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Sunday 24 April 2016

ब्राह्मणों की एक और धूर्तता का पर्दाफाश , नहीं था कोई कौटिल्य/ चाणक्य मोर्यकाल में

जन उदय : अगर आप दुनिया के इतिहास का मानिविय आंकलन करेंगे तो पायंगे की ब्राह्मण दुनिया की  सबसे धूर्त और मक्कार  कौम के रूप में सामने आयंगे ,  कभी कभी यह सोच कर ही हैरानी हो जाती है की इन लोगो ने कैसे कैसे ग्रन्थ लिख कर रख लिए थे जिनके आधार पर बाद में अपने आपको भगवान का दूत बताने लगे , समाज का सबसे बड़ा वर्ग बताने लगे बाकी सबको नीच बताने लगे बाकी सब इनके गुलाम है  यह भगवान् का संदेश है , और जो संदेश को नहीं मानेगा उसका कत्ल किया जाएगा , उसे एल में डाला जाएगा , कमाल है

हाल ही में एक शोध सामने आया है जिससे पता चला है की मोरी काल में कोटलिय नाम का कोई व्यक्ति नहीं था  , सभी  इतिहासकार  वेशेश्कर ब्राह्मण मौर्यकाल को ब्राह्मणों की योग्यता एयर काबलियत के रूप में पेश करते है जबकि यह झूट है
सामान्यत  कौटिल्य के पुस्तक  अर्थशास्त्र को मौर्य काल का बता कर उसमे राजनीति और अन्य नीतिओ की माह्नाता ब्राह्मण बखानते  रहते है ,

 जबकि यह सब झूट है ,
कौटिल्य के अर्थ शास्त्र के बारे में उस समय आये मगस्थ्नीज़ जैसे विद्वानों को कुछ मालूम नहीं था इतिहासकारों का मानना है की अर्थशास्त्र मौर्यकाल के ५०० वर्ष बाद लिखा गया  इस तरह अह  पुस्तक  झूटी साबित होती है , इतिहासकार जोलि  ने ये साबित  क्या है की या ग्रन्थ झूठा  है और सका मौर्य काल से कोई सम्बन्ध नहीं है


कौटिल्य की पुस्तक " अर्थशास्त्र " के आधार पर मौर्य - प्रशासन का ब्राह्मणवादी इतिहास लिखना बंद हो जाना चाहिए। कारण कि " अर्थशास्त्र " की रचना बहुत बाद में हुई है । डॉ. जाली जैसे विद्वान भी मानते हैं कि

 " अर्थशास्त्र " की रचना तृतीय शती ई. में हुई थी अर्थात् चंद्रगुप्त मौर्य के कोई पाँच सौ साल बाद रची गई थी । " अर्थशास्त्र " में ब्राह्मणवादी सिद्धांतों का प्रतिपादन है और इतिहासकार मौर्य काल की जाली तस्वीर उसी आधार पर बना लेते हैं। सच यह है कि मौर्य काल में कोई कौटिल्य और " अर्थशास्त्र " नहीं था। मेगास्थनीज सहित मौर्यकालीन सभी अभिलेख किसी कौटिल्य और उसके " अर्थशास्त्र " को एकदम नहीं जानते हैं।