Apni Dukan

Sunday, 29 May 2016

नार नहीं नोरंगी है , ढक ले तो सारे कुल को ढक ले नहीं तो नंगी की नंगी है तोता मैना के किस्से अश्लील , और कामुकता फैलाने वाली कहानिया नहीं बल्कि स्त्री विमर्श और जेंडर सेन्सटाईजेशन की पहल है लोक साहित्य में


जन उदय : कुछ लोग ऐसे होंगे शायद  जिनको तोता मैना के किस्से के बारे में कुछ मालूम नहीं होगा  और साहित्य  में रूचि  रखने वाला  शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति  होगा जिसे इनके बारे में मालूम नहीं होगा .

कुछ लोगो ने तो ये किस्से अपने बड़े लोगो से निति कथाओं के रूप में जरूर सुने होंगे , चूँकि कहानिया कहने वाले अधिकतर  पुरुष है और रहे है तो शायद  ऐसी  कहानिया जयादा प्रचलित है  जिनमे औरत  बेवफा  रहती है , घटक होती है  और ऐसी होती है की उ पर कोई विशवास नहीं किया जा सकता

इस बात की जानकारी सभी साहित्यकारो को जरूर होगी की लोक साहित्य   में कव्वाली , नौटकी  के संवाद इन्ही तोता मैना के  किस्सों पर आधारित हो होते है , हालांकि कव्वाली  सिर्फ मजारो  पर और इबादत के लिए इस्तेमाल की जाति  थी लेकिन लोक साहित्य ने इसको अपने तरीके से अपनाया

अगर हम तोता मैना के किस्से  सही ढंग से पढ़े  तो शायद हमें अह्मारे समाज की सारी  समस्याओं  की जड  और उन पर फैली मानसिकता  भरी मिल जाएगी . मसलन एक राजा  जंगल में शिकार करते हुए जता है  रास्ता  भटक जाने के कारण एक गवा में जाता है वहा  पर वह एक महतर ( भंगी ) लड़की को देखता है जो चाँद से जयादा खूबसूरत  है उस पर मोहित हो जाता है जब  वह उसके साथ सम्बन्ध बनाना  चाहता हैलेकिन यह सम्भव न होने के कारण वह लड़की  को  शादी का प्रस्ताव रखता है , काफी सोच विचार के बाद  वह लड़की और उसके घरवाले इस रिश्ते को स्वीकार कर लेते है , कुछ  दिन  उस लड़की के साथ समय गुजारने के बाद राजा को होश आता है की वह इस लड़की को सबके सामने कैसे ले जाएगा  सो योजनाबद्ध  तरीके से वह उस लड़की को रास्ते में कत्ल कर देता है “
तो इस कहानी में कामुकता  , स्त्री के अपने निर्णय , जाति , और जाति  से जुड़े पूर्वाग्रह औरत को वस्तु की तरह इस्तेमाल करना यह सब आते है

 कहने को तो ये किस्से  कामुकता के लिए इस्तेमाल किये जाते है लेकिन कमाल की बात यह है की इसमें वफ़ा , और बेवफाई के नाम  पर स्त्री को जयादा दोषी ठहराया  गया है , इसमें एक छिपी  बात यह है की सदीओ पहले इन कहानियों के माध्यम से स्त्री विमर्श किया गया जो भद्र  लोक से दूर रहा  और ये ऐसा विमर्श है जो लोकप्रिय  है  और इसी के सहारे  समाज में सारी  मानसिकता  फैलती है


Saturday, 28 May 2016

आने वाली नस्ले हमें माफ़ नहीं करेंगी , यह कह कर , उस वक्त तुम क्या कर रहे थे जिस वक्त संघ काल में में इंसानियत शर्मशार हो रही थी ,भगवा आतंक बढ़ रहा था


जन उदय : किसी भी देश का इतिहास   एक जैसा नहीं रहता , न उसमे हुक्म करने वाली हुकूमते एक रहती है  वक्त का पहिया हर किसी को कुचल आगे निकल जाता है , और एक  नए समाज को जन्म देता है  नये लोगो को इतिहास में भागीदार  और खिलाड़ी  बन्ने के लिए  आमंत्रित  करता है .

भारत  का इतिहास भी कुछ ऐसा ही रहा है , यहाँ लोग  और हुकूमते  आती रही जाति   रही , कई  परोपकारी   और कई  अत्याचारी  शासक  आये और चले गए . जब भी इस देश में जुल्म हुआ है  ये सिर्फ उस व्यक्ति की ताकत नहीं होती जो अत्याचार करने के लिए आगे बढ़ता  है बल्कि  उन लोगो की बहुत बढ़ी  गलती होती है जो लोग  इस बदलते मंजर को खामोशी से खड़े देखते रहते है और अपने आप को वक्त के पहिये के निचे बिना कुछ कहे  कुचल  जाते है
भारत के जिस दौर में हम आज गुजर रहे है   ये सच में एक बहुत बड़े  संकट का समय है और यह संकट है भारत में भगवा आतंकवादियो  की सरकार कहने को तो इस सरकार बन्ने में पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया  का पालन हुआ लेकिन इस प्रक्रिया में इतनी गडबडी  हुई की सभी लोकतांत्रिक शक्तिया  आवाक  रह गई और अंत में लोकतांत्रिक जंग में भारत के मानवतावादी शक्तियों  की हार हुई

इस भगवा सरकार बन्ने  के बाद शुरू से ही इन लोगो ने अपने आतंकी होने के प्रमाण देने शुरू कर दिए अपने देशद्रोही इरादों  को नजाम देना शुरू कर दिया  इसकी शुरुआत  गंगा  बचाओ आन्दोलन के नाम पर २०० करोड़  , बनारस के पंडो  के लिए ५६ करोड़ , और अन्य  ऐसे कार्य करना शुरू कर दिया


इन भगवा लोगो का काम सबसे पहले शिक्षा  संस्थानों  पर अपना कब्जा ज़माना था सो इन्होने पुणे फिल्म स्कूल हैदराबाद  यूनिवर्सिटी में रोहित वेमुला  की संस्थानिक  हत्या  मद्रास आई आई टी  में संघी आतंक  डेल्टा मेघवाल की हत्या , जे  एन यु    षड्यंत्र , मुजफ्फर नगर दंगे ,  गोमांस को लेकर आतंक , आदि
इन लोगो के द्वारा लोकहित के वादे सब फ्लॉप हुए देश कर्ज  और  पतन के गर्त में जाना  शुरू कर दिया हालांकि ये बात सबको मालूम थी की ये सब देशभक्ति के वादे सब झूठे है लेकिन सभी प्रगतिवादी  शक्तिया कुछ न कर पाई . और न ही कर पा रही है

इन लोगो ने पुरे देश में खुला  आतंक फैलाया हुआ है ,गरीबी महंगाई , बेरोजगारी बढती  ही जा रही है और ऐसा लगता नहीं की आगे कुछ रुक जाएगा   इसके विपरीत  मोदी के चहेते  सारे  पूंजीपति  खूब मुनाफ़ा  कमा रहे है  रेलैएंस का तिमाही  मुनाफ़ा  ४ से ६.५ हजार करोड़ पहुच गया है इसी तरह अधानी का मुनाफ़ा  ७५ ५ बढ़ गया है कमाल की बात यह है की सारी सरकारी संस्थाए घाटे में और आई सी यु में पहुच गई है इस बात को खुद  सरकारी  लोग मानते है  जिस जी डी पी का हवाला  दिया जा रहा है  उसमे रिटेल  और गरीबो का कितना हक है  इसका कोई  जवाब सरकार के पास नहीं है क्योकि ये सब भ्रम है . लगातार किसान आत्महत्या  कर रहे है , अपराधो  की संख्या  ४०० %  बढ़  गई है कमाल की बात यह है की इसमें दलितों के प्रति अपराध ३०० % से जयादा बढे  है , इनकी हत्याए बलात्कार लगातार बढ़  रहे है

 हमें इतनी उम्मीद नहीं थी की  देश इस तरह पतन के गर्त में चला जाएगा इसी कारण न जाने क्यों मन एक तनाव रहता है  क्योकि इस सरकार का असर आने वाली नस्लों  तक होगा और नसले हमसे पूछेंगी  की जब ऐसे लोग देश में आये तो आप लोग क्या कर रहे  थे ??  जवाब ये तो बिलकुल नहीं हो सकता हमसे गलती  हो गई या हम इन लोगो  को पहचान नहीं पाए ??  नहीं हम लोगो  को अपनी गलती मान ली चाहिए और ये स्वीकार करना चाहिए की  हम नाकामयाब हुए  ,


चाहे कुछ भी रहे लेकिन हम आने वाले वक्त में ऐसा नहीं होने देंगे  सभी लोगो  को  एकजुट करना होगा और अपने देश को बचाना होगा  इस देश की आने वाली नस्लों  को बचाना  होगा 

दलित खुद नीच और जलील है ,ब्राह्मण इसलिए इनको दबाता है , जानिये क्या है यह नीचता



जन उदय : भारत में दलित समुदाय जिस तरह जाति  के नाम पर और उससे जुड़े अत्याचार से परेशान है कह नहीं सकते हर जगह हर स्थान पर जातिवाद  का बोलबाला  और ये सब वो लोग जयादा फैलाते है जो अपनी  ऊँची जाति को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते है और दलितों का मोबल एक पल में जातिवाद के नाम पर तोड़  देते है ,

लेकिन ये सब देख कर ऐसा लगता नहीं की दलित  लोग भी जातिवाद  और उत्पीडन के खिलाफ कोई जोरदार और सच्ची  मुहीम चला रहे है है जातिवाद से उत्पीडन के बावजूद ये लोग खुद ब्राह्मणों द्वारा फैलाए गए जाल में  फंसते है खुद उनकी शरण में पहुच जाते है

इसके अलावा  खुद दलितों के नेता इनके नाम से आगे बढ़ते है , दलित नाम से जीवन में नौकरी पाते है लेकिन जब सही समय आता है तब दलितों के दलाल इनका सौदा कर बैठते है , राम विलास पासवान , उदित राज जितन राम मांझी जैसे लोग जो आरक्षण की बदौलत आगे आ गए है अब दलितों को आरक्षण छोड़ने का उपदेश देते है ,

इसके अलावा खुद समान्य जन उन सभी ब्राह्मण कुरितियो  को अपनाते है जो इनके लिए जाल के  रूप में तैयार की गई

इसके अलावा न तो इन लोगो में एकता है  और न ही द्रिड निश्चय , ये लोग बस  ये चाहते है जाति  बरकरार रहे लेकिन जाति के नाम पर उत्पीडन न हो और इन्हें आरक्षण मिलता  रहे
इसपर जयादा कुछ न कहते हुए पेश है एक छोटी से कहानी जिसको शशि अतुलकर के फेसबुक वाल से लिया गया है

एक ओबीसी अफसर हनुमान का भक्त था।

रोज वह हनुमान के मंदिर मे जा कर प्रसाद और पैसे चढाता फिर घर आ कर अपने कुत्ते को भी प्रसाद खिलाता। एक दिन उसका कुत्ता भी उसके पीछे-पीछे मंदिर तक चला गया, वहां सभी लोग कुत्तों को भी प्रसाद डालते थे। जैसे ही वह अफसर का कुत्ता प्रसाद खाने लगा तो वहाँ के लोकल कुत्ते उस पर टूट पडे। जैसे-तैसे उस अफसर ने अपने कुत्ते को बचाया लेकिन कुत्ते के कई घाव हो चुके थे, घर लाकर अफसर ने कुत्ते की मरहम पटटी की और कुत्ते को उपदेश देने लगा , क्या जरूरत थी मंदिर आने की, अकल ठिकाने आ गइ न, अब तो कभी मंदिर नहीं जायेगा।


कुत्ते ने जवाब दिया मैं तो कुत्ता हूँ फिर भी कसम खाता हूँ क़ि जहाँ मेरी बेइज्जती हुई है वहाँ कभी नहीं जाउंगा। पर तुम तो जानवरों से भी गिरे हुए हो, तुम्हारे बाप दादा और माँ बहिनो की हिंदू धर्म के नाम पर मंदिरो मे अनेको बार बेइज्जती हुई हैं फिर भी तुम कितने बेशर्म हो, तुम्हें लात मारने के बाद भी बार बार उन्ही हिन्दू मंदिरो में जाते हो।
सुधर जाओ।

Friday, 27 May 2016

जानिये कौन बनाता है आईसीस के दिल दहलाने वाले विडियो , और क्या है इनकी सच्चाई


जन उदय :  दुनिया में ऐसे शायद ही कोई और आतंकी संघठन  हो जो अपने जुल्मो के विडियो जारी करता हो , हां  ये बात सही है की ऐसे आतंकवादी संघठन अपने संदेश दुनिया को देने के लिए विडियो मेसेज का इस्तेमाल करते है ताकि पूरी दुनिया  में इन विडियो मेसेज को इन्टरनेट के जरिये फैलाया  जा सके  और लोगो में दहशत पैदा की जा सके

आप सभी लोग ऐसे विडियो देखते होंगे जो आईसीस  जारी करता है जिसमे वो कत्ल करते है , लोगो को आग में जलाते है , पानी में डुबो कर मारते है , लेकिन आपने इन विडियो की प्रामणिकता जांचने की कौशिस  की है ??  क्या आपने ये  जानने की कौशिस  की है की इस विडियो बनाने वाले क्या सच में आतंकवादी है  या इसमें किसी स्पेशल इफ़ेक्ट का सहारा  लेकर बनाए गए है और सबको बेवकूफ बनाया  जा  रहा है

आइये जानते है इन विडियो के बारे में तकनिकी रूप से

सबसे पहले इन विडियो की ख़ास बात है की इनको कम से कम कम तीन कैमरा  एंगल  से शूट  किया जाता है  यानी एक कैमरा बीच में एक  सीधे  हाथ पर और एक उलटे हाथ पर  , इसके अलावा  एक कैमरा  क्रेन  में भी रखा जाता है जिसे आप इस तरह पहचान सकते है की यह कैमरा उपर से नीचे  की और आता है और फिर नीचे से उपर की और जाता है 

इसके अलावा  पुरे  शूट को  एक लॉन्ग   शॉट  में भी रखा जाता है  ताकि  पूरा ड्रामा  बनाया जा सके ,  इसका मतलब यह है की इस शूट  की पूरी प्लानिंग  की जाती है  और इसकी  एडिटिंग  भी उसी प्रोफेसनल  तरीके से की जाती है ,

अब सवाल यह आता है की क्या ये विडियो  सच में ऐसे ही होते है , तो जवाब सुन कर आप हैरान हो जाएंगे की ये विडियो एकदम  झूठे है इनको स्पेशल इफ़ेक्ट से बनाया  जाता है जिसे होलीवूड में  दो भारतीय  की कम्पनी बनाती है  जो  वायरल  विडियो बनाने में माहिर है  जानी ऐसे विडियो  जिन्हें देख कर लोग विचलित हो जाए और जयादा से जयादा शेयर हो सोशल नेटवर्किंग  साइट्स है


ऐसा भी कहा जाता है  यही संस्था  अमरीका में आर एस एस के विडियो  भी तैयार करती है जो संघ इसी तरह के झूट के लिए  बनाए जाते है. विडियो बनाने  वाले लोगो में दो नाम मुख्य है एक है लम्बोदर  पिल्लई , और अक्षत भारद्वाज  , ये दोनों संघ के  और ऐसी  ही संस्थाओं  के लिए काम करते है जिसमे  दुसरे देशो की वेबसाइट को हैक  करना  भी शामिल है . हलांकि इस बात की पुष्टि किसी आधिकारिक  रूप से नहीं है लेकिन आम लोगो  का यह मानाना  है की ये विडियो  अमरीका  में ही बनते है   

Thursday, 26 May 2016

जानिये ऐसा क्या हुआ है की न रहेगा सरकारी स्कूल , कॉलेज और सरकारी नौकरी , तो किस काम का आरक्षण दलित ही नहीं सवर्ण भी हो जाए सावधान ,

 जन उदय : शिक्षा किसी भी समाज  या देश की तरक्की की चाबी  है आप  जिस भी समाज को तरक्की से वंचित करना चाहते है तो उस समाज से शिक्षा छीन  लीजिये बस  धीरे धीरे उनका जीवन अपने आप अंधकारमय  होने लग जाएगा . दलितों के साथ सदीओ पहले यही हुआ की इनसे सबसे पहले शिक्षा  जी छिनी  ब्राह्मणों  ने और इसके बाद वही हुआ जो ब्राह्मण चाहते थे यानी देश के मालिक  गुलाम हो गए और विदेशी  आतंकी  ब्राह्मण देश  और समाज के मालिक  और भगवान् के दूत  बन गए

जो दलित जातिवाद से परेशान हो कर मुस्लिम  राजाओं  या नवाबो की सरपरस्ती में मुस्लिम बन गए  कहने को तो वो मुस्लिम बन सामाजिक स्तर पर सामान हो गए लेकिन ब्राह्मणों  में से मुस्लिम बने लोगो ने इस  छोटी  जाति के मुस्लिम लोगो को फिर भी शिक्षा हांसिल नहीं होने दी यानी  ब्राह्मणों को डर  था अगर ये छोटी  जाति के लोग मुस्लिम बन पढने  लिखने लग गए तो एक दिन ये अपना इतिहास जान लेंगे  और धर्म या जाति  के आधार पर न सही लेकिन ब्राह्मणों को मानवता का दुश्मन ठहरायंगे  इसलिए इन दलितों  के साथ साथ बहुत सारे ब्राह्मण भी मुस्लिम बने  और इन्होने वहा भी पुरोहित पद  को और बुद्धिजीवी वर्ग को ही अपनाया  और इसके चलते इन्होने मुस्लिम समाज को  शिक्षा से वंचित रखने में कोई कसर  नहीं छोड़ी  यानी  मुस्लिम को न तो पूरा कुरआन  का ज्ञान होने  दिया   और न ही ऐसा होने दिया की ये लोग खुद  कुरआन पढ़ ले और समझ ले

है  न कमाल की बात ?? की जिस कुरआन में औरत  और मर्द की शिक्षा के उपर जोर डाला  गया है  और कष्ट झेलने के बाद भी पढने  की सलाह दी गई है  उसी मुस्लिम समाज में ३ %  लोग भी सही ढंग से शिक्षित  नहीं है  कारण ??  ब्राह्मण ..

खैर  इतिहास को छोडिये  और लोड मैकाले के प्रयासों से खिन्न हो कर आज भी उसको गाली देने वाले ब्राह्मण कहने को तो अपने आपको देशभक्त कहते है लेकिन ये लोग कभी नहीं चाहते की दलित – मुस्लिम समाज पढ़ लिख  ले और यही कारण है की ये किसी न किसी तरह से इन  प्रयासों में लगे रहते है की दलित मुस्लिम शिक्षा  के क्षेत्र में पिछड़  जाए  , ये लोग पढ़  लिख  तो ले लेकिन रिसर्च  और उच्च  शिक्षा में कभी ना आये ताकि ब्राह्मणों  द्वारा रचा गया झूट का तिलिस्म कभी न टूट  पाए
कोंग्रेस  वामपंथी  और भाजपा  ये सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे  ब्राह्मण  है कपिल सिब्बल से शुरुआत हुई यूनिवर्सिटी में शिक्षको की कमी करना , नए  कोलेज न खोलना , इनका बजट कम करना   जिसको अब भाजपा बढ़ी श्ख्ती से लागू कर  रही है
पिछले  दस  दिन पहले यु जी सी  ने एक अजीब सा तुगलकी  फरमान  देश के सभी कोलेज  और यूनिवर्सिटी  को भेजा है जिसमे कहा गया है की हर शिक्षक को  हफ्ते में कम से कम  १६ की जगह २४ घंटे पढ़ना  होगा यानी दो शिक्षको  पर एक टीचर  कम करने की  ताकिक

अब इन जनाब से कोई ये पूछे  क्या शिक्षको  को पढ़ाने  के लिए पढने का वक्त मिल पाएगा इस तरह ?? बिलकुल  नहीं एक तरफ क्वालिटी  शिक्षा की बात करने वाली भाजपा दरसल शिक्षा को बर्बाद कर  देना  चाहती है , क्योकि  शिक्षक को पढ़ाना  तो है ही साथ के साथ यु जी सी  से सम्बन्धित  जर्नल में अपने साल में कुछ रिसर्च  पेपर  भी पब्लिश  करना जरूरी कर दिया गया है  इसके अलावा कोलेज  के प्रशासनिक  कार्य भी शिक्षको  को करने पढेंगे
इसमें दुसरा एक बढ़ा  ही  प्रवाधान  है की शिक्षक की ए पी आई में छात्रो  का फीडबेक  सबसे जयादा महत्वपूर्ण होगा  यानी अगर सरकार किसी शिक्षक को निकालना चाहे  तो छात्रो के एक्स्मूह को जो राजनैतिक  हो सकता है या  उनके इशारों पर काम करना वाला हो सकता है  , उसको शिक्षक के पीछे  लगा दिया जाएगा  और शिक्षक को  बर्बाद कर दिया जाएगा . यानी पहले छात्र  गुरु जी के पाँव  छूते  थे अब गुरु  जी छात्रो के  पाँव  छुएंगे

एक तरफ सरकार चाहती है की छात्र  राजनीती न करे सिर्फ पढ़े  दूसरी तरफ  उनको  उसी  दलदल  में धकेल रही है 
मौजूदा सरकार का दो साल का रिकॉर्ड  किसी  भी स्तर पर अच्छा  नहीं  रहा बल्कि इनकी हर चाल देश को बर्बाद करने  और गुमराह करने की रही है  , ये लोग  वैज्ञानिकों  को जो देश के लिए काम करते है उनको एक तरफ कर रही है और उन लोगो को जो चमचे है शिक्ष्ण संस्थानों  का मुखिया बना रही  है पुणे फिल्म स्कूल , हैदराबाद  यूनिवर्सिटी  जहा रोहित वेमुला  की संस्थानिक  हत्या हुई आई  आई टी  मद्रास , अलाहाबाद  उनिवेसिटी आदि


मौजूदा समय में सवाल सिर्फ दलितों  का या आरक्षण का नहीं है बल्कि , सवाल  मुस्लिम ब्राह्मण , बनिया का  भी  नहीं है सवाल यह है की अगर इसी तरह सरकारी  संस्थान बर्बाद हो जाएंगे  तो  आने वाली नसले  कहा जाएंगी , क्या भाजपा सभी सवर्ण लोगो को  अपने इजी शिक्षा  संस्थानों में जहा लाखो  रूपये  की फीस  है वहा मुफ्त पढने देगी ?? या वो  इजी संस्थान जो  सिर्फ पैसे के दम  पर चलते है सवर्णों  को  मुफ्त में आने देंगे ??  नहीं समय  और सोच सबके  पास है  देश के नाम पर आतंक  फैलाने वाले अगर पुरे देश में शिक्षा  फैलने देंगे तो सच में देशभक्त कह्लाय्न्गे  वर्ना   इतिहास अनिसार सब जानते  है की  कौन देशभक्त है  कौन  देशद्रोही , 

Wednesday, 25 May 2016

मुफ्तखोर ब्राह्मणों के लिए खर्च किये ४५०० सो करोड़ , सरकारी पैसे से ब्राह्मणवाद को बढ़ावा , मध्यप्रदेश में 5 करोड़ की सामग्री 60 करोड़ में खरीदी –कलमाड़ी और शीला दीक्षित से भी आगे है भाजपा सरकार

जन उदय : सरकारी पैसे   से ब्राह्मणवाद  को कैसे  बढ़ावा  मिलता है इसका उधाहर्ण  इसी बात से मिलता  है की कुम्भ में ब्राह्मणों  की अयाशी  के लिए ४५००  करोड़   सरकार ने खर्च  किये  , जिससे  हांसिल   कुछ न हुआ , हाँ भाजपा  सरकार के सारे मंत्रियो  की जेब  खूब गर्म हुई  है
                       
  यदि भ्रस्टाचार पर नियंत्रण को बात करे तो शिवराज सरकार और सिंहस्थ प्रभारी भूपेंद्र सिंह भ्रस्ट्राचार को रोकने में पूरी तरह असफल रहे या फिर यूँ कहे कि भ्रस्ट्राचार के पोषण में सफल रहे।सिंहस्थ में भ्रस्यचर के बारे में दिग्विजय सिंह जी ने मटका घोटाला उजागर किया था जिस पर सरकार ने परदा डालने की कोशिस की पर सिंहस्थ में स्वास्थ्य सामग्री की खरीद में हुए घोटाले ने तो मध्यप्रदेश की जनता की आँखे खोल दी ।

       शर्मनाक तो ये हे कि प्रदेश का मुखिया  शिवराज सिंह जी अखवारों में विज्ञापन छपवा रहे हे की सिंहस्थ और उसका प्रवंधन सफल रहा और आज हे सिंहस्थ प्रभारी भूपेंद्र सिंह का कुशल प्रबंधन हेतु सागर में स्वगत हो रहा हे,सम्मान हो रहा हे और संयोग देखिये आज ही भूपेंद्र सिंह जी के अकुशल प्रबंधन के कारण लगभग 60 करोड़ का घोटाला हुआ हे यही सत्ता  की अवस्था हे।
          

स्वास्थ्य सामग्री घोटाले की बात करे तो  5 करोड़ की सामग्री 60 करोड़ में खरीदी गयी जिसमे 150 रुपिये के रुबर हैण्ड ग्लोवज 1890 रुपिये में,93 रुपिये का स्टेथोस्कोप 7000 रुपिये में इसके साथ ही अन्य सामग्री में  ओने पौने दामों में खरीदकर भारी भ्रस्ट्राचार किया गया हे।उपरोक्त आंकड़े आज नवदुनिया न्यूज़ पेपर में सबूतो सहित प्रकाशित हुए हे जो मध्यप्ररदेश सरकार को कटघरे में खड़े करने वाले हे।


      उपरोक्त घोटाले के उजागर होने से सिद्ध होता हे कि सिंहस्थ प्रभारी भूपेन्द्र सिंह जी के नाक के नीचे भ्रस्ट्राचार हुआ हे और बो इसमे सम्मिलित रहे हे या रोकने में असफल रहे हे।कुल मिलाकर महाकाल की नगरी में धार्मिक आस्था सिसकती रही और शिवराज  तथा उनके नुमाइंदों की उपस्थिति में भ्रस्ट्राचार और अनियमितता अट्टहास कर सभी को चिढ़ाती हुई अपना खेल खेलती रही।

Tuesday, 24 May 2016

भगवान् न पैदा हुआ न मरा , नहीं है उसका कोई अस्तित्व ..धार्मिक नहीं अध्यात्मिक बने ,करे मंदिरों और पंडो का बहिष्कार

    


जन उदय : आप  बड़े  हैरान होंगे जब आपको पता चलेगा की आप जिस भगवान को मानते आये है उसी  भगवान् ने आपको  डरपोक , कायर , और एक ऐसा विक्षिप्त बना दिया है की आप  निर्बल और कमजोरो पर अत्याचर करना धर्म समझते है .

ज़रा  एक बात गौर से और सोचे क्या भगवान  कभी  जमीन पर आ कर या किसी को संदेश देकर  फोन  करके  ये कहेगा की तुम  इस विशेष जाती के लोग हो  और सब  पर अत्याचार करो  मै  तुम्हे ये हक देता हूँ ??  करेगा  कोई विशवास ??

क्या भगवान  ये कहेगा  की आप  इस तारिक  को  इस  दिन  एक जानवर का कत्ल करो  तो मै  प्रसन्न  हो जाऊँगा  ??  अगर कोई कहता है हाँ 
ऐसा  भगवान कहता है  , तो मेरी नजर में  जा कर पहले वो अपने दिमाग का इलाज  करवाए
इसके अलावा क्या कोई इस बात का विशवास करेगा की भगवान को सिर्फ एक भाषा  आती है वह है संस्कृत  , इसका मतलब तो  यह हुआ की दुनिया में कोई  और भगवान  से बात ही नहीं कर सकता बात करेंगे तो सिर्फ ब्राह्मण .. क्यों ??  ऐसा नहीं लगता  की यह एक षड्यंत्र  है ??
भारत में ब्राह्मणों  ने शिक्षा  की देवी  जिस पर ब्राह्मणों  का कब्जा  है  लक्ष्मी   देवी  जिस  पर ब्राह्मणों  का कब्जा है   लेकिन कमाल की बात यह है  की  विदेशो में शिक्षा   और धन का स्तर  यहाँ के  लोगो से काफी बढ़ा  है भारत के लोग और भारत की शिक्षा   दुनिया के स्तर पर  कही  नहीं  रही हां  
अगर भारत  का कही नाम   रहा तो वो सिर्फ बौध  समाज  का वरना किसी  का नहीं
वैसे  भी  धर्म किस  बात की गारंटी  है ??  क्या मुझे कोई ऐसा धर्म बता सकता है   जहा पर उस धर्म के सभी  लोग  प्यार   से   रहते  हो  मिलजुल कर रहते  हो  , गरीब  न  हो  , बीमार   हो   मरते  न हो  सभी  लोग शिक्षित  हो   सभी लोग धनी  हो , इनके आपस  में झगड़े  न होते  हो कोर्ट कचहरी  न होती हो . नहीं साहेब  बिलकुल  नहीं  भारत का जातिवाद  समाज , मुसलमानों  में आतंकवाद   ब्राह्मणों  में आतंकवाद  बिलकुल  नहीं  न    तो धर्म  और न ही भगवान्   ये किसी  चीज की गारंटी  नहीं है

हाँ अगर चूँकि  आप   सोचते है  की कही  तो  कोई  तो  भगवान्   या शक्ति  होगी  जो दुनिया  को चलाती  होगी , तो इस  केस में भी आप  धार्मिक   नहीं बल्कि अध्यात्मिक  बनिए  बल्कि कहे  तो  मानवतावादी  बनिए , गरीबो  पर कमजोरो  पर जुल्म न ढाए   उनकी मदद  करे  , तो मै  यह कह   सकता हूँ की निश्चित रूप  से आपको  मन  की शान्ति  मिलेगी  और  यकीनन सफलता मिलेगी


वरना  यह सब लोग करते ही होंगे यानी व्रत  रखना , पूजा पाठ  करना  , अनुष्ठान  करना , जागरण  करना , भगवान  के संकल्प  करना  भगवान  की किताबे पढना   , लेकिन भगवान् कभी  नहीं  आया  और न कभी आएगा  हाँ  जिस वक्त आपने अपने अंदर हिम्मत  जुटाई  और एकाग्र  हो कर अपनी सारी शक्तिओ  को  एक साथ किया   , उसी  दी आप विजयी  हो  गए   

मुफ्तखोर और मानसिक विक्षिप्त लोगो की फौज है भारत के साधू : मुफ्तखोर ब्राह्मण है ये सभ्य समाज में घुसे आदमखोर भेडिये है

जन उदय :  साधू   समाज समाज से समाज सभ्यता के चरणों में आगे बढ़ा  है तब से ही समाज में ऐसे लोग हमेशा होते है जो दुसरो का माल लूट कर खाना  चाहते है , मुफ्त खोरी करना  चाहते है , उन्हें  कोई मेहनत  न करनी पड़े  और दुसरे लोगो  को किसी  न किसी  बसत पर बेवकूफ बनाना  चाहते  है ताकि  अपना उल्लू  सीधा करना चाहते है
अगर हम ये देखे की ये साधू अचानक आ कहा से गए ??  ऐसी  क्या वजह है जो इन  साधुओ  को  इतना बढ़ावा  मिलता  है ??

अगर हम कारण  ढूँढेंगे  तो एक कारण हमारे सामने बड़ा  ही खुल कर सामने   आता है वह है  ब्राह्मणों  द्वर४आ  फैलाई गई अपसंस्कृति  यह वह अपसंस्कृति  है जिसमे ऐसे लोगो को बढ़ावा  मिलता है  ब्राह्मणों  में मुफ्तखोरी  कूट  कूट कर भरी हुई है इन्होने बाकी समाज को यह  कह कर बेवकूफ बनाया है की ये  भगवान् के भगत है  भगवान् ने इन्हें  पूजा पाठ  के लिए भेजा  है और   ये कमा नहीं सकते  , कुछ समय  तो तो ठीक ही  रहा होगा लेकिन बाद में  इन ब्राह्मण मुफ्तखोरो  की संख्या  इतनी बढ़  गई की आज ये लोग  करोडो में  है

इनका काम यह है की इन्होने  मंदिर नाम की अपनी दुकाने  चला ली है  और आश्रम , आदि  खोल लिए है  कमाल की बात यह है की इन आश्रम  और मंदिर पर करोडो  रुपया  का चदावा  सिर्फ इन्ही की अयाश्यियो  के लिए खर्च होता है


सदीओ से चली आ  रही अशिक्षा  गरीबी   के चलते इन्होने हजारो  तरह के अंधविश्वास फैलाए  और यही वजह है की आज इनके बनाए  मक्कड़  जाल से लोग निकल  नहीं पाते और अंधविश्वास में  फसे रहते है

यही कारण है की ये लोग  कहने को साधू  यानी  समाज से बाहर के लोग  आदमखोर   जानवर की तरह सिविल  समाज में घुस आये है  और उनकी निजता , प्रशासन  पर प्रहार कर  रहे है  समाज में जातिवाद , अन्ध्विशाव  का सहारा लेकर आये  दिन सुर्खियो में बने रहते है  और कमाल की बात यह है की समाज को राह दिखाने वाला मीडिया  इनके  आगे कदमताल  कर रहा है 

अगर हम समाज को आगे बढ़ाना  चाहते है तो ऐसे ढोंगी  पाखंडी  समाज को खत्म करना होगा जो मंदिर में पुजारी बन  और धर्म गुरु बन समाज को भ्रमित कर रहे है और जहर उगल रहे है

साथ के साथ ऐसी धार्मिक किताबे  या इन किताबो  का प्रचार करने वाले  ब्राह्मणों  को भी सबक सिखाना होगा ताकि ये लोग  अपनी गंदगी से भरी किताबो  को खुद ही समाज से दूर रखे 

Monday, 23 May 2016

जानिये इस बार यु पी एस सी के ब्राह्मणों की मिली भगत से कितने ब्राह्मणों बने है आई ए एस है फर्जी जाति प्रमाण पत्र से , दलित बन कर दी थी परीक्षा


 जन उदय : जय भीम ही करते रह जाओगे और वहां हर नौकरी में आपका रिजर्वेशन दूसरे लोग लूटते जा रहे हैं! इस साल की UPSC एग्जाम में चयनीत हुए लोगों में से कई ऐसे हैं जो ब्राह्मण हैं...लेकिन झूठे SC,ST और ओबीसी सर्टिफिकेट बनवाकर IAS बन गए हैं!

रोल नम्बर 0007599 सौरभ कुमार शर्मा कैटिगरी ओबीसी से सेलेक्ट हुए है
0325060 अमित कुमार शर्मा कैटिगरी ST से सेलेक्ट हुए है
0079960 कनिका शर्मा कैटिगरी obc से सेलेक्ट हुये है।
0010132 मयंक शर्मा कैटिगरी ST से सेलेक्ट हुए है।


UPSC ने इसके अलावा एक दूसरी लिस्ट भी डाली है जिसमे 172 कैंडिडेट्स को रिज़र्व चुना जाता है...यानी अगर पहले सेलेक्ट कैंडिडेट में कोई नौकरी ना करना चाहे तो उसकी जगह दूसरे को मौका दिया जाता है! उसमे तो आरक्षण के नियमो को पूरी तरह से गायब ही कर दिया है! 172 में से 86 जनरल वाले हैं लेकिन SC-ST के 21% कोटे के हिसाब से जो 36 सीटें बनती हैं....उसकी जगह सिर्फ 12 सीटें दी गई हैं...और बाकी सीटें इन्होने ओबीसी में दिखा दी...जबकि ओबीसी में भी असल हकदारों को ना देकर झूठे जाती प्रमाण पत्र लगाकर गैरकानूनी रूप से ब्राह्मणों को डाला गया है! 


अब आपको समझ आया कि ओबीसी वाले जनरल वालो की साइड पर क्यूँ रहते आये हैं! दलितों के साथ यह धोखा हमेशा से चलता आ रहा है...लेकिन दलित इसको देखना भी नहीं चाहते! इसलिए अब भी वक़्त है...आँखें खोलो....अपना हक़ छीनकर ही मिलेगा!


In accordance with Rule 16 (4) & (5) of the Civil Services Examination Rules 2015, the Commission is maintaining a consolidated Reserve List of 172 candidates as under:
GENERAL: 86
OBC: 74
SC: 08
ST: 4

TOTAL: 172. 

Sunday, 22 May 2016

ब्राह्मणों की एक और षड्यंत्रकारी योजना ; कुम्भ श्नान , मंदिर प्रवेश और सामाजिक समरसता कार्यक्रम , नहीं चाहिए समरसता दलित करे ब्राह्मणों का सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार

जन उदय :  लगातार राजनैतिक  विफलता , एक दो जगह को छोड़  हर जगह विफलता ने संघ के दिमाग के परखच्चे  उड़ा दिये  है ये जानते  है अगर ऐसा ही रहा तो अगली बार ये सत्ता में नहीं होंगे इसलिए एक मजबूत वोट बैंक तय्यार  करना जरूरी है और वह बहुत बढ़ा  वोट बैंक है दलित

ये कामल की बात है की अपने भाषणों में तो ये लोग कभी कबार सामाजिक समानता की और भेदभाव खत्म करने की बात कर जाते है लेकिन जमीन पर इसको कभी नहीं उतार पाते , जिसका कारण है  इनके मन में सदीओ  पुराना  डर  और  इनकी रगों में गद्दारी का खून का बहना

ब्राह्मण एक ] ऐसा है इस देश में जिसने सिर्फ अपने फायदे के लिए अपनी बहन बेटियो  तक को मुस्लिम राजाओं को परोसा उनकी  चाकरी की  और उनको शासन करने में मदद  भी की ऐसा ही इन्होने अंग्रेजो के लिए किया
मुस्लिम राजाओं से तो अपना जजिया  माफ़ कराने के लिए ये लोग हमेशा इस बात कार तर्क देते रहे की ये भी  मुस्लिम राजाओं की तरह विदेशी ही है इसलिए इनसे जजिया माफ़ किया जाए
अंग्रेजो से अपनी नज्दिकिया दिखाने के लिए तिलक से लेकर गांधी नेहरु  सबने ये ही बताया की ये लोग आर्य है और अंग्रेजो की तरह ही विदेशी है

ये लोग इतने बड़े  गद्दार और देशद्रोही है की आजादी के बाद  से अब तक सरकारी नौकरी  और राजनीती में ये लोग ७९ प्रतिशत तक रहे है  और जो भी विकास का  पैसा होता था  ये सब खा गए   अगर अब इसकी बात की जाए तो ये कहते है की ये सब भ्रष्टाचार के कारण हुआ यानी अपने देशद्रो के अपराध को इन्होने एक मामूली  अपराध में बदल दिया


सामाजिक स्तर पर जातिवाद  के जनक  , रक्षक  और पोषक ब्राह्मण आजकल  एक नई पटकथा लिख रहे है वह यह की दलितों  और दलित  आंदोलनों को गुमराह करना और भ्रमित करना  और इसमें ये लोग दलित नेताओं का भी साथ ले रहे है  ये दलित नेता दलितों के दलाल के रोप्प में सामने आये  और अब पूर्ण रूप से इनके गुलाम है
इस पटकथा का नाम है सामाजिक समरसता   यानी तुम भी रहो हम भी रहे  यानी जातिवाद अपनी शक्ति के साथ जिंदाबाद  इसी  क्रम  में अमित शाह  नाम के ब्राह्मण  आतंकवादी  ने कुम्भ में दलितों  के साथ श्नान किया  और  फिर तरुण विजय आम का संघी  आतंकवादी  उत्तराखंड  दलितों को मंदिर में प्रवेश कराने के लिए गया   
कमाल की बात यह है इसमें ब्राह्मणों के सारे सन्घठन ज्योतिष  एन जी ओ  आदि सब शामिल हो गए है

यानी दलित इस बात से समझ सकते है की इनके खिलाफ कितना बड़ा षड्यंत्र  चल  रहा है , इसका एक और मतलब निकाला जा सकता है की ब्राह्मणों को अब अपनी मौत  दिखाई दे रही है यानी ब्राह्मणों  का  अंत
क्योकि  ब्राह्मणों  की हर कोशिश के बावजूद दलित समाज में एक सामाजिक चेतना फैलती जा रही है   लोगो को ये भी मालूम हो गया है ये  इस देश के सबसे बड़े  गद्दार है और इन लोगो ने  सबका हक मारा हुआ है ये लोग सिर्फ अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकते है  अपनी बहन बेटियो  को भी बेचते है ये लोग

विज्ञानिक  रूप से यह प्रमाणित  हो चुका है  की ये विदेशी हमलावर है और इस देश के नागरिक नहीं है 

अब दलितों  को देखना है की   इन्हें जातिवादी   ब्राह्मणों   के साथ रहना है  या अपने देश और समाज को बचाना  है 

Saturday, 21 May 2016

जानिये क्यों है ब्राह्मण सबसे बड़ा नमक हरम , देशद्रोही और अहसान फरामोश

  
जन उदय :  कोई भी व्यक्ति  अगर किसी भी देश में जाए और वाही पड़े , वही रहे ,वही  खाए , और वो खुद ही  नहीं उसके आने  वाली हजारो पीडिया भी वही रहे  अगर वह व्यक्ति उस देश से  गद्दारी करे , वही के लोगो को छोटा  समझे ,  उस देश से गद्दारी करे  तो आप  ऐसे लोगो को क्या कहेंगे ??  जाहि है वह व्यक्ति गद्दार , देशद्रोही  और नामक हराम ही होगा

हमारे   देश में एक कौम ऐसी  है जो इस तरह की नामक हराम है  आइये बताते है इस कौम का नाम क्या है  जी  हां  इसका नाम है ब्राह्मण

ब्राह्मण इस देश में हजारो साल पहले  जर्मन , इटली , रूस  और यूरोप के अन्य  हिस्सों से  रोटी की तलाश में आये लेकिन इन लोगो ने धीरे धीरे न सिर्फ इस देश के मूल निवासिओ को गुलाम बनाया  बल्कि ऐसे प्रपंच भी रच डाले  जिसकी वजह से आज भी ये देश आगे नहीं बढ़  पाया  और  ये आज भी गद्दारी में लिप्त है जानिये इनके द्वारा किया गए काम

जातिवाद  :  जातिवाद ब्राह्मणों का एक ऐसा प्रपंच है जिसके जरिये इन्होने यहाँ के मूलनिवासियो  को अपना गुलाम बनाया और आज भी जाति के आधार पर समाज में भेदभाव  इनकी बदौलत  बरकरार  है

अशिक्षा :  शिक्षा  किसी भी समाज की एक ऐसी चाबी है जिसके  जरिये कोई भी सामाज आगे बढ़  सकता है लेकिन इन्होने शिक्षा को  सिर्फ अपने तक रखा  और आज भी तरह तरह के प्रपंच रचते है  और सविन्धानिक  अधिकार होते हुए भी  ये लोग  मूल निवासिओ  को आगे नहीं बढ़ने देते , रोहित वेमुला , डेल्टा , जीशा  की हत्या  इस बात के जवलन्त  उधाहर्ण है

 गरीबी  और अंधविश्वास : इस देश में  गरीबी  का मुख्य कारण है अशिक्षा  और अशिक्षा  जन्म देती है अंधविश्वास को  और अंधविश्वास  कभी भी किसी  भी समाज को आगे नहीं बढने  देता , अन्धिव्श्वास  एक इनका ऐसा  हथियार है जिसके  जरिये ये आगे बढ़ते है

सांप्रदायिक दगे : दंगे इनका एक ऐसा हथियार है जिसके जरिये ये समाज को हमेशा बाँट  कर रखते है

अपराध :  इसके अलावा  देशद्रोह के अपराध , आर्थिक अपराध  , राजनैतिक अपराध सब सिर्फ इनके द्वारा   ही होते है 

Friday, 20 May 2016

जानिये कैसे भगवा अजेंडा को पूरा कर रहा है केजरीवाल , दलितों को बर्बाद करने में लगा है


जन उदय : ये बात सभी जानते है की केजरीवाल आरक्षण विरोधी सेना का एक सक्रीय  सदस्य रहा है और इसने अपने पुरे जीवन में सिर्फ जातिवादी अजेंडा को आगे बढ़ाया  है


दिल्ली कि जनता शीला दीक्षित से परेशान कुछ विकल्प ढून्ढ  रही थी सो उसको केजरीवाल के रूप में मिला दिल्ली की जनता यानी दलित लोगो  ने जो बाहुल्य  मात्रा में इस  बात पर  भरोसा किया की केजरीवाल अपने वादे निभाय्गा  लेकिन ऐसा नहीं हुआ


शिला दीक्षित को जेल भेजने वाला , भ्रस्ताचार को खत्म करेगा  और इमानदारी से काम करेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ  इमानदारी और मेरिट  का पाठ  पढ़ाने वाला  केजरीवाल ने सबसे पहले मलाईदार सीट  पर जिसमे कोई इम्तिहान नहीं होता  उन जगह पेर अपने रिश्तेदारों  को लगाया 


यही नहीं एम् सी डी  में टीचर की कमी  को पूरी  नहीं कर पाया केजरीवाल बल्कि दलित टीचर  को किसी न किसी  बहाने से नौकरी से बर्खास्त कर  रहा है , यानी दिल्ली की शिक्षा  को बर्बाद कर रहा है


दिल्ली में बिजली पानी  की कमी है लेकिन सब को जान कर यह आश्चर्य   होगा की ये कमी सिर्फ दलित बाहुल्य  इलाको में है  यानी स्वर्ण बाहुल्य  इलाको में ऐसा कुछ  नहीं है



कुछ लोगो  को यह  बात बढ़ी  अछि  लग   रही है की दिल्ली में बिजली   का बिल  बहुत कम  आ रहा है  लेकिन लोग शायद यां नहीं जानते  की जब दिन में बिजली  और पानी आयेगा ही नहीं  तो बिल तो अपने आप  कम  आएगा  ही 

जानिये किस जाति की लडकिया करती है शादी से पहले और शादी के बाद गैर मर्दों से कम से कम दस बार सेक्स चोंकाने वाला सर्वे ,


जन उदय : वैसे तो इस देश में प्राचीन समय  में सेक्स पर कोई पाबंदी नहीं थी  क्योकि यह सेक्स भी हमारी बाकी  बेसिक  जरूरत ही है लेकिन सम्स्य के चलते  जैसे जैसे जातिवादी   और गंदे दिमागों ने समाज पर अपना कब्जा ज़माना शुरू किया वैसे वैसे समाज पर कई तरह के परिबंध लग गए  वो भी सभ्यता  के नाम पर

गुजरात में कूकना  नाम की एक जनजाति में तो अभी  भी सेक्स एकदम दम  फ्री इस जनजाति में लड़का लड़की एक साथ बिना शादी के रहते है और बच्चे  भी पैदा करते है  और जब लगता है शादी करनी चाहिए  क्योकि दोनों साथ जीवन बिता सकते है  तो शादी कर लेते है
सेक्स सच में एक ऐसी  चीज है जिसे अगर शिक्षित रूप से   नहीं किया गया तो सच में यह एक समस्या बन सकती है


जन उदय   ने सभी बड़े शहरो में और सभी जातिओ में एक सुर्वे  करवाया  जिसमे कोलेज  गर्ल और  बिना  पढ़ी  लिखी लडकियों  और औरतो को सामिल  किया गया  तो इसके रिजल्ट एकदम चोंकाने वाले आये इसमें यह सामने आया की ९८.५ % ब्राह्मण  लडकिया शादी से पहले कम से कम दस बार सेक्स करती है     दलित  लडकिया के बारे में यह रिजल्ट बहुत चोंकाने वाला  सामने आया जो दलित लडकिया  शादी से पहले या शादी के बाद गैर्मर्द से  सेक्स करती है वह दरसल  गरीब घर की होती है  और यही कारण होता है सेक्स करने का

ब्राह्मणों  बनिया , राजपूत में यह संख्या  बड़ी  ही अजीब आई यानी ९८.५ % लडकियो  का सेक्स करना 


इसके अलावा  शहरो  और कस्बो में जयादा  फर्क  नजर नहीं  आया , इसके अलावा  लडकिया  अब जागरूक है इसलिए  गर्भ न ठहरे  इसका पूरा ख्याल रखती है  और इस तरह की दवाइओ  की पूरी  जानकारी इन्हें है , इसलिए   गर्भपात की संख्या  सिर्फ १२ % गैर शादीशुदा  में रहती है 

चिंता मत करो अभी टीना डाबी का विरोध कर रहे है ,जब फटेगी आयंगे दलितों का गू खाने और मूत पीने संघी हिन्दू हिन्दू कह कर


जन उदय : दुनिया में कोई भी शायद ऐसा प्राणी  या जानवर नहीं होगा जो ब्राह्मण से जयादा  जहरीला  , गद्दार  और देश्द्रोहो हो

अब टीना डाबी जो एक  दलित लड़की है और सिविल सर्विस परीक्षा में पुरे भारत में टॉप पर आई है , यह देख कर   ब्राह्मणों  की  छाती पर सांप  लोटने लगे है , दरअसल  इनसे यह सफलता  हजम नहीं हो  रही है ,


इस अंकित श्रीवास्तव नामक गधे ने न तो अपने मैंन एग्जाम के मार्कस बताये, न टोटल मार्कस. ये गधा अचयनित रहा, फिर भी अपनी तुलना UPSC Topper से कर रहा है. जिस व्यक्ति का चुनाव नहीं हुआ, वह अपनी तुलना मेरिट लिस्ट में सबसे नीचे वाले व्यक्ति से तो कर सकता है पर किसी अन्य से नहीं और Topper से तो बिल्कुल नहीं. इस जैसे बेवकूफ भी IAS बनना चाहते हैं, जिनको यही नहीं मालूम कि वे कह क्या रहे हैं?

टीना डाबी ने भले ही कैटेगरी SC choose की हो पर मार्क्स तो सबसे अधिक हैं. दूसरे स्थान पर आने वाले अभ्यर्थी के मार्क्स से काफी ज्यादा. टीना को टोटल 1063 अंक मिले, जबकि अतर आमिर उल-सफी खान (2nd Top) को 1018 अंक मिले. फिर ये अंकित श्रीवास्तव नामक बेवकूफ की बात कहीं स्टेंड नहीं करती.  इस अंकित नामक गधे का उद्देश्य आरक्षण को कोसना मात्र है.


Thursday, 19 May 2016

टीना डाबी खिलाफ जहर उगल रहे ब्राह्मणों ने साबित किया कि ब्राह्मण है देश का देशद्रोही और गद्दार नम्बर वन


क्या ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार आरक्षण विरोधी संगठन है?

गायत्री परिवार में अगर सिर्फ सवर्ण हैं तो मुझे कुछ नहीं कहना. लेकिन अगर इस संगठन में SC, ST, OBC का कोई है, तो उसे संगठन के नेताओं से पूछना चाहिए कि वे आरक्षण विरोधी अभियान क्यों चला रहे हैं.



गायत्री परिवार के पेज पर लगभग दस लाख लाइक्स हैं. मेरी फ्रैंड लिस्ट के डेढ़ सौ लोग वहां है.
इस पेज ने सिविल सेवा की टॉपर टीना डाबी के प्रिलिम्स के नंबर के आधार पर एक आरक्षण विरोधी टिप्पणी लगाई है. जबकि हर कोई जानता है कि प्रिलिम्स सिर्फ क्वालिफाई करने के लिए है. मेरिट मेंस और इंटरव्यू के आधार पर तय होती है.

और ये अंकित श्रीवास्तव रो क्यों रहे हैं. टीना डाबी ने मेंस में उन तमाम लोगों को पीछे छोड़ दिया, जो अंकित से ज्यादा नंबर लाकर सेलेक्ट हुए थे... अंकित को और मेहनत करनी चाहिए.


गायत्री परिवार अगर हर जाति के लोगों का है, तो यह पोस्ट हटानी चाहिए और जांच करनी चाहिए कि उसका फेसबुक पेज कौन चला रहा है.

इस पोस्ट से गायत्री परिवार की प्रतिष्ठा खराब हुई है.