जन उदय : तथाकथित हिन्दू
धर्म “ हिन्दू धर्म मुस्लिम राजाओं के आने
के बाद पढ़ा इससे पहले इसकी कोई नाम या
परिभाषा नहीं थी “”” में आपको स्त्रिओ के
अपमान के हजारो उधाह्र्ण मिल जाएंगे ,यही
नहीं स्त्रिओ को मनुस्मिरती में तो सिर्फ भोग की वास्तु , और सिर्फ एक जानवर के
रूप में देखा गया है , जिसे अपना कुछ भी निर्णय लेने का कोई अधिकार ही नहीं है ,
अगर वह स्त्री है तो उसका जीवन में कुछ भी नहीं है , न मन और न ही शरीर
वैसे वेदों आदि में देवी
शब्द भी इस्तेमाल किया गया है लेकिन वही
दूसरी तरफ यह भी बताया गया है की उनके साथ सेक्स कैसे किया जाए
खैर युग बदला सदिया बदली
लेकिन कुछ नहीं बदला तो उच्च जाति के
नीच लोगो की दलितों और स्त्रिओ के प्रति मानसिकता , केरल
में काफी समय तक स्त्रिया मंदिर में अपने वक्ष स्थल को ढक नहीं जा सकती
थी यानी एक तरह से नग्न ही जाति
थी , इसके अलावा देवदासी प्रथा भी
मंदिरों की ही जननी है .
एक बात विशेस रूप से यह
सामने आई है की मंदिरों के पुजारी अब तक देवी यानी का अपमान करते है हमारा एक रिपोर्टर मंदिर गया तो देवी के मंदिर पर पर्दे टंगे हुए थे
सो इन्तजार करने के लिए कहा गया , लेकिन पत्रकार ने पास ही खड़े
श्रद्धालु से पूछ ही लिया की अंदर क्या हो
रहा है , तो दुसरे श्रद्धालु जिसे
इस परम्परा का मालूम था उसने बताया की
अंदर पुजारी देवी के कपड़े बदला रहा है
यह बात बड़ी चोंकाने वाली
थी की देवी के कपडे एक मर्द क्यों
बदल रहा है इस कार्य के लिए किसी स्त्री को क्यों नहीं चुना गया ?? क्या पुजारी
को सबको नंगा करने का अधिकार है ??
हाल ही में अयोध्या में एक
पुजारी ने मंदिर मनेजमेंट पर केस कर दिया की राम लाला को गर्म कपडे नहीं पहनाये गए
इसलिए राम लाला यानी राम मूर्ति को ठंड लग
गई , जब मूर्ति को ठंड लग सकती है तो
मूर्ति की लाज भी उतर सकती है जिसे एक पुजारी रोज उतारता
है