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Thursday 18 May 2017

पूर्व सैनिक की पत्नी ने मोदी को भेजी ५६ इंच की चोली


जन उदय : सत्ता में आने से पहले सिम्रिति इरानी रोज मनमोहन को चुडिया भेंट करती थी और बड़ी बहादुरी दिखाती थी लेकिन जब से मोदी सरकार आई है ऐसा लगता है की पाकिस्तान को भारतीय सैनिक मारने का लाइसेंस मिल गया है , और मोदी सरकार किसी पालतू कुत्ते की तरह बैठी रहती है . मनमोहन कम से कम गुर्राता रहता था और पाकिस्तान को द्बाबे रखता था , लेकिन अब तो तीन सालो में अब तक एक हजार के करीब सैनिक मारे जा चुके है , इस बात से नाराज हो कर एक पूर्व सैनिक की पत्नी ने जो क्या आप उसे जान कर हैरान रह जाएंगे

हरियाणा के फ़तेहाबाद से एक पूर्व सैनिक की पत्नि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा है और उसके साथ 56 इंच की चोली भी। इस पत्र में पूर्व सैनिक की पत्नि ने प्रधानमंत्री से सैनिकों को बदला लेने की छूट देने की बात लिखी है


और पत्र के साथ 56 इंच की चोली भेजी है।

बताया जा रहा है यह महिला फ़तेहाबाद के एक पूर्व सैनिक धर्मवीर काजला की पत्नी है और उसका नाम सुमन है।
कश्मीर और सीमा पर सैनिको के साथ हो रहे दुर्व्यहार पर सुमन ने नाराजगी जताते हुये लिखा है कि प्रधानमंत्री बनने से पहले आप कहते थे कि एक के बदले 10 सर लाउंगा।

अब सैनिकों को आतंकवादियों द्वारा अपमानित किया जा रहा है और उन पर पत्थर बरस रहे हैं।


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बदनाम कर रहा ही ब्राह्मणवादी मीडिया भीम आर्मी को : कातिलो की जगह ,पीडितो को जेल में बंद कर रही है

बदनाम कर रहा ही ब्राह्मणवादी मीडिया भीम आर्मी को : कातिलो की जगह ,पीडितो को जेल में बंद  कर रही है  
जन उदय : सहारनपुर में ठाकुरों ने दलितों की बस्ती में हुड-दंग किया या के युवाओं की महिलाओं की बुजुर्गो की पिटाई की , इसके बदले में पुलिस ने अपनी जातिवादी मानसिकता के चलते ठाकुरों पर कोई कारवाही नहीं की डी एम् भी चुप रहा इसी बीच वीर बहादुर ठाकुरों ने २० से जयादा निहत्थे चमारो को तलवारों से घायल कर दिया . लेकिन फिर भी पुलिस वालो ने कोई कार्यवाही नहीं की इस पर चमारो ने पुलिस की गाडिया जला दी और चौकी को आग लगा दी .

इसके बाद पुलिस और प्रशासन मीडिया में इस तरह की गलत बयानबाजी कर रहा है की सारी फसाद की जड़ भीम आर्मी है



कमाल की बाते देखो :

१.     पुलिस प्रशासन यानी एस एस पी दुबे और डी एम् नरेंदर सिंह , जो ठाकुर है ने ठाकुरों को दंगा करने से नहीं रोका , पुलिस के होते हुए भी मौके पर पुलिस नहीं भेजी
२.     दंगाई ठाकुरों के खिलाफ जिन्होंने निर्दोष बच्चे , बुजुर्गो को तलवारों से मारो उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं की
३.     जब भीम आर्मी ने इनके खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए पुलिस पर दबाव डाला तो इनके ही खिलाफ मुकदमा बना दिया
४.     पुलिस कहती है की भीम आर्मी ने अपना ग्रेट चमार का बोर्ड लगा रखा है जिससे ठाकुरों को ऐतराज है .. तो कोई इनसे पूछे क्या बोर्ड लागना अपराध है ?? और इस बोर्ड से ठाकुरों को क्या जलन है ?? यानी हमेशा डरे , इनको सलाम ठोके तो सही वर्ना उपद्रवी ?? या इन लोगो के नाम से सब कुछ हो
५.     इतनी घटना के बाद मीडिया ने सही ढंग से रिपोर्टिंग नहीं की
६.     मीडिया पर सरकार ने दबाव डाला खबर न दिखाए
७.     दंगाईओ के लिए प्रशासन की तरफ से हथियारों की सुविधा मिली
८.     घायल चमारो को इलाज तक नहीं होने दिया जा रहा

अब कोई बताये क्या अपनी रक्षा करना अपने आत्म-सम्मान की रक्षा करना अपराध है ??
इन्ही ठाकुरों ने जब ये लोग बाबा साहेब की मूर्ति लगा रहे थे तो मूर्ति नहीं लगने दी इन लोगो ने सरेआम गुंडागर्दी की जब भी जातिवादी मानसिकता के पुलिस प्रशासन ने ठाकुरों की मदद की .

इन्ही चमारो को मुसलमानों से लड़वाने के लिए आर एस एस नाम के आतंकवादी संघठन ने २० अप्रैल को कोशिस की कमाल की बात ये है जब इनको डर लगता है तब ये लोग चमार भंगी को हिन्दू हिन्दू कहने लग जाते है . वर्ना इसके बाद इन्हें अछूत बना कर हमला करते है भेदभाव करते है . सहारनपुर उत्तर प्रदेश या गुजरात या अन्य स्थानों पर यह रोज होता है लेकिन तब कोई आगे नहीं आता

सहारनपुर में भीम आर्मी के लोगो ने जो किया यह बात पुरे देश के दलित समाज को काफी प्रेरित कर रही है , और लाखो करोडो लोग भीम आर्मी में जाना चाहते है . इनका मानना है की आर एस एस जैसे संघठनो और अन्य ठाकुर बनिए ब्राह्मणों की जातीय गुंडागर्दी रोकने में कामयाब होगा और इस देश पर फिर से मूलनिवासियो का वर्चस्व होगा और पुरे देश में फैली अमानिविय प्रथाए खत्म होंगी



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पहले यु पी चुनाव में इस्तेमाल ई वी एम् की जांच करवाए: हैकिंग प्रतियोगिता बाद में करवाए चुनाव आयोग


जन उदय : आल पार्टी मीटिंग के बाद चुनाव आयोग ने प्रतियोगिता का ऐलान कर दिया है की कोई भी आ कर ई वी एम् मशीन हैक करके दिखाए , लेकिन यह नहीं बताया की अगर ई वी एम् हैक हो गई तो उसके बदले कार्यवाही क्या होगी ??/ क्या उत्तर प्रदेश और पंजाब के रिजल्ट को रद्द कर दिया जाएगा ??

इसके अलावा चुनाव आयोग इस प्रतियोगिता के जरिये देश का ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा अहि यानी यु पी में हुए चुनाव में जो गड़बड़ी हुई उसको दबाने की कोशिस कर रहा है जबकि मुद्दा यही है की उत्तर प्रदेश में चुनाव में जो ई वी एम् इस्तेमाल हुई उनमे काफी गड़बड़ी थी



और एक तरह से यह चुनाव पूरा बेइमानी के आधार पर भाजपा जीती .
ई वी एम् हैक होगी या नहीं या इसके बाद क्या होगा यह एक पूरा सरकार द्वारा प्रायोजित ड्रामा चल रहा है

जबकि असली मुद्दा उन मशीनों की जांच का है जो यु पी चुनाव में इस्तेमाल हुई

तीन साल मोदी सरकार: देश में मच गया हाहाकार

तीन साल मोदी सरकार: देश में मच गया हाहाकार
जन उदय : जब से मोदी सरकार आई है तब से इस देश में कोई भी व्यक्ति शान्ति से नहीं जी रहा है हाँ पूंजीपतियो की चांदी कट रही ई , अम्बानी अडानी जैसे लोग क्या भारत रत्न क्या प्रधानमंत्री सब इनके पीछे पूँछ हिलाए घुमते है , फिर क्यों न हो इन्ही लोगो की मदद और पुरे रचे हुए षड्यंत्र से मोदी को चुनाव जिताया , अम्बानी की मीडिया टीम पूरी तरह मोदी और भाजपा के साथ रही . चलिए देखते है की तीन साल में मोदी ने क्या काम किया

१.     मोदी ने पंडो और ब्राह्मणों की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी , आते ही ४५ करोड़ बनारस के घाट को दिए , हर कश्मीरी पंडित को १५ लाख रूपये फिर से बसने के रूप में दिए यह एक अताढ़ की सरकारी लूट थी जो मोदी ने ब्राह्मणों को अमीर करने के लिए दी . इसके विपरीत देश के कई स्थानों से विस्थापित परिवार है उनके पास रोटी खाने तक के लिए पैसे नहीं है

२.     नोटबंदी जिसके चलते २०० लोग मारे गए और आजतक देश को यां नहीं पता की इससे देश को या देश के बैंको को कितना फायदा हुआ यह बड़े ही दुर्भाग्य की बात है क्योकि इसका पता लगना वो भी इस कंप्यूटर युग में बड़ा ही आसान है लेकिन जानबूझ कर मोदी सरकार ने इसको नहीं बताया क्योकि इससे कोई लाभ नहीं हुआ , हाँ जिस षड्यंत्र के तहत यह हुआ समे भी मोदी को कुछ लाभ हुआ लेकिन ई वी एम् मशीन की जालसाजी के जरिये
३.     नोट्बंदी कहो या मोदी के कामकाज से , देश में तीन करोड़ लोग बेरोजगार हुए है और यह सिलसिला अबतक आरी है आने वाले समय में देश में बेरोजगारों की संख्या भारी मात्रा में बढ़ेगी जिसका बहुत दुष्प्रभाव देश पर पड़ेगा
४.     उद्योग धंधे - देश के ३९ % लघु और माध्यम दर्जे के उद्योग चरमरा गए है न तो ये लोगो को रोजगार दे पा रहे है और न ही अपने माल के लिए बाजार ढून्ढ पा रहे है यानी धीरे धीरे देश की पूरी अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी
५.     शिक्षा के क्षेत्र में देश पिछड़ता जा रहा ही बल्कि मनुसिमृति लागू करने के चक्कर में जे एन यु जैसी संस्थानों को बर्बाद किया जा रहा है , देश के गरीबो और पिछडो से शिक्षा छिनी जा रही है स्कोलरशिप बंद हो रही है स्कूल कोलेज बंद हो रही है आते ही मोदी सरकार ने ३००० स्कूल ओड़िसा में बंद कर दिए गए

६.     सुरक्षा : अपने आपको बहादुर कहने वाले संघी और पाकिस्तान को सबक सिखाने वाले संघी भाजपाई आजकल पाकिस्तान के चरणों में गिरे हुए दीखते है , पिछले तीन साल में १००० हजार सैनिक और अर्धसैनिक मारे जा चुके है लेकिन मोदी आर उसके सहयोगी या तो पाकिस्तान में बिरयानी खाने जाते है या कन्यादान करने जाते है लेकिन आतंकवाद और पाकिस्तानी घुसपैठ पर कुछ नहीं बोलते

७.     प्रशासन एकदम लचर हो गया है भ्रस्ताचार दिन रात बढ़ता जा रहा है महंगाई गरीब की बेटी की तरह बढती जा रही है
अब देखना यह है की आखिर ऐसी कौनसी बाते हुई जो मोदी सरकार के समय में पुष्पित और पल्लवित हो रही है

१.     गो-आतंक और गुंडागर्दी : जब से मोदी सरकार आई है तब से देश में गो-आतंकियो के होंसले बुलंद हो गए है , गुजरात में जो हुआ उसे पूरी दुनिया ने देखा , यु पी , महाराष्ट्र , बल्कि देश के हर हिस्से से गो-आतंक की खबरे आ रही है
२.     देश में यह कभी नहीं हुआ की महंगाई इतनी हो जाए की दाल रोटी खाने वाला मजदूर दाल खाने पर रईस कहलाये
३.     पाकिस्तानी आतंक दिन रात बढ़ता जा रहा है लगतार सैनिक मर रहे है
४.     सुरक्षा : अपने आपको बहादुर कहने वाले संघी और पाकिस्तान को सबक सिखाने वाले संघी भाजपाई आजकल पाकिस्तान के चरणों में गिरे हुए दीखते है , पिछले तीन साल में १००० हजार सैनिक और अर्धसैनिक मारे जा चुके है लेकिन मोदी आर उसके सहयोगी या तो पाकिस्तान में बिरयानी खाने जाते है या कन्यादान करने जाते है लेकिन आतंकवाद और पाकिस्तानी घुसपैठ पर कुछ नहीं बोलते

५.     जातिय दंगे : देश में दलित समाज यानी लो कास्ट के साथ अत्याचार की खबरे और संख्या लागतार बढती जा रही है , गुजरता , हो या मध्य प्रदेश या उत्तर प्रदेश इन लोगो का जीना हराम हो गया है , इसका कारण सिर्फ इतना है की ये वर्ण वाव्य्स्था को नहीं मानते मनुसिमिरती को नहीं मानते यह सब अप्रत्यक्ष है इसलिए जातिय हत्यायो के कारण भी अलग है लेकिन पीछे का मकसद यही है

६.     उत्तर प्रदेश में सैनिको , पुलिस वालो की हत्याए जिस तरह हो रही है जिस तरह बलात्कार हो रहे है , अपराध जितनी तेजी से बढ़ रहे है उससे लगता है की मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है


देश को उलझाने के लिए कभी तीन तलाक , कभी साम्प्रदयिक दंगे चलते ही रहते है देश की असली जरूरत गरीबी , बेरोजगारी से छुट्टी है जातीय समानता है दंगे और अपराधो को रोकना है देश में शान्ति का
three year of Modi Govt 

ये है हमारे समाज की सोच जो महिला को प्रॉपर्टी समझते है - उदय चे


अभी 2 दिन पहले रोहतक में एक लड़की के साथ जो जघन्य सामूहिक बलात्कार और उसके बाद उसकी निर्ममता से जो हत्या हुई। उसकी जैसे-जैसे परते खुल रही है वो बहुत ही भयानक है। क्योंकि बलात्कारी और हत्यारे कोई और नही उस लड़की का पुराना प्रेमी और प्रेमी के दोस्त ही है जिन्होंने उसको सोनीपत से जबर्दस्ती गाड़ी में अपरहण किया। उसके बाद लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार फिर उसकी निर्ममता से हत्याकी। उसके प्रत्येक अंग को बुरी तरह से कुचल दिया। उसके बाद उसकी देह को झाड़ियों में फेंक दिया। जहाँ उसको कुते खाते रहे। अख़बार के अनुसार लड़की को ईंट से बुरी तरह मारा गया, उसको गाड़ी से भी कुचला गया, उसके गुप्तांग में लोहे की छड़ घुसेड़ दी गयी। ये अमानवीयता की हद है।

अब वो लड़का कहता है कि मै उस लड़की से बहुत प्यार करता था। मैं उससे शादी करना चाहता था। लेकिन लड़की ने शादी से जब मना कर दिया तो मैने ये सब किया।

क्या प्यार की आखिरी मंजिल शादी है।

अगर किसी कारण से शादी न हो तो आप उसको मार दोगे? आप उससे सामूहिक बलात्कार करोगे? आप उस पर तेजाब डाल दोगे? अगर प्यार की आखिरी मंजिल तुम्हारी नजर में शादीहै तो तुम उससे प्यार नही कर रहे हो तुम उस पर कब्जा करना चाहते हो, उसको गुलाम बनाना चाहते हो।

ये तुम्हारी एकाधिकार की सोच है। वो किससे बात करे, कहाँ बैठे, कहाँ जाये, क्या खाएं, क्या पहनेये सब आप तय करना चाहते हो। अगर वो आपकी गुलामी का विरोध करे, आपके एकाधिकार का विरोध करे तो आप उसको सजा दोगे। जैसे लड़की अपने बाप के एकाधिकार का विरोध जब करती है, अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेना चाहती है तो उसका रूढ़िवादी बाप उस पर हमला करता है। उसकी जान भी ले लेता है। वैसे ही तुम भी उस पर हमला करते हो। तुम उसकी योनि पर, उसकी छाती पर, उसके चेहरे पर हमला करते हो क्योकि तुमको लगता है कि ये सिर्फ तुम्हारे लिए है।
लड़की ने प्यार करने की गलती क्या की अब उसका अपनेशरीर पर और अपने दिमाक पर कोई अधिकार नही है? अगर वो अपनी जिंदगी के फैंसले खुद लेगी तो उसको इसकी सजा कभी बाप की तरफ से तो कभी प्रेमी की तरफ से मिलेगी?

तुम्हारी नजर मेंप्यार का मतलब हैकी वो सिर्फ तुम्हारे लिए बनी है, उस पर सिर्फ तुम्हारा हक है। तुमको वो अच्छी लगती है। तुमको उसका चेहरा देखे बिना नींद नही आती है। तुम्हारी नजर में वो चेहरा दुनिया में तुम्हारे लिए सबसे बेहतरीन चेहरा है। लेकिन उस बेहतरीन जिस्म को, चेहरे को जब तुम हासिल नही कर पाते हो या वो तुमसे दूर जाता है तो तुम उस जिस्म को चाकू से खोद देते हो, चेहरे को तुम तेजाब से जला देते हो। उसके गुप्तांग में लोहे की छड़ डाल देते हो। ऐसा कैसे कर लेते हो तुम, कोई भी अपनी सबसे प्यारी वस्तु को ऐसे कैसे नष्टकर सकता है। इसका मतलब तुम प्यार नही करते थे। ये तुम्हारी सनक थी। जब आपप्यार में होते हो तो एक दूसरे के किये चाँद तारे तोड़ने की बात करते हो। लेकिन लड़की ने एक इंकार क्या किया आपने चाँद तारो की जगह लड़की के शरीर को ही ईंटो से तोड़ दिया। गाड़ी से कुचल दिया।

जिसने आपको अपनी योनि से चर्म सुख की अनुभूति करवाई। तुमने उसकी योनि को लोहे की छड़ से खोद दिया। क्या किसी लड़की का इंकार इतना भयंकर हैउस लड़की के लिए।


लेकिन फिर ये प्यार नही था तो क्या था। ये सिर्फ वासना थी, ये सनकीपन थाएकाधिकार करने के लिए। ये कोई पहली घटना तो है नही, देश में भी और खासकर उतर भारत में ये घटनाएं होती रहती है। हरियाणा, दिल्ली, उतर प्रदेश तो इन घटनाओं के लिए चर्चित है। प्यार में धोखा खाये आशिक ने मारा चाकू, चेहरे पर डाला तेजाब, गल घोट कर की हत्या आदि ये खबर आती रहती है।
अब सवाल ये है कि अगर मामूली सा भी लड़के को उस लड़की से कभी प्यार होता तो वो बलात्कार तो दूर की बात है उसकी मर्जी के बिना उसको छूता भी नही। हत्या करना तो दूर उसको खरोंच भी नही आने देता। क्या कोई सच्चा प्रेमी अपनी प्रेमिका के साथ ऐसा करेगा। चाहे एक तरफा ही प्यार क्यों न हो।वो ऐसा कभी भी नही करेगा। अगर कोई भी सिरफिरा प्रेमी ऐसा करने की सोचता है तो वो मानसिक बीमार है। उसको अपना इलाज किसी अच्छे दिमाकी डॉ से करवाना चाहिए।


लेकिन ऐसी घटनाएं दिनों दिन बढ़ रही है। इसके पीछे कारण क्या है।
सबसे बड़ा बुनियादी कारण है पुरुषवादी सोच जो महिला को दोयम दर्जे का मानती है। जो मानती है कि महिला पुरुषसे कमजोरहै, महिला का रक्षक पुरुष होता है, महिला को पतिव्रता होना चाहिए, महिला को पुरूष की सत्ता के अधीन रहना चाहिए। महिला को घर में चुल्ले-चोके तक सीमित रहना चाहिये। बाहर निकलेगी तो ये घटनाएं तो होगी ही। पिछले दिनों राष्ट्रीय पार्टी के एक नेता ने ब्यान दिया था कि गाड़ी बाजार में आएगी तो एक्सीडेंट तो होगा ही। इसलिए महिला को अंदर रहना चाहिए।

हरियाणा में एक जोक चलता है कि-
"महिलाएं शादी के बाद सिंदूर क्यों लगाती है।
वो सिंदूर इसलिए लगाती है ताकि नये लड़को को पता चल जाये की इस प्लाट की रजिस्ट्री हो चुकी है। वो किसी दूसरे प्लाट की खोज करे।"
ये है हमारे समाज की सोच जो महिला को प्रॉपर्टी समझते है।
भारतीय सिनेमा भी ऐसी फिल्मों से भरा पड़ा है कभी सनी देओल की "जीत" फिल्म देखना जब हीरोइन करिश्मा कपूर कहती है कि अगर हमारी शादी न हो सकी तो, हीरो सनी कहता है पुरे गुस्से में"काजल तुम सिर्फ मेरी हो, सिर्फ मेरी, तुम अगर किसी और की हुई तो लाशें बिछा दूंगा लाशें।" क्यों भई तुमने इसे खरीद लिया है? ये तेरी गुलाम है?
जिस माँ ने इसको 9 महीने पेट में रखा। बड़ी मुसीबतों से पैदा किया, माँ-बाप ने इसको 20 साल पाला इस पर अधिकार जब उसका भी नही है तो तेरा कैसे हो सकता है। 2 दिन के प्यार के चक्कर में तुम इसको गुलाम बनाना चाहते हो? गुलाम न बनी तो तेजाब डालोगे, उससे रेप करोगे, उसके गुप्तांग फाड़ोगे, उसकी जान लोगे? हद है सनक की भी.....

"जो प्रेम घृणा बन सकता है, वह प्रेम नहीं है!"ओशो

प्यार का मतलब तो हम जिससे प्यार करते है हमारे कारण उसके आँख में पानी का एक कतरा भी कैसे आ जाये, उसकी खुशी में हमारी ख़ुशी है, उसकी आजादी में हमारी आजादी है। प्यारकिसी भी बंधन का नाम नही है। बलिदान और त्याग का दूसरा नाम ही प्यार है।एक दूसरे के विचार, भावनाओ, आजादी की कद्र करना प्यार है। जब तक साथ है तब तक साथ है किसी भी कारण से अलगहुए तो भी पूरी उम्र उससे प्यार रहता है। जरूरी नही है कि शादी हो वो अच्छे दोस्त पूरी उम्र रह सकते है। वो क्या खायेगी, क्या पीयेगी, कहाँ घूमेगी, किसके साथ सोएगी वो उसका निजी मामला है। उसकी आजादी है। आपको पसन्द नही है तो आप उसको छोड़ सकते है। लेकिन बेवफाई का रोना रो कर के उस पर हमला करना कदापि उचित नही है ये सीधा-सीधा आधी आबादी पर हमला है।

"प्रेम न खेतौं नीपजै, प्रेम न हाटि बिकाइ"कबीर
प्रेम न किसी खेत में पैदा होता है और न ही किसी बाजार में बिकता है।

इस समस्या का समाधान क्याहो-
इस पर समाज में 2 रॉय है।
पहली रॉय के लोगो में कुछ जो महिलाओं को ही बलात्कार के लिए जिम्मेदार ज्यादा मानते है। वो सवाल उठाते हैं कि महिला किसी से प्यार करे ही क्यों, महिला ऐसे वैसे कपड़े पहने ही क्यों, महिला घर से बाहर निकले ही क्यों। कुछ का मानना होता है किबलात्कारियों को फांसी होनी चाहिए, उनका लिंग काट लेना चाहिए, उनके हाथ-पांव काट देने चाहिए, जनता के सामने उनको मारा जाये। कुछ ऐसे भी है कि जो मानते है कि लड़कियां प्यार में धोखा देगी तो ऐसा होता ही है। लेकिन ये सभी रॉय बेकार है क्योंकि बलात्कार की घटनाएं 1 साल की बच्ची से 80 साल की बुजर्ग महिला से हो रही है। घर, खेत, ऑफिसों में हो रही है। फांसी या दूसरी तीसरी सजाओ से भी रोकना नामुमकिन है क्योंकि ये घटना जब घट रही थी उसीसमय सुप्रीम कोर्ट निर्भया के बलात्कारियों को फांसी की सजा सुना रहा था। फिर भी ये घटना होती है। गुड़गांवमें चलती गाड़ी में एक लड़की से सामूहिक बलात्कार भी उसी समय होता है। पुरे देश को तो छोड़ ही दीजिये कितनी घटनाएं हुई होंगी।

लेकिन जो प्रगतिशील, बुद्विजीवी, कम्युनिस्ट है उनका मानना है कि बलात्कार को कड़ी सजा देने से या कड़े कानून बनाने से नही रोका जा सकता है। अगर बलात्कार को रोकना है तो सबसेपहले गैर बराबरी पर आधारति समाज को खत्म करना पड़ेगा। महिला को उपभोग की वस्तु न मानकरइंसान मानना पड़ेगा, महिला को सेक्स डोल मानना बन्द करना पड़ेगा, सेक्स एजुकेशन सबको देनी पड़ेगी। महिलाओं को चुल्ले-चोके से निकाल कर आर्थिक आजादी देनी पड़ेगी, काम का बंटवारा मेल-फीमेल में जो है उसको खत्म करना पड़ेगा। लड़के-लड़की की परवरिस भी मेल-फीमेल के अनुसार न करके बराबरी पर करनी पड़ेगी। लड़कियों को भी इस काल्पनिक प्यार के चक्कर से बचनाहोगा व् उनको बचना होगा पूँजीवाद द्वारा बनाई जा रही उपभोग की वस्तु बनने से उनको बराबरी के लिए चल रही इस लड़ाई की अगुहाई करनी पड़ेगी।

सच्चा प्यार तब स्थापित होगा जब औरत और पुरुष के बीच वास्तविक बराबरी आएगी। जब औरतों को मात्र एक सेक्स ऑब्जेक्ट न मानक़र इंसान के रूप में स्वीकारा जाएगाऔर जब सच्चा प्यार स्थापित होगा तो नफरत व् हिंसा के लिए कोई जगह नहीं रह जायेगी। तब कोई निर्भया बलात्कार का शिकार नहीं होगी। हमें महिला पुरुष बराबरी के लिए काम करना होगा। इस दुनिया को बेहतर और खूबसूरत बनाने के लिए काम करना होगा। हमको समतामूलक समाज बनाने के लिए लड़ना होगा।


अभी 2 दिन पहले रोहतक में एक लड़की के साथ जो जघन्य सामूहिक बलात्कार और उसके बाद उसकी निर्ममता से जो हत्या हुई। उसकी जैसे-जैसे परते खुल रही है वो बहुत ही भयानक है। क्योंकि बलात्कारी और हत्यारे कोई और नही उस लड़की का पुराना प्रेमी और प्रेमी के दोस्त ही है जिन्होंने उसको सोनीपत से जबर्दस्ती गाड़ी में अपरहण किया। उसके बाद लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार फिर उसकी निर्ममता से हत्याकी। उसके प्रत्येक अंग को बुरी तरह से कुचल दिया। उसके बाद उसकी देह को झाड़ियों में फेंक दिया। जहाँ उसको कुते खाते रहे। अख़बार के अनुसार लड़की को ईंट से बुरी तरह मारा गया, उसको गाड़ी से भी कुचला गया, उसके गुप्तांग में लोहे की छड़ घुसेड़ दी गयी। ये अमानवीयता की हद है।

अब वो लड़का कहता है कि मै उस लड़की से बहुत प्यार करता था। मैं उससे शादी करना चाहता था। लेकिन लड़की ने शादी से जब मना कर दिया तो मैने ये सब किया।

क्या प्यार की आखिरी मंजिल शादी है।

अगर किसी कारण से शादी न हो तो आप उसको मार दोगे? आप उससे सामूहिक बलात्कार करोगे? आप उस पर तेजाब डाल दोगे? अगर प्यार की आखिरी मंजिल तुम्हारी नजर में शादीहै तो तुम उससे प्यार नही कर रहे हो तुम उस पर कब्जा करना चाहते हो, उसको गुलाम बनाना चाहते हो।

ये तुम्हारी एकाधिकार की सोच है। वो किससे बात करे, कहाँ बैठे, कहाँ जाये, क्या खाएं, क्या पहनेये सब आप तय करना चाहते हो। अगर वो आपकी गुलामी का विरोध करे, आपके एकाधिकार का विरोध करे तो आप उसको सजा दोगे। जैसे लड़की अपने बाप के एकाधिकार का विरोध जब करती है, अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेना चाहती है तो उसका रूढ़िवादी बाप उस पर हमला करता है। उसकी जान भी ले लेता है। वैसे ही तुम भी उस पर हमला करते हो। तुम उसकी योनि पर, उसकी छाती पर, उसके चेहरे पर हमला करते हो क्योकि तुमको लगता है कि ये सिर्फ तुम्हारे लिए है।
लड़की ने प्यार करने की गलती क्या की अब उसका अपनेशरीर पर और अपने दिमाक पर कोई अधिकार नही है? अगर वो अपनी जिंदगी के फैंसले खुद लेगी तो उसको इसकी सजा कभी बाप की तरफ से तो कभी प्रेमी की तरफ से मिलेगी?

तुम्हारी नजर मेंप्यार का मतलब हैकी वो सिर्फ तुम्हारे लिए बनी है, उस पर सिर्फ तुम्हारा हक है। तुमको वो अच्छी लगती है। तुमको उसका चेहरा देखे बिना नींद नही आती है। तुम्हारी नजर में वो चेहरा दुनिया में तुम्हारे लिए सबसे बेहतरीन चेहरा है। लेकिन उस बेहतरीन जिस्म को, चेहरे को जब तुम हासिल नही कर पाते हो या वो तुमसे दूर जाता है तो तुम उस जिस्म को चाकू से खोद देते हो, चेहरे को तुम तेजाब से जला देते हो। उसके गुप्तांग में लोहे की छड़ डाल देते हो। ऐसा कैसे कर लेते हो तुम, कोई भी अपनी सबसे प्यारी वस्तु को ऐसे कैसे नष्टकर सकता है। इसका मतलब तुम प्यार नही करते थे। ये तुम्हारी सनक थी। जब आपप्यार में होते हो तो एक दूसरे के किये चाँद तारे तोड़ने की बात करते हो। लेकिन लड़की ने एक इंकार क्या किया आपने चाँद तारो की जगह लड़की के शरीर को ही ईंटो से तोड़ दिया। गाड़ी से कुचल दिया।

जिसने आपको अपनी योनि से चर्म सुख की अनुभूति करवाई। तुमने उसकी योनि को लोहे की छड़ से खोद दिया। क्या किसी लड़की का इंकार इतना भयंकर हैउस लड़की के लिए।

लेकिन फिर ये प्यार नही था तो क्या था। ये सिर्फ वासना थी, ये सनकीपन थाएकाधिकार करने के लिए। ये कोई पहली घटना तो है नही, देश में भी और खासकर उतर भारत में ये घटनाएं होती रहती है। हरियाणा, दिल्ली, उतर प्रदेश तो इन घटनाओं के लिए चर्चित है। प्यार में धोखा खाये आशिक ने मारा चाकू, चेहरे पर डाला तेजाब, गल घोट कर की हत्या आदि ये खबर आती रहती है।
अब सवाल ये है कि अगर मामूली सा भी लड़के को उस लड़की से कभी प्यार होता तो वो बलात्कार तो दूर की बात है उसकी मर्जी के बिना उसको छूता भी नही। हत्या करना तो दूर उसको खरोंच भी नही आने देता। क्या कोई सच्चा प्रेमी अपनी प्रेमिका के साथ ऐसा करेगा। चाहे एक तरफा ही प्यार क्यों न हो।वो ऐसा कभी भी नही करेगा। अगर कोई भी सिरफिरा प्रेमी ऐसा करने की सोचता है तो वो मानसिक बीमार है। उसको अपना इलाज किसी अच्छे दिमाकी डॉ से करवाना चाहिए।

लेकिन ऐसी घटनाएं दिनों दिन बढ़ रही है। इसके पीछे कारण क्या है।
सबसे बड़ा बुनियादी कारण है पुरुषवादी सोच जो महिला को दोयम दर्जे का मानती है। जो मानती है कि महिला पुरुषसे कमजोरहै, महिला का रक्षक पुरुष होता है, महिला को पतिव्रता होना चाहिए, महिला को पुरूष की सत्ता के अधीन रहना चाहिए। महिला को घर में चुल्ले-चोके तक सीमित रहना चाहिये। बाहर निकलेगी तो ये घटनाएं तो होगी ही। पिछले दिनों राष्ट्रीय पार्टी के एक नेता ने ब्यान दिया था कि गाड़ी बाजार में आएगी तो एक्सीडेंट तो होगा ही। इसलिए महिला को अंदर रहना चाहिए।

हरियाणा में एक जोक चलता है कि-
"महिलाएं शादी के बाद सिंदूर क्यों लगाती है।
वो सिंदूर इसलिए लगाती है ताकि नये लड़को को पता चल जाये की इस प्लाट की रजिस्ट्री हो चुकी है। वो किसी दूसरे प्लाट की खोज करे।"
ये है हमारे समाज की सोच जो महिला को प्रॉपर्टी समझते है।
भारतीय सिनेमा भी ऐसी फिल्मों से भरा पड़ा है कभी सनी देओल की "जीत" फिल्म देखना जब हीरोइन करिश्मा कपूर कहती है कि अगर हमारी शादी न हो सकी तो, हीरो सनी कहता है पुरे गुस्से में"काजल तुम सिर्फ मेरी हो, सिर्फ मेरी, तुम अगर किसी और की हुई तो लाशें बिछा दूंगा लाशें।" क्यों भई तुमने इसे खरीद लिया है? ये तेरी गुलाम है?
जिस माँ ने इसको 9 महीने पेट में रखा। बड़ी मुसीबतों से पैदा किया, माँ-बाप ने इसको 20 साल पाला इस पर अधिकार जब उसका भी नही है तो तेरा कैसे हो सकता है। 2 दिन के प्यार के चक्कर में तुम इसको गुलाम बनाना चाहते हो? गुलाम न बनी तो तेजाब डालोगे, उससे रेप करोगे, उसके गुप्तांग फाड़ोगे, उसकी जान लोगे? हद है सनक की भी.....

"जो प्रेम घृणा बन सकता है, वह प्रेम नहीं है!"ओशो

प्यार का मतलब तो हम जिससे प्यार करते है हमारे कारण उसके आँख में पानी का एक कतरा भी कैसे आ जाये, उसकी खुशी में हमारी ख़ुशी है, उसकी आजादी में हमारी आजादी है। प्यारकिसी भी बंधन का नाम नही है। बलिदान और त्याग का दूसरा नाम ही प्यार है।एक दूसरे के विचार, भावनाओ, आजादी की कद्र करना प्यार है। जब तक साथ है तब तक साथ है किसी भी कारण से अलगहुए तो भी पूरी उम्र उससे प्यार रहता है। जरूरी नही है कि शादी हो वो अच्छे दोस्त पूरी उम्र रह सकते है। वो क्या खायेगी, क्या पीयेगी, कहाँ घूमेगी, किसके साथ सोएगी वो उसका निजी मामला है। उसकी आजादी है। आपको पसन्द नही है तो आप उसको छोड़ सकते है। लेकिन बेवफाई का रोना रो कर के उस पर हमला करना कदापि उचित नही है ये सीधा-सीधा आधी आबादी पर हमला है।

"प्रेम न खेतौं नीपजै, प्रेम न हाटि बिकाइ"कबीर
प्रेम न किसी खेत में पैदा होता है और न ही किसी बाजार में बिकता है।

इस समस्या का समाधान क्याहो-
इस पर समाज में 2 रॉय है।
पहली रॉय के लोगो में कुछ जो महिलाओं को ही बलात्कार के लिए जिम्मेदार ज्यादा मानते है। वो सवाल उठाते हैं कि महिला किसी से प्यार करे ही क्यों, महिला ऐसे वैसे कपड़े पहने ही क्यों, महिला घर से बाहर निकले ही क्यों। कुछ का मानना होता है किबलात्कारियों को फांसी होनी चाहिए, उनका लिंग काट लेना चाहिए, उनके हाथ-पांव काट देने चाहिए, जनता के सामने उनको मारा जाये। कुछ ऐसे भी है कि जो मानते है कि लड़कियां प्यार में धोखा देगी तो ऐसा होता ही है। लेकिन ये सभी रॉय बेकार है क्योंकि बलात्कार की घटनाएं 1 साल की बच्ची से 80 साल की बुजर्ग महिला से हो रही है। घर, खेत, ऑफिसों में हो रही है। फांसी या दूसरी तीसरी सजाओ से भी रोकना नामुमकिन है क्योंकि ये घटना जब घट रही थी उसीसमय सुप्रीम कोर्ट निर्भया के बलात्कारियों को फांसी की सजा सुना रहा था। फिर भी ये घटना होती है। गुड़गांवमें चलती गाड़ी में एक लड़की से सामूहिक बलात्कार भी उसी समय होता है। पुरे देश को तो छोड़ ही दीजिये कितनी घटनाएं हुई होंगी।

लेकिन जो प्रगतिशील, बुद्विजीवी, कम्युनिस्ट है उनका मानना है कि बलात्कार को कड़ी सजा देने से या कड़े कानून बनाने से नही रोका जा सकता है। अगर बलात्कार को रोकना है तो सबसेपहले गैर बराबरी पर आधारति समाज को खत्म करना पड़ेगा। महिला को उपभोग की वस्तु न मानकरइंसान मानना पड़ेगा, महिला को सेक्स डोल मानना बन्द करना पड़ेगा, सेक्स एजुकेशन सबको देनी पड़ेगी। महिलाओं को चुल्ले-चोके से निकाल कर आर्थिक आजादी देनी पड़ेगी, काम का बंटवारा मेल-फीमेल में जो है उसको खत्म करना पड़ेगा। लड़के-लड़की की परवरिस भी मेल-फीमेल के अनुसार न करके बराबरी पर करनी पड़ेगी। लड़कियों को भी इस काल्पनिक प्यार के चक्कर से बचनाहोगा व् उनको बचना होगा पूँजीवाद द्वारा बनाई जा रही उपभोग की वस्तु बनने से उनको बराबरी के लिए चल रही इस लड़ाई की अगुहाई करनी पड़ेगी।

सच्चा प्यार तब स्थापित होगा जब औरत और पुरुष के बीच वास्तविक बराबरी आएगी। जब औरतों को मात्र एक सेक्स ऑब्जेक्ट न मानक़र इंसान के रूप में स्वीकारा जाएगाऔर जब सच्चा प्यार स्थापित होगा तो नफरत व् हिंसा के लिए कोई जगह नहीं रह जायेगी। तब कोई निर्भया बलात्कार का शिकार नहीं होगी। हमें महिला पुरुष बराबरी के लिए काम करना होगा। इस दुनिया को बेहतर और खूबसूरत बनाने के लिए काम करना होगा। हमको समतामूलक समाज बनाने के लिए लड़ना होगा।