जन उदय : लगातार
राजनैतिक विफलता , एक दो जगह को छोड़ हर जगह विफलता ने संघ के दिमाग के परखच्चे उड़ा दिये
है ये जानते है अगर ऐसा ही रहा तो
अगली बार ये सत्ता में नहीं होंगे इसलिए एक मजबूत वोट बैंक तय्यार करना जरूरी है और वह बहुत बढ़ा वोट बैंक है दलित
ये कामल की बात है की अपने भाषणों में तो ये लोग कभी कबार सामाजिक
समानता की और भेदभाव खत्म करने की बात कर जाते है लेकिन जमीन पर इसको कभी नहीं
उतार पाते , जिसका कारण है इनके मन में
सदीओ पुराना डर
और इनकी रगों में गद्दारी का खून
का बहना
ब्राह्मण एक ] ऐसा है इस देश में जिसने सिर्फ अपने फायदे के लिए अपनी
बहन बेटियो तक को मुस्लिम राजाओं को परोसा
उनकी चाकरी की और उनको शासन करने में मदद भी की ऐसा ही इन्होने अंग्रेजो के लिए किया
मुस्लिम राजाओं से तो अपना जजिया
माफ़ कराने के लिए ये लोग हमेशा इस बात कार तर्क देते रहे की ये भी मुस्लिम राजाओं की तरह विदेशी ही है इसलिए इनसे
जजिया माफ़ किया जाए
अंग्रेजो से अपनी नज्दिकिया दिखाने के लिए तिलक से लेकर गांधी
नेहरु सबने ये ही बताया की ये लोग आर्य है
और अंग्रेजो की तरह ही विदेशी है
ये लोग इतने बड़े गद्दार और
देशद्रोही है की आजादी के बाद से अब तक
सरकारी नौकरी और राजनीती में ये लोग ७९
प्रतिशत तक रहे है और जो भी विकास का पैसा होता था
ये सब खा गए अगर अब इसकी बात की
जाए तो ये कहते है की ये सब भ्रष्टाचार के कारण हुआ यानी अपने देशद्रो के अपराध को
इन्होने एक मामूली अपराध में बदल दिया
सामाजिक स्तर पर जातिवाद के
जनक , रक्षक और पोषक ब्राह्मण आजकल एक नई पटकथा लिख रहे है वह यह की दलितों और दलित
आंदोलनों को गुमराह करना और भ्रमित करना
और इसमें ये लोग दलित नेताओं का भी साथ ले रहे है ये दलित नेता दलितों के दलाल के रोप्प में सामने
आये और अब पूर्ण रूप से इनके गुलाम है
इस पटकथा का नाम है सामाजिक समरसता
यानी तुम भी रहो हम भी रहे यानी
जातिवाद अपनी शक्ति के साथ जिंदाबाद
इसी क्रम में अमित शाह
नाम के ब्राह्मण आतंकवादी ने कुम्भ में दलितों के साथ श्नान किया और फिर
तरुण विजय आम का संघी आतंकवादी उत्तराखंड
दलितों को मंदिर में प्रवेश कराने के लिए गया
कमाल की बात यह है इसमें ब्राह्मणों के सारे सन्घठन ज्योतिष एन जी ओ
आदि सब शामिल हो गए है
यानी दलित इस बात से समझ सकते है की इनके खिलाफ कितना बड़ा
षड्यंत्र चल रहा है , इसका एक और मतलब निकाला जा सकता है की
ब्राह्मणों को अब अपनी मौत दिखाई दे रही
है यानी ब्राह्मणों का अंत
क्योकि ब्राह्मणों की हर कोशिश के बावजूद दलित समाज में एक
सामाजिक चेतना फैलती जा रही है लोगो को
ये भी मालूम हो गया है ये इस देश के सबसे
बड़े गद्दार है और इन लोगो ने सबका हक मारा हुआ है ये लोग सिर्फ अपने फायदे
के लिए कुछ भी कर सकते है अपनी बहन
बेटियो को भी बेचते है ये लोग
विज्ञानिक रूप से यह
प्रमाणित हो चुका है की ये विदेशी हमलावर है और इस देश के नागरिक
नहीं है
अब दलितों को देखना है की इन्हें जातिवादी ब्राह्मणों
के साथ रहना है या अपने देश और
समाज को बचाना है