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Friday 25 March 2016

जानिये कैसे करते है पुजारी मंदिरों में देवी के साथ अश्लीलता और अपमान

जन उदय : तथाकथित हिन्दू धर्म “ हिन्दू धर्म  मुस्लिम राजाओं के आने के बाद पढ़ा  इससे पहले इसकी कोई नाम या परिभाषा नहीं  थी “”” में आपको स्त्रिओ के अपमान के  हजारो उधाह्र्ण मिल जाएंगे ,यही नहीं स्त्रिओ को मनुस्मिरती में तो सिर्फ भोग की वास्तु , और सिर्फ एक जानवर के रूप में देखा गया है , जिसे अपना कुछ भी निर्णय लेने का कोई अधिकार ही नहीं है , अगर वह स्त्री है तो उसका जीवन में कुछ भी नहीं है , न मन  और न ही शरीर

वैसे वेदों आदि में देवी शब्द भी इस्तेमाल किया गया है  लेकिन वही दूसरी तरफ यह भी बताया गया है की उनके साथ सेक्स कैसे किया जाए 

खैर युग बदला सदिया बदली लेकिन कुछ  नहीं बदला तो उच्च जाति के नीच  लोगो की  दलितों और स्त्रिओ के प्रति मानसिकता , केरल में काफी समय तक स्त्रिया मंदिर में अपने वक्ष स्थल को ढक  नहीं जा सकती  थी यानी एक तरह से नग्न ही जाति   थी , इसके अलावा देवदासी प्रथा  भी मंदिरों की ही जननी  है .

एक बात विशेस रूप से यह सामने आई है की मंदिरों के पुजारी अब तक देवी यानी का अपमान करते है  हमारा एक रिपोर्टर  मंदिर गया तो देवी के मंदिर पर पर्दे  टंगे हुए थे  सो इन्तजार करने के लिए कहा गया , लेकिन पत्रकार ने पास ही खड़े श्रद्धालु  से पूछ ही लिया की अंदर  क्या हो   रहा है , तो दुसरे श्रद्धालु  जिसे इस परम्परा का मालूम था उसने बताया  की अंदर   पुजारी  देवी के कपड़े बदला रहा है

यह बात बड़ी  चोंकाने वाली  थी की देवी  के कपडे एक मर्द क्यों बदल  रहा है  इस कार्य के लिए किसी  स्त्री को क्यों नहीं चुना गया ??  क्या पुजारी  को सबको नंगा करने का अधिकार है ??  


हाल ही में अयोध्या में एक पुजारी ने मंदिर मनेजमेंट पर केस कर दिया की राम लाला को गर्म कपडे नहीं पहनाये गए इसलिए राम लाला यानी राम मूर्ति  को ठंड लग गई , जब मूर्ति को ठंड लग सकती   है तो मूर्ति की लाज भी उतर सकती है जिसे  एक पुजारी  रोज उतारता  है 

ब्राह्मण : मुस्लिम राजाओं के साथ मिल कर रहे थे ऐश ,नहीं थी कोई साम्प्रदायिक समस्या


जन उदय : अक्सर ये कहा जाता है की भारत में मुस्लिम राजाओं के आने से मुस्लिम राजाओं ने हिन्दू को जबरदस्ती मुस्लिम बनाया , मुस्लिम राजाओं ने मंदिर तोड़े  और हिन्दुओ को  प्रताड़ित  किया

लेकिन ने शोध ने यह साफ़ कर दिया है की मुस्लिम काल में भी केवल ब्राह्मणों को कोई खतरा  नहीं था  या कुल मिला कर सवर्णों को कोई खतरा नहीं था  बल्कि मुस्लिम राजा    सदैव  यहाँ की राजपूत और ब्राह्मणों की मदद से शासन करते  रहे

स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा है कि उनका (ट्रश्के) शोध जो सामान्य धारणाएं हैं, उससे बिलकुल अलग तरह का खाका खिंचता है। सामान्य धारणा यही है कि मुसलमान हमेशा भारतीय भाषाओं, धर्मों और संस्कृति के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया रखते रहे हैं। 


ट्रश्के का कहना है कि समुदायों को बांटने वाली व्याख्याएं दरअसल अंग्रेजों के दौर 1757 से 1947 के बीच अस्तित्व में आईं।

 एक  अन्य शोध में यह सामने आया है की ब्राह्मणों  और सवर्णों को सामान्यत लगने वाला जजिया कर  भी नहीं लगता था  हलांकि  यह कर   सरकार के राजस्व का एक साधन  होता था
कोई भी शासक रहा लेकिन ब्राह्मणों को कोई तकलीफ नहीं होती थी

“”  BRAHMINS WERE EXEMPTED FROM PAYMENT OF JAZIA. AS THEY APPROCHED THE MUSLIMS KING AND SAID THAT THEY ARE INVADERS LIKE THEM . /////////27. LANEPOOL, MEDIEVAL INDIA, P. 104, HISTORY OF PUNJAB, VOL. III, EDITED FAUJA SINGH, PUNJABI UNIVERSITY, PATIALA, 1972, P. 258
ब्राह्मणों की यह तकनीक अंग्रेजी  काल तक चलती रही  और अंग्रेजो  के भी विशेष  कृपापात्र  रहे थे ब्राह्मण ,

मुस्लिम राजाओं से ब्राह्मणों की गहरी पैठ का एक बहुत  बड़ा  कारण यह भी रहा की मुस्लिम शासको ने तत्कालीन  तथाकथित  सामाजिक वाव्य्स्था को कभी नहीं छेड़ा  और न ही जातिवाद में कोई दखल दिया , बल्कि उल्टा यह हुआ की जो ब्राह्मण  और राजपूत  मुस्लिम राजाओं से करीबी के लिए मुस्लिम बन गए  उन्होंने अपने सर नेम कभी नहीं छोड़े  यानी चोधरी , भट , राजपूत   इत्यादि  ये सब मुस्लिम में इसी कारण मिलते है ,  और जाहिर  है जब छोटे छोटे  सामंत लोगो ने इस्लाम स्वीकार किया  तो उनकी मातहत  जनता ने अपनी जाति के साथ इस्लाम स्वीकार किया  जिसके कारण भारतीय मुसलमानों में जाति प्रथा  आई , जा तक मंदिर  तोड़ने की बाते   है  तो जाहिरी  रूप से धन प्राप्ति के लिए मंदिर  तोड़े गए   लेकिन कुछ ख़ास मंदिर  और कुछ राजाओं ने , हाँ बौध मठो को तोड़ कर  मंदिर बनाने के पुरे  सबूत मिले है 

मूह का निवाला तक छीन रहे है गरीबो से , दलितों के उत्थान के नाम का खरबों के फंड से , एश कर रहे है स्वर्ण :::: गन्दा है पर धंधा है एन जी ओ


नई दिल्ली जन उदय , २५  मार्च . एस सी एस टी  ओबीसी के  विकास और उठान के नाम पर जो फण्ड एन जी ओ और अन्य संस्थाओं को मंत्रालय दिया जाता है उस फण्ड की जम  कर लूट हो रही है .. कम से कम जन उदय अखबार के द्वारा की गई जांच और आर टी आई से ये ही सामने आ रहा है.

दिल्ली ही नहीं देश के सभी राज्यों और शहरो में एस सी एस टी और ओ बी सी समुदाय के लोगो को प्रतियोगी परीक्षाओं में कोचिंग के नाम पर कोचिंग संस्थाओं को फण्ड दिया जाता है ताकि ये छात्र वहा से कोचिंग ले कर प्रतियोगी परीक्षाओ में भाग ले सके .  और ये फण्ड   हजारो करोड़ में  होता है लेकिन इसका लाभ कभी भी उन छात्रो को नहीं मिल पाता जो इसके लिए होते है , बल्कि इन छात्रो और वर्गों के नाम पर बहुत सारे एन जी ओ इन पैसो को खा जाते है  और ये सब होता है मंत्रालय के अफसरों और इन संस्थाओं की मिली भगत से 
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जन उदय अखबार ने जब इस विषय में समाजिक न्याय और शाश्क्तिकरण मंत्रालय  में आर टी आई डाली  तो पहले तो अफसरों ने इस आर टी आई के जवाब में सूचना देने से मना कर दिया . लेकिन जब अपील की गई तो आर टी आई का जवाब तो आया लेकिन अधुरा ... ये सिर्फ एक सवाल का जवाब जिसमे पूछा गया था की फोटोन आई एस अकेडमी  के मेम्बर और उनके पता क्या है ... दूसरा महत्वपूर्ण सवाल जिसमे पूछा गया की आपने दिल्ली में किन किन संस्थाओ को एस सी एस टी ओबीसी  की कोचिंग के लिए किन किन संस्थाओ को फण्ड दिया गया है .... इस सवाल का जवाब देना मंत्रालय  उचित ही नहीं समझता ..... सरकार का पैसा , पब्लिक का पैसा , और पब्लिक का पैसा सरकार कहा खर्च करती है , क्या करती है उस पैसे का ये जनता को जानने का पूरा हक है .. लेकिन सरकारी अधिकारी  इस बात को नहीं मानते ....

बात सिर्फ इतनी नहीं है  इस बारे में जन उदय के सम्पादक सुरेन्द्र कुमार ने समाजिक न्याय और शाश्क्तिकरण मंत्रालय  में सचिव , मंत्री आदि सभी संबधित अधिकारिओ को  शिकायत लिखी . लेकिन किसी भी खत का जवाब नहीं आया और न हो कोई कार्यवाही  हुई
दिल्ली का देश में ऐसी बहुत सारी  संस्थाए है जो एस सी एस टी और ओबीसी के नाम पर खूब फण्ड लेती है फाइलों में उनके स्कूल , कोचिंग सेंटर चलते है , और फाइलों में तरक्की दिखा दी जाती है ..

जन जन उदय अखबार ने  ऐसी ही एक संस्था के बारे में शिकायत की और आर टी आई में पूछा की क्या आपने फोटोन आई ए एस अकादमी जिसको कोचिंग के लिए फण्ड दिया गया , आपने जा कर उस संस्था  को देखा ???   की वो मौजूद है या नहीं , ?? या वहा पर कितने छात्र  है , कितने छात्रो की वव्य्स्था क्या है , क्या सहूलियत है छात्रो के लिए  ...  आर टी आई का जवाब  है नहीं ...

सवाल ये है की जब सरकार को ये मालूम ही नहीं की कितने  छात्रो को फायदा किस संस्था से हुआ  , कितने छात्र को लाभ हुआ ... तो सरकार किस काम के लिए हजारो करोड़ का फण्ड बाट रही है ??
सिर्फ इसलिए की ये दिखाना है की हम वंचित समाज के लिए काम कर रहे है ..??
या सरकारी पैसे की लूट जैसे चल रही है चलती रहे क्योकि लूटने वालो में अफसर और नेताओं के प्यारे प्यादे भी होते है और ये एक साझा लूट होती है