Apni Dukan

Saturday 7 May 2016

रोहित वेमुला , डेल्टा और जीशा की हत्या के लिए न्याय के आन्दोलन को खत्म करना चाहते है वामपंथी छात्र आन्दोलन


जन उदय : अगर हम १९४७ के पहले के वामपंथी आंदोलनों का सही सही विवेचना करे तो हम  पायंगे की वामपंथी आन्दोलन की इन वामपंथी आंदोलनों का मुख्य उदेश्य  दलित आंदोलनों को खत्म करना था कमजोर करना था न की समाज में एकता , समानता और समाजवाद लाने में इनकी कम दिलचस्पी बहुत कम थी  बल्कि यु कहे ये आन्दोलन दलित आन्दोलन को कजोर करने के षड्यंत्र थे

आजादी के बाद भी दलित आन्दोलन सिर्फ इसलिए कामयाब नहीं हो पाए क्योकि ये लोग दलित युवाओं को समानता और समाजवाद के नाम पर भ्रमित करने में कामयाब रहे सारे के सारे दलित युवा हमेशा इनके पीछे  लगे रहे  , दलित  युवा ये कभी नहीं समझ पाए कि  इन वामपंथी आंदोलनों में सिर्फ और सिर्फ ब्राह्मण  और  उच्च  जातिय  मुसलमान ही क्यों शीर्ष पर रहे .. कभी भी इन आंदोलनों में दलित आगे नहीं आये जबकि ये सारे आन्दोलन चलते रहे दलितों के नाम पर गरीबो के नाम पर

कुल मिला कर  ये वामपंथी लोग दलितों को अपने आन्दोलन के लिए इंधन की तरह इस्तेमाल करते रहे लेकिन दलितों को कभी उनका हक नहीं मिला

 हाल ही में हैदराबाद  सेंट्रल यूनिवर्सिटी में रोहित वेमुला की संस्थानिक  हत्या ने दलित आन्दोलन ने  पूरी दुनिया  को हिला दिया था , पूरी दुनिया में इस हत्या की निंदा  हो रही थी .. ये वामपंथी कभी भी रोहित वेमुला के जिन्दा रहते कभी दलित छात्रो के साथ नहीं आये लेकिन रोहित वेमुला की हत्या से फायदा उठाने तुरंत आ गए


जब आन्दोलन कम न हुआ तो वामपंथी छात्र ब्राह्मणों के इशारे पर कन्हिया को लेकर एक अन्य षड्यंत्र को जन्म देने लगे इसके बाद यही हुआ यानी जे एन यु षड्यंत्र जिसके बाद रोहित वेमुला की हत्या को लोग भुलाने लगे .. इसके बाद डेल्टा मेघवाल का 
बलात्कार और हत्या हुई  जैसे ही डेल्टा आन्दोलन ने टूल पकड़ा  फिर जे एन यु में एक और षड्यंत्र हुआ उसमे भी वामपंथी  यानी कन्हीय्या  आगे आ गया  इसके बाद जीशा की हत्या और बलात्कार के मसले को फिर जे एन यु ने दबा दिया और अब फिर दुबारा से इसी तरफ आगे बढ़  रहे है . यानी कुल मिला कर दलित आन्दोलन को कमजोर करना सिर्फ यही है वामपंथी आन्दोलन का मकसद  वामपंथी यानी ब्राह्मणों का एक और संघठन 

दलितों करे ब्राह्मणों का सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार


जन उदय : दुनिया   चाँद पर पहुच गई लेकिन संघी ब्राह्मणों के दिमाग अभी भी गटर में ही रह्तेहाई ये लोग चाहे जितना भी पढ़ लिख  लिख ले लेकिन लेकिन ये लोग जाहिल ही रहेंगे .

ये ही दुनिया की एक ऐसी जाति है जो जहा   जाते है वही अपनी दिमाग की  गंदगी वहा वहा फैलाते है
हाल ही में कुम्भ में दलितों के लिए अलग स्थान   बनाया और उसका कारण संघी गधे ये बता रहे है ये लोग गंदे होते है

हमारे देश में सामाजिक परिवर्तन की लहर चल पढ़ी  है और इसको आगे जभी  बढाया जा सकता है जब दलित लोग आर्थिक और सामाजिक रूप से जयादा शक्तिशाली होंगे  और इसके लिए एक सामाजिक स्तर पर दलितों को एक मुहीम चलानी होगी यानी  रोज मर्रा के सारे  सामान  सभी लोग सिर्फ दलितों की दूकान से ही खरीदे , अगर यह सम्भव न हो तो तो सभी लोग पैसा इकट्टा कर थोक में ले आये

इसके अलावा दलित लोगो को सवर्ण लोगो के खेतो  और फक्ट्री में काम नहीं करना चाहिए
ये कुछ लोगो को बढ़ा  अजीब लगेगा  लेकिन एक बार अगर दलित इन ब्राह्मणों का सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार शुरू कर देंगे तो बाजी जल्द ही दलितों के हाथो में आ जाएगी ,


रही मन्दिरों में और भगवानो की बात तो जिनको जरूरत है वो अपने मंदिर बना ले और खुद ही चढ़ावा  खुद अपने सामाजिक की भलाई के लिए लगाए  या फिर इतनी ताकत रखे अगर कोई इस तरह की हरकत करे की जाति  के नाम से उन्हें मन्दिर में न जाने दे   या जो कुम्भ में हुआ  तो जूता  लेकर उसकी पिटाई  करो


इसके अलावा  दलित इन ब्राह्मणों  से कोई भी सामाजिक  रिश्ता  न रखे  इनके आने पर  थूके  और अपने  पास ही न  आने दे

वो दलित नेता जिनकी बहन और बेटी के बलात्कार के बाद भी सत्ता के लालच में नहीं खोला अपना मूह , जानिये कौन कौन है वो ??

जन उदय :  क्या आपने ऐसे लोग देखे है जो पैसे और सत्ता के लिए अपनी बहन बेटी को भी दाव पर लगा दे , उन्हें बेच दे , या किसी को उनकी इज्जत के साथ खिलवाड़ करने दे , या उनका बलात्कार भी हो जाए तो तो कुछ पैसे या सत्ता में कुछ पद  ले कर चुचाप बैठ  जाए ??? शायद नहीं देखे होंगे या देखे होंगे या सुने होंगे तो सालो के बाद कही कोई या शायद बिलकुल नहीं 

लेकिन आजकल दलित नेता ऐसे है जिन्होंने नीचता की हद पार कर दी है ये लोग पैसे और सत्ता के इतने भूखे हो गए है जिन्हें अपने परिवार और रिश्तो तक की बली चड़ा  दी है शायाद इसे कहते है इंसानियत का मर जाना या आँख का पानी मर जाना
आप सभी सोचंगे की ऐसे नेता कौन है ?? क्या ऐसा सचमुच हुआ है , ?/  

बिलकुल ऐसा  ही हुआ है और जितने भी दलित नेता है सबने ये काम किया है क्योकि एक तरफ ये दलित नेता दलितों के नाम पर वोट लेते है या सत्ता में हिस्सा लेते है है और दलित लोग भी इसी उम्मीद में इनको चुनते है की ये लोग आगे जा कर इनके दुःख दर्द्द में भागी बनेंगे अगर कोई मुसीबत आयगी तो ये नेता इनका साथ देने आयंगे , क्योकि दलित  होना अपने आप में सजा  है  तो शायद ये लोग इनका दर्द समझेंगे और इनके बीच एक रिश्ता होता है , इंसानियत का भाईचारे का  और दलित होने का
लेकिन ये दलित नेता सिर्फ अपनी कुर्सी संभालने में लगे है , 


पुरे देश में दलितों की हत्याए  हो रही है लडकियो के बलात्कार हो रहे है लेकिन ये नेता कुछ नहीं बोलते

डेल्टा , और जीशा  के बलात्कार  और हत्या ऐसे मामले है जिससे दलितों को एकदम सचेत हो जाना चाहिए  और आंदोलित हो जाना  चाहिए क्योकि अब ब्राह्मणों ने नई  रणनीति  अपना ली है दलितों को फिर से गुलाम बनाने  के लिए , सबसे पहले की शिक्षा  छीन ली जाए दलितों से दूसरा  पढ़े  लिखे और मेधावी  दलित  छात्र  छात्राओं  की    हत्या  यानी जल्द पतन

अब दलितों के उपर है की वो लोग सबसे पहले इन दलित  नेताओं को जूता  मारते   है या इनको  अपनी दलाली  के लिए छोड़ते  है