जन उदय : दुनिया
के देश मिश्र ,लीबिया , यूगांडा , रवांडा ,अफगानिस्तान इरान
, ईराक और भी बहुत देश है
जो गृह युद्ध के चपेट में रहे है ,और है कारण
भेदभाव और दमनकारी निति सरकार ने इनके जबाने काटने तक की कोशिस की लेकिन जनता आखिर
जनता है उसकी आवाज ही खुदा का फरमान होता है , शायद ये बात संघ और उसके घटक दलों को समझ नहीं आ रही है
इसलिए ये लो ई वी एम् घोटाले से सत्ता के प्राप्ति से ही
समझ रहे है की ये देश इनके जूते के निचे आ गया है और जो ये कहंगे , सबको मानना होगा जो ये करेंगे सबको करना होगा .
जब से ये लोग सत्ता में आये है देश के गरीब मजदूर
दलित मुस्लिम लोगो का जीना मुस्किल
हो गया है रोजगार से लेकर इंसान
का जीना मुस्किल हो गया है शिक्षा स्वास्थ , कानून वाव्य्स्था हर चीज
बेकार हो गई है कुल मिला कर आम आदमी का जीना मुस्ल्किल हो गया है, अखलाक , डेल्टा मेघवाल , रोहित
वेमुला ,गुजरात में गो आतंकियो द्वारा
आक्रमण , अलवर में मुस्लिम की हत्याए , उत्तर प्रदेश में लगातार दलितों
की हत्याए कुल मिला कर इन्होने देश
को नरक में तब्दील कर दिया है
भारत में सामाजिक
परिवर्तन की लड़ाई कोई नई नहीं है समाज में
फैले भेदभाव के खिलाफ अनेक संत सूफी समाज सुधारको ने आवाज उठाई लेकिन सभी लोग समाज
में फैला जातिवाद और उस पर आधरित भेदभाव खत्म नहीं हुआ , ये भेदभाव अगर सिर्फ भेदभाव की हद तक रहता तो इतना फर्क नहीं पड़ता लेकिन ये जातिय भेदभाव ब्राह्मणों द्वारा
फैलाया गया और इसको कायम रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे है , इसके लिए कत्ल , दमनकारी नीतिया तक बनी है, जातिवाद में सिर्फ जाति के आधार पर भारत के मूलनिवासियो को जानवर की तरह समझा जाता है
और इनको मूल बेसिक अधिकार तक मना कर दिए गए है या छीन लिए जाते है
भारत में गृह
युद्ध की वजह सिर्फ जातिवाद ही नहीं है
कश्मीर , असाम, मणिपुर , पंजाब , तेलंगाना ,
आदिवासी समस्या देश के राजनैतिक
तापमान को हमेशा उंचा बनाय रखते है
इसके अलावा
सम्प्रद्यिक दंगे मंदिर मस्जिद के दंगे गोमांस के दंगे तो बहुत आम बात हो गई है जब
से संघियो की सरकार आई है , इसके अलावा रोहित
वेमुला की संस्थानिक हत्या , जे एन यु का मसला
और आये दिन दलित बस्तिओ को आग लगाना ,
उनकी हत्याय , दलित महिलाओं के बलात्कार
इतनी मात्रा में हो रहे है की बात अब बर्दास्त से बाहर हो रही है सबसे बड़ी
कमाल की बात यह है की जो भी दलित अपने उपर हुए अपराध के खिलाफ आवाज उठा रहा है
उसे देशद्रोह के आरोप में जेलमे ठुंसा
जा रहा है . कमाल की बात यह है की पुलिस ,प्रशासन न्यायपलिका सब संघियो के पक्ष में चल रहा है .
हालात बदल रहे है
दलितों में मुसलमानों में रोष बढ़ता जा रहा है , और यह रोष अब धीरे धीरे इतना बढ़ रहा है की ये बहुत जल्द ही एक जातिय गृह
युद्ध के चपेट में आने वाला है
बहुत सारे दलितों ने कह दिया है की वो हद स हद
दस बारह साल इन्तजार करेंगे इसके बाद मारेंगे या मरेंगे
यानी देश में गृह युद्ध . इस
बीच दलितों ने ब्राह्मणों
और सवर्णों की मेपिंग
करना शुरू कर दिया है यानी किस
मोहल्ले में कितने ब्राह्मण राजपूत
, बनिए है उनके पास क्या सम्पति है
कितने हथियार है इस बात का सर्वे निजी
तौर पर हो रहे है . निहत्थे
कमजोर दलित कैसे सत्ताधारी ब्राह्मणों
को समाप्त कर पायंगे इस पर एक दलित ने बताया की
कौरव पांडव युद्ध में पांड्वो ने कौरव
से खूब कहा की मान जाओ , हमें पांच
सहर दे दो , पांच
सहर नहीं तो पांच
गाव दे दो पांच गाव नहीं तो पांच
पद जमीन दे दो लेकिन सत्ताधारी कोरव जिनके पास सब कुछ सेना
हथियार , सम्पदा वो भला किसी
से यानी फकीरों से क्यों डरने
लगे , अंजाम आज भी सबको मालूम
है इसी तरह रावण ने भो सोचा की कैसे
ये वनवासी मुझे जित लेंगे मेरे पास सब कुछ है , वर्तमान में कर्नल गद्दाफी
का उधाह्र्ण देते हुए दलित युवक ने बताया
की वो आदमी ज्सिका देश में कब्ज़ा था सेना उसकी थी , हथियार थे लेकिन कैसे मारा गया कुत्तो की मौत , वैसे ही ये संघी ब्राह्मण
मारे जाएंगे
जब यह पूछा गया तो यह तारीख लगभग
तेरा साल का इन्तजार क्यों .
होम-वर्क बस और कुछ नहीं
इस बीच उन सभी दलित संघठनो
को एकत्रित किया जा रहा है और सबसे
बड़ा फर्क
दो चार साल में जब पड़ेगा जब
मायावती अपने करोडो समर्थको
के साथ बौध धर्म धारण
कर लेगी , और जिस दिन यह होगा
उसी दिन समझ लीजिये की ब्राह्मणों का अंत
ये लोग विदेशी गद्दार हमलावर है
इनका अंत जरूरी है .. और जिस दिन
दलित क्रांति का बिगुल बजेगा
उसी दिन सेना में दलित जवान सेना में छिपे
ब्राह्मणों को खत्म कर देंगे , रेल विभाग
के दलित रेल से
क्रान्तिकारियो के आवागमन को सम्भालंगे
पुलिस में दलित पुलिस को रोक
लेंगे और
चैनल , मीडिया संस्थानों पर कब्जा कर
दलित क्रांति की घोषणा कर दी जाएगी
दलित
क्रांति होगी जरूर होगी अगर यही उत्पीडन और सामाजिक
वाव्य्स्था चली तो , दलित युवक ने कहा