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Tuesday 8 March 2016

क्या रवि शंकर भारतीय में लिखी ग्रंथो में लिखी गंदगी और अमानवता को भारतीय संस्कृति सम्मेलन में समझायंगे दुनिया को

क्या रवि शंकर   भारतीय में लिखी   ग्रंथो में लिखी  गंदगी और अमानवता  को भारतीय  संस्कृति सम्मेलन में   समझायंगे दुनिया को

कुछ लोगो को लगता था कि  देश में भेदभाव , दंगो , जातिवाद , की राजनीति सिर्फ भाजपा कर रही है  वो भी अपने पिता आर एस एस के कहने पर लेकिन लोग भूल गए थे की आर एस एस के कुछ एजेंट चुपके चुपके लोगो के बीच में काम कर रहे थे कभी आयुर्वेद के नाम पर , कभी आर्ट ऑफ़ लिविंग के नाम पर कही मन की शांति के नाम पर ,  जिसमे ब्रह्मकुमारी , रवि शंकर  का आर्ट ऑफ़ लिविंग  , रामदेव  इत्यादि
ये ऐसे लोग है जो पहले तो समाज  की समस्या के निवारण के नाम पर  आम लोगो के बीच घुसपैठ करते है और फिर अचानक अपने असली रूप में आ जाते है यानी भगवा आतंक के रूप में
इस वक्त जो बेहद चर्चा का विषया बना हुआ है मुद्दा  वह यह है की श्री रवि शंकर   जो भगवा का एक अंग है भारतीय  संस्कृति के सम्मेलन के नाम पर  यमुना नदी को बर्बाद करने पर तुला हुआ है कमाल की बात यह है की इसकी इजाजत उसके पास कही से भी नहीं है की वो ये कार्यक्रम आयोजित कर सके
देश में भगवा सरकार होने की वजह से  भगवा लोगो के खिलाफ बोलने वाले को या तो  जेल में देशद्रोह के आरोप में डाल  दिया जाता है या  उसके बोलने के अधिकार को ही छीन   लिया जा रहा है  


कमाल की बात यह है की कभी गंगा की सफाई कभी यमुना की सफाई तो कभी गोमांस के नाम पर देश में आतंक  फैलाने वाले भगवा आतंकी  अपनी जरूरत के अनुसार धर्म और संस्क्रती  को मोड़ लेते है , कोई दुसरा करे  तो यमुना माँ  , खुद करे  तो सिर्फ यमुना , खुद गोमांस का व्यापार करे  तो व्यापार    कोई दुसरा करे  तो गोमाता की  हत्या
अब अगर रवि शंकर भारतीय संस्कृति  की बात ही कर रहे है  तो क्या  रवि शंकर  पूरी  दुनिया को  ब्राह्मण ग्रन्थ में लिखी  महिलाओं  और दलितों  के खिलाफ क्रूरता  और गंदगी को बतायंगे ??
दलित और महिला की जान की कीमत कुछ भी  नहीं  क्या ये बतायंगे
क्या ये भी बतायंगे की दलित की हत्या का प्रायश्चित  एक अन्य जानवर को मार कर किया जा सकता है  ???


क्या  रवि शंकर  निचे लिखे   मनुस्मिरती   को दुनिया के लोगो को बतायंगे ??


मनुस्मुर्ति" में क्या कहा हैं
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यह देखिये-
१- पुत्री,पत्नी,माता या कन्या,युवा,व्रुद्धा किसी भी स्वरुप में नारी स्वतंत्र नही होनी चाहिए. -मनुस्मुर्तिःअध्याय-९ श्लोक-२ से ६ तक.
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२- पति पत्नी को छोड सकता हैं, सुद(गिरवी) पर रख सकता हैं, बेच सकता हैं, लेकिन स्त्री को इस प्रकार के अधिकार नही हैं. किसी भी स्थिती में, विवाह के बाद, पत्नी सदैव पत्नी ही रहती हैं. - मनुस्मुर्तिःअध्याय-९ श्लोक-४५
३- संपति और मिलकियत के अधिकार और दावो के लिए, शूद्र की स्त्रिया भी "दास" हैं, स्त्री को संपति रखने का अधिकार नही हैं, स्त्री की संपति का मलिक उसका पति,पूत्र, या पिता हैं. - मनुस्मुर्तिःअध्याय-९ श्लोक-४१६.
४- ढोर, गंवार, शूद्र और नारी, ये सब ताडन के अधिकारी हैं, यानी नारी को ढोर की तरह मार सकते हैं....तुलसी दास पर भी इसका प्रभाव दिखने को मिलता हैं, वह लिखते हैं-"ढोर,चमार और नारी, ताडन के अधिकारी."
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मनुस्मुर्तिःअध्याय-८ श्लोक-२९९
५- असत्य जिस तरह अपवित्र हैं, उसी भांति स्त्रियां भी अपवित्र हैं, यानी पढने का, पढाने का, वेद-मंत्र बोलने का या उपनयन का स्त्रियो को अधिकार नही हैं.- मनुस्मुर्तिःअध्याय-२ श्लोक-६६ और अध्याय-९ श्लोक-१८.
६- स्त्रियां नर्कगामीनी होने के कारण वह यग्यकार्य या दैनिक अग्निहोत्र भी नही कर सकती.(इसी लिए कहा जाता है-"नारी नर्क का द्वार") - मनुस्मुर्तिःअध्याय-११ श्लोक-३६ और ३७ .
७- यग्यकार्य करने वाली या वेद मंत्र बोलने वाली स्त्रियो से किसी ब्राह्मण भी ने भोजन नही लेना चाहिए, स्त्रियो ने किए हुए सभी यग्य कार्य अशुभ होने से देवो को स्वीकार्य नही हैं. - मनुस्मुर्तिःअध्याय-४ श्लोक-२०५ और २०६ .
८- - मनुस्मुर्ति के मुताबिक तो , स्त्री पुरुष को मोहित करने वाली - अध्याय-२ श्लोक-२१४ .
९ - स्त्री पुरुष को दास बनाकर पदभ्रष्ट करने वाली हैं. अध्याय-२ श्लोक-२१४
१० - स्त्री एकांत का दुरुप्योग करने वाली. अध्याय-२ श्लोक-२१५.
११. - स्त्री संभोग के लिए उमर या कुरुपताको नही देखती. अध्याय-९ श्लोक-११४.
१२- स्त्री चंचल और हदयहीन,पति की ओर निष्ठारहित होती हैं. अध्याय-२ श्लोक-११५.
१३.- केवल शैया, आभुषण और वस्त्रो को ही प्रेम करने वाली, वासनायुक्त, बेईमान, इर्षाखोर,दुराचारी हैं . अध्याय-९ श्लोक-१७.
१४.- सुखी संसार के लिए स्त्रीओ को कैसे रहना चाहिए? इस प्रश्न के उतर में मनु कहते हैं-
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१). स्त्रीओ को जीवन भर पति की आग्या का पालन करना चाहिए. - मनुस्मुर्तिःअध्याय-५ श्लोक-११५.
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२). पति सदाचारहीन हो,अन्य स्त्रीओ में आसक्त हो, दुर्गुणो से भरा हुआ हो, नंपुसंक हो, जैसा भी हो फ़िर भी स्त्री को पतिव्रता बनकर उसे देव की तरह पूजना चाहिए.- मनुस्मुर्तिःअध्याय-५ श्लोक-१५४.
जो इस प्रकार के उपर के ये प्रावधान वाले पाशविक रीति-नीति के विधान वाले पोस्टर क्यो नही छपवाये?
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१) वर्णानुसार करने के कार्यः -
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महातेजस्वी ब्रह्मा ने स्रुष्टी की रचना के लिए ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य और शूद्र को भिन्न-भिन्न कर्म करने को तै किया हैं -
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पढ्ना,पढाना,यग्य करना-कराना,दान लेना यह सब ब्राह्मण को कर्म करना हैं. अध्यायः१:श्लोक:८७
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प्रजा रक्षण , दान देना, यग्य करना, पढ्ना...यह सब क्षत्रिय को करने के कर्म हैं. - अध्यायः१:श्लोक:८९
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पशु-पालन , दान देना,यग्य करना, पढ्ना,सुद(ब्याज) लेना यह वैश्य को करने का कर्म हैं. - अध्यायः१:श्लोक:९०.
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द्वेष-भावना रहित, आंनदित होकर उपर्युक्त तीनो-वर्गो की नि:स्वार्थ सेवा करना, यह शूद्र का कर्म हैं. - अध्यायः१:श्लोक:९१.
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२) प्रत्येक वर्ण की व्यक्तिओके नाम कैसे हो?:-
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ब्राह्मण का नाम मंगलसूचक - उदा. शर्मा या शंकर
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क्षत्रिय का नाम शक्ति सूचक - उदा. सिंह
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वैश्य का नाम धनवाचक पुष्टियुक्त - उदा. शाह
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शूद्र का नाम निंदित या दास शब्द युक्त - उदा. मणिदास,देवीदास
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अध्यायः२:श्लोक:३१-३२.
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३) आचमन के लिए लेनेवाला जल:-
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ब्राह्मण को ह्रदय तक पहुचे उतना.
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क्षत्रिय को कंठ तक पहुचे उतना.
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वैश्य को मुहं में फ़ैले उतना.
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शूद्र को होठ भीग जाये उतना, आचमन लेना चाहिए.
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अध्यायः२:श्लोक:६२.
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४) व्यक्ति सामने मिले तो क्या पूछे?:-
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ब्राह्मण को कुशल विषयक पूछे.
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क्षत्रिय को स्वाश्थ्य विषयक पूछे.
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वैश्य को क्षेम विषयक पूछे.
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शूद्र को आरोग्य विषयक पूछे.
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अध्यायः२:श्लोक:१२७.
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५) वर्ण की श्रेष्ठा का अंकन :-
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ब्राह्मण को विद्या से.
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क्षत्रिय को बल से.
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वैश्य को धन से.
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शूद्र को जन्म से ही श्रेष्ठ मानना.(यानी वह जन्म से ही शूद्र हैं)
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अध्यायः२:श्लोक:१५५.
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६) विवाह के लिए कन्या का चयन:-
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ब्राह्मण सभी चार वर्ण की कन्याये पंसद कर सकता हैं.
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क्षत्रिय - ब्राह्मण कन्या को छोडकर सभी तीनो वर्ण की कन्याये पंसद कर सकता हैं.
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वैश्य - वैश्य की और शूद्र की ऎसे दो वर्ण की कन्याये पंसद कर सकता हैं.
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शूद्र को शूद्र वर्ण की ही कन्याये विवाह के लिए पंसद कर सकता हैं.- (अध्यायः३:श्लोक:१३) यानी शूद्र को ही वर्ण से बाहर अन्य वर्ण की कन्या से विवाह नही कर सकता.
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७) अतिथि विषयक:-
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ब्राह्मण के घर केवल ब्राह्मण ही अतिथि गीना जाता हैं,(और वर्ण की व्यक्ति नही)
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क्षत्रिय के घर ब्राह्मण और क्षत्रिय ही ऎसे दो ही अतिथि गीने जाते थे.
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वैश्य के घर ब्राह्मण,क्षत्रिय और वैश्य तीनो द्विज अतिथि हो सकते हैं, लेकिन ...
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शूद्र के घर केवल शूद्र ही अतिथि कहेलवाता हैं - (अध्यायः३:श्लोक:११०) और कोइ वर्ण का आ नही सकता...
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८) पके हुए अन्न का स्वरुप:-
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ब्राह्मण के घर का अन्न अम्रुतमय.
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क्षत्रिय के घर का अन्न पय(दुग्ध) रुप.
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वैश्य के घर का अन्न जो है यानी अन्नरुप में.
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शूद्र के घर का अन्न रक्तस्वरुप हैं यानी वह खाने योग्य ही नही हैं.
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अध्यायः४:श्लोक:१४)
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९) शब को कौन से द्वार से ले जाए? :-
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ब्राह्मण के शव को नगर के पूर्व द्वार से ले जाए.
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क्षत्रिय के शव को नगर के उतर द्वार से ले जाए.
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वैश्य के शव को पश्र्चिम द्वार से ले जाए.
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शूद्र के शव को दक्षिण द्वार से ले जाए.
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अध्यायः५:श्लोक:९२)
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१०) किस के सौगंध लेने चाहिए?:-
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ब्राह्मण को सत्य के.
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क्षत्रिय वाहन के.
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वैश्य को गाय, व्यापार या सुवर्ण के.
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शूद्र को अपने पापो के सोगन्ध दिलवाने चाहिए.
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अध्यायः८:श्लोक:११३)
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११) महिलाओ के साथ गैरकानूनी संभोग करने हेतू:-
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ब्राह्मण अगर अवैधिक(गैरकानूनी) संभोग करे तो सिर पे मुंडन करे.
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क्षत्रिय अगर अवैधिक(गैरकानूनी) संभोग करे तो १००० भी दंड करे.
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वैश्य अगर अवैधिक(गैरकानूनी) संभोग करे तो उसकी सभी संपति को छीन ली जाये और १ साल के लिए कैद और बाद में देश निष्कासित.
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शूद्र अगर अवैधिक(गैरकानूनी) संभोग करे तो उसकी सभी संपति को छीन ली जाये , उसका लिंग काट लिआ जाये.
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शूद्र अगर द्विज-जाती के साथ अवैधिक(गैरकानूनी) संभोग करे तो उसका एक अंग काटके उसकी हत्या कर दे.
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अध्यायः८:श्लोक:३७४,३७५,३७९)
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१२) हत्या के अपराध में कोन सी कार्यवाही हो?:-
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ब्राह्मण की हत्या यानी ब्रह्महत्या महापाप.(ब्रह्महत्या करने वालो को उसके पाप से कभी मुक्ति नही मिलती)
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क्षत्रिय की हत्या करने से ब्रह्महत्या का चौथे हिस्से का पाप लगता हैं.
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वैश्य की हत्या करने से ब्रह्महत्या का आठ्वे हिस्से का पाप लगता हैं.
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शूद्र की हत्या करने से ब्रह्महत्या का सोलह्वे हिस्से का पाप लगता हैं.(यानी शूद्र की जिन्द्गी बहोत सस्ती हैं)
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अध्यायः११:श्लोक:१२६)


महिला आन्दोलन के नाम पर हो रहे है ढोंग ,पाखंड ,लूट और षड्यंत्र


आज इंसान लगभग  सभी ग्रहों पर पहुच गया  है लेकिन जांच में आजतक यह नहीं पता चल  पाया की महिलाओं के लिए धर्म ग्रंथो में गुलामी लिखने वाला भगवान रहता  कहा  है .
कमाल की बात यह है की चाँद  और अन्तरिक्ष में पहुचने वाला मर्द  जो पूरी वैज्ञानिकता को जानता है , “ भगवान् और धर्म ग्रंथो की  सारी असलियत  को पहचानने  वाला मर्द  है वह भी जब घर में घुसता  है तो सारी आधुनिकता , सारे खुल्ले विचार , मानवतावाद ,  इंसानियत सब कुछ दरवाजे के पायदान पर झाड कर अंदर घर में घुसता है , , नीलिमा  चौहान की फेसबुक वाल से चोरी किया  गया कथन “

सवाल यह है की आज महिलाय अपने बेसिक अधिकारों के लिए लडती नजर आती है ,इसका कारण पुरुषवादी , ब्राह्मणवादी समाज ही जिम्मेवार नहीं है बल्कि महिलाओं की लड़ाई लड़ने वाली महिलाए  और महिला सन्घठन एक ऐसी मानसिक संस्था के रूप में उभर कर सामने आये है जिनमे महिला अधिकारों के नाम पर महिलाओं के खिलाफ  महिलाए ही षड्यंत्र में जुटी  है
महिलाओं को शिक्षा , सम्पति अधिकार ,  मैटरनिटी  बेनिफिट सब कुछ डॉ. भीम राव आंबेडकर ने १९५६  में ही प्रस्तावित किये  थे , लेकिन उस वक् न सिर्फ  कट्टर हिन्दू संघठनो ने इसका विरोध किया  बल्कि इस कार्य में महिलाए भी सबसे आगे थी  जो महिलाओं को इन अधिकारों के मिलने के खिलाफ  थी जिसका नतीजा यह हुआ की आज  तक महिलाए सिर्फ उन्ही अधिकारों के लिए लड़ रही है जो उन्हें बाबा साहेब ने १९५६ में ही दिलाने की  कोशिस  की थी
महिला आन्दोलन में एक  षड्यंत्र है  यह कहना बढ़ा  अजीब लगता है लेकिन गौर से देखिये को महिला आन्दोलन वो महिलाए चला  रही है जो एक पुरातनवादी / ब्राह्मणवादी विचारधारा को पोषित और पल्लवित करते है मसलन बी जे पी , संघ , भाजपा ये संघठन भी महिला मुक्तो की बाते करते है फिर संस्कृति के नाम पर उसी विचारधारा की तरफ महिलाओं को धकेलते है जो महिलाओं को मानसिक  रूप से गुलाम बनाती  है .


इसके अलावा कुछ महिला संघठन उन महिलाओं के द्वारा चलाये जा रहे है जो जो महिलाए एक तो टाइम पास के लिए एन जी ओ  चलाती है , दुसरा उनके  पति या मर्द ऐसी संस्थाओं में होते है जो उन्हें इन आंदोलनों के नाम पर सरकारी फंड दिलाते है ,  मै ऐसा बिलकुल नहीं कहना चाहूँगा की ये महिलाओं उन पैसो से एश करती है , लेकिन ये बात जरूर  है महिलाओं की असली समस्या से वाकिफ होते हुए भी उनसे दूर  रहती है  हाँ , मीडिया में छाये  रहने के हमेशा प्रयास करती है . और  रहती भी है


तीसरी सबसे बड़ी समस्या महिला आंदोलनों की यह है ये सारे आन्दोलन जाति आधारित रहते है , यानी ये महिलाए या तो उन दबी कुचली दलित गरीब महिलाओं की व् आवाज उठाती है जो  इनके लिए सिर्फ एक विषय भर रहती है , जिनकी आड़  लेकर ये अपनी रोटिया सेंकती  है , हाँ अगर उनकी जाति  या स्वर्ण  जाति  की किसी महिला के साथ कुछ हो जाए तो ये आंदोलनों की बरसात कर देती है , दिन  रात उसमे लगी रहती है , दिल्ली बस बलात्कार काण्ड एक ऐसी ही जातिवादी मानसिकता का उधाह्र्ण  है , रोज दलित , गरीब , मजदूर महिलाओं के बलात्कार होते है लेकिन उनके बारे में ये सिर्फ भाषण  और ब्यान देना चाहिती है ,
ये ही महिलाए , महिलाओं के नाम पर उनके सारे हक खा जाती है  चाहे वो महिला आरक्षण हो या और कोई
सबसे बड़ी बात महिला समस्या जितनी भी विकराल क्यों न हो ये महिलाए अपनी अपनी पार्टी के खिलाफ कभी कोई आन्दोलन नहीं छेड़ती  यानी मतलब साफ़ है फायदा है तो आन्दोलन है