जन उदय : ये बात सब को बड़ी अजीब लगेगी की ऐसा
कौनसा समाज दुनिया में हो सकता है जो अपने
ही समाज के लोगो की हत्या , बलात्कार को जायज समझता है
और बाकायदा इस उत्पीडन और हत्याओं को ये लोग धार्मिक जामा पहनाते
है , और यह कहते है की इन्हें तो भगवान्
ने ऐसा करने के लिए बनाया है , और
यही नहीं शिक्षा सम्पति और अधिकार से ये
लोग वंचित रखते है .. ऐसे लोग क्या किसी सभ्य समाज के हिसा हो सकते है ?? नहीं शायद नहीं ये बर्बर लोग है जंगली लोग है जो इंसानियत और मानवता को
न जानते है न समझते है क्या आप
जानते है की ये लोग कौन है ?? जी
हाँ ये लोग है ब्राह्मण
देश के सबसे बड़े गद्दार , देशद्रोही साबित हुए
ये लोग आज भी दुसरे लोगो को शिक्षा , और मानवाधिकारों से वंचित रखना चाहते
है और अपना शासन स्थापित करना चाहते है
सम्राट अशोक ने अपने राज्य में पशु हत्या पर
पाबन्दी लगा दी थी, जिसके कारन ब्राह्मणों की रोजगार योजना बंद को
गई थी, उसके बाद सम्राट अशोक ने तीसरी धम्म संगती में ६०,०००
ब्राह्मणों को बुद्ध धम्म से निकाल बाहर किया था, तो ब्राह्मण १४०
सालों तक गरीबी रेखा के नीचे का जीवन जी रहे थे, उस वक़्त
ब्राह्मण आर्थिक दुर्बल घटक बनके जी रहे थे, ब्राह्मणों का
वर्चस्व और उनकी परंपरा खत्म हो गई थी, उसे वापस लाने के लिए ब्राह्मणों के
पास बौद्ध धम्म के राज्य के विरोध में युद्ध करना यही एक मात्र विकल्प रह गया था,
ब्राह्मणों
ने अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस लाने के लिए
अखण्ड भारत में मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में
अखण्ड भारत के निर्माता चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक महान
के पौत्र , मौर्य वंश के 10 वें न्यायप्रिय
सम्राट राजा बृहद्रथ मौर्य की हत्या धोखे से उन्हीं के ब्राह्मण सेनापति
पुष्यमित्र शुंग के नेतृत्व में ईसा.पूर्व. १८५ में रक्त रंजिस साजिश के तहत
प्रतिक्रांति की और खुद को मगध का राजा घोषित कर लिया था ।
और इस प्रकार ब्राह्मणशाही का विजय हुआ।
उसने राजा बनने पर पाटलिपुत्र से श्यालकोट तक
सभी बौद्ध विहारों को ध्वस्त करवा दिया था तथा अनेक बौद्ध भिक्षुओ का खुलेआम
कत्लेआम किया था। पुष्यमित्र शुंग, बौद्धों व यहाँ की जनता पर बहुत
अत्याचार करता था और ताकत के बल पर उनसे ब्राह्मणों द्वारा रचित मनुस्मृति अनुसार
वर्ण (हिन्दू) धर्म कबूल करवाता था।
उत्तर-पश्चिम क्षेत्र पर यूनानी राजा मिलिंद का
अधिकार था। राजा मिलिंद बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। जैसे ही राजा मिलिंद को पता चला
कि पुष्यमित्र शुंग, बौद्धों पर अत्याचार कर रहा है तो उसने
पाटलिपुत्र पर आक्रमण कर दिया। पाटलिपुत्र की जनता ने भी पुष्यमित्र शुंग के
विरुद्ध विद्रोह खड़ा कर दिया, इसके बाद पुष्यमित्र शुंग जान बचाकर
भागा और उज्जैनी में जैन धर्म के अनुयायियों की शरण ली।
जैसे ही इस घटना के बारे में कलिंग के राजा
खारवेल को पता चला तो उसने अपनी स्वतंत्रता घोषित करके पाटलिपुत्र पर आक्रमण कर
दिया। पाटलिपुत्र से यूनानी राजा मिलिंद को उत्तर पश्चिम की ओर धकेल दिया।
इसके बाद ब्राह्मण पुष्यमित्र शुंग राम ने अपने
समर्थको के साथ मिलकर पाटलिपुत्र और श्यालकोट के मध्य क्षेत्र पर अधिकार किया और
अपनी राजधानी साकेत को बनाया। पुष्यमित्र शुंग ने इसका नाम बदलकर अयोध्या कर दिया।
अयोध्या अर्थात-बिना युद्ध के बनायीं गयी राजधानी...
राजधानी बनाने के बाद पुष्यमित्र शुंग राम ने
घोषणा की कि जो भी व्यक्ति, बौद्ध भिक्षुओं का सर (सिर) काट कर
लायेगा, उसे 100 सोने की मुद्राएँ इनाम में दी जायेंगी। इस तरह
सोने के सिक्कों के लालच में पूरे देश में बौद्ध भिक्षुओ का कत्लेआम हुआ। राजधानी
में बौद्ध भिक्षुओ के सर आने लगे । इसके बाद कुछ चालक व्यक्ति अपने लाये सर को
चुरा लेते थे और उसी सर को दुबारा राजा को दिखाकर स्वर्ण मुद्राए ले लेते थे। राजा
को पता चला कि लोग ऐसा धोखा भी कर रहे है तो राजा ने एक बड़ा पत्थर रखवाया और राजा,
बौद्ध
भिक्षु का सर देखकर उस पत्थर पर मरवाकर उसका चेहरा बिगाड़ देता था । इसके बाद
बौद्ध भिक्षु के सर को घाघरा नदी में फेंकवा दता था।
राजधानी अयोध्या में बौद्ध भिक्षुओ के इतने सर
आ गये कि कटे हुये सरों से युक्त नदी का नाम सरयुक्त अर्थात वर्तमान में अपभ्रंश
"सरयू" हो गया।
इसी "सरयू" नदी के तट पर पुष्यमित्र
शुंग के राजकवि वाल्मीकि ने "रामायण" लिखी थी। जिसमें राम के रूप में
पुष्यमित्र शुंग और "रावण" के रूप में मौर्य सम्राटों का वर्णन करते हुए
उसकी राजधानी अयोध्या का गुणगान किया थ…
Brahmaan kingdom / dominance was established by Pushyamitr
shung / Parshuram was the chief soldier of vrahdhasth the grand son of King Ashok in 180 BC , Pushymitr shung killed millions of Boudhist People demolished more then 90 thousand
Boudh Vihar and Stupa and
converte them into temple
Brahmins nomads of Europe
and central asia originally came to india in search of food and water and a peaceful life but later by
luring local kings giving them their daughters they got
the place in courts of local king . but
they did as their original nature was , treachery , ungretfulness