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Friday 11 March 2016

भारतीय संस्कृति के नाम पर ब्राह्मणवाद को बढ़ावा :श्री श्री रवि शंकर भारतीय संस्कृति के नाम पर क्या जातिवाद और महिलाओं के उत्पीडन को भी बताते है ??


यह बात किसी से छिपी  नहीं  है  की  भारत का सविंधान न सिर्फ अभिव्यक्ति की आजादी  देता है बल्कि हर जाति  , समुदाय , धर्म के लोगो को अपने रीती रिवाज आस्था के  साथ सम्मानीय जीवन जीने की भी आजादी मौलिक अधिकारों में देता है .

आर एस एस  जो  की ब्राह्मणों का एक अतिवादी संघठन है अपनी स्थापना  से ही देश में धर्म और संस्कृति के नाम पर लोगो को बरगलाता आया है , देश  में होने वाले आज तक तक सभी दंगो में सीधा  उलटे  तरीके से संघ का हाथ   रहा है .
कभी गंगा बचाओ , कभी मंदिर , कभी गोमांस  कभी महिसासुर , कभी देशद्रोह के नाम पर संघ ने देश में न सिर्फ तनाव पैदा किया है बल्कि देश को  भाषा और संस्कृति के नाम पर  बांटने का काम किया है .

हाल ही में हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविध्यालय में दलित छात्रो पर जो प्रशासनिक जुल्म हुए जिसकी वजह से रोहित वेमुला नाम के दलित छात्र को आत्महत्या करनी पड़ी  , इन  छात्रो  से संघ को सिर्फ इसलिए परेशानी   थी कि  ये छात्र अम्बेडकरवादी सन्घठन से जुड़े थे और हमेशा सभी के लोकतांत्रिक हको के लिए आवाज उठाते  थे , ब्राह्मणों द्वारा फैलाई जा  रही कुत्सित और घ्रणित विचारधारा के खिलाफ  थे , 

विश्विध्यल्या में गोमांस खाने की आजादी की बाते करते क्योकि ये एक बहुत बड़े समुदाय की खान पान संस्कृति से जुडी थी , लेकिन संघ  की  विचारधारा  के  लोग हमेशा इस बात के खिलाफ  थे और वो गोमांस खाने को देशद्रोह से जोड़ कर देखते  थे  संघी  ये भी बताते  थे की  यह ब्राह्मणों  का पवित्र पशु  है  और ये इश्वर का वरदान  है ..

लेकिन शोध आदि  से यह  भी  पता  चल गया  की  प्राचीन काल में स्वव्म  ब्राह्मण गोमांस  खाते   थे  बल्कि मारकंदय  पुराण में  तो यहाँ तक  बताया  गया  है कि मृत  पितरो  को गोमांस अर्पित करने से वो बहुत तृप्त  हो  जाते  है . . इसके अलावा  बहुत सारे और दृष्टांत   ब्राह्मण द्वारा  रचित ग्रंथो में मिल जाएंगे  
तो आज इन  बातो  के  लिए  संघ  का  यह आतंकी    रवेय्या  क्यों  ??

इससे पहले मंदिर के नाम पर  गुजरात में मुंबई में हम बहुत खून खराबा  देख  चुके  है , कोई कहे  नहीं  लेकिन तीस  सबके दिल में  .
यही  हाल  जे एन यु  में  हुआ   जहा छात्रो  को देशद्रोह के जूठे  आरोप लगा कर जेल में दाल  दिया   गया  है

सवाल  यह  है  की  क्या कोई  भी व्यक्ति , समुदाय ,अगर समाज में फैली बुराई  के खिलाफ अगर बोलेगा  तो  क्या उसे देशद्रोही कहा जाएगा ?? या सीधा सीधा  कहे  कि अगर ब्राह्मणों  द्वारा  फैलाई जा  रही मानसिकता के  खिलाफ बोलेगा   तो वह  देशद्रोही  होगा ?? क्या इस  तरह ब्राह्मण  इस  देश  को  अपना सांस्कृतिक  गुलाम  बनाना  चाहता  है ??   और जो नहीं  मानेगा  वो  देशद्रोही  होगा  , ऐसे कई  लेखक , कलाकार  है   जिनकी हत्या संघ करवा चुका  है 

आज  संघ के पास  देश की  कमान  है  यानी ये  लोग सत्ता  में है  इसका मतलब  यह  नहीं  की  ये  लोग हमेशा  के लिए  सत्ता  में आ चुके  है  समय और लोकतंत्र  का पहिया  हर तानाशाह को कुचल  देता  है संघ को भी कुचल देगा    और जब  ये  लोग  सत्ता  में  नहीं  होंगे  तब इनके लिए बहुत मुश्किल  होगी .  इसके  अलावा इन  लोगो को ये बात  अपने मन  में बिठानी  ही होगी  की  ये  देश  किसी  का गुलाम  नहीं  है


ये  बात  अलग  है की विदेशो  से आये आर्य /  ब्राह्मण एक समय आने पर  कत्ले आम करके इस  देश  के शासक  बन  गए  और यहाँ के  मूलनिवासी लोगो  को अपना सांस्कृतिक  गुलाम बना लिया  अपने  लिए   ग्रन्थ  लिख  लिए   की  उन्हें  भगवान्  ने भेजा  है  आने  वाली नसले गरीब कमजोर , निरक्षर   रहे  और उनकी अज्ञानता  का फायदा  ब्राह्मणों  को  मिलता  रहा लेकिन  आज  तो  ये  मूलनिवासी पड़ लिख  गए  है और अपने इतिहास को  जानने  लग गए  है , दूसरी  बात अगर  आपको  अपने रीती रिवाज की  इतनी  परवाह  है  

तो  आप  कैसे किसी  दुसरे  जाति  धर्म  के  बारे  में अपमानजनक बाते  कह  सकते   है  ??? सबसे   पहले   ब्राह्मणों  को   अपने  आपको  सुधारना  होगा  और  इस   देश  को  अपना सांस्कृतिक   गुलाम  समझना  बंद  करना  होगा   तभी   इनका  भविष्य  इस  देश  में सुरक्षित  रहेगा  , क्योकि  ताकतवर , अत्याचारी कभी   सलामत  नहीं   रहे  , इतिहास   गवाह  है 

सलवा जुडूम है कांग्रेस और भाजपा का आतंकवादी संघठन ,आदिवासिओ की हत्या के लिए बनाया गया

नई दिल्ली।  सलवा जुडूम एक आदिवासी शब्द होता है। जिसका अर्ध होता है 'शांति का कारवां'
इसकी शुरुआत कांग्रेस ने की थी कहने को तो यह  संगठन  नक्सलवाद को खत्म  करने में सरकार की  मदद करना क्योकि इसके लिए महेंद्र वर्मा को चुना गया क्योकि वह भी पहले नक्सल था और ये उम्मीद थी की ये नाक्सालियो से बात करके उन्हें भी मुख्य धारा में जोड़ेगा लेकिन महेंद्र कर्मा का यह दल जो कांग्रेस  चला रही थी  धीरे धीरे एक आतंकी संघठन में बदल गया 

अब इसका काम सीधे सीधे  तोर पर नाक्सालियो को दबाना उनकी आवाज दबाना , उनकी हत्या करना  बन गया  . इन हत्याओं की वजह यह थी की उसका कांग्रेस में होना  और पूंजीपतियो को इन इलाको में जो जमीन चाहिए   उसी जमीन का इंतजाम  सलवा जुडूम करता था 

हालांकि ये जमीने पुजीपतियो को कोई न कोई उद्योग लगाने या खनिज निकालने के लिए सरकार द्वारा दी जाति है लेकिन इनके आड़े हमेशा वो आदिवासी आते है जो अपनी जमीन देना नहीं चाहते  वो अपने जंगल , जल जमीन के साथ ही जीना चाहते है  और उसी में मरना  चाहते है ,

लेकिन सरकार यह बर्दास्त नहीं कर सकती   ओड़िसा , मध्य प्रदेश , बिहार , झारखंड , महाराष्ट्र  आदि में आदिवासी जमीने नहीं देते  तो सरकार पुलिस प्रशासन की मदद से इन आदिवासिओ को प्रताड़ित करती रही जबर दस्ती आदिवासिओ को जेल में डाल  देती है , सलवा जुडूम  दरअसल आदिवासी के खिलाफ यही काम करता है , आदिवासियो की हत्या , बलात्कार , बिना जुर्म के जेल  और ये काम सलवा  जुडूम  कांग्रेस  और भाजपा की मदद से करता है .

सलवा जुडूम के जुल्मो से परेशान हो कर कई आदिवासी जंगलो में भाग जाते है और नक्सली बन जाते है , सोनी   सोरी पर हुए जुल्म इसी सलवा जुडूम और सरकारों के उधाहर्ण है

जिस दिन सरकार इन आदिवासिओ पर जुल्म खत्म कर देगी  उसी दन ये नक्सलवाद भी खत्म हो जाएगा , कमाल की बात यह है की हर सरकार हजारो करोड़ का बजट  नक्सलवाद को खत्म करने के लिए देती है  , कोई भी सरकार  इतना ही बजट अगर आदिवासिओ के विकास के लिए खर्च करे तो क्या ये जंगल में भाग कर नक्सल बनेंगे ??




मुसहर समुदाए की उपलब्धि समुदाए का पहला छात्र TISS में शाक्षात्कार के लिए चुना गया।


बसंत कुमार, सीमरी गाँव का रहने वाला एक माँझी समुदाय का लड़का जिसे TISS मुंबई से मास्टर इन सोशल वर्क के लिए अभी हाल ही में शाक्षात्कार के लिए चयन किया गया है। बसंत कुमार, दनरुआ ब्लाक में एकलौटा माँझी (मुसहर) समुदाए का युवा है। कुमार अति ग़रीब परिवार से आते है दूसरों के खेतों में मज़दूरी करके पूरा प्रवर अपनी दिंचारिया को चलता है कुमार का परिवार आर्थिक तौर पर ज़्यादा मज़बूत नहीं है।

कुमार का परिवार का आर्थिक मदद सिर्फ़ और सिर्फ़ खेतों में मज़दूरी करके जो आमदनी होती है उस पर निर्भर करती है । कुमार, ने अपनी शिक्षा को बड़ी ही मुश्किलों से प्राप्त किया है, अपने परिवार को आर्थिक मदद में सहायक के तौर पर दूसरों के खेतों में ख़ुद मज़दूरी करते है। बसंत ने अपनी शिक्षा को पूरा करने के लिए अपने ही टोले के बच्चों को घर घर जाकर उन्हें पढ़ता था। इतना ही नहीं बसंत अपने पूरे ख़ानदान में एकलौटा युवा है जिन्होंने उच्च शिक्षा तक अपना सफ़र जारी रखा।


माँझी समुदाए में कम उम्र में शादी करने के प्रचलन बहुत ज़ोरों शोरों से है, यह एक लौटा माँझी समुदाय का युवा हैं जिन्होंने ख़ुद बाल विवाह की प्रथा को चुनौती दी। इससे पहले किसी भी मुसहर समुदाए के युवा ने ना तो शिक्षा और नहीं बाल विवह के लिए किसी भी तरह से आवाज़ उठाई।

उपेन्द्र कुमार माँझी, जो की बिहार अम्बेडकर छात्र मंच(BASF) में राज्य संयोजक के तौर पर काम करते है बताते है, “बसंत में पढ़ने की लगन बहुत शुरू से ही ज़्यादा रही है, यह जो भी काम करनी की ठानते है, उसे किसी भी तरह पूरा करने के लिए पुनर्ज़ोर प्रयास करते है। यह अपने टोले के सारे बच्चों को प्रेरित किया करते है। अपने समाज को पढ़ाने के लिए एक सपना है बसंत कि आँखों में जो मैं हमेशा से देखता रहा हूँबसंत कुमार BASF में २०१५ से स्टेट कौर कमिटी के मेम्बर के तौर पर काम करता आ रहा है। उन्होंने BASF २०१५ से आज तक कई युवा, बच्चों की शिक्षा को लेकर नए नए प्रोग्रामों के माध्यम से शिक्षा के लिए काम किया है। बसंत कुमार, कम्यूनिटी लीडर एंड यूथ (क्ले) छात्रव्रती कार्यक्रम में भी एक प्रतिस्थित युवा नेता के तौर पर काम करते आ रहे है। अपने गाँव में ही कई जगह शिक्षा केंद्रों माध्यम से शिक्षा पर मजबूतो तौर काम करता आ रहा है।


बसंत कुमार का गांधी छात्रवृति में भी शाक्षात्कार के लिए चयन हुआ था। और अब पहली ही बार में TISS में मास्टर इन सोशल वर्क के लिए शाक्षात्कार के लिए चयन हुआ है। यह मुसहर समुदाए के लिए 
csei.org.in 

देशदोह की संस्कृति सिखा रहे है श्री श्री रवि शंकर विश्व संस्कृति महोत्सव के नाम पर पर


स्वयं घोषित विश्व शांति दूत और विश्व शांति गुरु श्री श्री रवि शंकर का विश्व  संस्कृति महोत्सव अपनी कार्य प्रणाली की वजह से विवादों में है ,  इस समारोह को यमुना  की रखवाली में लगे विभागों से पूर्ण रूप से मंजूरी नहीं मिली थी , बल्कि कुछ विभागों ने इसे गैर कानूनी भी ठहराया   क्योकि इससे यमुना के आस पास और यमुना के  वेजी सिस्टम  और इको सिस्टम को खतरा है  और यमुना को बर्बादी की कगार पर खड़ा कर दिया है .

इन विवादों के चलते नेशनल ग्रीन   त्रुबनल ने श्री श्री रवि शंकर पर पांच करोड़ का   जुरमाना भी
लगाया है  जिसे श्री श्री रवि शंकर ने देने से मना कर  दिया है

बड़ी दिलचस्प बात यह है की श्री श्री रवि शंकर ये समारोह दुनिया के सामने भारत की संस्क्रती को रखने की बात कर रहे है , अब  इन जनाब से ये कोई पूछे की आप किस तरह की संस्कृति को  विश्व को सिखाना  चाह   रहे है वो कैसी   संस्कृति है ??

श्री  श्री रविशंकर  अपने देश के कानून की इज्जत नहीं करते , सविंधान की इज्जत नहीं करते  तो इससे बड़ी बात क्या हो सकती है ??  क्योकि किसी भी देश का कानून उस देश का सविंधान ही वहा की राष्ट्रीय संस्कृति को निर्धारित करता है  उसका निर्माण करने में साहयक होता है , और श्री श्री रवि शंकर उसी सविंधान और कानून का मजाक बना रहे है , 

नेशनल ग्रीन त्रुबनल  ने श्री रवि शंकर पर  पांच करोड़ का जुर्माना किया है और यह ताकीद दी है की समारोह के शुरू होने से पहले श्री रवि शंकर  इस जुर्माने की अदायगी करे , लेकिन सत्ता के नशे में  चूर श्री श्री रवि शंकर  जो की नरेंद्र  मोदी , भाजपा  और संघ के समर्थक और घटक दल के है  इन्हें इस बात से कोई फर्क ही नहीं पड़ता  है की ये कितना बड़ा अपराध कर रहे है .

सवाल न्याय  का और रवि शंकर के मौलिक अधिकारों का भी है लेकिन इस तरह की प्रक्रिया  जहा पर रवि शंकर देश के कानून को धत्ता  बता   रहे है और नेतिक रूप से एक देशद्रोह वाला उधाहर्ण पेश कर रहे है जो सरासर गलत है गैरकानूनी  है  अनैतिक है  श्री रवि शंकर के इस अपराध से देश में ही नहीं दुनिया में गलत संदेश  जाएगा , इनको ये समझ लेना   चाहिए की ये देश   इनकी  निजी सम्पति नहीं है

और वैसे भी  श्री श्री रवि शंकर  भारतीय संस्कृति  के नाम पर ब्राह्मण संस्क्रती को फैला  रहे है