जन उदय : साधू समाज समाज से समाज सभ्यता के चरणों में आगे
बढ़ा है तब से ही समाज में ऐसे लोग हमेशा
होते है जो दुसरो का माल लूट कर खाना
चाहते है , मुफ्त खोरी करना चाहते
है , उन्हें कोई मेहनत न करनी पड़े
और दुसरे लोगो को किसी न किसी
बसत पर बेवकूफ बनाना चाहते है ताकि
अपना उल्लू सीधा करना चाहते है
अगर हम ये देखे की ये साधू अचानक आ कहा से गए ?? ऐसी
क्या वजह है जो इन साधुओ को
इतना बढ़ावा मिलता है ??
अगर हम कारण ढूँढेंगे तो एक कारण हमारे सामने बड़ा ही खुल कर सामने आता है वह है
ब्राह्मणों द्वर४आ फैलाई गई अपसंस्कृति यह वह अपसंस्कृति है जिसमे ऐसे लोगो को बढ़ावा मिलता है
ब्राह्मणों में मुफ्तखोरी कूट
कूट कर भरी हुई है इन्होने बाकी समाज को यह कह कर बेवकूफ बनाया है की ये भगवान् के भगत है भगवान् ने इन्हें पूजा पाठ
के लिए भेजा है और ये कमा नहीं सकते , कुछ समय
तो तो ठीक ही रहा होगा लेकिन बाद
में इन ब्राह्मण मुफ्तखोरो की संख्या
इतनी बढ़ गई की आज ये लोग करोडो में
है
इनका काम यह है की इन्होने
मंदिर नाम की अपनी दुकाने चला ली
है और आश्रम , आदि खोल लिए है
कमाल की बात यह है की इन आश्रम और
मंदिर पर करोडो रुपया का चदावा
सिर्फ इन्ही की अयाश्यियो के लिए
खर्च होता है
सदीओ से चली आ रही
अशिक्षा गरीबी के चलते इन्होने हजारो तरह के अंधविश्वास फैलाए और यही वजह है की आज इनके बनाए मक्कड़
जाल से लोग निकल नहीं पाते और
अंधविश्वास में फसे रहते है
यही कारण है की ये लोग कहने
को साधू यानी समाज से बाहर के लोग आदमखोर
जानवर की तरह सिविल समाज में घुस
आये है और उनकी निजता , प्रशासन पर प्रहार कर
रहे है समाज में जातिवाद ,
अन्ध्विशाव का सहारा लेकर आये दिन सुर्खियो में बने रहते है और कमाल की बात यह है की समाज को राह दिखाने
वाला मीडिया इनके आगे कदमताल
कर रहा है
अगर हम समाज को आगे बढ़ाना
चाहते है तो ऐसे ढोंगी पाखंडी समाज को खत्म करना होगा जो मंदिर में पुजारी
बन और धर्म गुरु बन समाज को भ्रमित कर रहे
है और जहर उगल रहे है
साथ के साथ ऐसी धार्मिक किताबे
या इन किताबो का प्रचार करने
वाले ब्राह्मणों को भी सबक सिखाना होगा ताकि ये लोग अपनी गंदगी से भरी किताबो को खुद ही समाज से दूर रखे