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Sunday 13 March 2016

संघ ड्रेस नहीं अपनी आतंकी और देशद्रोह वाली सोच बदले

संघ ड्रेस नहीं अपनी आतंकी और देशद्रोह वाली सोच बदले
संघ ने त्यागा खाकी निक्कर ,लेकिन नहीं बदली मानसिकता और देशद्रोही चरित्र
अपनी राष्ट्रीय मीटिंग में आर एस एस ने अपनी वर्दी को बदलने का फैसला किया है  आर एस एस का मानना है की यह वक्त की मांग है एक हम अपनी वर्दी बदले ,  गैर तलब है की आजकल के माहोल में आर एस एस अपने आपको अपने सभी देशद्रोही वाले कामो के बावजूद , अपने सभी अनैतिक कामो के बावजूद , अपने  सभी अपराधिक कार्यो के बावजूद अपने आपको देशभक्त  साबित करना चाहे है

और यह कदम इसी राह में है , अब इनसे कोई ये पूछे  की आप दलितों के पुरे गाव जला देते है सिर्फ उनकी जमीने हडपने के लिए  , आप दलित छात्रो को पढने से रोकते है  आप गोमांस के नाम पर दंगे कराते है , लोगो के घरो में जबरदस्ती घुस कर आपके गुंडे उनकी हत्या कर देते है , देश की दौलत पूंजीपतियो के हाथो  लूटवाते है , आपके गुर्गे  लोगो ने पुरे देश में आतंक का माहोल  बनाया हुआ है  और अपने आपको देशभक्त कहते है

वैसे ये बात जान लेते है की संघियो ने इस तरह की ड्रेस कोड कहा से लिया तो बताया  जाता है की १९२० के कोंग्रेस अधिवेशन से प्रभावित हो कर  जिसे  कार्यकर्ताओं  ने इस तरह की ड्रेस पहनी थी संघ  ने भी इसी तरह की ड्रेस के अपनाया
इसके बाद १९४० और १९७३ में इसे फिर से परिवर्तित किया गया  , सवाल इस बात  का है क्या कोई व्यक्ति एक ख़ास तरह की पोशाक पहनने से देशभक्त बन जाता है ??  जवाब है नहीं


संघ एक ऐसा दल है जो संस्कृति के नाम पर इस देश में आतंक मचाये हुए है ,  अंधविश्वास , जातिवाद सम्प्रद्यवाद ये ही इनके हथियार है . चलिए ड्रेस आपने बदल ली लेकिन ड्रेस बालने के बाद ब्यान  क्या आया , ?? आरक्षण खत्म करो .. क्या संघ को ये नहीं मालूम की ७९ % सीट सिर्फ ब्राह्मण चट  करे बैठा है  ??  क्या अपने आपको  यानी ब्राह्मणों  को नौकरी  के एग्जाम देने से हटायेगा   संघ  ताकि बाकी सभी जातिओ के लोगो को नौकरी मिल सके ??  और आरक्षण का लाभ सही मायने में  लोगो तक पहुचे , शायद नहीं  क्योकि  ये लोग सिर्फ  ब्राह्मणों की पार्टी है और किसी भी  तरह सिर्फ  ब्राह्मणों  का ही भला करते है