लेकिन  सब कुछ उसी पुराणिक  काल की तरह हो रहा है

आजादी के बाद भी सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई में ऐसा कोई ख़ास परिवर्तन दलितों में या कहे की भारतीय समाज में हमें देखने को नहीं मिला , हम भौतिक रूप से काफी आगे बढ़ गए है लेकिन मानसिक स्तर पर वही है .

भारत के पुरोहित वर्ग ने इस सामाजिक वाव्य्स्था को बिलकुल वैसा बनाए रखने के लिए अंधविश्वास , भगवान् और आर्थिक वाव्य्स्था को इस तरह बनाए रखा है की भगवान् और उससे जुड़े  अंधविश्वास को वैसा ही बनाए रखा जा सके .

भारत में मुस्लिम समाज जो इस्लाम को मानता है और इस्लाम के अनुसार सामाजिक एकता और समानता सबसे पहली शर्त है , लेकिन इन लोगो ने भी जातिवाद को अपना लिया और इसका प्रसार , प्रचार और पालन इस तरह करते है जैसे ये भी कोई महान हो

भारतीय संस्कृति  में योगदान के नाम पर मुस्लिम लेखक , कवि शायर , नेता बुद्धिजीवी  गंगा जमुनी तहजीब के नाम पर ब्राह्मणवाद को बढ़ावा देते है

कमाल की बात यह है की ये लोग कुरआन की तुलना भारत में लिखे गए रामायण , महाभारत  जैसे काल्पनिक ग्रंथो से करते है और ऐसा करके ये लोग हिन्दू/ ब्राह्मण समाज से  एकता और समानता बनाए रखते है या दिखाते है

गंगा जमुनी तहजीब की बात करने वाले क्या बतायंगे की क्या कोई भी तहजीब उस समाज से जुडी प्रथा , सामाजिक वाव्स्था से क्या अलग होती है ??

जिस समाज में इंसान को इंसान न समझा जाता हो वो तहजीब , या धर्म कैसे महान हो सकता है ?? तो ये कौन सी तहजीब है ??  या ब्राह्मणों और मुसलमानों ने मिलकर इसको तैयार कर दिया है जिससे ये सामाजिक एकता दिखा सके < सामाजिक एकता दिखा सके या आडम्बर में सहयोग कर सके
इसलिए जितने भी मुस्लिम लेखक है या तो डर की वजह से या तो  किसी अपने राजनैतिक स्वार्थ की वजह से  या किसी अन्य कारणों से सिर्फ और सिर्फ ब्राह्मणवाद , अंधविश्वास को ही बढ़ावा देते है
और सबसे बढ़े कमाल की बात यह है की जिस इस्लाम में समानता की बात प्रमुख है  उसको एक तरफ करके खुद अपने आपको और अपनी जाति को महान बताते है ,


यह बात मुसिम समाज को तय करनी होगी की या तो उन्हें समाज की बुराइओ से लड़ने  के लिए पुरोहितवाद के खिलाफ जाना होगा  या गंगा जमुनी तहजीब के नाम पर सबको बेवकूफ बनाना है