जन उदय : रोहित
वेमुला की संस्थानिक हत्या के बाद देश में ही नहीं दुनिया में भारत का नाम
बदनाम हुआ है , इस हत्या की ख़ास बात यह है की यह पूरी तरहस से षड्यंत्रकारी और
योजनाबद्ध थी जिसको अंजाम जातिवादी तरीके से दिया गया
इसके बाद यह जातिवादी षड्यंत्र यही नहीं रुका है सरकार उन लोगो पर
लगातार दमनकारी कार्यवाही कर रही है जो लोग रोहित वेमुला के लिए न्याय की मांग कर रहे है ,इसकी एक ख़ास
बात यह है की पुलिस और सरकार सिर्फ दलित छात्रो और शिक्षको को चुन चुन कर निशाना
बना रही है .
हालांकि रोहित वेमुला न तो
अंतिम दलित छात्र है जो जातिवाद का शिकार हुआ है और न ही पहला
इससे पहले भी काफी छात्रो को जातिवादी तरीके से शिकार बनाया गया है
इसी श्रंखला में एक नया नाम
आया है है राजेस्थान की डेल्टा का जो
रोहित वेमुला की तरह एक मेघावी
छात्रा थी और जिसे कई राष्ट्रिय पुरूस्कार मिल चुके है
१७ साल की डेल्टा राजेस्थान
के बारमेर जिले के एक छोटे से गाव की रहने वाली थी और वही के जैन आदर्श टीचर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट फॉर गर्ल्स
नोखा , बाड़मेर से बी एस टी सी कर रही थी जो १२ क्लास के बाद होता है
राष्ट्रिय स्तर के इनाम जीत
चुकी डेल्टा एक बहुत अच्छी पेंटर थी और उसी में शिक्षा के द्वारा अपना भविष
बनाना चाहती थी
२९ मार्च २०१६ को होस्टल के
पानी के टैंक के पास संधिद्ग अवस्था में डेल्टा की लाश मिली , जहा से कचरा ढोने
वाली गाडी में उठा कर अस्पताल ले जाया गया ,
होस्टल के कर्मचारियो ने बताया की
डेल्टा ने आत्महत्या कर ली है क्योकि उसे पी टी टीचर के साथ अपातिजंक
अवस्था में पकड़ लिया गया था , जिसके चलते
उसने शर्म से आत्महत्या कर ली
पुलिस और प्रशासन की ही
बाते मान ले तो अगर डेल्टा को आपतिजनक अवस्था में
पी टी टीचर के साथ पकड़ लिया गया तो
इस बारे में डेल्टा के घर वालो को सूचित क्यों नहीं किया गया
दूसरी बात होस्टल में छुट्टिया में थी और वहा सिर्फ चार लडकिया था , डेल्टा भी होस्टल में अपने पिटा के साथ २८
तारीख की सुबह ही होस्टल पहुची थी , २८ तारिख को ही रात को आठ बजे डेल्टा ने फोन
कर अपने पिता को बताया था की होस्टल की
वार्डन प्रिया शुक्ल ने जबरदस्ती डेल्टा को पी टी टीचर
के रूम में भेजा सफाई करवाने के
बहाने से , जिसके बाद दुसरे दिन डेल्टा की
लाश मिली
इस हत्या से कई बात सामने आई
है की अगर डेल्टा किसी टीचर के साथ आपतिजनक अवस्था में पाई गई तो इसकी सुचना डेल्टा के माँ बाप को क्यों नहीं
दी गई ,
इसके बाद उस टीचर पर कार्यवाही क्यों नहीं की गई , सर माफ़ी
नामा क्यों लिखवाया गया इसके
बाद किसी भी स्थान की फोरेंसिक
जांच नहीं की गई है , लाश को बड़े ही गंदे तरीके से कचरे
की गाडी में ले जाने का मतलब है की
सबूतों को नष्ट करना होस्टल की वार्डन प्रिया शुक्ला पर कारवाही क्यों नहीं की जा रही ,कोलेज पर कार्यवाही क्यों
नहीं की जा रही .
केस को दबाने के लिए पुरे जातिवादी
लोग सामने आ गए है , अब देखना यह है की इन्साफ जीतेगा या ये जातिवाद आतंकवाद