जन उदय : अपने मूह मियाँ मिटठू
बनना , ये कहावत तो आपने बिलकुल सुनी ही होगी जिसका मतलब होता है की अपनी
झूटी तारीफ़ खुद करना , जी हां
सबसे बड़ी तारीफ़ है है की अपने आपको विश्व गुरु बताना , खैर
मान भी ले की भारत विश्व गुरु था और इसका दुनिया में नाम था तो भी ये काल
सबसे पहले ब्राह्मणों का शासन काल नहीं था
और न ही ऐसी किसी प्रतिष्ठा में इनका कोई योगदान
अब उधाह्र्ण के लिए एक बात
देखिये की हमें शुरू से बचपन से ही बताया जाता है की दुनिया में जीरो भारत ने दिया
और गणित के ज्ञान की परम्परा को आगे बढया
जो की सरासर गलत है
'फाइंडिंग जीरो: ए
मैथिमैटिशियंस ओडिसी टू अनकवर द ओरिजिन ऑफ नंबर' पुस्तक को डॉ आमिर एक्जेल ने लिखा है। इस किताब में
उन्होंने दावा किया है कि सबसे पुराना शून्य भारत में बल्कि कंबोडिया में मिला था।
इसके अलावा दशमलव
का भी आविष्कार कहा जाता है की इसका
आविष्कार भारत में हुआ था और कुछ संस्कृत
ग्रंथो में यानी वेदों में इसका ब्यान है लेकिन जिस अगर दशमलव के इतिहास को
सही ढंग से देखा जाए तो इसका वर्णन भी अरब
, ग्रीक , मिश्र आदि देशो में मिलता तो
कुल मिलाअहि कह सकते है भारत के
ब्राह्मणों ने कुछ किया हो या न किया हो हाँ झूठे
ग्रन्थ जरूर लिखे है जिसमे अपने
आपको यानी ब्राह्मणों को महान बताने की कोशिस की गई
है